नेहरूजी ने गणतंत्र दिवस परेड में संघ के स्वयंसेवकों को आमंत्रित किया था



गणतंत्र दिवस परेड में स्वंय सेवक
इतिहास के झरोखे से -
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्र हितैषी भूमिका
  http://www.krantidoot.in/2014/11/blog-post_30.html 
नेहरू जी के विशेष आग्रह पर 1963 में गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेते संघ स्वयंसेवक

सामान्यतः आज की पीढ़ी के अधिकाँश लोगों को ज्ञात नही है कि 1962 में भारत चीन युद्ध के समय आरएसएस स्वयंसेवकों द्वारा भारतीय सशस्त्र सेनाओं की जो सहायता की गई उसके आभार स्वरुप 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू ने गणतंत्र दिवस की परेड में आर एस एस को आमंत्रित किया था |
1962 में चीन युद्ध के दौरान आरएसएस के स्वयंसेवक व्यापक तौर पर सरकारी कार्यों में सहयोग और विशेष रूप से जवानों के लिए समर्थन जुटाने में जुट गए थे | पंडित नेहरू ने 26 जनवरी 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए संघ को आकस्मिक रूप से आमंत्रित किया किन्तु एक मात्र दो दिन की सूचना पर 3500 से अधिक स्वयंसेवकों ने पूर्ण संघ गणवेश में परेड में भाग लिया जोकि मार्च कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण बन गया | बाद में कुछ कांग्रेसी नेताओं ने संघ को निमंत्रित किये जाने के पंडित नेहरू के निर्णय पर आपत्ति जताई तो उन आपत्तियों को दरकिनार कर नेहरू जी ने कहा कि सभी देशभक्त नागरिकों को परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था |
श्री जवाहर लाल नेहरू ने आरएसएस स्वयंसेवकों की भावना को देखते हुए यहां तक कहा कि “यह दर्शाने के लिए कि केवल लाठी के बल पर भी सफलतापूर्वक बम और चीनी सशस्त्र बलों से लड़ा सकता है, विशेष रूप से 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आरएसएस को आकस्मिक आमंत्रित किया गया !”
इन दिनों कांग्रेस और अन्य छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं के बीच एक फैशन सा है कि लोगों को आरएसएस और संघ परिवार के बारे में मिथ्या प्रचार करो कि वे नफरत फैलाते हैं, सांप्रदायिक तनाव पैदा करते है और समाज को विभाजित करते हैं |
दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सम्मानित स्वयंसेवी संगठन के खिलाफ जहर उगलने से पहले इन तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं को भारत के इतिहास को पढ़ना चाहिए | महात्मा गांधी की हत्या के मामले में भी कानून की अदालत में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि यह एक व्यक्ति का दुष्कृत्य था तथा इसके पीछे कोई संगठन नही जुड़े थे | उन्हें पता होना चाहिए कि उनके अपने आदर्श और नायक आरएसएस का सम्मान करते रहे हैं तथा उन्होंने समय समय पर संघ की प्रशंसा भी की है |
सन 1934 में जब गांधी जी वर्धा में आयोजित 1500 संघ स्वयंसेवकों के एक शिविर में पहुंचे तब यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि स्वयंसेवक एक दूसरे की जाति से अनजान थे | वहां अस्पृश्यता जैसी कोई चर्चा ही नहीं थी | इस अनुभव ने गांधी जी को इतना अधिक प्रभावित किया ने 13 साल बाद भी उन्होंने इसे स्मरण रखा तथा इसका उल्लेख किया | 16 सितंबर 1947 को दिल्ली की भंगी कालोनी में संघ के कार्यकर्ताओं के समक्ष अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि “जब संघ संस्थापक श्री हेडगेवार जिंदा थे, मैंने आरएसएस के शिविर का दौरा किया था तथा अनुशासन, अस्पृश्यता के पूर्ण अभाव और कठोर सादगी से प्रभावित हुआ था | तब से मैं मानता हूँ कि संघ सेवा और आत्म बलिदान के उच्च आदर्श से प्रेरित है, जो किसी भी संगठन की ताकत होता है" (हिंदू : 17 सितंबर, 1947 ) .
डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर 1939 में पुणे में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग में गए तो वे भी इस द्रश्य से आश्चर्यचकित रह गए कि वहां स्वयंसेवक बिना एक दूसरे की जाति पता किये पूर्ण समानता और भाईचारे के साथ रह रहे हैं | जब उन्होंने डॉ. हेडगेवार से पूछा कि शिविर में कितने अछूत हैं तो उन्होंने उत्तर दिया कि यहाँ केवल हिन्दू हैं, न तो स्पर्श्य न अस्पर्श्य | यहाँ छूत - अछूत का कोई विचार नहीं करता |
विभाजन के बाद कश्मीर के महाराजा एक स्वतंत्र राज्य के रूप में कश्मीर को बनाए रखने के इच्छुक थे | सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत में शामिल होने के लिए महाराजा को समझाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरु गोलवलकर को भेजा था | श्रीगुरुजी 17 अक्टूबर 1947 को वायुयान द्वारा श्रीनगर पहुंचे | श्री गुरुजी के साथ विचार विमर्श के बाद अंततः महाराजा ने भारत के साथ विलयपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमति दी | श्रीगुरुजी ने 19 अक्टूबर को नई दिल्ली लौटकर विलय हेतु महाराजा की सहमति के सम्बन्ध में सरदार पटेल को सूचना दी |
विभाजन के बाद दिल्ली मुस्लिम लीग द्वारा हिंसा और साजिशों की चपेट में था | महान विद्वान और भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित डा. भगवान दास ने उन संकटपूर्ण दिनों में आरएसएस की भूमिका का विवरण पता करने का प्रयत्न किया | 16 अक्टूबर 1948 को उन्होंने लिखा कि " मुझे विश्वस्त रूप से ज्ञात हुआ है कि आरएसएस के स्वयंसेवकों ने सरदार पटेल और नेहरू जी को सूचित किया कि ` लीगियों ने सरकार के सभी सदस्यों और सभी हिंदू अधिकारियों के साथ हजारों हिन्दुओं की हत्याकर 10 सितंबर 1947 को तख्ता पलट की योजना बनाई है तथा उनका इरादा लाल किले पर पाकिस्तान का झंडा फहराकर समूचे हिन्दुस्थान को सीज कर देने का है |
उन्होंने आगे कहा कि मैं यह सब क्यों कह रहा हूँ ? यदि उन उत्साही और आत्माहुति को तत्पर युवाओं ने नेहरू जी और पटेल जी को समय पर सूचना नहीं दी होती तो आज कोई भारत सरकार ही नहीं होती | सम्पूर्ण देश का नाम बदलकर पाकिस्तान हो गया होता | करोड़ों हिन्दू काट दिए जाते और शेष इस्लाम स्वीकारने या गुलामी करने के लिए विवश होते |
कांग्रेस नेताओं ने कब कब क्या कहा था ?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ आरएसएस शाखा में पहुंचे जो भारी भारी बारिश के बावजूद चल रही थी | शाखा में शामिल अनुसंधान विद्वानों , व्याख्याताओं , ग्रेजुएट और स्नातकोत्तर छात्रों से मिलकर आगंतुक और राधाकृष्णन बेहद खुश और प्रभावित हुए |

