ओबामा ; बहुत विश्व राजनीति के अनुभवी नहीं हैं



-  अरविन्द सीसोदिया 


हालिया चुनाव में  अपनी डेमोक्रैटिक पार्टी की हार और अमेरिका की डूबती  अर्थव्यवस्था को गति देने की उम्मीदों का बोझ लिए, अमरीकी  राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मुंबई उनकी  पत्नी मिशेल के साथ पहुचे और २६/११ से प्रभावित ताज होटल में ठहरे..! उन्होंने यह सन्देश देने की कोशिश की है क़ी वह आतंकवाद के मामलों में आतंकवादियों के साथ नहीं है ...! मगर उसके ही देश ने २६/११ के मास्टर माइंड हेडली के सारे सच को छुपा रखा है...!! तमाम सबूतों के बावजूद वह पाकिस्तान को आतंकवादी  देश घोषित नहीं कर रहा.., यह जानते हुए भी क़ी पाकिस्तान आर्थिक मदद को दूरउपयोग  भारत के विरुद्ध करता है ; तब भी पाकिस्तान को किसी न किसी बहाने मदद देता रहता है | जब भारत ने अपने परमाणु बम परिक्षण किया था तब भी सबसे पहले आर्थिक प्रतिबन्ध लगाया था...! भारतीय वैज्ञानिकों को अमरीका छोड़ने को कहा था..! १९७१ में भी पाकिस्तान से भारत के युद्ध के समय वह पाकिस्तान के पक्ष में युद्धपोत भेज रहा था | १९४७ / ४८ के  दौर में भी वह पाकिस्तान के साथ था और हमारे विरुद्ध था..!

  कुल मिला कर बात यह है कि अमरीका, ब्रिटेन या बड़े अन्य देशों की स्थिति विदेश मामलों में उतनी बदलती  जिसकी कि हम अपेक्षा कर बैठते हैं ..! बराक ओबामा  वहां के राष्ट्रपति अवश्य हैं .., मगर वे भी उसे यूं नहीं बदल सकते.., इसलिए हम उसे अपना मित्र नहीं मान सकते.., मित्र तो वह पाकिस्तान का ही है और फिलहाल रहेगा..! यह भूल हमें नहीं करनी चाहिए कि हम उसे अपना मित्र या शुभचितक मान लें..! बल्कि ले और दे का रिश्ता ही होना चाहिए .., उसी में हमें फायदा है ..! हमें इक जिम्मेवार देश की तरह राष्ट्र भक्ती का उदाहरण पेश करना चाहिए , जब वह अपने हित तलाशने आये हैं .., तो हमें भी अपने हित सामने रखने चाहिए..! हम जो अपने देश को कोई तब्जो दिए बिना ही , सामने वालों के चरणों में जा गिरते हैं .., यही हमारी कायरता है और कमजोरी है..!! वो भी माल का आर्डर लेने आये हैं , हमसे कह रहे हैं कि आप अपना बाजार खोलो.., हमें अपना बाजार खोलने के बदले पाकिस्तान और चीन के खतरों को कम करने वाले आयुद्ध सामग्री मांगनी चाहिए...! अपने लोगों को अमरीका में रोजगार के अवसरों की बात होनी चहिये और सबसे बड़ी बात तकनीकी आदान प्रदान की है जो वे झुपाते हैं ..! कुल मिला कर  देश हित के मुद्दों पर बात हो ...!! लिहाज और मित्रता छोडो हमें दो और हमसे लो की रणनीति पर चलो....!

       यूं भी बराक ओबामा राष्ट्रपती तो बन गए मगर वे अमेरिकी जनता की अपेछा पर खरे नहीं उतारे हैं .., उनकी नीतियाँ तुरंत अमरीका मानेगा नहीं .., उनके अधिकारी विशेष कर विदेश मामलों में उन्हें पूरी तरह सपोर्ट नहीं करेंगे.., जब तक कि वे परिपक्व नहीं हो जाएँ ...!! वे  विश्व राजनीति के अनुभवी नहीं हैं !! इस लिए हमें भी उनके नाच गानों और तरानों पर ज्यादा इतराना  नहीं चाहिए..!  

अमरीका कभी भी आतंवाद कम नहीं कर सकता क्यों की यह आग वह लगा चुका है.., ये उससे कभी नहीं बुझेगी .., तालिवानों को उसने खूब प्रशिक्षण दिया , पैसा दिया और मदद की..., अब वही नासूर अमरीका और पाकिस्तान को खा जाएगा.., भारत को तो एक ही पालिसी रखनी चाहिए की कोई हम पर एक बार करे हम उस पर दो बार करें,,,! दुनिया लड़ाकू से डरती है और शांती प्रिय को  सारे नियम कानून पढ़ती है !!      


