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दीपावली Deepavali के पर्व को उत्साह से भव्यता पूर्वक मनायें - अरविन्द सिसोदिया

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दिवाली का उत्सव प्रारंभ हो रहा है , सभी देशवासियों को दीपावली पूरे उत्साह के साथ, उमंग के साथ , उसके पीछे निहित संदर्भ के साथ मनानी चाहिए । क्योंकि यह हमारी परंपरा के साथ-साथ जीवन पद्धति का एक महत्वपूर्ण अंग है जो हमें अपने संपूर्ण आर्थिक एवं सामाजिक आत्म निरीक्षण के लिए प्रेरित करता है।      मूल रूप से विजयादशमी उत्सव दीपावली का उत्सव या दीपावली की तैयारियां या दीपावली से संदर्भित कार्यों का प्रारंभ हो जाता है , विजयादशमी मूल रूप से भगवान श्री राम की रावण पर विजय का दिन है । यह इस बात का भी संकेत है कि बुराई पर अच्छाई की जीत आवश्यक है । विजयादशमी इस बात का प्रेरणा है  मार्गदर्शन है , कि बुराई को रोकने के लिए अच्छाई के पक्षधर व्यक्ति को अधिकतम संघर्ष करके - लड़के 0बुराई को रोकने के लिए , बुराई को पराजित करने के लिए , बुराई को समाप्त करने के लिए विजयी प्रयत्न करना ही चाहिए ।    इसी तरह से भगवान श्री राम लंका पर विजय प्राप्त करके , वनवास की अवधि पूरी करके,  अयोध्या लौटत हैं उनके स्वागत में अयोध्या में दीपों को जला कर उजाला किया गया था । दीपों से सजाया गया था और यह परंपरा लाखों वर्षों से

भारतीय टीम को एक मैच फिनिशर बैट्समैन चाहिए

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भारत को एक मैच फिनिशर बैट्समैन की आवश्यकता है        याद रहे कि भारत  की टी-20 हो या वनडे क्रिकेट टीम हो कभी हमारे पास कूल या ठंडे दिमाग वाले खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी हुआ करते थे और मैच को कैसे समाप्त करना है और कैसे जीतना दोनों चीजों को ध्यान में रखकर चलते थे । संभल के खेलना, जरूरत के मुताबिक तेज खेलना , चौके - छक्के लगाना यह सब उनके दिमाग में सेटल/ तय रहता था और उससे भारत की टीम को बहुत लाभ मिलता था और वह अच्छे से अच्छे और बड़े से बड़ी टीम को भी भारत पराजित कर देता था। वर्तमान में विराट कोहली के नेतृत्व में जो टीम हम देख रहे हैं उस में दिक्कत यही आ रही है कि विराट कोहली स्वयं बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं उनको बैकअप देने के लिए कोई एक ऐसा मैच फिसर जो मैच को समाप्त करें , फाइनल करें, मैच को जीत ले, दूसरा खिलाड़ी टीम में नजर नहीं आता है । इसलिए भारत के सामने अभी समस्या बनी हुई है , अनिश्चितता बनी रहती है कि हमारा क्या होगा।      इसलिए भारत को योजनाबद्ध तरीके से पांचवें अथवा छठे नंबर के लिए ऐसा खिलाड़ी देखना चाहिए,  जो आवश्यकता के अनुरूप खेल सके, जिसको दिमागी रूप से वह पूरा ठंडा हो और फिनिशर

