'कुशल भारत' की छवि बनानी होगी: नरेंद्र मोदी



'कुशल भारत' की छवि बनानी होगी: नरेंद्र मोदी
(भाषा)
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नई दिल्ली। हाशिए पर खिसके विपक्ष की ओर दोस्ताना हाथ बढ़ाते हुए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि वह निर्णय लेने की प्रक्रिया में विपक्ष को साथ लेकर चलेंगे और मुसलमानों सहित सभी वर्गों के विकास के लिए कार्य करेंगे। संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के जवाब के रूप में अपने पहले भाषण में मोदी ने कहा कि विजय कई सबक देती है। उन्होंने आलोचनाओं का स्वागत किया ताकि उनकी सरकार अहंकारी होने से बच सके।

मोदी ने विपक्ष से कहा कि पूर्व की कड़वाहट भूल जाइए। हमें देश के विकास के लिए मिलकर कार्य करना है। हम बदलाव ला सकते हैं। ‘‘मैं आपके (विपक्ष के) बिना आगे नहीं बढ़ना चाहता। मैं संख्या के आधार पर नहीं बल्कि सामूहिक निर्णय करने के आधार पर आगे बढ़ना चाहता हूं।’’
मोदी ने कहा कि उन्हें वरिष्ठों यहां तक कि विपक्ष के वरिष्ठों का भी मार्गदर्शन चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उनकी ओर से किसी गलत शब्द का इस्तेमाल हो गया तो उन्हें माफ कर दिया जाए। लेकिन साथ ही वह सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे की चुटकी लेने से नहीं चूके। खडगे ने भाजपा को स्मरण कराया था कि पांडवों की तरह कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी और अधिक संख्या होने के बावजूद कौरव पांडवों को हरा नहीं पाए थे।
मोदी ने सत्ता पक्ष के सदस्यों की मेजों की थपथपाहट के बीच कहा कि सदन में कल महाभारत का जिक्र किया गया था। ‘‘एक बार दुर्योधन से पूछा गया कि धर्म अधर्म, सच और झूठ की समझ है या नहीं। दुर्योधन ने जवाब दिया कि वह धर्म को जानता है लेकिन वह उसकी प्रवृत्ति नहीं है। सच क्या है मुझे पता है लेकिन वो मेरे डीएनए में नहीं है।’’
मुस्लिम समुदाय के उत्थान की बात करते हुए मोदी ने कहा, जब मैं छोटा था तो देखा था कि एक मुसलमान भाई साइकिल रिपेयरिंग करता था और आज उसकी तीसरी पीढ़ी का बेटा भी साइकिल रिपेयरिंग करता है, बदलाव करना होगा। शरीर का अगर एक अंग विकलांग हो तो शरीर स्वस्थ नहीं हो सकता है। समाज का कोई एक अंग दुर्बल रहा तो समाज सशक्त नहीं हो सकता है। इस मूलभूत भावना से काम करना है और हम प्रतिबद्ध हैं। हमारे देश में विकास की एक नई परिभाषा की आवश्यकता है।’’
मोदी ने कहा कि राजनीतिक दलों को अब हार और जीत से ऊपर उठना चाहिए और जनादेश से सही सीख चाहिए। हर किसी को विजय और पराजय से सीख लेनी चाहिए। जो विजय से सीख नहीं लेते, वे पराजय का बीज बोते हैं और जो पराजय से सीख नहीं लेते वह विनाश के बीज बोते हैं।’’
चुनावी भाषणों में अपने पसंदीदा विषय को छूते हुए उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों का जिक्र किया और कहा कि ऐसे मामलों में मुकदमा तेजी से चलाने की आवश्यकता है ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके और निर्दोष की रक्षा हो सके। उन्होंने कहा, ‘‘कानून का डर होना चाहिए।’’
अभिभाषण में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के नारे की कांग्रेस द्वारा आलोचना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत विविधता में एकता वाली भूमि है और इस नारे के पीछे भावना ये थी कि जनता और दलों को विभाजन की भाषा छोड़कर एकता की भाषा अपनानी चाहिए।
