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अपवित्र कर दिया नोबेल पुरूस्कार ...

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लोकतंत्र समर्थक  ;  चीन में बंदी को नोबेल पुरूस्कार  ....! - अरविन्द सीसोदिया        यूं तो नोबेल पुरुस्कारों  का चयन , विशेष कर  शांती नोबेल अनेकों बार विवादास्पद रहा है, इसके अतिरिक्त और भी अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कार विवाद पूर्ण रहे हैं.., इकने पीछे का सच छलक तो जाता है मगर ज्यादातर उन्हें कहता कोई नहीं है ! पुरुस्कार देना और उसके मुह से अपनी बात कहलवाना..! यह अजीव सी बेईमानी बहुत सालों से चल रही है..!!        इस बार इसलिए विवादास्पद है कि चीन में लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले ल्यू जियाओबो (शियाओबो) को नोबेल पुरुष्कार देने की घोषणा की गई है..! यह वह व्यक्ती है जिसने  १९८९ में  चीन में  लोकतंत्र के समर्थन  में विशाल प्रदर्शन किया था , जिस में हजारों  छात्र मारे गए थे ! चीन में इसका दर्जा अपराधी का है !  - क्रानिकल इयर बुक के अनुसार पेइचिंग में सैनिक कार्यवाही में लगभग १०,००० लोकतंत्र समर्थक आन्दोलनकारी  जून १९८९  को मारे गए थे | इसी तरह से मनोरमा इयर बुक के अनुसार १९८९ में पेइचिंग में १५ मई को थ्यामन  चौराहे पर हजारों लोकतंत्र समर्थक छात्रों  ने प्रदर्शन किया था, वहां माशर्ल ला

26 नवम्बर संविधान दिवस पर : ब्रिटिश शासन पद्धति भारत के अनुकूल नहीं..!

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  अरविन्द सिसौदियाः मेरा ब्लाग, नियमित पढ़नें के लिये सेव करें वेब एड्रेस  https://arvindsisodiakota.blogspot.com/ अरविन्द सिसौदियाः मेरा ब्लाग, नियमित पढ़नें के लिये सेव करें वेब एड्रेस 26 नवम्बर संविधान दिवस पर विशेष - अरविन्द सीसोदिया  संविधान कहता है, मुझे फिर लिखवाओ। नेताओं के चोर रास्ते बंद करवाओ, राष्ट्रधर्म पर परख फिर सिंहासन पर बिठाओ,वास्तविक लोकतंत्र बनाओ। वंशवाद खा गया देश को,चोर उच्चके हो गये नेता। बहूमत बैठा भीख मांगता, अल्पमत सिंहासन हथियाता।। फिरसे विचार करो,कैसे हो रामराज्य का पूरा सपना! संविधान कहता है, मुझे फिर लिखवाओ। निर्वाचन पद्धति ; जवावदेह  प्रतिनिधि चुनने  में सक्षम बने   राष्ट्रीय  स्वंयसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक कु. सी. सुदर्शन जी ने कोटा में २२ अक्टूबर को दिए कश्मीर मुद्दे पर संबोधन में सर्व प्रथम भारतीय जन प्रतिनिधियों की निर्वाचन प्रक्रिया की व्यवस्था पर ही प्रश्न खड़ा करते हुए, उसे देश के लिए अहितकर बताया...! उनकी बात सही थी.., दिमाग पर जोर डालने से लगता है कि सब कुछ गड़बड़ झाला है! श्री सुदर्शन ही ने कहा  ब्रिटिश शासन पद्

इंदिरा जैसा दम चाहिए..! प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कायरता त्यागें

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*मनमोहन सिंह .., नेहरु की तरह पराजित मानसिकता ग्रस्त *विशेष कर विदेश नीति और शत्रु संहार के मामलों में इंदिरा जी  से सीखें   *स्वाभिमान खो देने वाला कभी नहीं जीतता !!  *मनमोहन सिंह जी रिमोट स्टाईल ठीक नहीं हैं..,     - अरविन्द सीसोदिया पहले पाकिस्तान के तमाशे ब्रिटेन - अमरीकी गुट की सह पर और अब चीन की सह पर, एकवार फिर से बड़ी उलझन बन गई है..! देश फिरसे युद्ध और नए विभाजन के सामने खड़ा है...!!     जो कुछ प्रधानमंत्री नेहरु जी की कायरता के कारण हुआ , वही सब अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की कायरता से हो रहा है..! उस समय ब्रिटेन- अमरीकी गुट के पैरोकार भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउन्टबेटन थे अब यू पी ए की सर्वेसर्वा  सोनिया गांधी ...! वे भी ईसाई थे ये भी ईसाई हैं..!!     नेहरुजी पाकिस्तान के द्वारा कश्मीर के दवाये हिस्से को उसी  के कब्जे में छोड़  दिया.., तिब्बत पर से भारतीय हक़ चीन  के पक्ष में छोड़ दिए.., फिर चीन से युद्ध हार गए..! जम्मू और कश्मीर में शेख अब्दुल्ला  के राष्ट्र विरोधी कृत्यों  को अवसर दिया...!! यही मनमोहन सिंह की स्थिती है.., पाकिस्तान  के सामने दब्बू की तरह दुम हि

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, मास्को जेल में..? Netaji in Moscow jail

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                Netaji in Moscow jail   खे लेने दो नाव आज माँ, कल पतवार रहे न रहे .. जीवन सरिता की नदियों में, फिर ये धार बहे न बहे .. जीवन पुष्प चढ़ा चरणों पर, मांगे मातृभूमि से यह वर .. तेरा वैभव सदा रहे माँ, हम दिन चार रहे न रहे ....   सही तथ्य सामने आने चाहिए ,नेताजी के साथ मास्को जेल में क्या हुआ था   - अरविन्द सीसोदिया       राजस्थान के कोटा जिले में आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मलेन को संबोधित करते हुए ; राष्ट्रिय स्वयसेवक सघ के पूर्व सरसंघ चालक कु. सी. सुदर्शन जी ने अपने संबोधन में एक रहस्य उजागर किया क़ी , नेताजी सुभाषचन्द्र बोस  का निधन हवाई दुर्घटना में नहीं हुआ था.., बल्कि वे १९४९ तक जीवित थे और उनसे मास्को जेल में विजयलक्ष्मी पंडित और सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भेंट की थी.....!  वे (  विजयलक्ष्मी पंडित  ) एक जगह यह रहस्य उजागर भी करने वाली थी.., मगर जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें रोक दिया...!! सुदर्शन जी का कहना था की नेताजी ने कूटनीतिक तोर  पर यह खबर फेलाई थी कि उनकी मृत्यु हो गई...! सच यह है कि वे पनडुब्बी और पैदल मार्ग से सोवियत संघ पहुचे थे, वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया