नरेंद्र मोदी : बेईमानों के पक्ष में बोलने का राजनीतिक पतन चिन्ता का विषय




विपक्ष पर बरसे मोदी, कहा-1971 में ही होनी चाहिए थी नोटबंदी


नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नोटबंदी के अपने फैसले का जोरदार ढंग से बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय साल 1971 में ही लिया जाना चाहिए था जब इंदिरा गांधी सरकार थी। देश में कालाधन को रोकने के लिए कदम नहीं उठाने हेतु कांग्रेस पर प्रहार करते हुए मोदी ने भाजपा सांसदों से कहा, "हमें ऐसा करने की जरूरत साल 1971 में थी। साल 1971 में ऐसा नहीं किए जाने का हमें भारी नुकसान हुआ।"

प्रधानमंत्री ने पूर्व नौकरशाह माधव गोडबोले की पुस्तक का हवाला दिया, जिसमें दर्ज है कि कैसे तत्कालीन गृह मंत्री वाई.वी. चव्हाण ने गलत तरीके हासिल और छिपे धन पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी की अनुशंसा की थी।

मोदी ने कहा, "गोडबोले ने पुस्तक में लिखा है कि इस सुझाव पर इंदिरा ने सवालिया लहजे में कहा कि 'क्या आगे कांग्रेस को कोई चुनाव नहीं लड़ना है?' चव्हाण को संदेश मिल गया था और अनुशंसा ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "साल 1971 में इसकी अनुशंसा हर व्यक्ति ने की थी। अगर यह 1971 में हो गई होती तो देश आज इस स्थिति में नहीं होता।"

मोदी ने शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन संसद के बाहर ये बातें कहीं। उच्च मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने से देश में नकदी का संकट पैदा हो गया है, जिसे लेकर हंगामा के कारण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चल सका।

प्रधानमंत्री द्वारा भाजपा संसदीय दल को संबोधित किए जाने के कुछ घंटों के बाद उनके भाषण की रिकार्डिग प्रसारित की गई।

प्रधानमंत्री ने दिवंगत मार्क्सवादी नेता ज्योति बसु की उस उक्ति को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'इंदिरा गांधी कालाधन के बलबूते ही बची रहीं।"

बसु की टिप्पणी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, "(कांग्रेस की) सरकार कालाधन की, कलाधन द्वारा और कालाधन के लिए है।"

उन्होंने सन् 1972 में राज्यसभा में सुरजीत द्वारा दिए गए उस भाषण का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर काला धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी सहित कोई भी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, "माकपा अब नोटबंदी का विरोध कर रही है, जो 100 रुपये के नोट के विमुद्रीकरण के लिए लड़ाई लड़ चुकी है। कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर वाम दलों ने अपने विचारों से समझौता किया।"

अपना हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश से आगे पार्टी को रखा है, जबकि भाजपा 'देश पहले' की विचारधारा का अनुसरण करती रही है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 1991 में की गई टिप्पणी का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा, "तब उन्होंने कर चोरी करने वालों के खिलाफ धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल किया था। लेकिन अब वह लहजा बदल चुका है, क्योंकि उनके लिए पार्टी देश से ऊपर है।"

मोदी ने कहा, "संसद की कार्यवाही पहले भी बाधित हो चुकी है, लेकिन इस बार यह अलग थी। पहले विपक्ष घोटालों व भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर लड़ती थी, लेकिन अब अधिकांशी विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचारियों के पक्ष में खड़ी हैं।"

भाजपा के साथ वैचारिक मतभेदों के बावजूद नोटबंदी का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का शुक्रिया अदा किया।

अपने संबोधन के दौरान मोदी ने अपनी पार्टी के सांसदों को डिजिटल भुगतान के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई नई योजना का प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा।

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PM’s address at BJP Parliamentary meet in New Delhi, 16 December, 2016
     
