मुस्लिम दवाब के आगे घुटने टेके,शत्रु सम्पत्ति अधिनियम स्थगित

भारत के राष्ट्रपती का अपमान
सच हुई आशंका...,
देशभक्ती   पर गद्दारी   भारी..

- अरविन्द सीसोदिया
भारत की केंद्र सरकार ने मुस्लिम साम्प्रदायिक दवाब के आगे घुटने टेकते हुए शत्रु सम्पत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2010 (2010 का सं. 4) को पारित नहीं करवाया है, यह एक प्रकार से भारत के राष्ट्रपती का अपमान है ...!
इसपर लोकसभा  में नेता प्रतिपक्ष ने सुषमा स्वराज ने सरकार की नियत पर सवालिया निशाने दागे , मगर सरकार विधेयक वापस लेने के संदर्भ सच बोलने तैयार नहीं थी मगर यह सभी जानते हैं कि सरकार ने यू टर्न मुस्लिम सांसदों और उनके कुछ सिपहसालारों के दवाब में लिया है..! ८ अगस्त २०१० को  मेनें इसी ब्लॉग में यह आशंका  लिखी  थी ..,

भारत विभाजन से जुड़े गद्दारों की संपत्तियां मुक्त ना हों
उसी में लिखा था ....भारत विभाजन से जुड़े गद्दारों की बहुत सी संपत्तियां सरकार के पास जप्त हैं बहुत सों को बटवारे के समय उसके बदले रकम दे दी गई थी. उनमें पाकिस्तान बनाने की जिद्द करने बाले देश के शत्रु जिन्ना भी हैं . उनका मुम्बई में बहुत बड़ा और सबसे मंहगे इलाके में जिन्ना हॉउस है उसकी वर्तमान कीमत हजारों करोड़ में है , उनकी बेटी भारत में ही रहती है उसका बेटा प्रसिद्ध उद्योगपती नुस्लीवाडिया हैं और उसे प्राप्त करना चाहते है . इन्होनें जिन्ना को राष्ट्र भक्त साबित करने के लिए कथित तोर पर किताब भी लिखवाई थी . इसी तरह की कई हजारों करोड़ की इन जायदातों को तथाकथित उतराधिकारी  पुनः हांसिल करने के लिए सक्रिय हैं , उन  अमीर जमींदार - नबाव मुसलमानों के अबंछित लाभा पहुचाने के  लिए कांग्रेस के कुछ मुस्लिम नेता यथा सलमान खुर्शीद , अहमद पटेल , गुलाम नवी आजाद आदी नेता सक्रीय हैं व ये इस विधेयक को वापस करवाना कहते हैं , इसके लिए सीधा सा तरीका है की सरकार पास ही नही करवाए तो सत्रावसान के साथ ही यह समाप्त हो जाएगा . मुस्लिम वोट के नाम पर देश के ह्रदय - स्थल पर यह चोट देश से शुद्ध गद्दरी होगी...!

मेंने तब यह आव्हान भी किया था ....
शत्रु सम्पत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक, २०१० पारित कर,
भारत सरकार सावित करे की वह पाकिस्तानियों की नहीं है......!

   यह आशंका सही सावित हुई है , केंद्र सरकार ने यह अधिनियम पारित नहीं करवाया , भारत के संसदीय इतिहास में एक भी इस तरह का उदाहरन नहीं मिलता कि राष्ट्रपती का आध्यादेश  संसद चलते पारित नहीं करवाया गया हो..! यह राष्ट्रपती का अपमान है , अब इस आध्यादेश की क्या स्थिति  बनेगी यह अभी स्पष्ट नही हो पा रहा हे..! कहा जा रहा है कि यह ६ महीने तक प्रभावी रहेगा..! पर जब आध्यादेश के बाद सदन आहूत हुआ है तो फिर आध्यादेश क्यों रहे यह बात समझ से परे है..! प्रश्न वाचक भी है ?   यह कानूनी पेंचेदगी का भी  मामला है..? मगर सरकार ने इस आध्यादेश को विधेयक के रूप में जो कानून लोकसभा में रखता वह लैप्स हो गया..! इस का सीधा सीधा मतलब है कि राष्ट्रपती के आध्यादेश के साथ सरकार नहीं है...! हालाँकि  आध्यादेश गृह मंत्री चिदंमरम  ने जारी करवाया था ..!
 02.07.2010 को प्रख्यापित शत्रु सम्पत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2010 (2010 का सं. 4) को प्रतिस्थापित करना। शत्रु सम्पत्ति अधिनियम, 1968 और सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम, 1971 में संशोधन करना। सत्र के दौरान उपस्थित किए जाने वाले प्रस्ताव - पुर:स्थापन, विचार तथा पारण के लिए रखा गया था | जिसे पारित नहीं करवाया गया जबकी उसका समर्थन भा ज पा कर रही थी , पास होनें में कोई दिक्कत नहीं थी | यदी लालजी टंडन की माने तो यह शत्रु सम्पत्ति २५ हजार करोड़ से भी अधिक की हैं ...!

टिप्पणियाँ

  1. Yahi to is desh ka Durbhagay hai sir...yahan Gaddar jeet jaate hain aur Deshbhakt haar jaate hain.

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  2. आपने मरे ब्लॉग की रचना पर टिप्पणी कर मेरा उत्साहवर्धन किया है | जिसका में धन्यवाद प्रेषित करता हूँ , भविष्य में भी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहेंगे, इस तरह का मेरा आग्रह है!!

    - आपका ; अरविन्द सीसोदिया

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  3. किसी भी हाल में शत्रु संपति अधिनियम पास नहीं होना चाहिए मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति ये नेता लोग छोड़ दे वर्ना इस देश के लोग इन्हें कभी भी माफ़ नहीं करेगे

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