जांच एजेंसियां सरकार की ओर से जालसाजी का साधन बन गईं


पी.जे.थॉमस को तुरंत हटाया जाये ....
- अरविन्द सीसोदिया 
थामस कि नियुक्ती मूलरूप से जांचों को प्रभावित करने के लिए की गई है ...!  
    एक येसी परिस्थिति में जब देश की जांच एजेंसियां सरकार की ओर से जालसाजी का साधन बन गईं हों, विरोधी लोगों को फंसाना, फंसा कर लटकाना , उनसे सरकार के काम निंबटाना और फिर बचना या निवता देना जैसे कार्यों में अन्याय पूर्ण तरीके लगा दी गईं हों ..! सरकार के बहुमत को बनाये रखने का इंतजाम जब जांच एजेंसियां करने लगीं हों ..! देश की लगभग समूची राजनैतिक व्यवस्था भ्रष्टाचार की कोख में समाती जा रही हो ...? एक अनुमान से जिसे पूर्व सतर्कता आयुक्त प्रत्यूश सिन्हा ने कहा है कि हर तीसरा भारतीय भ्रष्ट  है या बहुत जल्द हो जाएगा ?? तब भारत के सर्वोच्च न्यायालय  ने नव नियुक्त  मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ती पर एक दम सही सवाल उठाया है कि 'आपराधिक मामले का कोई अभियुक्त मुख्य सतर्कता आयुक्त के पद का कामकाज कैसे देख सकता है?' इस का सीधा सीधा अर्थ यह है की आप जांचें में भी घपला करना चाहते हैं ...!! इस बारे में जनहित याचिका की सुनवाई न्यायाधीश एसएच कपाडिया की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है.सुनवाई के दौरान जस्टिस कपाडिया ने पूछा, "इस फ़ाइल को पढ़े बिना ही हमारी चिंता ये है कि यदि कोई व्यक्ति किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त है तो वह सीवीसी का कामकाज कैसे देख सकता है? हम एक साथ बैठकर इस फ़ाइल का अध्ययन करेंगे."  कोर्ट ने कहा कि न्यायिक सिद्धांतों के मुताबिक अगर किसी के खिलाफ आपराधिक केस चल रहा हो और चार्जशीट पेंडिंग हो, तो उसका प्रमोशन तक पर भी विचार नहीं किया जा सकता है, ऐसे में उनका सीवीसी बनाए जाना कितना उचित है।
बेंच ने यह भी कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अगर हम आरोपों के तह तक नहीं जाते हैं, तब भी क्या ये कहना सही नहीं है कि इस तरह के आरोपों के बीच उनके लिए काम करना आसान नहीं होगा।मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC)?
ईसाई होने का फायदा मिला था .....!ज्ञात हो कि नए मुख्य सतर्कता आयुक्त के रूप में पी.जे.थॉमस की नियुक्ति को लेकर विवाद पैदा हो गया है, क्योंकि इस बात के आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने यह पद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चलते हासिल किया है।देश के मुख्य सतर्कता आयुक्त जैसे महत्त्वपूर्ण पद को अपने विवादास्पद व्यक्तित्व से कलंकित करने वाले देश के नव-नियुक्त मुख्य सतर्कता आयुक्त श्री पी. जे. थामस स्वयं ही ईमानदारी के नाम पर एक भद्दा प्रश्नचिन्ह हैं. आप जब दूरसंचार विभाग में मुख्य सचिव के पद पर विराजमान थे, तो उस विभाग में देश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा 'दूरसंचार घोटाला' हुआ. आप उस घोटाले के समय बिलकुल भी 'सतर्क' नहीं रहे. 'सतर्कता'के प्रति आपकी ऐसी 'परिपक्व' निष्ठा को देखते हुए सरकार ने आपको अपने लिए सर्वाधिक अनुकूल पाया और उसने संविधान की नितांत उपेक्षा करते हुए बड़ी ही बेशर्मी से 'मुख्य सतर्कता आयुक्त' के पद पर आपको सुशोभित कर दिया. विपक्ष की नेता, जो आपको इस नए पद पर नियुक्त करने वाली टोली की एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं, उन्होंने आपके ऊपर बहुत ही गंभीर आरोप लगाए हैं, परन्तु आप उन आरोपों का खंडन करने के लिए अभी तक कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं.
        अब आपके होते देश के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि किसी केन्द्रीय मंत्रालय में मुख्य सचिव स्तर का व्यक्ति अपने ऊपर लगे आरोपों की जाँच अपने ही अधीनस्थ कर्मचारियों से करवाएगा और उस जाँच के परिणामों का 'मुख्य सतर्कता आयुक्त' के रूप में स्वयं ही अंतिम निर्णायक भी बनेगा. आपने अपने पिछले कार्यकाल में 'सतर्कता' के नए आयाम स्थापित किये है, इसीलिए आज आप देश के 'मुख्य सतर्कता आयुक्त' हैं. देश के लोगों को अब समझ आ रहा है कि CWG घोटाले की पृष्ठभूमि में सरकार ने CVC के इस अति महत्त्वपूर्ण पद पर आप ही की नियुक्ति करने की इतनी जिद्द क्यों पकड़ रखी थी. इतने बड़े घोटाले में, जिसमे स्वयं प्रधानमंत्री कार्यालय पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हों, इन सरकारी कठपुतली लोगों कि रहनुमाई में जाँच के कैसे परिणाम निकलकर सामने आने वाले हैं, इस बात का सभी को अंदाज़ा है. ताज़ी खबर यह है कि CWG के कुछ अति महत्त्वपूर्ण डाटा चोरी हो गया है. सरकार ने इतनी सारी एजेंसियों को सबूत जुटाने के लिए नहीं, बल्कि सबूत मिटाने के लिए लगाया है.



थॉमस पर पॉम आइल आयात घोटाले के आरोप हैं, जिसमें उनके खिलाफ चार्जशीट भी फाइल हो चुकी है।


नियुक्ती से ही विवाद ....
भाजपा का विरोध रहा था ...!


मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस समारोह का बहिष्कार किया. भाजपा नेता सुषमा स्वराज भी तीन सदस्यीय चयन समिति का हिस्सा थीं लेकिन उनके विरोध को दरकिनार करते हुये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पी जे थामस को नया मुख्य सतर्कता आयुक्त बनाने का निर्णय लिया था. भाजपा का आरोप है कि सतर्कता आयोग 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रहा है और ऐसे में पूर्व टेलीकॉम सचिव को नया मुख्य सतर्कता आयुक्त बनाने से इस घोटाले की जांच पर असर पड़ना तय है. हालांकि इस अवसर पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, गृहमंत्री पी. चिदंबरम और विधि एवं न्याय मंत्री वीरप्पा मोइली उपस्थित थे. श्री थामस ने उसी दिन से ही अपना कार्यभार संभाल लिया है..


  आज जब देश के साथ लूट पाट और जबरिया साम्राज्य की कोशिशें हो रहीं हैं तब  न्याय और सत्य के साथ इस देश के न्यायालय को खड़ा ही होना चाहिए ..! 

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