कसाब को फांसी : कब क्या हुआ ?










26/11 के मुंबई हमले के दोषी अजमल आमिर कसाब को फांसी दे दी गई है। सुबह साढ़े सात बजे पुणे की यरवडा जेल में उसे फांसी दी गई है। 9 नवंबर को ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कसाब की दया याचिका कर दी थी। पिछले एक हफ्ते से कसाब की फांसी की तैयारी की जा रही थी। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर आर पाटिल ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि कसाब को पूरी प्रक्रिया के बाद फांसी दी गई है। केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी खबर की पुष्टि की है।

कसाब मामले में कब क्या हुआ?

Wed, 21 Nov 2012
नई दिल्ली। वर्ष 2008 में 26 नवंबर को हुए मुंबई आतंकी हमले में 166 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हमले में तीन पुलिस अधिकारी भी शहीद हो गए थे। एक नजर डालते हैं मामले पर कि कब-कब क्या-क्या हुआ?
26 नवंबर 2008 : अजमल कसाब और नौ आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया, जिसमें 166 लोगों की जान गई।
27 नवंबर 2008 : अजमल कसाब गिरफ्तार।
30 नवंबर 2008 : कसाब ने पुलिस के सामने अपना गुनाह कुबूल किया।
27/28 दिसंबर 2008 : आइडेंटीफिकेशन परेड हुई।
13 जनवरी 2009 : एम एल तहलियानी को 26/11 मामले में विशेष जज नियुक्त किया गया।
16 जनवरी 2009 : ऑर्थर रोड जेल को कसाब का ट्रायल के लिए चुना गया।
22 फरवरी 2009 : उज्ज्वल निकम को सरकारी वकील नियुक्त किया गया।
25 फरवरी 2009 : मेट्रोपॉलिटिन कोर्ट में कसाब के खिलाफ चार्जशीट दायर।
1 अप्रैल 2009 : स्पेशल कोर्ट ने अंजलि वाघमारे को कसाब का वकील नियुक्त किया।
20 अप्रैल 2009 : अभियोजन पक्ष ने 312 मोचरें पर कसाब को आरोपी बनाया।
29 अप्रैल 2009 : कसाब नाबालिग नहीं है। विशेषज्ञों की राय पर अदालत ने फैसला सुनाया।
6 मई 2009 : मामले में आरोप तय किए गए। कसाब पर 86 आरोप तय,लेकिन आरोपों से कसाब का इंकार।
23 जून 2009 : हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी समेत 22 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए।
16 दिसंबर 2009 : अभियोजन पक्ष ने 26/11 के मामले में आर्ग्यूमेंट पूरा किया।
9 मार्च 2010 : अंतिम बहस शुरू।
31 मार्च 2010 : फैसला 3 मई के लिए सुरक्षित रखा गया।
3 मई 2010 : कोर्ट ने कसाब को मुंबई हमले का दोषी ठहराया। सबाउद्दीन अहमद और फहीम अंसारी आरोपों से बरी।
6 मई 2010 : कसाब को विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई।
18 अक्टूबर 2010 : बॉम्बे हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू। कसाब की वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पेशी।
19 अक्टूबर 2010 : कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की बात कही।
21 अक्टूबर 2010 : कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की बात अपने वकील से दोहराई।
25 अक्टूबर 2010 : हाई कोर्ट के जजों ने सीसीटीवी फुटेज देखी।
27 अक्टूबर 2010 : वकील उज्जवल निकम ने निचली अदालत द्वारा दी गई कसाब को मौत की सजा को सही ठहराया।
29 अक्टूबर 2010 : वकील उज्जवल निकम ने तर्क दिया कि कसाब ने बार-बार यू-टर्न लेकर निचली अदालत को गुमराह करने की कोशिश की।
19 नवंबर 2010: निकम ने अदालत को बताया कि 26/11 के हमलावर देश में मुसलमानों के लिए अलग राज्य चाहते थे।
22 नवंबर 2010 : निकम ने कसाब को झूठा और साजिशकर्ता ठहराया।
23 नवंबर 2010 : हाईकोर्ट के जजों ने एक बार फिर से कसाब के सीसीटीवी फुटेज देखें।
24 नवंबर 2010 : निकम ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि निचली अदालत ने कसाब के इकबालिया बयान को स्वीकार करने में गलती की थी।