सरदार वल्लभ भाई पटेल हर भारतीय के हृदय में बसते हैं : पीएम मोदी

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 भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने विषेश प्रसारण कर आत्मिक श्रृद्धांजली अर्पित की है ।   सरदार पटेल हर भारतीय के हृदय में बसते हैं : पीएम मोदी October 31, 2021 Quote "सरदार पटेल सिर्फ इतिहास में ही नहीं हैं, बल्कि हर देशवासी के ह्रदय में हैं"     Quote "धरती का भू-भाग, जहां 130 करोड़ भारतीय रहते हैं, वो हमारी आत्मा, हमारे सपनों और हमारी आकांक्षाओं का अभिन्न हिस्सा है"     Quote "सरदार पटेल चाहते थे कि भारत एक सशक्त, समावेशी, संवेदनशील और सतर्क राष्ट्र बने"     Quote "सरदार पटेल की प्रेरणा से भारत, बाहरी और आंतरिक, हर प्रकार की चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम साबित हो रहा है"     Quote "जल, आकाश, भूमि और अंतरिक्ष में देश का संकल्प एवं देश की क्षमताएं अभूतपूर्व हैं तथा राष्ट्र ने आत्मनिर्भरता के नए मिशन के पथ पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है"     Quote "यह 'आज़ादी का अमृत काल' अभूतपूर्व विकास, कठिन ल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पोप फ्रांसिस से मुलाकात pm modi-meets-pope francis

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- अरविन्द सिसौदिया 9414180151 भारतीय संस्कृति और सभ्यता का यह सबसे बडा गुण है कि वह सभी धर्म पंथ सम्प्रदायों का सम्मान करती है। शास्त्रार्थ के द्वारा सत्य तक पहुचनें का प्रयत्न करती है। यह लाखों करोडों वर्षों से हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसी परम्परा का परिचय देते हुये इसाई धर्म के सर्वोच्च सम्मानीय पोप फ्रांसिस से 30 अक्टूबर 2021 को भेंट की.... प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया," पोप फ्रांसिस के साथ गर्मजोशी के साथ मुलाकात की। मुझे उनके साथ कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला और उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया।"

PM Modi address at G20 Summit2021, Session I : One Earth- One Health

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 जी 20 देशों के रोम/इटली सम्मेलन 2021 के प्रथम सत्र में प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सम्बोधन   PM's address at G20 Summit, Session I : Global Economy and Global Health Excellencies, कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए हमने One Earth- One Health का विजन विश्व के सामने रखा है। भविष्य में ऐसे किसी भी संकट से निपटने के लिए, ये विजन विश्व की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है। Excellencies, फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की भूमिका निभाते हुए, भारत ने 150 से ज्यादा देशों को दवाइयां पहुंचाई। इसके साथ-साथ हमने वैक्सीन रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने में भी अपनी पूरी ताकत लगा दी। बहुत कम समय में, हम भारत में एक बिलियन से अधिक वैक्सीन डोज लगा चुके हैं। दुनिया की one sixth आबादी में संक्रमण को नियंत्रित करके भारत ने विश्व को भी सुरक्षित करने में अपना योगदान दिया है, और virus के further म्यूटेशन की संभावना को भी कम किया है। Excellencies, इस महामारी ने पूरी दुनिया को भरोसेमंद सप्लाई चेन की जरूरत के प्रति सतर्क किया है। इस स्थिति में भारत, एक विश्वसनीय मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर उभरा है। इसके लिए भारत ने b

भारत का रुतबा : Narendra Modi - joe biden जो. बाइडेन और नरेन्द्र मोदी

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  - अरविन्द सिसौदिया 9414180151 एक समय था जब भारत को विश्वस्तर पर कोई महत्व नहीं देता था । आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के अथक प्रयासों एवं परिवक्वता से दुनिया के तमाम देश देखते हैं कि भारत क्या बोल रहा है। मान बडा सम्मान बडा देश का स्वाभिमान बडा कोटि कोटि धन्यवाद मोदी जी .  मोदी जी।। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इटली प्रवास के दौरान आज रोम में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन के पहले सेशन के दौरान दुनिया के कई शीर्ष नेताओं सहित अमेरिका के राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन जी से आत्मीय मुलाकात की।  दुनिया के दो सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक राष्ट्रों के बीच की यह मुलाकात और तस्वीर निश्चित रूप से अब भारत की बढ़ती ताकत और शान को दर्शाती हैं।  महाशक्तियों_की_मुलाकात 🇮🇳🇺🇸 Narendra Modi

Dayananda Saraswati : स्वामी दयानंद सरस्वती : आर्य समाज की स्थापना और स्वतंत्रता का पुर्न जागरण