  कौन हें बराक ओबामा....

* एक ही सत्र के लिए सीनेटर बने बराक ओबामा का राजनीतिक जीवन कुछ ही दिनों में राष्ट्रपति के उच्चतम पद तक पहुंच गया। मात्र 47 वर्षीय बराक ओबामा पहले अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिक हैं जो दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति बन रहे हैं।  कुछ ही वर्षों पूर्व ओबामा राष्ट्रीय व्यक्तित्व नहीं थे लेकिन 2008 के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से हिलेरी क्लिंटन के साथ उनका भी नामांकन किया गया। ओबामा ने 2004 में डेमोक्रेटिक नेशनल कंवेशन में प्रमुख भाषण दिया था जिसकी काफी सराहना की गई थी।
* कीनियाई मूल के अश्वेत पिता और अमरीकी मूल की मां के तलाक के समय ओबामा एक बच्चे थे। बाद में मां की दूसरी शादी के बाद उनके बचपन का कुछ अरसा इंडोनेशिया में बीता। दस साल की उम्र से वे अपने नाना नानी के साथ रहने चले गए और अपना बचपन और किशोरावस्था उन्हीं के साथ गुजारी। 
* ओबामा ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है। दुनिया भर की कई जानी मानी हस्तियां इसी विश्वविद्यालय सें पढ़कर निकलीं हैं। यहीं ओबामा ने ‘ऑक्सफोर्ड लॉ रिव्यू’ का संपादन भी किया। वे इस पत्रिका के पहले अश्वेत संपादक चुने गए थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नौकरियों को छोड़कर सामाजिक क्षेत्र चुना। शिकागो में उन्होंने छोटे-बड़े कई काम किए।


* शुरुआत में मतदाता पंजीकरण अभियान चलाया, संवैधानिक कानून पर भाषण दिए और नागरिक अधिकारों के वकील के रूप में काम किया। इसके कुछ साल पहले ओबामा एक परियोजना के दौरान अश्वेत चर्चों को संगठित कर चुके थे
* ओबामा की सोच को ढालने में उनके अश्वेत होने से उपजे अनुभवों का बड़ा योगदान रहा। उन्‍होंने दो किताबें भी लिखीं हैं। उनकी पहली पुस्तक ‘ड्रीम्स फ्रॉम माई फादर: ए स्टोरी ऑफ रेस एंड इनहैरिटेंस’ है इसमें उनके बचपन, युवावस्था और कीनियाई जड़ों की बात की गई है। दूसरी किताब 'द ऑडेसिटी ऑफ होप' है। दोनों किताबें अमेरिका में सर्वाधिक बिकने वाली पुस्‍तकों में शामिल रही।
* राजनीतिक जीवन: ओबामा 1996 में पहली बार इलिनोइस की राज्य सीनेट के लिए चुने गए। यहां उन्होंने अपनी पहचान एक ऐसे राजनेता के रुप में बनाई जो दलगत बंधनों के ऊपर उठकर काम कर सकता है। ओबामा ने गरीबों के लिए करों में राहत और मृत्यु दंड संबंधी कानूनों में महत्वपूर्ण बदलावों के लिए काम किया | नवंबर, 2004 में उन्हें अमेरिकी सीनेट के लिए चुन लिया गया। यहां उन्होंने सरकारी खर्चों में पारदर्शिता लाने के लिए काम किया। इस दौरान ओबामा लगातार अमेरिका की तेल पर निर्भरता को काबू में लाने के लिए भी प्रयास करते रहे। शुरुआती ना-नुकुर के बाद ओबामा ने फरवरी, 2007 में अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया।

* शिकागो से सांसद ओबामा ने अपना चुनावी अभियान पुरानी राष्ट्रीय सीनेट की उन्हीं सीढ़ियों से किया जहां से कभी युद्ध काल के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने सदन से एक साथ खड़े होने या फिर बिखर जाने की बात कही थी।
* चुस्त-दुरुस्त ओबामा को बास्‍केटबॉल खेल बहुत पंसद है। उनकी पत्नी मिशेल भी हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में उनके साथ कानून की पढ़ाई करती थीं। पढ़ाई खत्‍म होने के बाद दोनों ने शादी कर ली। मालिया और साशा उनकी दो बेटियां हैं।
भास्कर . कॉम के अनुसार 




बराक ओबामा: एक परिचय

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