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सितंबर, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सावधान दिग्विजयसिंह की पुलिस आ रही है.......

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- अरविन्द सीसौदिया, कोटा सावधान - सावधान दिग्विजयसिंह की पुलिस आ रही है....... जनता की प्रखर आवाज कुचलने के लिये कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह जी ने मोर्चा संभाल लिया है। ऐसा ही इंदिराजी के समय आपातकाल लगा कर हुआ था। अब आप अपने स्वतंत्र विचार इंटरनेट , फेसबुक ,यू-टियूब,ब्लाग,  टिवीटर  , ओरकुट और अन्य साईटों पर नहीं लिख सकते, लिखा तो आपके खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी। इन कार्यवाहियों में पुलिस को कांग्रेस का हित साधनें के लिये आप जैसे स्वतंत्र विचार प्रखरता से रखने वालों का दमन करेगी। वह आपका दमन नहीं करेगी तो,पुलिस की खैर नहीं । वैसे भी जब सी बी आई जैसी बडी संस्था कांग्रेसहित साधन का यंत्र बन गई हो तो पुलिस तो बहुत कमजोर कडी है। दिग्विजयसिंह जी ने 22 शिकायतें दिल्ली पुलिस में दर्ज करवाई है। उन्होने फेसबुक,ओरकुट और टिवीटर की भी शिकायत दर्ज की हे। उनकी शिकायतों का आधार मान लिया जाये तो, कोई अखबार न तो व्यंग  चित्र बना सकता और न व्यंग लिख सकता और न व्यंग कविता पाठ कर सकता । ------- सोशल नेटवर्किंग साइटों पर दिग्विजय का हल्ला  बोल    http://www.bhaskar.com/article नई दिल्ली. अन्ना

हम अलीबाबा और चालीस चोर तो हो नहीं

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- अरविन्द सीसौदिया , कोटा, राजस्थान । अलीबाबा और चालीस चोर.... सभी चोरों ने मिल कर सलाह की ....हम राजा हैं,हम मंत्री हैं, मंत्रीयों के उपर हमारा अधिपत्य है..!! फिर हम चोर या भ्रष्टाचारी कैसे हो सकते हैं ? जनता से पैसा लेना और उसे अपने उपर खर्च करना तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है !! जनता को लूटना और जनधन को लुटवाना..,परिभाषा को फेर भले ही हो , मगर यह तो हमारा अधिकार है । इसीलिये कल सोनिया जी, मनमोहनसिंह जी, प्रणव दा और चिदम्बरम एक हुये सब ने मिल कर कहा । हम क्लीन हैं...,हमने जो किया था वही ठीक है और कानून सम्मत हे। हम चुने हुए लोग हैं इसलिये अलीबाबा और चालीस चोर तो हो नहीं सकते.....................

राष्ट्रहित के लिए : राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता करे

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अरविन्द सीसौदिया हमारी पद्यति प्रतिनिधि पद्यति होनें से , जनता  और शासन के बीच  में जन प्रतिनिधि नामक एक बिचोलिय आ खड़ा हुआ .., यह कभी बहुत देश भक्त ही था.., मगर अभी हम इसे दयानिधि मारन और ए राजा के रूप में समर्थन की वसूली करते हुए देख रहे हैं .., अब तो पंच  भी बिकते देखे गये हैं .. जन प्रतिनिधि स्तर पर आई गिरावट का सुधार सीधे जनता के द्वारा प्रमुख पद को चुनने में ही है | यदि सरपंच की ही तरह या महापौर की ही तरह जनता को मुख्यमंत्री या राज्यपाल और प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति का चुनाव का अधिकार मिल जाये तो काफी समस्या का हल निकल आये और ये बेशर्म बिका बिकी समाप्त हो जाये.....   हमारी स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रपति पद का कितना महत्व है, यह समझने के लिए हमें 25 जून 1975 की रात्रि 11 बजकर 45 मिनिट पर, तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी के कहने पर, लगाये गये आपातकाल को समझना होगा। जिसमें राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आंतरिक आपातकाल लगा दिया था। जेलों में डाले गये निर्दोषों को न्यायालय मुक्त न कर पाये, इसलिये कि ‘मीसा