PM Modi addresses the BJP Parliamentary meet in New Delhi

For us, the nation comes first: PM

PM Modi asks BJP MPs to spread the message of demonetization

PM Modi lauded the CM of Bihar and Odisha for supporting the demonetisation


आदरनीय राष्ट्रिय अध्यक्ष जी, आदरणीय आडवाणी जी और सभी वरिष्ठ साथी,

हमारे देश में संसद में हंगामा होना, संसद न चलना; ये पहले भी होता था। इस बार जरा ज्यादा हुआ, लेकिन एक मूलभूत फर्क है कि पहले संसद में बाधाएँ इसलिए आती थीं, रुकावटें इसलिए आती थीं, हंगामे इस बात को ले करके होते थे, कि देश के सामने भयंकर घोटाले उजागर होते थे, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आते थे; और विपक्ष ईमानदारी के मुद्दे पर एक हो करके लड़ाई लड़ता था। पहली बार देश में ऐसा हुआ कि TreasuryBench भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठा रही है, काले धन के खिलाफ कदम उठा रही है; और विपक्ष में ज्यादातर लोग बेईमानों का साथ देने के लिए इक्ट्ठे हो रहे हैं। कभी कभार नासमझी में या स्वार्थवश किसी ने बेईमानों का पक्ष भी लिया होगा तो चुपचाप रह करके लिया होगा, न बोल करके मदद की होगी। देश में ऐसा पतन राजनीतिक जीवन में आया है कि बेईमानों के पक्ष में खुल करके बोलने की कुछ लोगों ने हिम्मत दिखाई है। ये सबसे ज्यादा चिन्ता का विषय है।

आज 16 दिसम्बर है, 1971 में भारत की वीर सेना ने; पराक्रमी सेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था और बंगलादेश के मुक्ति के‍ लिए लड़ाई लड़ रहे लोगों को विजय प्राप्त हुई थी। लेकिन तब भी विरोध पक्ष था, मजबूत विरोध पक्ष था; लेकिन तब किसी विरोधी पक्ष ने 1971, 16 दिसम्बर को देश की सरकार से कोई सबूत नहीं मांगा था कि सेना ने पराक्रम किया वो सही है या गलत है, किसी ने सबूत नहीं मांगा था। आज पतन इतना हो गया कि मौत को मुट्ठी में लेकर चलने वाले फौजी को भी सबूत देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ये जो गिरावट है सार्वजनिक जीवन की, ये चिन्ता का विषय है।

मैं हैरान हूं कि मुद्दों पर चर्चा करने का सामर्थ्य इस सरकार के टीकाकारों ने किया होता तो अच्छा होता और इस बात को भी हमने नोट करना चाहिए कि कई लोग हैं, जो वैचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी या NDA के पक्ष में नहीं हैं,  उसके बावजूद भी भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ की लड़ाई में वे खुल करके हमारे साथ आए हैं। मैं उड़ीसा के मुख्यमंत्री श्रीमान नवीन बाबू का आभार व्यक्त करता हूं, मैं बिहार के मुख्यमंत्री श्रीमान नी‍तीश कुमार का अभार व्यक्त करता हूं। ऐसे और भी बहुत लोग हैं, जो खुल करके हमारे सामने आए, और इसलिए मैं चाहता हूं कि इस लड़ाई में जो भी साथ दे रहे हैं, उनको साथ ले करके हमें आगे बढ़ना है।

1000 और 500 के नोट के संबंध में किया गया निर्णय इस लड़ाई का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, ये लड़ाई का आखिरी मंजिल नहीं है। मध्यम वर्ग का शोषण अगर रोकना है, गरीबों को हक दिलाना है, तो भ्रष्टाचार और कालेधन से देश को मुक्‍त कराना अनिवार्य है। और उसके लिए हिम्मतपूर्वक निर्णय करने पड़ेंगे। 26 मार्च, 2014, जबकि देश लोकसभा के चुनाव लड़ रहा था, तब यूपीए के सरकार थी; 26 मार्च, 2014, को देश के Supreme Court ने क्या कहा था;

Since 1947 for 65 yearsnobody thought of bringing the money stress away in Foreign Banks to The Country. The Government has failed in his roll for 65 years. This court, fix that you have failed in your duty and so it gave and order for the appointment for the committee headed by the former Judges of this Court.Three years have passed but you have not done anything to implement the order. What have you done? Except for filing one report you have done nothing.