मोदी ने देश के विकास के लिए देखे गए सपनों की जिक्र किया और ‘स्कैम इंडिया’ (घोटालों के भारत) की जगह ‘स्किल्स इंडिया’ (कुशल भारत) की छवि बनाने की चर्चा की। कृषि और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को सुधारने के बारे में उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में यदि किसी राज्य में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है तो उसे अपनाया जाएगा।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता गरीबों का उन्नयन होगी। सरकार सुनिश्चित करेगी कि देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ 2022 तक देश के हर परिवार के पास पक्का मकान हो, जिसमें बिजली, पानी और शौचालय हो। महात्मा गांधी का जिक्र कई बार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आइए हम सपने देखें और उन सपनों को पूरा करने का प्रयास करें। कठिनाइयां आएंगी लेकिन आपके (विपक्ष के) सहयोग से हम आगे बढ़ेंगे।’’
राज्यों को भी पूरा भरोसा देते हुए मोदी ने कहा कि हम (राज्यों के प्रति) ‘‘बड़े भाई’’ वाले नजरिए में यकीन नहीं करते। हम सहयोगात्मक संघवाद में यकीन करते हैं।’’
कुछ सदस्यों ने सवाल किया था कि अभिभाषण में दिए गए एजेंडा को पूरा कैसे किया जाएगा। इस पर मोदी ने कहा कि इतने वर्षों से छायी निराशा से चलते ऐसी आशंकाएं उठना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि जब वह 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो भी ऐसी आशंकाएं और सवाल थे लेकिन उन्होंने दिखा दिया कि ये सब कुछ किया जा सकता है। ‘‘राष्ट्रपति ने जो रोडमैप दिया है, उसे अमल में लाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि देश के कई वर्ग विकास की प्रक्रिया में पीछे छूट गए हैं। ‘‘मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं कि किसी सरकार ने पिछड़े वर्ग, आदिवासियों आदि के जीवन में परिवर्तन लाने की कोशिश नहीं की। धन खर्च किया गया लेकिन कोई परिवर्तन नहीं आया।’’ साथ ही कहा कि इसे बदलना होगा।
उत्तर प्रदेश के बदायूं सहित हाल की बलात्कार की कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार किसके लिए होनी चाहिए। पढ़े-लिखे लोगों के लिए या फिर गरीबों के लिए। साथ ही बोले कि सरकार गरीबों के लिए होनी चाहिए। सरकार की सबसे बडी जिम्मेदारी है कि वह गरीबों की सुने और उनके लिए कार्य करे। यदि हमने गरीबों के लिए कार्य नहीं किया तो जनता हमें कभी माफ नहीं करेगी।
मोदी ने कहा कि सारी शासन व्यवस्थाएं गरीब को सशक्त बनाने के काम आनी चाहिए। अगर हम आखिरी छोर पर बैठे इंसान के काम आए तब जाकर उसका कल्याण कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि हम सदियों से कहते आए हैं कि भारत कृषि प्रधान देश है, गांवों का देश है। ये नारे तो अच्छे लगते हैं, सुनना भी अच्छा लगता। ‘‘क्या हम आज अपने सीने पर हाथ रखकर कह सकते हैं कि हम अपने गांवों के जीवन को बदल पाए हैं, किसानों के जीवन को बदल पाए हैं। यहां मैं किसी सरकार की आलोचना करने को नहीं खड़ा हूं।’’
मोदी ने कहा कि भारत के गांवों का जीवन बदलना हम सबका सामूहिक दायित्व है। गांव की पहचान गांव की आत्मा में बंधी हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि गांव को आधुनिक सुविधाएं दें तो गांव इस देश की प्रगति में ज्यादा योगदान करेगा। उन्होंने गांवों को 24 घंटे बिजली, इंटरनेट कनेक्टिविटी और अन्य सुविधाएं देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की ताकि ग्रामीण युवा शिक्षा और रोजगार हासिल कर सकें और उन्हें अपना घर छोड़कर अन्यत्र न जाना पड़े। इस कड़ी में उन्होंने सिक्किम का उदाहरण देते हुए कहा कि सिक्किम छोटा सा राज्य है। छोटे से राज्य ने बहुत बड़ा काम किया है। सिक्किम हिन्दुस्तान के लिए गौरव देने वाला ‘ऑर्गेनिक स्टेट’ बनने जा रहा है। वहां हर उत्पादन ‘ऑर्गेनिक’ होने जा रहा है।
मोदी ने कहा कि सभी पूर्वोत्तर राज्यों को ऑर्गेनिक स्टेट के रूप में कैसे उभार सकते हैं, ये सोचना होगा। ऑर्गेनिक खाद्य वस्तुओं के विश्व बाजार पर कब्जे के लिए भारत सरकार की ओर से उनकी मदद हो तो उनके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आएगा।


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