मौनीअमावश्या को महाकुम्भ प्रयाग : विशेष पवित्र स्नान



मौनीअमावश्या को महाकुम्भ प्रयाग में विशेष पवित्र स्नान
 कुम्भ मेला इलाहाबाद (प्रयाग) मे मौनी अमावस्या को कई तरह के दुर्लभ संयोग एकत्रित होंगे|कब करें स्नानः- 10 फरवरी, रविवार, धनिष्ठा नक्षत्र मे अरुणोदय काल प्रातः 05 बजकर 07 मिनट से प्रारम्भ होगा। प्रातः कालीन लग्न मकर 06 बजकर 38 मिनट तक है। यह समय विशेष पुण्य काल माना जायेगा। यदि किसी कारणवश इस समयावधि मे संगम स्नान न हो सके तो अभिजित मुहुर्त (विजय योग) मे दिन मे 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट के मध्य वृष लग्न मे संगम तट पर स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कुम्भ मेला इलाहाबाप्रद (प्रयाग) मे मौनी अमावस्या को कई तरह के दुर्लभ संयोग एकत्रित होंगे। कुम्भ मेले के बारे मे धर्मशास्त्रों के आधार पर कहा जाता है कि यह देश का सबसे विशेष धार्मिक, अध्यात्मिक मेला है। यह देश की वैदिक, संस्कृति एवं सभ्यता का परिचायक है इसकी लोकप्रियता का आकलन किया जाय तो यह विश्वस्तर के श्रद्धालुओं का केन्द्र बिन्दु है धार्मिक आधार पर देखा जाय तो कुम्भ पर्व, अधिभौतिक, अध्यात्मिक और अधिदैविक तीनो रुपों का समावेश प्रतीत होगा।
कुम्भ मेले का आयोजन भी ग्रह स्थितियों के आधार पर निर्धारित होता है बृहस्पति, सूर्य और चन्द्रमा के निश्चित गोचर मे आने से तथा शानि के गोचर के आधार पर कुम्भ की तिथियों का निर्धारण होता है। कहा जाता है कि जब माघ मास की अमावस्या को सूर्य, चन्द्र, मकर राशि पर हो तथा बृहस्पति वृष राशि पर हो तो तीर्थ राज प्रयाग मे महाकुम्भ योग का निर्माण होता है।
संगम मे स्नान का है विशेष धार्मिक महत्वः- मौनी अमावस्या मुख्यतः माघ मास की अमावस्या है कहा जाता है कि इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान करने से मुनि पद की प्राप्ति हाती है

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

विश्व व्यापी है हिन्दुओँ का वैदिक कालीन होली पर्व Holi festival of Vedic period is world wide

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कांग्रेस ने देश को भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण और आतंकवाद दियाः भजन लाल शर्मा bjp rajasthan

भाजपा की सुपरफ़ास्ट भजनलाल शर्मा सरकार नें ऐतिहासिक उपलब्धियां का इतिहास रचा

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

हमें वीर केशव मिले आप जबसे : संघ गीत

कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता का प्रमाण

सिसोदिया से जब इस्तीफा लिया तो अब स्वयं केजरीवाल इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे - अरविन्द सिसोदिया

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग