वोट की राजनीति के लिए राष्ट्रघाती पाखंड ठीक नही .


वोट बैंक की राजनीति के लिए , 
हिन्दुओं पर कीचड़ उछालो,
सेना  पर कीचड़ उछालो,
पुलिस पर कीचड़ उछालो

    - अरविन्द सीसोदिया
अब सी बी आई के हाथ गुजरात  के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ बड रहे हैं,बिहार चुनाव  आते आते गुजरात सरकार के गृह राज्यमंत्री अमित शाह को गिरिफ्तर कर लिया और उत्तर प्रदेश के चुनाव आते आते यह हाथ गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी को भी फंसा कर त्याग पत्र  दे ने के लिए  विवश  करने के षड्यंत्र क़ी और बड़ रहे हैं . यह खेल कांग्रेस के उन्ही खेलों में से है, जो पहले से वोट बैंक की राजनीति और सरकार को बचाए रखने के लिए विपक्ष में फुट डालो राज करो अभियान के तहत हो रही है . राजनीति में सब जायज है में इस बात का पक्ष धर  नहीं हूँ , राजनीति में वह चीज  जो देश हित के विरुद्ध हो , जो समाज हित क़ी विरुद्ध हो और जो सामान्य सामाजिक गतिविधियों के विरूद्ध हो उनका प्रोत्साहन नही करना चाहिए . कांग्रेस और कई अन्य राजनैतिक दल , दल गत फायदे के लिए इस तरह के अनेकों काम लगातार हो रहे हैं .
   कांग्रेस मुस्लिम वोटों को अपनें दल के पक्ष में रखने के लिए वे सभी काम कर रही है जो सभी द्रष्टि से गलत है . कांग्रेस नें उन हिन्दुओं को जिन्दा जलाये जाने क़ी भर्त्सना तक नही क़ी जो सवारमती एक्सप्रेस में जलाये गए . यदि इन जलाये गए हिन्दुओं के पक्ष में ठीक प्रकार से चलती संसद में निंदा हुई होती तो सायद कोई मरहम लग होता . कांग्रेस को इस घटना की प्रतिक्रिया में हुए गुजरात दंगे तो नजर  आ रहे हैं , मगर आग किसने लगी यह नजर नहीं आरहा , ५० से अधिक जिदा लोग जले तब आप सांत्वना देने तक नही पहुचे..! क्यों क़ी हिन्दुओं को जलने वाले मुस्लिम गुंडे थे , वे हिदू इस लिए जलाये गए क़ी अयोध्या से आ रहे थे , इस लिए जलाये गए क़ी आगे कोई अयोध्या नही जाये ..!!
  अयोध्या में भी आप हिन्दुओं की निंदा करते हैं , मगर यह तो सभी को मालूम था की अयोध्या में लाखों लागों को केंद्र सरकार की सहमती से ही बुलया गया है , न्यायालय में तारीख के बाद कारसेवा होनीं है , न्यायालय को भी और उनके न्यायाधिसों को भी पाता था , एक तरफ लाखों लोग अयोध्या में और दूसरी तरफ न्यायाधिओं ने छुट्टी मनाते हुए तारीख आगे बड़ा दी . ये आग किसने लगाई ..!! वहां मोजूद  जनमत को गुस्सा आप दिला रहे हैं और उस गुस्से के फल स्वरूप उपस्थित लोगों नें ढांचा ढहा दिया तो आंसू भी आप बहा रहे हें ,  निंदा भी आप कर रहें हैं .
 जम्मू और कश्मीर में भारतीय सेना को शोक  नही आया क़ी वह वहां जाये और लोगों को मारे , भारतीय फोजियों का मनोरंजन स्थल नही है दुर्गम  जम्मू और कश्मीर ...., वहां एक एक फोजी देश की हिफाजत के लिए लगा है . आप वाट बैंक की राजनीति में उस पर मुकदमा चलाते हो , उसे जलील करते  हो ..!! कभी फोज वापस बुलाते हो कभी वस भेजते हो ..!! यह क्या तमाशा  है , वोट बैंक के लिए कुछ भी करलो  यह नही हो सकता . हिन्दुओं पर कीचड़ उछालो, फोज पर कीचड़ उछालो, पुलिस  पर कीचड़ उछालो यह कब तक चलेगा.वोट की राजनीति के लिए राष्ट्रघाती पाखंड ठीक  नही .