ये पुरानी सरकार की सोच के संबंध में, उनके कारोबार के संबंध में Supreme Court की 26 मार्च, 2014 की टिप्पणी कितनी गंभीर है। मैं एक और बात बताना चाहता हूं, 1971 में, जबकि श्रीमती गांधी इस देश में राज करती थीं; एक Wanchoo Committee बनी थी, जिस Wanchoo Committee का एक रिपोर्ट आया था, और जिसमें नोटों पर पाबंदी लगाने के विषय में गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई थी। और उस Committee का रिपोर्ट कहता है, और ये Nineteen Seventeen One (1971) की बात है;

We are fully aware of the ‘not too successful’ results of the demonatisation in 1946. Yet we are confident that this majors if introduce now would at you substantial result because of alter circumstances. 


Wanchoo Committee का कहना था कि 1946 में demonetization हुआ तो उसमें सफलता नहीं मिली, लेकिन अगर Seventy One में करेंगे तो हमें बहुत बड़ी सफलता मिलेगी। कहने का तात्‍पर्य ये है कि Nineteen Seventy One में देश को इसकी जरूरत थी जो आज हमने किया है। इतने साल देर कर करके देश का कितना नुकसान किया है, ये हम कल्‍पना कर सकते हैं। और उस समय के जो Cabinet Secretaryएक Senior I.A.S. Officer थे, उन्होंने किताब लिखी है। उस किताब का एक वाक्य में quote करना चाहता हूं। उस किताब में, श्रीमान माधव गोडबोले की किताब है;

“Unfinished innings, recollections and reflections of a civil servant”, फिर बाद में Cabinet Secretary भी बने थे, और यशवंतराव चौहान, जब Finance Minister थे; तब वे उनके सचिव थे, तब उन्होंने एक बड़ा मजेदार अपनी किताब में उल्लेख किया है, When Y.B. Chavan told her, her means Smt. Gandhi, When Y.B. Chavantold her about the proposal for demonetization, and his view that it should be accepted and implementedforthwith,उन्होंने आगे वर्णन किया है, इन्दिरा जी ने चौहान के सामने देखा, कुछ पल देखा, और फिर कहा; She asked Chavan only one question, Chavan JiAre no more elections to be fought  by the Congress Party?

इन्दिरा जी ने Y.B. Chavan को पूछा कि क्या भाई, क्या कांग्रेस को आगे चुनाव लड़ना है कि नहीं लड़ना है? Chavan got the massage and the recommendation was slashed. बताइए साहब! दल बड़ा कि देश बड़ा ? ये 1971 में, सारे रिपोर्ट थे, उनके ये वित्त मंत्री कह रहे थे कि करने की आवश्यकता है, देश के लिए जरूरी है, और उस समय के Senior Civil Servant ने लिखा है कि Y.B. Chavan को जब ये पूछा गया, सारी बात रुक गई। जो काम 1971 में किया होता, तो आज ये देश की बर्बादी नहीं होती, इस प्रकार से देश को चलाया गया है।

मैं कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों से पूछना चाहता हूं। जब कम्युनिस्ट पार्टी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ चुनावी समझौता किया, तब ऐसा लग रहा था कि शायद ममता जी की राजनीति के खिलाफ इनकी  लड़ाई है, ममता जी को उखाड़ फेंकने के लिए वो इकट्ठे हो रहे हैं। लेकिन इस बार कम्युनिस्ट पार्टी का सदन में जो व्यवहार रहा है, उससे लगता है कि बंगाल में उन्होंने सिर्फ चुनावी समझौता किया था ऐसा नहीं; कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना वैचारिक समझौता कर लिया है, कम्युनिस्ट पार्टी अपनी विचारधारा से उखड़ चुकी है। मैं इसलिए कह रहा हूं।