प्रथम युद्ध विजेता प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री

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- अरविन्द सीसौदिया , कोटा, राजस्थान । हम महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को मनाते हैं और उसमें भारत के प्रथम युद्ध विजेता प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी का व्यक्तित्व दवा बैठते है। याद रहे भारत की आजादी के बाद पाकिस्तान को सीधे युद्ध के मैदान में हरानें का गौरव हमें लम्बे समय के इंतजार के बाद मिला । इससे पहले हम हारने वाले लोग मानें जाते थे। 2 अक्टूबर को हमें शास्त्रीजी की जयंती भी व्यापक और उत्साह पूर्वक मनानी चाहिये। एक प्रकार से विजय दिवस के रूप में मनानी चाहिए..! ------- लालबहादुर शास्त्री (2 अक्तूबर, 1904 - 11 जनवरी, 1966),भारत के दूसरे स्थायी प्रधानमंत्री थे । वह 1963-1965 के बीच भारत के प्रधान मन्त्री थे। शास्त्री का जन्म 1904 में मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में लाल बहादुर श्रीवास्तव के रुप में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद एक गरीब शिक्षक थे, जो बाद में राजस्व कार्यालय में लिपिक (क्लर्क) बने। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रुप में नियुक्त किया गया था। वो गोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में प्रहरी एवं यातायात मंत्री ब

बेटी

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Roaming Journalist अगर बेटा वारस है, तो बेटी पारस है l अगर बेटा वंश है, तो बेटी अंश है l अगर बेटा आन है, तो बेटी शान है l अगर बेटा तन है, तो बेटी मन है l अगर बेटा मान है, तो बेटी गुमान है l .... अगर बेटा संस्कार, तो बेटी संस्कृति है l अगर बेटा आग है, तो बेटी बाग़ है l अगर बेटा दवा है, तो बेटी दुआ है l अगर बेटा भाग्य है, तो बेटी विधाता है l अगर बेटा शब्द है, तो बेटी अर्थ है l अगर बेटा गीत है, तो बेटी संगीत है l Komal Shrivastava अगर बेटा वंश है, तो बेटी अंश है l अगर बेटा तन है, तो बेटी मन है अगर बेटा आन है, तो बेटी शान है l अगर बेटा मान है, तो बेटी गुमान है l अगर बेटा संस्कार, तो बेटी संस्कृति है Komal Shrivastava Maa Durge, Maa Ambe, Maa Jagdambe, Maa Bhawani, Maa Sheetla, Maa Vaishnao, Maa Chandi, Mata Rani meri aur apki manokamna puri karey.. JAI MATA DI. Kamlesh Kumar Dwivedi जा बेटी जगमग तू कर दे , घर आँगन हर कोना , कहीं बना दे सीता प्यारी , कहीं राम भरत व् कान्हा , जग जननी तू जीवन ज्योति , जितने नामकरण सब कम हैं , सभी कर्म या सभी धरम हों ,

भगत सिंह की आशंका सही निकली ... मुक्त कंठ से बोल .. वन्दे मातरम ..!

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- अरविन्द सिसोदिया         भगत सिंह के एक भाई की मृत्यु हो गई थी , दो भाई कुलवीर सिंह और कुलतार सिंह तथा तीन बहनें अमर कौर , सुमित्रा कौर और शकुंतला कौर थीं | उन्हें अपनी माँ से बहुत प्यार था | उन्होंने एक बार अपनी माँ को एक पत्र लिखा " माँ , मुझे इस बात में बिलकुल भी शक नहीं की एक दिन मेरा देश आजाद होगा | मगर मुझे दर है की 'गोरे साहबों'  की खाली हुई कुर्सियों पे काले  / भूरे साहब बैठनें जा रहे हैं |  " उनका शक सही निकला ,आज भारत का सिंहासन चंद काले अंग्रेजों और उनकी हाँ में हाँ मिलाने वाले राजनैतिज्ञों के हाथ की काठ पुतली बन चूका है |       लोग कहते हैं की भगत सिंह नास्तिक थे मगर सच यह था की वे आस्तिक थे | अनावश्यक कर्मकांड के लिए उनके पास समय जरुर नहीं था | जब उनके वकील प्राणनाथ मेहता नें फांसी वाले दिन पूछा था कि उनकी अंतिम इच्छा क्या है तो भगत सिंह ने जबाव  था कि ' में दुबारा इस देश में पैदा होना चाहता हूँ |' अर्थात वे पुर्न जन्म में विश्वास रखते थे | इसके अतिरिक्त वे युवावस्था में श्री कृष्ण विजय नाटक का मंचन भी किया करते थे , जो अंग्रेजों के खिलाफ बनाय