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Dayananda Saraswati : स्वामी दयानंद सरस्वती :  आर्य समाज की स्थापना और स्वतंत्रता का पुर्न जागरण     महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी (जन्म- 12 फ़रवरी, 1824-गुजरात, भारत, मृत्यु- 30 अक्टूबर, 1883 अजमेर, राजस्थान )  Dayananda Saraswati : स्वामी दयानंद सरस्वती, वेदों का उद्धारक और समाज सुधारक आर्य समाज के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी संन्यासी थे। जिस समय केशवचन्द्र सेन ब्रह्म समाज के प्रचार में संलग्न थे लगभग उसी समय दण्डी स्वामी विरजानन्द की मथुरा पुरी स्थित कुटी से प्रचण्ड अग्निशिखा के समान तपोबल से प्रज्वलित, वेद विद्या निधान एक संन्यासी निकला, जिसने   पहले - पहल  संस्कृतज्ञ विद्वात्संसार को  वेदार्थ  और शास्त्रर्थ के लिए ललकारा। यह संन्यासी स्वामी दयानन्द सरस्वती थे। प्राचीन ऋषियों के वैदिक सिद्धांतों की पक्षपाती प्रसिद्ध संस्था, जिसके प्रतिष्ठाता स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात की छोटी-सी रियासत मोरवी के टंकारा नामक गाँव में हुआ था। मूल नक्षत्र में पैदा होने के कारण पुत्र का नाम मूलशंकर रखा गया। मूलशंकर की बुद्धि बहुत ही तेज थी। 14 वर्ष की उम्र तक उन्हें रुद्री आदि के साथ-साथ यज

Twitter ट्विटर को, हिंदू देवी-देवताओं से जुड़े आपत्तिजनक पोस्ट हटाने को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा

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     Twitter को फटकार, हिंदू देवी-देवताओं से जुड़े आपत्तिजनक पोस्ट हटाने का आदेश ट्विटर पर आए दिन हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक पोस्ट देखने को मिल जाते हैं. ऐसे ही एक ट्वीट के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार 29.10.2021 को ट्विटर (Twitter) को अपने मंच से हिंदू देवी से संबंधित कुछ आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए कहा. Oct 29, 2021, 1- दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई ट्विटर को फटकार 2-हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटाने का आदेश 3-30 नवंबर 2021 को होगी अगली सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने ट्विटर के वकील सिद्धार्थ लूथरा से पूछा, 'सामग्री हटाई जा रही हैं या नहीं ? आपको आम लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि आप बड़े पैमाने पर जनता से जुड़ा व्यवसाय कर रहे हैं. उनकी भावनाओं को उचित महत्व दिया जाना चाहिए....  आपको इसे हटा देना चाहिए.'  इस मामले पर जजों की पीठ ने कहा,  'आप इसे हटा दें. आपने राहुल गांधी के मामले में भी ऐसा किया है.' ट्विटर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कोर्ट

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए उन्मादी इस्लामिक आक्रमण की संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल द्वारा भर्त्सना की गई

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल धारवाड़ - 28-30 अक्टूबर 2021 प्रस्ताव – बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए उन्मादी इस्लामिक आक्रमण की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल द्वारा भर्त्सना अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (अ. भा. का. मंडल) बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए हिंसक आक्रमणों पर अपना गहरा दुःख व्यक्त करता है और वहाँ के हिन्दू अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रही क्रूर हिंसा और बांग्लादेश के व्यापक इस्लामीकरण के जिहादी संगठनों के षडयन्त्र की घोर निंदा करता है। बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दू समाज व हिन्दू मंदिरों पर हिंसक आक्रमण का क्रम बिना रोकटोक चल रहा  है।गत समय में दुर्गा-पूजा के पवित्र पर्व काल में प्रारम्भ हुई इस साम्प्रदायिक हिंसा में अनेक  निरपराध हिन्दुओं की हत्या हुई, सैकड़ों लोग घायल हुए और हज़ारों  परिवार बेघर हो गए। गत दो सप्ताह में ही हिन्दू समाज की अनेक माता-बहनें अत्याचार की शिकार हुईं तथा मंदिरों व दुर्गा-पूजा पंडालों  का विध्वंस हुआ। निराधार झूठे समाचार प्रसारित कर साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाले कुछ दोषियों की गिरफ़्तारी से यह स्पष्ट हुआ है कि कट्टरपंथी इस्लामिक शक्ति

