सरकार रिलायंस के जबर्दस्त दवाब में : रिलांयस के एल पी जी सिलेंडरों को बिकवानें का मार्किट तैयार करवाने की सरकारी साजिस

मुझे लगता हे की सरकार रिलायंस के जबर्दस्त दवाब में हे और एल पी जी सिलेंडरों की सीलिंग के पीछे भी, रिलांयस के एल पी जी सिलेंडरों को बिकवानें  का मार्किट तैयार करवाने की सरकारी साजिस प्रतीत होती हे ....
इन दो खबरों को पड़ें और एनालिसिस करें ...दिमाग को खुला छोड़ें और सोचें .... 

अब रिलायंस बेचेगी सस्ते में LPG सिलेंडर!
Date:- 23-10-2012

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मुंबई: सरकार ने जब से सबसिडी वाले सिलेंडरों की गिनती तय कर दी है, तब से लोग इसी कोशिश में हैं कि किसी तरह उन्हें कम कीमत पर अधिक सिलेंडर मिल पाएं। हालांकि कई कुछ राज्यों में सस्ते सिलेंडरों की गिनती छह से नौ कर दी गई है, पर कुछ राज्यों में लोगों को महंगी एलपीजी से ही गुजारा करना पड़ेगा। ऐसे में इन लोगों के लिए यह खबर खुशखबरी साबित हो सकत है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की घरेलू रसोई गैस के रिटेल कारोबार में उतरने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक अनसब्सिडाइज्ड एलपीजी मार्केट में पकड़ बनाने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज आकर्षक कीमतें तय करेगी। गुजरात और महाराष्ट्र से कंपनी एलपीजी कारोबार शुरू करेगी। कंपनी के पास बाजार भाव पर 200-300 रुपये का मार्जिन है।

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 रिलायंस को केजी-डी6 गैस दाम पर बड़ी राहत
रिलायंस को केजी-डी6 गैस दाम पर बड़ी राहत
Date:-  22-10-2012
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केजी-डी6 से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को उत्पादित गैस का बेहतर दाम मिलना लगभग तय हो गया है। हालांकि उसे गैस का बेहतर दाम अप्रैल, 2014 से मिलेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने आदेश दिया है कि कंपनी को गैस का बाजार मूल्य तलाशने का मौका दिया जाए, जैसा कि कांट्रैक्ट की शर्तों में कहा गया है। हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय अप्रैल, 2014 से पहले केजी-डी6 से उत्पादित गैस के दाम में किसी तरह की बढ़ोतरी के सख्त खिलाफ है। प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पुलोक चटर्जी की अध्यक्षता वाली एक बैठक में 24 सितंबर, 2012 को यह फैसला लिया गया।
इसमें कहा गया है कि कंपनी को नीलामी के जरिए गैस का उचित मूल्य तलाशने का मौका मिलना चाहिए, और यह देखना चाहिए कि उसके ग्राहक मौजूदा दाम के मुकाबले और बेहतर कीमत अदा करने को तैयार हैं या नहीं। केजी-डी6 से उत्पादित गैस के लिए आरआईएल को फिलहाल प्रति 10 लाख मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट के लिए 4.2 डॉलर (औसत 50 रुपए प्रति डॉलर के लिहाज से 210 रुपए) का दाम मिल रहा है। अप्रैल, 2014 में इस दाम की समीक्षा प्रस्तावित है। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि प्रोडक्शन शेयरिंग कांट्रैक्ट (पीएससी) में वर्णित प्रावधानों के तहत कंपनी को उचित दाम तलाशने की प्रक्रिया की अनुमति दी जानी चाहिए।
पीएससी के तहत आरआईएल जैसे कांट्रैक्टरों को खुले और पारदर्शी तरीके से गैस का उचित दाम तलाशने की छूट मिली हुई है। इस तरह से हासिल दाम को बाद में सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है। सूत्रों का कहना था कि इस वर्ष जनवरी में आरआईएल ने केजी-डी6 से उत्पादित गैस के दाम में तत्काल बढ़ोतरी की गुहार लगाई थी। उसके बाद जून में कंपनी ने इस मांग में थोड़ा बदलाव किया था। तब कंपनी ने कहा था कि उसे अप्रैल 2014 की पहली तारीख से भारत द्वारा लिक्वीफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) के आयात के लिए चुकाए गए दाम के बराबर दाम मिलना चाहिए।
आरआईएल प्रति 10 लाख मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट के लिए जापान कस्टम्सक्लयर्ड क्रूड (जेसीसी) का 12.67 फीसदी और अतिरिक्त 0.26 डॉलर की मांग कर रही है। इस हिसाब से अगर तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल हो,तो आरआईएल द्वारा गैस की मांगी गई कीमत 12.93 डॉलर प्रति 10 लाख मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट है। सूत्रों के मुताबिक आरआईएल को अपने ग्राहकों से निविदा आमंत्रित करने को कहा जा सकता है, कि वे इस नई कीमत के लिए तैयार हैं या नहीं। इनमें मुख्य रूप से बिजली व फर्टिलाइजर क्षेत्र के ग्राहक होंगे।

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