उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव में भाजपा की भारी जीत, कांग्रेस का सूपड़ा साफ




यूपी में भाजपा की वापसी.....
उत्तरप्रदेश में मात्र कुछ महीनें पहले बहूमत हांसिल करने वाली सपा ने गुंडाराज के चलते अपना जनमत बुरी तरह गंवा दिया है। वहां 12 नगरनिगम चुनावों में 9 में भाजपा ने जीत हांसिल की है कांग्रेस खता नहीं खेल सकी। जबकि सत्ता रूढ सपा मात्र 1 स्थान पर और 1 पर बसपा समर्थित जीत पाये है। एक की मतगणना जारी है।

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यूपी निकाय चुनाव में भाजपा की भारी जीत, कांग्रेस का सूपड़ा साफ
लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Saturday, July 07, 2012
उत्तर प्रदेश के महानगरों में भाजपा ने परचम फहरा दिया है। सूबे के 12 नगर निगमों में राजधानी लखनऊ सहित नौ में भाजपा के महापौर चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। एक-एक सीट सपा और बसपा समर्थित प्रत्याशियों के कब्जे में गई है।

गाजियाबाद नगर निगम के महापौर पद के लिए भाजपा व सपा समर्थित उम्मीदवार के बीच संघर्ष चल रहा है, लेकिन यहां का महापौर पद भी भाजपा के ही खाते में जाने की संभावना दिख रही है। नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों के अब तक जो रुझान मिले हैं, उनमें निर्दलियों का दबदबा दिख रहा है। पार्टी वार विश्लेषण करें तो यहां भी अब तक कांग्रेस की तुलना में भाजपा आगे चल रही है।

निकाय चुनाव के नतीजे सबसे ज्यादा कांग्रेस के लिए झटका देने वाले रहे हैं। कांग्रेस का एक तरह से सूपड़ा साफ हो गया है। पार्टी के इलाहाबाद, बरेली और झांसी में महापौर थे। लेकिन इनमें एक भी जगह कांग्रेस अपना कब्जा बरकरार नहीं रख पाई है। बरेली सीट सपा समर्थित, इलाहाबाद सीट बसपा समर्थित उम्मीदवार और झांसी भाजपा के कब्जे में चली गई है।

हालांकि 12 नगर निगमों में से पांच में कांग्रेस के उम्मीदवार महापौर चुनाव में विजयी प्रत्याशी के साथ मुख्य मुकाबले में रहे लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा। पिछले पांच वर्षों में सूबे की सियासत में उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर जद्दोजहद कर रही पीस पार्टी ने पहली बार निकाय चुनाव में भी अपना जोर दिखाया। मुरादाबाद में वह निर्वाचित महापौर वीना अग्रवाल के साथ मुख्य मुकाबले में रही और 29071 वोट प्राप्त किए।

लखनऊ में दिनेश शर्मा की भारी जीत
भाजपा के महापौर प्रत्याशियों में लखनऊ से दिनेश शर्मा ही एकमात्र ऐसे उम्मीदवार थे जिन्हें दोबारा मैदान में उतारा गया था। इसके अलावा शेष सभी जगह परिसीमन या आरक्षण के मजबूरी के चलते नए चेहरे मैदान में उतरे थे। दिनेश शर्मा ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। वह भी पिछली बार की तुलना में लगभग कई गुना मतों से। वर्ष 2006 में हुए चुनाव में शर्मा कांग्रेस के साथ कड़े मुकाबले में बमुश्किल 7 हजार वोटों से जीत पाए थे। इस बार उन्होंने कांग्रेस के नीरज बोरा को लगभग एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से पराजित कर दिया।

लखनऊ में लगातार चौथी बार कब्जा
दिनेश शर्मा के दोबारा महापौर निर्वाचित होने के साथ ही भाजपा लगातार चौथी बार राजधानी के महापौर पद पर कब्जा करने में सफल रही। भाजपा यहां 1995 से महापौर पद पर कब्जा किए है। शर्मा से पहले एससी राय भी यहां दो बार मेयर रहे।

अन्य शहरों में भी भाजपा का परचम
लखनऊ के अलावा भाजपा अलीगढ़, आगरा, गोरखपुर, मेरठ, वाराणसी और कानपुर में भी अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रही है। अलीगढ़ में भाजपा की शकुंतला भारती ने निर्दलीय रजिया खान को लगभग 41 हजार वोटों से पराजित किया।