भगत सिंह का जन्म दिन २८ सितंबर

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*भगत सिंह का जन्म २८ सितंबर, १९०७,शनिवार सुबह ९ बजे लायलपुर ज़िले के बंगा गाँव (चक नम्बर १०५ जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। हालांकि उनका पैतृक निवास आज भी भारतीय पंजाब के नवाँशहर ज़िले के खटकड़कलाँ गाँव में स्थित है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक सिख परिवार था | **अमृतसर में १३ अप्रैल, १९१९ को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन नाम के एक क्रान्तिकारी संगठन से जुड़ गए थे। भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। इस संगठन का उद्देश्य ‘सेवा,त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले’ नवयुवक तैयार करना था। ***भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर १७ दिसम्बर १९२८ को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे०पी० सांडर्स को मारा था। इस कार्रवाई में क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद ने भी उनकी सहायता की थी। ****क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने अलीपुर रोड पर स्थित दिल्ली की तत्कालीन

श्री अम्बाजी की आरती

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        श्री अम्बाजी की आरती            सर्वमंगल मांग्लयै , शिवे सर्वार्थसाधिके | शरण्ये त्र्यम्िके गौरी , नारायणी नमोऽस्तुते ॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी ॥ माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी ॥ कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी ॥ केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥ कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥ चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी ॥ ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी ॥ चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों बाजत ताल मृदंग और बाजत  डमरू || जय अम्बे गौरी ॥ तुम हो

नौरात्रा : राम रावण काल से पूर्व से .....

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नौरात्रा शव्द ही नव रात्रा हो गया है.., परम शक्ती की आराधना का यह त्योहार जिसे हम शारदे नौरात्रा कहते हैं .., की भूमिका राम रावण युद्ध में भी सामनें  आती  है ..राम और रावण दोनों  नें ही युद्ध के दौरान देवी के अनुष्ठान किये थे ...और दोनों ही और से इन अनुष्ठानों को  विफल  करनें  की कोशिस  का भी जिक्र है...राम के प्रमुख योद्धा    हनुमानजी  ,रावण का अनुष्ठान भंग करने सफल  रहे ,जबकि रावण राम का अनुष्ठान भंग नहीं कर सका | अर्थार्त देवी पूजा का  इतिहास बताता है की यह राम रावण काल से पूर्व से ही चली आरही है ...!! इसा कर्ण कई जगह इस दौरान रामायण के सुन्दर कांड का पाठ ही किये जाने का विधान है...!!    शारदीय नवरात्र दुर्गा  देवी Durga Devi आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । नवरात्र में देवी माँ के व्रत रखे जाते हैं । स्थान–स्थान पर देवी माँ की मूर्तियाँ बनाकर उनकी विशेष पूजा की जाती हैं । घरों में भी अनेक स्थानों पर कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती पाठ आदि होते हैं ।  नरीसेमरी  में देवी माँ की जोत के लिए श्रृद्धालु आते हैं और पूरे नवरात्र के दिनों में

चीन - एक सुरक्षा संकट, विस्तारवादी ड्रेगन से

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क्या आप जानते है ?  देेश की 43183वर्ग किलोमीटर भूमि पर चीन का अवेैध कब्जा है ।  चीन हमारे अरूणाचंल प्रदेश की 90000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अपना दावा पूरी दादागिरी से जता रहा है ।     चीन से लगती सम्पूर्ण सीमा पर चीन ने नो मेन्स एरिया ( सीमा का मानव रहित क्षेत्र) में आगे तक अतिक्रमण कर अपनी सीमा चैकियां स्थापित कर ली है ।   चीन ने भारतीय सीमा पर परमाणु मिसाईल्स तैनात कर दी है जिनकी जद में लगभूग पूरा भारत आ जाता है  ।  भारत को चारों ओर से घेेरने की दृष्टि से पाकिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश ,नेपाल एवं श्रीलंका में चीनी सैन्य अड्डे यां सैनिकों की उपस्थिति है ।   भारत की अति संवदेनशील स्थलों पर विविध परियोजनाओं के टेण्डर अत्यन्त नीची दरों पर भरकर देश के अन्दर अपनी उपस्थिति बडा रहा है ।   चीन द्वारा जम्मू-कश्मीर को अपने नक्शों में भारत का अंग नहीं  दिखाया जाता । अरूणांचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताया जाता है अरूणांचल प्रदेश  के नागरिकों को बिना वीसा-पासपोर्ट के चीन आने का आमऩ्त्रण दिया जाता है ।   चीन का रक्षा बजट 150 अरब डालर हेै जबकि भारत का मात्र 36 लाख अरब डालर ।   दैनं

२जी : मंत्रियों के पत्राचार का सच .....

