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संघ प्रचारक : नर करनी करे और नारायण हो जाए

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संघ प्रचारक : नर करनी करे और नारायण हो जाए ( संघ के प्रचारकों के प्रति यह मेरा व्यक्तिगत भाव है इसे अन्यथा ना लिया जाये ! ) संघ को अधिक जानने समझनें में यह लिक मददगार होगा  http://www.archivesofrss.org प्रारंभिक कुछ वर्षों तक संघ में यह प्रचारक शब्द परिचित नहीं था। केवल संघ कार्य का ही अहोरत्रचिंतन करने वाले डॉक्टरजी ही एक मात्र स्वयंसेवक थे। अधिकांश शालेय छात्र किशोर स्वयंसेवक अपने घरों में रहते और कार्यक्रम अथवा बैठक के समय एकत्र आते थे। आयु में कुछ बड़े स्वयंसेवकों में, बाबासाहब आपटे नागपुर की एक बीमा कम्पनी के कार्यालय में टंकलेखन कार्य करते थे। श्री दादाराव परमार्थ ने शालांत परीक्षा उत्तीर्ण करने के अनेक प्रयास किये किन्तु गणित जैसे भयानक विषय के कारण असफल होकर, उसके पीछे लगे रहने की बजाय वे अधिकाधिक समय देकर संघ कार्य करने लगे। उनकी ओजपूर्ण भाषण शैली तथा अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व के कारण, संघ कार्य करते समय उन्हें कभी भी विद्यालयीन अथवा महाविद्यालयीन उपाधियों की कमी महसूस नहीं हुई। इस समय संघ का कार्य नागपुर के बाहर भी पहुंच चुका था- विदर्भ के वर्धा-भंडारा आ

कांग्रेस का आपातकाल : जनता पर 10 तरह के अत्याचार

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आपातकाल की मार, सरकार ने जनता पर किए ये 10 वार Posted on: June 24, 2015 25 जून 1975 वो तारीख है जब भारतीय लोकतंत्र को 28 साल की भरी जवानी में इमरजेंसी के चाकू से हलाक कर दिया गया। ये चाकू किसी सैन्य जनरल के नहीं, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथ में था। नई दिल्ली। 25 जून 1975 वो तारीख है जब भारतीय लोकतंत्र को 28 साल की भरी जवानी में इमरजेंसी के चाकू से हलाक कर दिया गया। ये चाकू किसी सैन्य जनरल के नहीं, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथ में था। 1971 में बांग्लादेश बनवाकर शोहरत के शिखर पर पहुंचीं इंदिरा को अब अपने खिलाफ उठी हर आवाज एक साजिश लग रही थी। लाखों लोग जेल में डाल दिए गए। लिखने-बोलने पर पाबंदी लग गई। मीडिया पर सेंसरशिपः आपातकाल में सरकार विरोधी लेखों की वजह से कई पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। उस समय कई अखबारों ने मीडिया पर सेंसरशिप के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, पर उन्हें बलपूर्वक कुचल दिया गया। आपातकाल की घोषणा के बाद एक प्रमुख अखबार ने अपने पहले पन्ने पर पूरी तरह से कालिख पोतकर आपातकाल का विरोध किया। आपातकाल के दौर पर जेल में भेजे जाने वाले पत्रकारों में केवल र

योग दिवस : 135 राष्ट्रों के लोगों ने लिया हिस्सा

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  योग दिवस : 135 राष्ट्रों के लोगों ने लिया हिस्सा  http://www.samaylive.com अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त राष्ट्र सचिवालय भवन के सामने 135 राष्ट्रों के लोग एकत्र हुए. संरा महासचिव बान की मून ने कहा कि योग का संदेश सौहार्द बढ़ाना है और उन्होंने लोगों से जाति और पंथ से ऊपर उठते हुए एकजुट होने की अपील की. इस मौके पर महासभा के अध्यक्ष मोगेंस लायकेटोफ्ट ने सतत विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए योग के महत्व का जिक्र किया. घंटे भर चले कार्यक्र म में प्रख्यात आध्यात्मिक नेता सदगुरू ने एक योग सत्र का नेतृत्व किया. इस कार्यक्र म का आयोजन संरा में भारत के स्थायी दूतावास ने किया था और इसमें संरा के शीर्ष अधिकारी, दूत, राजनयिक तथा योग करने वाले लोग शरीक हुए. ईसा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू जग्गी वासुदेव ने कहा कि योग दुनिया को भारत का उपहार है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह समझना चाहिए कि योग कोई भारतीय :चीज: नहीं है. अगर आप योग को भारतीय कहना चाहते हैं तो फिर गुरूत्वाकषर्ण को यूरोपीय कहिए.’’ सदगुरू ने कहा, ‘‘हां योग की उत्पत्ति भारत से हुई और भारतीय क

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून : भारतीय संस्कृति का गौरवशाली दिन

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून  भारतीय संस्कृति का गौरवशाली दिन  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी जिसमें उन्होंने कहा:- "योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक हैं; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनाकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता हैं। तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।" —नरेंद्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र महासभा जिसके बाद 21 जून को " अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्

आकाशीय उल्का पिंड की झील 'लोनार'

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यह दुनिया की सबसे बड़ी कटोरे के आकार में बनी झील है। इस खूबसूरत झील का नज़ारा आपको महाराष्ट्र में देखने के लिए मिलेगा। क्रैटर एक ऐसा गड्ढा होता है जो आंतरिक विस्फोट से बन जाता है। यह लोनर क्रैटर लेक 50,000 साल पुरानी है। यह झील उल्कापिंड के टकराने से बनी थी। झील के चारों तरफ हरी घास होने की वजह से यह जगह शांत और मन को सुकुन देने वाली लगती है। यह आकाशीय उल्का पिंड की टक्कर से निर्मित पहली झील है। इसका खारा पानी इस बात का प्रतीक है कि कभी यहां समुद्र था। इसके बनते वक्त क़रीब दस लाख टन के उल्का पिंड की टकराहट हुई। क़रीब 1.8 किलोमीटर व्यास की इस उल्कीय झील की गहराई लगभग पांच सौ मीटर है।आज भी वैज्ञानिकों में इस विषय पर गहन शोध जारी है कि लोनार में जो टक्कर हुई,वो उल्का पिंड और पृथ्वी के बीच हुई या फिर कोई ग्रह पृथ्वी से टकराया था। उस वक्त वो तीन हिस्सों में टूट चुका था और उसने लोनार के अलावा अन्य दो जगहों  पर भी झील बना दी, हालांकि पूरी तरह सूख चुकी अम्बर और गणेश नामक इन झीलों का कोई विशेष महत्व नहीं रहा है। लोनार झील  बुढ़ाना ज़िला महाराष्ट्र   यहाँ एक खारे पानी की झील प्रकृति क