माओबाद की तारीफ करता को जेल होनी ही चाहिए

केन्द्रीय ग्रह मंत्री पी चिदम्बरम खुद तो माओबाद और नक्सलबाद के प्रति कट्टर नजर आ रहे हें । यह बात दूसरी हे की कांग्रेस और उसके कुछ साथी उनसे सहमत नही हें । कांगेस महा सचिव दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की अंदरूनी सच्चाई को एक लेख के जरिये भले ही उजागर कर दिया हो मगर पार्टी के रूप में कांग्रेस सिंह का समर्थन खुल कर नही कर सकती हे । लेकिन सच यही हे की कांग्रेस सत्ता के लिए अन्दर से हाथ मिलाये हुए हे । उसका साथी दल ममता जी तो खुले आम पश्चिमी बंगाल में माओबाद का साथ ले रही हें ; आन्ध्र में कांग्रेस ने साथ लिया था । कहाँ कहाँ हाथ मिले हें यह तो कांग्रेस और उसके साथी ही जाने मगर अब यह समझ जाना चाहिए की ये देश के दुश्मन हें । कहा जाता हे की भारत की पूरा संपदा को कभी की लित्ते के जरिये ही चोरी छुपे इटली भेजा जाता था , सोनिया जी के रिश्ते की दुकान में बाद में उसी ने राजीव को मार डाला । शेतन की दोस्ती भी बुरी और दुश्मनी भी बुरी , इसलिए माओबाद और उसके हिन्दुस्तानी रूप नक्सलबाद से रास्ते तोड़ो ।

संसद में भले ही चिदम्बरम ने पोटा और टाडा की आवश्यकता नकार दी हो , वे विपक्ष के नेता अरुण jethali की बात का खुले में सर्थन नही करना चाहते होंगे मगर उनके ही मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह स्पस्ट कर अचछा किया की माओबाद की प्रशंसा १० वर्ष की सजा का अपराध हे । क्यों की एक तरफ तो ये हथियार के बल पर गरीबों को विकास और मानवीय सुविधों से दूर रखा रहें हें और किराये के बुधीजीवियों से अपने फेवर में लेख लिखवाते हें । अवेध गति विधि अधिनियम १९६७ के खंड ३९ की प्रति मिडिया को ही भिजबानी जरूरी हे । क्यों की आज मीडिया में न्यूज और विचार बिकते हें । व्यापारी करण की ओट में रास्ट्रहित भी तक पर रखे जा रहे हें ।

अरविन्द सीसोदिया

राधा क्रिशन मंदिर रोड ,

ददवारा , वार्ड ५९ , कोटा २

राजस्थान ।

टिप्पणियाँ

  1. साहब, किराये के बुद्धिजीवियों का गठन ही इसलिए हुआ है कि वे मिल-बांटकर सत्ता की रसमलाई खाएं.

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