अफजल को फांसी पर भाजपा और शिवसेना का हंगामा



अफजल को फांसी पर भाजपा और शिवसेना का हंगामा

नई दिल्ली, एजेंसी 13-12-12
लोकसभा में गुरुवार को संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व शिवसेना सदस्यों ने जमकर हंगामा किया और कार्यवाही बाधित की। ग्यारह साल पहले आज ही के दिन संसद पर हुए आतंकवादी हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। 2001 के हमले में मारे गए नौ लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया। इसके तुरंत बाद ही हंगामा शुरू हो गया। भाजपा व शिवसेना सांसद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन के नजदीक इकट्ठे हो गए। वे नारे लगाकर अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की मांग कर रहे थे।
मीरा कुमार ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने के लिए बार-बार अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सख्ती के साथ कहा कि मैं आज सदन स्थगित नहीं करूंगी। हमने अभी केवल उन लोगों को श्रद्धांजलि दी है जिन्होंने संसद की सुरक्षा में अपनी जान दे दी। क्या उन्होंने इसलिए अपनी जान दी थी।
इसके बाद भी सदस्यों का हंगामा और नारेबाजी जारी रही और स्पीकर को पहले सुबह 11.30 बजे तक और फिर दोपहर तक के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर ने सदस्यों के कार्यवाही में बार-बार व्यवधान पहुंचाने पर अफसोस व्यक्त किया।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि यह दुखद है कि हमने संसद की सुरक्षा में अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी और फिर हम रोज इसके काम में व्यवधान पहुंचा रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था। हमले में नौ लोग मारे गए थे और 15 से ज्यादा घायल हुए थे।
मामले में चार लोगों अफजल गुरु, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएआर जिलानी, नवजोत संधु उर्फ अफसान गुरु व उसके पति शौकत हुसैन गुरु को गिरफ्तार किया गया था। जिलानी व अफसान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। शौकत हुसैन गुरु की मौत की सजा को 10 साल की कैद में तब्दील कर दिया गया और अब वह जेल से बाहर है।
अफजल गुरु को एक निचली अदालत ने 18 दिसम्बर, 2002 को फांसी की सजा सुनाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर, 2003 को यह सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने चार अगस्त, 2005 को उसकी अपील खारिज कर दी। उसकी दया याचिका लम्बित है और केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि वह 22 दिसम्बर को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद उसकी फाइल पढ़ेंगे।
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  नौ शहीदों की याद में एक मिनट का मौन

संसद के दोनों सदनों में गुरुवार को 11 साल पहले 13 दिसंबर को संसद पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए नौ लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों ने 13 दिसम्बर, 2001 को हुए आतंकवादी हमले के नौ शहीदों की याद में एक मिनट का मौन रखा.

लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था. इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस हमले के मुख्य दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की अपनी मांग को फिर दोहराया.
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक संदेश पढ़कर हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों के प्रति सांत्वना व्यक्त की. हमले में नौ लोग मारे गए थे और 15 से ज्यादा घायल हुए थे.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, 'हर 13 दिसम्बर को हम सभी राजनीतिक दलों के लिए अपनी जान देने वालों को याद करते हैं लेकिन एक प्रश्न अब भी अनुत्तरित है और वह यह है कि जिस शख्स को सर्वोच्च न्यायालय ने इस हमले का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी, उसे अब तक यह सजा नहीं दी गई है.'
विपक्ष के हमले का बचाव करते हुए सरकार ने कहा कि भाजपा को यह समझना चाहिए कि संसद फांसी पर निर्णय नहीं दे सकती. गृह राज्यमंत्री आर.पी.एन. सिंह ने कहा, 'इसके लिए एक कानूनी प्रक्रिया है और संसद फांसी नहीं दे सकती और भाजपा को यह समझना चाहिए कि इस सम्बंध में केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे पहले ही बता चुके हैं.'
संसद परिसर में आयोजित समारोह में शहीदों को श्रद्धांजलि देने वालों में राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी व भाजपा नेता एल.के. आडवाणी शामिल हैं.

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