26 August 1972, Wanchoo Committee की रिपोर्ट को ले करके पार्लियामेंट में जो बोला था, मैं चाहूंगा कि आज के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता संसद से उन भाषणों को निकाल करके पढ़ें।

 ज्योर्तिमय बसु ने कहा था;

Sir, the primary recommendation of the 12th November, 1970, by this powered and eminent committee but immediatedemonetization, Sir, Indira Gandhi survived on black money. Her politics lies on black money. Therefore, the report was only not implemented but it was suppressed for an a year and half.


उस समय उन्होंने इतने गंभीर आरोप सदन में लगाए थे कि आप Wanchoo Committeeकी रिपोर्ट लागू क्यों नहीं करते और आप Wanchoo Committeeकी रिपोर्ट टेबल पर भी रखने को तैयार नहीं थे। 4 September, 1972, ज्योति बाबू, उन्होंने कहा I have suggested demonetization and other measures. I do not wish to repeat them. Government must sincerely seek people’s co-operation. But the Prime Minister, Smt. Indira Gandhi and her Government with the class character that it heads, is a Government of the black money, by the black moneyand for the black money, ये ज्योति बाबू ने 4 September, 1972 को कहा था। उनके एक दुसरे ideologue हरकिशन सिंह सुरजीत, उन्होंने 27th August 1981 राज्य सभा में कहा था 

Are the seriously proposing any steps which would lead to the stoppage of use of black money including demonetization of one hundred rupee notes and such other things.


यानी 100 रुपये के नोट को भी रद्द करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी लड़ाई लड़ रही थी। आप एक और भी रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर, मिस्टर बी. रेड्डी, उन्होंने इसी साल अक्तूबर में एक memorial lecture में अपना भाषण करते हुए एक बात उजागर की। उन्होंने कहा Benami Transaction Prohibition Act 1988 को पार्लियामेंट ने पास किया था, For some reason or the other no regulations were issued under the act. In other words, it remain unimplemented for more than twenty five years. ये जो आज वहां क्यों ऐसा कर रहे हैं इसके लिए ज्यादा दिमाग खपाने की जरूरत नहीं। उनके व्यवहार से पता चलता है कि nineteen eighty eight में बेनामी संपत्ति के लिए आप कानून पास करते हो और इतने साल बीतने के बाद भी उसको notify नहीं करते हो। संसद में पारित कर करके, Press Conference ले करके Publicity कमा करके राजनीति करते रहते हो, लेकिन आप इसको लागू नहीं करते हो।
       अब इस सरकार ने आ करके समयानुकूल परिवर्तन किया, और परिवर्तन करके उसको notify कर दिया। अब मान लीजिए मैं आगे कोई कदम उठाऊंगा, ये सरकार उठाएगी कदम, आखिर हमने बेनामी संप‍त्ति का कानून पारित क्यों किया है? अब फिर ये चिल्लाएंगे, कि मोदी ने जल्दबाजी क्यों कर दी। आपने Eighty Eight से उसको अब तक लागू नहीं किया, देश में बेनामी संपत्ति इक्‍ट्ठी करने वालों को खुली छूट दे दी, और ये सरकार कानून पारित कर चुकी है, notify कर चुकी है; लागू करने के लिए कदम उठाएगी और फिर आप चिल्‍लाना शुरू करोगे क्‍या? क्या देश ऐसे चलाओगे क्या? ये सारी मुसीबत की जड़ ये है कि इनके लिए देश से बड़ा दल है, हमारे लिए दल से बड़ा देश है। और इसलिए, और जहां तक वैचारिक इरादों का सवाल है, देखिए क्या हाल है!