दिव्यांगता को हराकर जगद्गुरू बने, पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी Jagadguru Rambhdrachrya

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*श्री  राम भद्राचार्य* ये वही रामभद्राचार्य जी है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी। दृश्य था उच्चतम न्यायलय का ... श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ... जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे ... न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था ... उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, "आप लोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं ... तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?" जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , " दे सकता हूँ महोदय", ... और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है । कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई ... और उसमें जगद्गुरु

हिंदू बनीं इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी सुकमावती Sukmavati

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            समाचार यह आ रहा है कि इन्डोनेशिया के पूर्व एवं पहले राष्ट्रपति सुकर्णों की छोटी बेटी सुकमावती इस्लाम छोड़ हिंदू बनीं, यह गलत है ! बल्कि सही यह है कि कभी हिन्दू से इस्लाम में परिवर्तित किये गये पूर्व राष्ट्रपति के परिजनों ने पुनः अपने धर्म में वापसी की है। इसे घर वापसी माना जाता है। पूरा विश्व् जानता है कि इस्लाम का विस्तार किस जोर जबरदस्ती से हुआ है। उससे भारत और भारतीय संस्कृति के तमाम क्षेत्र भी प्रभावित हुये है।      यह घर वापसी धीरे धीरे आने वाली कुछ शताब्दियों में पूरे विश्व में होना है। क्यों कि मानवता, सत्य, अहिंसा, दया, करूणा,सुखी जीवन और संतोष जैसे जीवन मूल्य हिन्दुत्व देता है।   यूं भी इन्डोनेशिया अपने मूल हिन्दू धर्म को भूला नहीं है। विश्व सबसे अधिक सम्मान हिन्दुत्व को आज भी इन्डोनेशिया में ही मिला हुआ है। वे अपनी परम्पराओं और जीवन शैली में लगातार हिन्दुत्व को अपनाये हुये है।   ---------------- इंडोनेशिया: इस्लाम छोड़ हिंदू बनीं पूर्व राष्ट्रपति की बेटी सुकमावती, बाली में हुआ धर्मांतरण समारोह एजेंसी, जकार्ता  Published by: सुरेंद्र जोशी  Updated Tue, 26 Oct 2021 स

कंगना रनोट पहुंची वीर सावरकर जी की काल कोठरी में

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वीर विनायक दामोदर सावरकर को करीब करीब 11 वर्षों तक कालापानी की सेल्युलर जेल में रखा गया । राष्ट्रवादी अभिनेत्री कंगना राणावत नें हाल ही में वहां पहुच कर इन महान स्वतन्त्रता सेनानियों को नमन किया है ।     सावरकर सेल की तस्वीरें शेयर करते हुए कंगना रनौत ने लिखा, 'किताबों में जो पढ़ाया जाता है वह सच्चा इतिहास नहीं है, बल्कि सच्चा इतिहास इन कोठरियों में ही है।' अपनी इस यात्रा के दौरान कंगना रनौत उस सेल में भी पहुंची जहां वीर सावरकर को बंदी बनाया गया था। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि वीर सावरकर की तस्वीर के सामने कंगना ध्यान के मुद्रा में बैठी हुई हैं। इस जेल के बाउंड्री की तस्वीर भी कंगना रनौत ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। सावरकर के बारे में पढ़ाया नहीं गया कंगना ने अपनी इस पोस्ट में लिखा है- आज पोर्ट ब्लेयर में स्थित काला पानी सेल्युलर जेल में वीर सावरकार सेल का दौरा किया। उनका कितना डर रहा होगा कि काला पानी में रखा गया।  ये वह आजादी है जिसे हमारी टेक्स्ट बुक में नहीं पढ़ाया गया। मैंने कोठरी में ध्यान लगाया और वीर सावरकर जी के प्रति अपनी कृतज

