नीरा राडिया : टेपों का पूरा सच जानता जानें ....

- अरविन्द सीसोदिया 
       जब इस देश को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है तो फिर नीरा राडिया के टेपों को छुपाना गलत होगा ! न्यायालय को यह पूछना ही चाहिए की सभी ६००० टेपें क्यों छुपाई जाएँ ..? उन्हें जनता के पास पहुचने से क्यों रोका जाये ..?? जानता के मत से सरकारें बनतीं हैं तो जानता से ऊपर कोई कैसे हो सकता है ..? हमारे पूंजीवादीयों  और उद्योगपतियों का चरित्र हमारे सामनें क्यों नहीं आना चाहिए ..! पाखंड चाहे चौड़े धडे हो या झुप कर हो उसे जस्टिफाई नहीं किया जा सकता ...!     
नई दिल्ली. कॉरपोरेट जगत के लिए लॉबिंग (दलाली ) करने वाली नीरा राडिया की विभिन्न लोगों के साथ बातचीत के टेप सामने आने के बाद उद्योग जगत परेशान है।  राडिया की करीब 140 फोन बातचीत को टैप किया गया है। उद्योग जगत के लोग अब गृह मंत्रालय से संपर्क कर यह पूछ रहे हैं कि क्या उनकी बातचीत को भी रिकॉर्ड किया गया है।  गृह सचिव जीके पिल्लई ने ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि जो टेप सार्वजनिक हुए हैं, वह उन 5,000 रिकॉर्डिंग का मामूली हिस्सा भर हैं। इनका इस्तेमाल गलत काम करने वालों के खिलाफ आरोप तय करने में होगा। पिल्लई ने कहा कि जो टेप सामने आए हैं उनमें सिर्फ कुछ ‘रसदार बातें’ हैं, जो मीडिया को उत्तेजित करने में  काफी हैं। ये टेप कर चोरी से संबंधित जांच से जुड़े नहीं हैं।
        रिपोर्ट में पिल्लई के हवाले से कहा गया है कि जांच का बहुत सारा हिस्सा ऐसा है जो अभी सामने ही नहीं आया है। साथ ही गृह सचिव ने कहा कि टेप लीक से वह काफी चिंतित है और उस जांच के नतीजों को इंतजार कर रहे हैं जिससे यह पता चल सके कि बातचीत के ये टेप सार्वजनिक कैसे हुए।
** दूसरा पक्ष ....
सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को दलील दी गई कि कॉरपोरेट घराने के लिए लॉबिंग करने वाली नीरा राडिया से जुड़े पूरे टेप को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। क्योंकि जनता को यह जानने का अधिकार है कि सरकारी अधिकारी किस प्रकार से काम करते हैं। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति ए. के. गांगुली की पीठ के सामने यह दलील दी। भूषण ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के पक्ष को अदालत में रखा।
         वरिष्ठ वकील भूषण ने कहा कि  सिर्फ 104 बातचीत को ही अदालत में पेश किया है। लेकिन कोशिश की जा रही है कि 5,851 बातचीत कभी जनता के सामने नहीं आ पाए। उन्होंने कहा कि इस टेप से पता चलता है कि किस प्रकार राडिया की पहुंच सरकार के लगभग सभी आला अधिकारियों तक थी। और वह एक कम्पनी को कर में 81,000 करोड़ रुपये तक छूट दिलाने के लिए संसदीय कार्यवाही को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी।

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