2004, डॉक्टर मनमोहन सिंह जी का भाषण मैं quoteकर रहा हूं, India 2015 will be a nation of capable an empowered men and women,welfared and gainfully employed modern and rational and actively engaged with the world. That is my dream for India at the end of next decade. A decade is not long time indeed. I do hope you share my sense urgency in doing what we have to do.

ये उन्होंने 2004 में जब प्रधानमंत्री बने तब कहा। 24 जुलाई, 1991को क्या कहा था? देखिए फर्क कैसे आ रहा है! दल बड़ा कि देश बड़ा इस उलझन में कहां से कहां पहुंच जाते हैं।

91में कहा था,Nobody can deny that this size of large scale tax evasion, both in terms of income and in terms of wealth, Unless I find substantialimprovement in tax compliance in few months, Government will have no choice but to take strong majors to make the tax evader pay a sufficiently high price for such delinquencies. ये धमकी की भाषा उस समय कही गई थी। और आज सारे स्वर बदल चुके हैं, क्यों? उनको अपने दल की चिंता है, देश की चिंता नहीं है।

भाइयो, बहनों! चाणक्य नीति में एक बहुत ही उत्तम बात कही गई है, और यूपीए ने दस साल शासन किया, उसके संदर्भ में इसको देखें तो बहुत ही महत्वपूर्ण बात चाणक्य नीति में कही गई है। चाणक्य नीति के 15वें अध्याय का छठवां दोहा है, उसमें कहा गया है-

करि अनीति धन जोरेऊ, करि अनीति धन जोरेऊ, दसे वर्ष ठहराए।
ग्यारहवें के लागते, जड़ऊ मूल ते जाय।।
करि अनीति धन जोरेऊ, दसे वर्ष ठहराए।
ग्यारहवें के लागते जड़ऊ मूल ते जाय।।

अन्याय से कमाया हुआ धन केवल दस वर्ष टिकता है, 11वां वर्ष लगने पर वह मूलधन के साथ नष्ट हो जाता है। ये उनके दस साल के कार्यकाल के सामने ये जो इकट्ठा किया हुआ है, इस पर चाणक्य उस समय कह कर गए थे, उनको पता था। और इसलिए, और मुझे विश्वास है कि आप जब अपने क्षेत्र में लौट रहे हैं, बड़े आत्मविश्वास के साथ देश को भ्रष्टाचार से मुक्त्‍ कराने के लिए, काले धन से मुक्त कराने के लिए, हमने लड़ाई लड़नी है, लड़ाई को आगे ले जाना है।

आपने देखा होगा टीवी पर बातें आती हैं कभी-कभी कि किसी रिक्शेवाले को पूछते हैं तुम ई-बटुआ जानते हो? सही है, इस देश में सब लोगों को पता नहीं है। लेकिन जिनको पता है, उनको तो इसमें हम जोड़ें। मान लीजिए देश में 40% लोग होंगे, जिनको हम पढ़े-लिखे मानें, जिनके हाथ में स्मार्टफोन माने, अगर इतनों को भी इसमें ला दें; तो जो गरीब रिक्शावाला है, जो कैश से खर्चा करता है, उसमें रत्ती भर भी बेईमानी नहीं होती है भाई। सवाल उन लोगों का है, जो जानते हैं तो भी नहीं करते हैं और इसलिए उनको इस रास्ते पर लाने के‍ लिए इस Digital Movement को हमें आगे बढ़ाना है।

आपने देखा होगा कल बड़ी महत्वपूर्ण कुछ योजनाएं सरकार ने Launch की हैं। मैं चाहता हूं कि इसको आप कैसे आगे बढ़ाएं। एक Lucky ग्राहक योजना, दूसरी है डिजी-धन व्यापरी योजना। इस योजना के तहत डिजी-धन योजना का पहला Launchingक्रिसमस के दिन होगा 25 दिसम्बर को, और Christmas giftsये बहु‍त बड़ी बात होती है। तो Christmas gift के रूप में जो भी लोग Online Transaction करते हैं, कहीं पर भी करेंगे, उसका एक Special Number AutomaticGenerateहोता है, हर किसी का होता है।