सर्वप्रमुख घटना है जब गांधीजी ने मीरा बेन और महादेव देसाई के साथ वर्धा में 24 दिसंबर, 1934 को एक आरएसएस शिविर का दौरा किया | उनके सम्मान में आयोजित परेड देखने पर , उन्होंने कहा: " मैं काफी खुश हूँ | मैंने इसके पहले देश में कहीं इस प्रकार का द्रश्य नहीं देखा है |"वे इस बात से अत्यंत प्रभावित हुए कि शिवर में न तो जाति भेद है और न अस्पृश्यता | अपनी यात्रा के अंत में उन्होंने घोषित किया कि जो कुछ उन्होंने आरएसएस में देखा बैसा इसके पूर्व कहीं नहीं देखा |
" आप हर द्रष्टि से उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं | अगर कोई कमी है तो केवल यह कि यह संगठन " अन्य धर्मों के लोगों को स्वीकार नहीं करता है” | गांधी जी के आमंत्रण पर अगले दिन डॉ. हेडगेवार वर्धा पहुंचे और गांधी जी के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया और संगठन के बारे में उठाये गए मुद्दों को स्पष्ट किया |
मैंने आरएसएस के शिविर का दौरा किया था और उनके अनुशासन और अस्पृश्यता के पूर्ण अभाव से प्रभावित हुआ था | - आरएसएस रैली में महात्मा गांधी , दिल्ली 1947/09/16
कांग्रेस में जो लोग सत्ता में हैं वे सोचते हैं कि वे अपने प्रभाव से आरएसएस को कुचलने में सक्षम हैं | किन्तु आप डंडे के जोर से आरएसएस जैसे संगठन को नहीं दबा सकते हैं बैसे भी आरएसएस डंडे का उपयोग राष्ट्र की रक्षा के लिए करता है | अंततः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक महान देशभक्त हैं | वे अपने देश से प्यार करते है | - 16 जनवरी 1948 को लखनऊ की एक सार्वजनिक सभा में सरदार वल्लभ भाई पटेल