25 नवंबर 2010 : कसाब के वकील अमीन सोलकर ने आर्ग्यूमेंट शुरू किया। निचली अदालत की कार्वायही को गलत ठहराते हुए 26/11 मामले पर दोबारा ट्रायल की माग की।
30 नवंबर 2010 : सोलकर ने तर्क दिया कि कसाब के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप नहीं बनते।
2 दिसंबर 2010 : बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में कहा कि कसाब पाकिस्तान से कश्ती से नहीं आया था क्योंकि कश्ती में सिर्फ दस व्यक्ति ही आ सकते हैं।
3 दिसंबर 2010 : उसके वकील का तर्क था कि कसाब को फंसाने के लिए पुलिस ने झूठी कहानी बनाई।
5 दिसंबर 2010 : बचाव पक्ष के वकील सोलकर ने तर्क दिया कि सबूतों को दबा दिया गया है। सिर्फ कुछ सीसीटीवी फुटेज अदालत में दिखाई गई।
6 दिसंबर 2010 : सोलकर ने फुटेज में दिखी तस्वीरों को गलत बताया।
7 दिसंबर 2010 : कसाब ने पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे और दो अन्य पुलिस अधिकारियों की हत्या से इनकार किया। उसके वकील का तर्क था कि मारे गए पुलिस अधिकारियों के शरीर में मिली गोलिया कसाब की राइफल के साथ मैच नहीं होती।
8 दिसंबर 2010 : सोलकर का कहना था कि पुलिस ने गिरगाम चौपाटी में 26 नवंबर, 2008 को झूठी मुठभेड़ का नाटक करके कसाब को फंसाया है। साथ ही मौके पर कसाब की मौजूदगी से इनकार करते हुए उसकी गिरफ्तारी को गलत ठहराया।
9 दिसंबर 2010 :कसाब के वकील ने उसके खिलाफ पेश किए गए सबूतों को कमजोर बताते हुए पुलिस अधिकारी करकरे के मारे जाने से इंकार किया।
10 दिसंबर 2010 : कसाब के वकील ने निचली अदालत में रखी कश्ती का निरीक्षण किया और उस कश्ती को 10 व्यक्तियों के आने के लिए नाकाफी बताया और दावा किया कि अभियोजन पक्ष का दावा गलत है।
13 दिसंबर 2010 : कसाब ने खुद के किशोर होने की दलील देते हुए अदालत से अपनी मानसिक हालत के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के एक पैनल नियुक्ति करने का आग्रह किया।
14 दिसंबर 2010 : अदालत ने कसाब की माग को खारिज कर दिया।
21 दिसंबर 2010 : अदालत ने 26/11 के मामले में फहीम अंसारी को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य की अपील सुनी।
22 दिसंबर 2010 : सरकारी वकील निकम ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी करने में गलती की थी।
21 फरवरी 2011 : बॉम्बे हाईकोर्ट ने कसाब पर निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और उसकी अपील खारिज कर दी। मुंबई हमलों के मामले में फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी कर दिया गया।
29 जुलाई 2011 : कसाब ने फासी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
10 अक्तूबर 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की फासी की सजा पर रोक लगाई थी।
31 जनवरी 2012 : सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई मामले की सुनवाई। कसाब का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को एमिकस-क्यूरी नियुक्त किया गया।
25 अप्रैल 2012 : कसाब की अपील पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रखा।
28 अगस्त 2012: मुंबई हमले के दोषी आमिर अजमल कसाब को फासी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद के बॉम्बे हाईकोर्ट की रिहाई के फैसले को भी बरकरार रखा है। इन दोनों पर भारत से मुंबई हमलावरों को मदद करने का आरोप था।
21 नवंबर 2012 : राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका खारिज कर उसे फांसी दे दी।

टिप्पणियाँ

  1. करनी का फल चखा, फांसी चढ़ा कसाब।
    हिन्दुस्तानी खून का, आज हुआ हिसाब।।

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