उसका एक पूरे देश में 8 नवम्बर से ले करके 25 दिसम्बर, 23, 24 दिसम्बर तक जिन्होंने भी किया होगा, उसका एक ड्रॉ 25 दिसम्बर को निकलेगा। और उस दिन 15,000 लोगों को जो ड्रॉ में जीत करके आएंगे, 15,000! उनके खाते में 1000 रुपया गिफ्ट के रूप में डाल दिया जाएगा। 15,000! लोगों को 1000 रुपया। और कौन लोग इसका फायदा उठा सकेंगे? जो 50 रुपये से ज्यादा खर्च किया है, और 3000 से कम किया है; ये अमीरों के लिए नहीं है। उसीको फायदा मिलेगा जो जो 50 रुपये से ज्यादा खर्च किया है, और 3000 से कम किया है। तो वो भी वो automatic technology, और  ये योजना daily चलेगी, daily draw होगा।

हर दिन 15,000 परिवार! हर एक को 1000 रुपया। और ये 100 दिन तक चलेगा। आप कल्पना कर सकते हैं कितने लाख परिवारों में इस योजना का सीध लाभ मिलेगा। अब आप उनको ये बात पहुंचाएंगे, तो फिर वो जरूर Digital Payment देगा, गरीब से गरीब भी Digital Payment देगा। फिर वो कहेगा नहीं भाई मुझे कैश नहीं देना है, ईनाम मिल जाएगा। दूसरा, व्यापा‍रियों को भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए, और इसलिए जो व्यापारी इस काम को बढ़ावा देते हैं उनका अलग draw होगा, व्यापारियों का। जिनके यहां ग्राहक आते-जाते हैं, और उनके लिए भी ईनाम होंगे। ये ईनाम सप्ताह में एक बार होंगे, जिसमें ग्राहकों को, जो लाखों रुपये का ईनाम है; व्यापारियों को भी लाखों रुपये का ईनाम है। फिर तीन महीने के बाद एक Bumper Draw होगा, वो है 14 अप्रैल, बाबासाहेब अम्बेडकर जी की जन्म जयंती पर। और उस दिन का जो ईनाम, 8 नवम्बर से ले करके 14 अप्रैल तक जिन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया होगा, वो सब इसमें शामिल किए जाएंगे। और वो शायद करोड़ों रुपये में ईनाम होगा।

उसकी पूरी योजना विस्तार से आपको लिख कर दे दी गई है अभी। ये आपका काम है, जैसे कल अखबार में advertisement आएगी। आप अपने क्षेत्र की हर दुकान में अखबार की advertisement की कतरन करके उस पोस्टर को एक Cardboard पर लगवा सकते हो; हर दुकान पर। आप दुकानदारों की मीटिंग करके समझा सकते हो कि भई ये Lucky Draw है इतना बड़ा, तुम इसमें शरीक हो जाओ। अगर एक बार छोटा व्यापारी जुड़ गया, इसका आगे फायदा क्या होने वाला है?

देखिए आज छोटे व्यक्ति को, एक धोबी है, प्रेस करता है, उसके पिताजी भी प्रेस करते थे, उसके दादाजी भी प्रेस करते थे। वो धोबी अगर आज बैंक लोन लेने जाएगा तो बैंक उसको एक पैसा लोन नहीं देगा, क्यों? कि उसके पास कोई Income का record ही नहीं है कि भई तुम कितना कमाते हो, कैसे कमाते हो? कुछ भी मालूम नहीं। वो भी बेचारा , आता है कोई पांच रुपये कोई देकर जाता है, फिर प्रेस करके दे देता है।