गोरखपुर में भाजपा की सत्या पाण्डेय ने कांग्रेस की सुरहिता करीम को लगभग 33 हजार वोटों से हराया। आगरा में भाजपा के इंद्रजीत वाल्मीकि ने बसपा के करतार सिंह को, वाराणसी में भाजपा के रामगोपाल मोहले ने कांग्रेस के अशोक सिंह को, कानपुर में भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण ने कांग्रेस के पवन गुप्ता को, मेरठ में भाजपा के हरिकांत अहलूवालिया ने कांग्रेस के देवेंद्र कुमार सिंह को पराजित कर दिया है।

कांग्रेस और सपा से छीनी
भाजपा ने झांसी नगर निगम महापौर की सीट कांग्रेस से छीन ली है। यहां भाजपा की किरन वर्मा ने निर्दलीय निर्मला बिलहरिया को लगभग 25 हजार वोटों से तो मुरादाबाद में भाजपा की बीना अग्रवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पीस पार्टी के हुमायूं कदीर को लगभग 70 हजार वोटों से पराजित कर महापौर पद पर कब्जा कर लिया।

बसपा और सपा समर्थित को जीत
इलाहाबाद का महापौर पद बसपा समर्थित उम्मीदवार अभिलाषा गुप्ता के कब्जे में गया है। उन्होंने भाजपा की कमला सिंह को 20 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी। अभिलाषा बसपा सरकार में मंत्री रहे नंदगोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी हैं। बरेली में सपा समर्थित आईएस तोमर ने भाजपा के गुलशन आनंद को लगभग 47 हजार वोटों से पराजित किया।

नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत
राज्य निर्वाचन आयोग ने 186 नगर पालिका परिषदों में 24 अध्यक्ष पद के परिणाम घोषित किए हैं। इनमें 14 पर निर्दलीय, 8 पर भाजपा और 2 पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी घोषित किए गए हैं। जिन 388 नगर पंचायतों की गणना चल रही है उनमें अब तक 52 अध्यक्ष पद के परिणाम घोषित किए गए हैं। जिनमें निर्दलीय 40, भाजपा 7 व कांग्रेस 5 स्थानों पर जीतने में कामयाब रही है।

असली जीत तो सुप्रीम कोर्ट तय करेगा
निकाय चुनाव में मतगणना के बाद भले ही हार-जीत तय हो गई है पर उम्मीदवार असली जीत का जश्न तो एक माह बाद देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला आने पर ही मना पाएंगे। उम्मीदवारों को जीत का जो प्रमाण पत्र दिया जा रहा है उसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही पूरी तरह से वैध माना जाएगा।

राज्य निर्वाचन आयोग ने पूर्व में ही इस संबंध में स्थिति साफ कर दी है कि निकाय चुनाव से संबंधित विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और इस पर 6 अगस्त को निर्णय होना है। इसलिए जब तक इस पर निर्णय नहीं हो जाता है तब तक जीत का प्रमाण पत्र सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अधीन होगा।

गौरतलब है कि यूपी में निकाय चुनाव के लिए सीटों और वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया पर आपत्ति संबंधी याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आरक्षण पर पुनर्विचार का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर रखी है। इस पर फैसला आना बाकी है।

नगर निगम--2006--2012
सीट--महापौर--पार्टी--महापौर--पार्टी
मेरठ--मधु गुर्जर--भाजपा--हरिकांत अहलूवालिया --भाजपा
गाजियाबाद--दमयंती गोयल--भाजपा--तेलूराम व सुधन रावत में संघर्ष
मुरादाबाद--तुफैल अहमद--सपा--वीना अग्रवाल--भाजपा
बरेली--सुप्रिया ऐरन--कांग्रेस--आईएस तोमर--सपा समर्थित
अलीगढ़--आशुतोष वार्ष्णेय--भाजपा--शकुंतला भारती--भाजपा
आगरा--अंजुला सिंह माहौर--भाजपा--इंद्रजीत सिंह वाल्मीकि--भाजपा
कानपुर--रविन्द्र पाटनी--भाजपा--जगतवीर द्रोण--भाजपा
झांसी--डी.बी. लाल--कांग्रेस--किरन वर्मा--भाजपा
इलाहाबाद--जितेन्द्र नाथ सिंह--कांग्रेस--अभिलाषा गुप्ता--बसपा समर्थित
लखनऊ--दिनेश शर्मा--भाजपा--दिनेश शर्मा--भाजपा
गोरखपुर--अंजू चौधरी--भाजपा--सत्या पांडेय--भाजपा
वाराणसी--कौशेलेंद्र प्रताप सिंह--भाजपा--रामगोपाल मोहले--भाजपा
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कुल नगर निगम 12

अब तक थे
= भाजपा--8
= कांग्रेस--3
= सपा--1
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अब जीत
= भाजपा--9
= सपा समर्थित--1
= बसपा समर्थित--1
= गाजियाबाद में गणना जारी

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