  एन्कांउटर का सच क्या है , जो पुलिस  में हैं वे सभी जानते हैं . कारण यह है क़ी एक तो हमारी कानून व्यवस्था ही इतनी लचीली है क़ी ज्यादातर  लोग बच जाते हैं . जमानत व्यवस्था  भी इस तरह की है क़ी अभी अपराध करो शाम को घर पर ..! मुछ पर तब दे कर निकलो क़ी तुने क्या कर लिया . पुलिस ने क्या कर लिया और अदालत ने क्या कर लिया . साक्ष्य का संरक्षण क़ी व्यवस्था है नही . इन्ही कारणों से पुलिस को एन्कांउटर करने पड़ते हैं . मुम्बई में भारत सरकार का राज है या महाराष्ट्र सरकार का राज है यह आप नही कह सकते वहां , वहां राज आज भी दाउद  करता है . जबरिया वसूली मुम्बई का एक बड़ा उद्योग है . एन्कांउटर विशेषज्ञ   वहां रखे जाते हैं . गुजरात से ज्यादा एन्कांउटर महाराष्ट्र में हुए हैं . कांग्रेस की सरकारों ने ही किये हैं , मुस्लिमों के ही हुए हैं . उत्तर प्रदेश में भी एन्कांउटर के द्वारा ही गुंडों पर काबू पाया गया था . कुल मिला कर समाज हित में पुलिस को यह कदम उठाना पडता है . जिस तरह अदालत एक निर्दोष  को सजा नही देना चाहती चाहे सैंकड़ों अपराधी छुट जाएँ , अर्थात अदालत ने कैंसा निहाल कर दिया . अपराधी को बचा कर आप भी तो अपराधी ही हुए . उसी तरह समाज हित में जब कोई अपराधी ज्यादा ही समाज को पीड़ित करने लगे तब , सबूत डरते हों , कोई रपट तक नही लिखता हो तब , तब एन्कांउटर का  कार्य होता है , कम से कम भारत में कोई भी व्यक्ती इस तरह का नही हुआ की वह सामान्य तोर पर किसी को खड़ा करके मार डाले . एन्कांउटर आदतन अपराधियों से निवाट्नें  क़ी एक विधा का नाम है. यह दूसरा मामला है की दुरूपयोग रोकने के लिए सरकार को इस पर निगाह रखनी  चाहिए .
सोहराबुद्दीन कोन था ...? 
                 सोहराबुद्दीन ने तुलसीराम प्रजापति, आजम और सिल्वेस्टर की मदद से 31 दिसंबर 04 को उदयपुर में हाथीपोल में मॉर्बल लॉबी के पास से प्रॉटेक्शन मनी (रंगदारी) वलूसने वाले बदमाश हमीद लाला की हत्या कर इलाके में अपनी धाक जमाई थी। हमीद लाला की हत्या के बाद राजस्थान की मॉर्बल लॉबी से सोहराबुद्दीन ने जोर-शोर से रंगदारी वसूल करना शुरू किया था। कहा जा रहा है क़ी इससे तंग आकर मॉर्बल व्यापारियों ने सोहराबुद्दीन की सुपारी देने का फैसला किया। पेंच यह है की यह सुपारी गुजरात पुलिस को दी गई बताया जा रहा है .
सीबीआई का दुरूपयोग का आरोप  क्यों  ..?
सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी  को आंध्र प्रदेश से गिरिफ्तर होना सर्वोच्च न्यायालय  और सी बी आई मान रही है और  सर्वोच्च न्यायालय ने मुख्यतः आंध्र प्रदेश के  उन सात  पुलिस कर्मियों क़ी भूमिका की जाँच करने को कहा था जो गुजरात पुलिस क़ी जाँच में स्पष्ट नही हो पा रही थी . मगर सीबीआई  ने वह बात तो पूरी तरह से छोड़ दी और गुजरात के तथा राजस्थान के भा जा पा नेताओं की और घुमा कर एक राजनैतिक  रंग दे दिया .    आंध्र प्रदेश के उन सात पुलिस कर्मियों क़ी भूमिका की जाँच इस लिए छोडी की वहां पर तब कांग्रेस क़ी सरकार थी.
वोट बैंक की राजनीती निगेटिव तरीके से क्यों ...? 
   सवाल यह है क़ी आप को वोट बैंक की राजनीती करनी है ..? इसके लिए देश हित समाज हित और व्यवस्था हित को दाव क्यों लगाया जाये , आप ख़ुशी ख़ुशी मुस्लिम वोट लीजिये मना किसने किया है , मगर वह पोजेटिव तरीके से लो निगेटिव तरीके से क्यों लेते हो ...? आतंकवादियों को , अपराधियों को , नक्सलवादियों को ही संरक्षण   देने  के द्वारा वोट लिए जाएँ यह थोड़े ही जरुरुरी  है , उनके   आम व्यक्तियों का  सामान्य विकास को करके भी यह हो सकता है और तभी उन का सच्चा विकास होगा . मगर आप एक आम मुसलमान को , आम आदिवासी को , एक आम व्यक्ति को तो गरीव रखना चाहते  हो और उसे इन ओझे हथकंडों से भड़का कर वोट लेना परंपरा बना रखी है .निगेटिव के सहारे भड़काना और वोट का साधन बनाना ठीक नही है . प्रधान मंत्री ने यह नही बताया क़ी आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने  सोहराबुद्दीन और कौसर बी को ग्रिफ्तार करने की भूमिका निभाई थी और उसे गुजरात सरकार को सोंपथा ?
- राधा कृष्ण मन्दिर रोड , डडवाडा , कोटा २ , राजस्थान . 

       

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