अगर वो Digital transaction करेगा तो Automatic  Online उसका record maintain होगा। एक स्थिति ऐसी आ सकती है, और मुझे साफ दिखता है कि आ सकती है। आज बैंक से लोन लेने के लिए तीन-तीन, चार-चार महीने लगते हैं, भांति-भांति के Document देने पड़ते हैं, भांति-भांति के लोग लाने पड़ते हैं; एक स्थिति वो आएगी, जो, भारत सरकार के जो platformबनाए गए हैं, कोई भी व्यापारी होगा वो सारा अगर online transaction करता है, तो उसका record , मेरा भाई इतना turnover पक्का है। एक दिन ऐसा मैं देख रहा हूं कि उस व्यापारी को अगर लोन चाहिएगा, ज्यादा से ज्यादा, ज्यादा से ज्यादा 6 मिनट लगेगा। 6 मिनट में इस Technology से उसको 25 हजार, 50 हजार का लोन फटाक से मिल जाएगा। छोटे व्यापारी के लिए ये स्वर्णिम अवसर है, क्योंकि उसका record होगा, कोई Document देखने नहीं पड़ेंगे। जो उस platform को लेगा, अच्छा भई पिछले महीने तुम्हारा 20 हजार का था, ठीक है 10 हजार रुपये तुम्हें और लोन दे देते हैं, तुम आगे बढ़ो, वो तुरंत निर्णय करेगा। पूरी Technology कारण corruptionजाएगा, सामान्य मानवी को ताकत मिलने वाली है।

मैंने सरकार के अफसरों को दो सूचनाएं दी हैं, जिस बात को आप प्रचारित कर सकते हैं। कुछ व्यापारियों को लगता है कि भई अभी हम Digital चले जाएंगे और हमारा turnover बढ़ जाएगा। पहले तो हमारा turnover cash था तो हम दिखते नहीं थे, अब Digital जाएंगे। अभी तो हम सब लाइन पर आना चाहते हैं, मोदीजी के साथ चलना चाहते हैं, लेकिन अगर उसके हिसाब से अब पुराना निकालोगे कि भाई तुम्हारा दिसम्बर में Digital में दो लाख था, इसका मतलब कि तुम्हारा जुलाई-अगस्त में भी 2 लाख होगा; तब तो तुमने 20 हजार लिखाया था; चलो पुराना भी निकालो। मैंने सरकार के सभी अधिकारियों से कह दिया है पुराना कोई पोस्टमार्टम नहीं करना है; वरना आप किसी को भी मुख्यधारा में ला ही नहीं पाओगे, ला नही पाओगे। 8 तारीख के पहले ऐसे ही हम चाहते हैं, कि मजदूरों का शोषण बंद होना चाहिए।

मजदूरों को उनके हक का पैसा मिलना चाहिए। आज क्या होता है, कैश देते हैं और कहते हैं इतना, देते हैं इतना। क्यों ऐसा करते हैं? कुछ मानों पूरा भी देते हैं लेकिन उनको लगता है भई labour act में आ जाएंगे इसलिए वो record नहीं रखता है। अब Digital payment से वो labour act के अंदर आएगा     । उसके लिए भी कुछ लोगों का कहना है कि साहब ये पुराना न खोलें। मैं Labour Ministry से भी कहा है कि 8 नवम्बर के पहले, अब आप कहोगे कि भई तुम्हारे यहां तो 100 employee हैं तुम digitally100 को देते हो पहले तो तुम दस ही बताते थे, अब पुराना भी निकालो, छह साल का निकालो; ये अफसरशाही नहीं चलेगी। बहुत साफ हूं मैं, मैं इस देश के सामान्‍ मानवी के लिए; ये सरकार जितना सकारात्मक  कर सकती है उसे करने के पक्ष में हूं। और इसलिए 8 नवम्बर के बाद जो भी मुख्य धारा में आना चाहते हैं, उनको अवसर मिलना चाहिए। और ये Digital व्यवस्था के कारण ये संभव होगा और देश का हर व्यक्ति जी, ये अफसरशाही का जुल्म सहने को तैयार नहीं है; हम उससे मुक्‍त कराना चाहते हैं और ये एक ऐसी सरकार है जो अफसरशाही से भी सामान्‍य नागरिक को मुक्त कराने के लिए खुद कदम उठा रही है। तो ये आगे की सोच, आप कल्पना कर सकते हैं जब 6 मिनट में लोन मिल जाएगा, वो कितना बड़ा निर्णय कर पाएगा जी। उसके सामने मान लीजिए बाजार में कुछ खरीदने के लिए, बेचने के लिए किसान आया है; पैसा नहीं है, लेकिन वो अपना Record तुरंत request करेगा online mobile से; वो तुरंत अपना record देखेगा और 6 मिनट में लोन मिल जाएगा और किसान जो माल ले करके आया है वो तुरंत खरीद लेगा।