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प्रधानमंत्री जी, आप इतने भोले-मासूम और ईमानदार नहीं हैं, जितना प्रचारित करते हैं… (सन्दर्भ :- मारन और राजा की पत्रावलियाँ) (भाग - 1) -- रंजीतसिंह रावत   यह लेख जन हित और देश हित में रंजित सिंह रावत ने लिखा है मेंने सिर्फ इसे कापी कर इस ब्लाग पर डाला है... http://www.facebook.com/notes (प्रिय पाठकों :- सावधानीपूर्वक ध्यान लगाकर पढ़िये कि किस तरह मारन और राजा ने 2जी का घोटाला किया, जिसकी पूर्ण जानकारी प्रधानमंत्री, वाणिज्य मंत्री और वित्तमंत्री को थी… लेख अधिक लम्बा है इसलिए इसे दो भागों में बाँट रहा हूँ ताकि पाठक अधिक ध्यान से पढ़ सकें और मामला समझ सकें…) 2जी लाइसेंस देने की प्रक्रिया की शुरुआत से लेकर अन्त तक दयानिधि मारन ने जितनी भी अनियमितताएं और मनमानी कीं उसमें प्रधानमंत्री की पूर्ण सहमति, जानकारी और मदद शामिल है, ऐसे में प्रधानमंत्री स्वयं को बेकसूर और अनजान बताते हैं तो यह बात गले उतरने वाली नहीं है। अथ 2G कथा भाग-1 प्रारम्भम… हमारे अब तक के सबसे "ईमानदार" कहे जाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अक्सर भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद या तो साफ़-साफ़ अपना पल्ला

गंदी हो गई, राजनीति...

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- अरविन्द सीसौदिया * जो जो भी नेता अपने को अच्छा साफ सुथरा बताते हैं, उनकी वास्तविकता में पहली पशंद माल कमा कर देने वाला होता है।राज - दरवार में जिस तरह महफिलें सजतीं थी , सुरा सुंदरी दौर चलता था । वह आज भी बदले रूप में नेताओं के चरित्र में मौजूद है। इन नेताओं के लिये गुंडे बदमाश सुरक्षा कर्मी की तरह जरूरी हैं।जो इनके काले पीले कामों पर जोर जबरदस्ती के द्वारा पर्दा डाल सकें । जिस तरह भंवरी को एक नामीं गुडे के द्वारा ही उठवाया गया ... अब उसके सच के सबूत दफन हो जायेंगें। * राजनीति में अब नेता वह होता है जो समाज से सरकार से कुछ ले सके...., लूट का नेतृत्व करने वाला नेता है। आज हर दल में , हर शहर में बहुत से इस तरह के नेताजी मिल जायेंगें, जिन पर आय के ज्ञात स्त्रोत ही नहीं हैं मगर वे करोडपति , अरबपति बन गये। सही बात यह है कि आयकर विभाग की कायरतापूर्ण अनदेखी के कारण ही पूरे देश में राजनीति भ्रष्टाचार के केंसर में फंस गई । * अब राजनीति में विचारों और लोककल्याण की भावना नहीं रही है। अब तो सबसे पहले अति सुन्दर को प्राथमिकता है जैसे भंवरी देवी , फिर मेरा चमचा, फिर मरर्डर यानी बाहूबली , माफिया ज

राजनीति राष्ट्र के लिए - पं. दीनदयाल उपाध्याय

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  अरविन्द सीसौदिया,  25 सितम्बर, जयन्ति पर विशेष    . ”विभाजन को नष्ट करो और पाकिस्तान को मुक्त करो“ . राजनीति राष्ट्र के लिए - पं. दीनदयाल उपाध्याय स्वतंत्र भारत में, कांग्रेस का राजनैतिक विकल्प और राष्ट्रवाद का सबसे अधिक शुभ चिन्तक दल स्थापित करने का सबसे ज्यादा श्रेय यदि किसी को मिलता है तो वह नाम भारतीय जनसंघ के संस्थापक, अखिल भारतीय महामंत्री एवं अध्यक्ष रहे, पं0 दीनदयाल उपाध्याय को जाता है।  भारतीय जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक की 60 वर्षो से अधिक की स्वर्ण जयंति यात्रा में उपाध्याय जी के विचार, मार्गदर्शन एवं कार्यपद्धति इस संगठन की सड़क बनकर लक्ष्य तक पहुँचाने का काम करती रही है। यही कारण है कि आज भी भारतीय जनता पार्टी का कोई भी कार्यक्रम उपाध्यायजी के चित्र पर माल्यार्पण के बिना प्रारम्भ नहीं होता है। “दीनदयाल उपाध्याय अमर रहें“ के नारे गूंजते है। कहीं दीनदयाल भवन है, कहीं दीनदयाल पार्क है, कहीं दीनदयाल चैराहा है, उनके नाम पर अनेकों सरकारी एवं गैर सरकारी योजनायंे/ट्रस्ट चलते हैं , संस्थाऐं और विचार मंच देश भर में आदर और आस्था के साथ स्थापित है। उन पर कई पुस्तके, ल