मैं अचंभित हूँ कि स्वयंसेवक दूसरों की जाति पता किये बिना पूर्ण समानता और भाईचारे के साथ आगे बढ़ रहे हैं | - पुणे शिविर में बाबा साहेब अंबेडकर, मई 1939

20 नवंबर, 1949 को डॉ. जाकिर हुसैन ने मुंगेर की एक मिलाद महफ़िल में कहा कि " मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा और घृणा फैलाने के जो आरोप आरएसएस के विरुद्ध लगाए जाते हैं, पूरी तरह गलत हैं | मुसलमानों को आरएसएस से आपसी प्यार का सबक, पारस्परिक सहयोग और संगठन सीखना चाहिए " | - डॉ. जाकिर हुसैन
3 नवंबर 1977 को पटना में आयोजित आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर में जयप्रकाश नारायण ने कहा, " इस क्रांतिकारी संगठन ने एक नया भारत बनाने की जिस चुनौती को हाथ में लिया गया है उससे मुझे महान उम्मीद है | मैं पूरे दिल से आपके उद्यम का स्वागत करता हूँ |".............आपका क्रांतिकारी संगठन सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में अग्रणी है | तुममें अकेले जातिवाद समाप्त करने और गरीब की आँखों से आँसू पोंछने की क्षमता है |
आरएसएस का नाम पूरे देश में नि: स्वार्थ सेवा के लिए एक सुपरिचित शब्द है | - कोका सुब्बा राव , सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट . भारत , 1968/08/25
आरएसएस ने पंजाब , दिल्ली और अन्य स्थानों पर इंदिरा गांधी की हत्या के पहले और बाद में हिंदू सिख एकता को बनाए रखने में एक सम्मानजनक भूमिका निभाई है . - रविवार कॉलम में सरदार खुशवंत सिंह
भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस के नेताओं द्वारा आरएसएस की छवि धूमिल करने के प्रयास कोई आश्चर्य की बात नहीं है | लंबे वर्षों से स्वयंभू छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनेता एक सांप्रदायिक संगठन के रूप में आरएसएस की आलोचना करते रहे हैं | आलोचकों को पहले प्रमुख लोगों द्वारा पूर्व में व्यक्त किये विचारों को जानने की जहमत उठाना चाहिए |
1967 के आम चुनाव के बाद से आरएसएस को हव्वा बताकर मुसलमानों को जताया जाता है कि आलोचक ही धर्मनिरपेक्षतावादी हैं जबकि आज भी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बेनर तले राष्ट्रभक्त मुसलमान संघ स्वयंसेवकों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर देश और समाजहित में कार्य कर रहे हैं |

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

हमें वीर केशव मिले आप जबसे : संघ गीत

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता का प्रमाण

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

भाजपा का संकल्प- मोदी की गारंटी 2024

अम्बे तू है जगदम्बे........!

रामसेतु (Ram - setu) 17.5 लाख वर्ष पूर्व

वामपंथियों की अराजकता उत्पन्न करने की खतरनाक योजना का खुलासा करता चुनाव घोषणापत्र - अरविन्द सिसोदिया cpi(m) Manifesto

Ram Navami , Hindus major festival