किसान का भी फायदा होगा, व्यापारी को भी फायदा हो जाएगा, Banking Systemभी सरल हो जाएगी। इतनी संभावनाएं Digital में पड़ी हुई हैं। और इसलिए ये Digital सिर्फ नोटों, कागज की नोटें कम करने का कार्यक्रम नहीं है जी, ये पूरी तरह एक way of lifeबदलने का कार्यक्रम है। एक Way of Economic System को बदलने का कार्यक्रम है। और दुनिया में उन्‍हीं देशों ने प्रगति की है जिन्होंने इन बदलाव को समय रहते हुए स्वीकार किया है।

हम लोगों का ये prime responsibility होनी चाहिए कि हम इस बात को आगे बढ़ाएं। 15 हजार परिवारों को हर दिन ईनाम, आप पहुंच सकते हैं लोगों के पास, आप ध्यान रखिए कि आपके इलाके में किनको draw लगा है, उनका सम्मेलन कीजिए। देखो भाई मेरे यहां एक हजार रुपया आ गया। ये बात आपको encourage तब होती है जब आप उसके साथ जुड़ते हैं। बाकी सरकार एक के बाद एक जनहित में कदम उठा रही है, और आपको अब पता चल गया होगा हम टुकड़ों में नहीं सोचते हैं। एक पूरा full scale designके साथ सोचते हैं, पत्ता धीरे-धीरे खोलते हैं; लेकिन पूरे scale में सोच करके चल रहे हैं, उसी को आगे बढ़ना है।

बेनामी संपत्ति का कायदा पहले पास किया था, Digital का फरवरी से अक्तूबर तक, 23 महत्वपूर्ण decision लिए हुए हैं इस सरकार ने। DigitalPromotion के लिए अप्रैल से अक्तूबर तक 23 महत्वपूर्ण decision लिए हुए हैं। लेकिन अगर हम उसको ध्यान नहीं रखेंगे, हम उसको ऐसे ही कार्रवाई मानेंगे तो बदलाव नहीं आ सकता है और जो सफलता ह‍में मिली है जी इस अभियान को, कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि इतने सफल होंगे। जन समर्थन मिला है, और मैंने पहले दिन कहा है 50 दिन मुश्किल है; मुश्किलें बढ़ती जाएंगी, लेकिन 50 दिन के बाद मुश्किलें कम होते, होते, होते, होते स्थिति normal होने में देर नहीं लगेगी। 50 दिन! अभी भी, अभी भी मैं कह रहा हूं। वैसे आज रिपोर्ट शुरू हुआ है कि काफी normal हुआ है, फिर भी मैं कहता हूं 50 दिन तकलीफ है ही है। 50 दिन के बाद एकदम ऊंचाई तकलीफ पहुंचेगी; फिर धीरे, धीरे, धीरे करके ठीक होगी। ये बात हमको लोगों को बतानी होगी, अच्छा करने का हमारा प्रयास है, होके रहेगा मेरा विश्वास है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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