भाजपा और मोदी को हटाना आसान नहीं है - प्रशान्त किशोर Prashant Kishor

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को लंबे समय तक केंद्र में रहेगी भाजपा -  प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) विशेष रणनीतिकार के रुप में ख्याति प्राप्त प्रशांत किशोर  ने गोवा के म्यूजियम में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'बीजेपी आने वाले कई दशक तक भारतीय राजनीति के केंद्र में बनी रहेगी और इससे फर्क नहीं पड़ता है कि वह हारे या जीते. ठीक वैसे ही जैसे कांग्रेस के 40 साल थे. उसी तरह बीजेपी कहीं नहीं जा रही है.'  उन्होंने कहा, 'भारत में जब एक बार आप 30 फीसदी वोट पा लेते हैं तो इतनी जल्दी कहीं नहीं जा रहे. आप इस भ्रम में ना रहें कि लोग गुस्सा हो रहे हैं और वे मोदी को उखाड़ फेकेंगे. हो सकता है लोग मोदी को हटा दें, लेकिन बीजेपी फिर भी राजनीति के केंद्र में बनी रहेगी और कई दशक तक आपको बीजेपी का सामने करना पड़ेगा.' मोदी की ताकत नहीं समझ रहे राहुल: प्रशांत किशोर    इसके साथ ही प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर निशाना साधा और कहा कि वह मोदी की ताकत नहीं समझ रहे हैं. वह सोचते हैं कि कुछ समय की बात है, लोग मोदी को सत्ता से बेदखल कर देंगे, लेकिन यह नहीं होने वाला है.'  उन्होंने कहा, 'ज

भारत की महान स्वतन्त्रता सेनानी भगिनी निवेदिता Bhgni Nivedita

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28 अक्तूबर/जन्म-दिवस भारत की महान  स्वतन्त्रता सेनानी भगिनी निवेदिता स्वामी विवेकानन्द से प्रभावित होकर आयरलैण्ड की युवती मार्गरेट नोबेल ने अपना जीवन भारत माता की सेवा में लगा दिया। प्लेग, बाढ़, अकाल आदि में उन्होंने समर्पण भाव से जनता की सेवा की। 28 अक्तूबर, 1867 को जन्मी मार्गरेट के पिता सैम्युअल नोबल आयरिश चर्च में पादरी थे।  बचपन से ही मार्गरेट नोबेल की रुचि सेवा कार्यों में थी। वह निर्धनों की झुग्गियों में जाकर बच्चों को पढ़ाती थी। एक बार उनके घर भारत में कार्यरत एक पादरी आये। उन्होंने मार्गरेट को कहा कि शायद तुम्हें भी एक दिन भारत जाना पड़े। तब से मार्गरेट के सपनों में भारत बसने लगा। मार्गरेट के पिता का 34 वर्ष की अल्पायु में ही देहान्त हो गया। मरते समय उन्होंने अपनी पत्नी मेरी से कहा कि यदि मार्गरेट कभी भारत जाना चाहे, तो उसे रोकना नहीं। पति की मृत्यु के बाद मेरी अपने मायके आ गयी। वहीं मार्गरेट की शिक्षा पूर्ण हुई। 17 साल की अवस्था में मार्गरेट एक विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने लगी। कुछ समय बाद उसकी सगाई हो गयी; पर विवाह से पूर्व ही उसके मंगेतर की बीमारी से मृत्यु हो गयी। इससे मा

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ( Statue of Unity ) : राष्ट्र का भौगोलिक एकीकरण करने वाले महानायक सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित

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           गुजरात सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2010 को इस परियोजना की घोषणा की गयी थी। इस मूर्ति को बनाने के लिये लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। ... इस अभियान का नाम “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान“ दिया गया।     सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने इस कार्य हेतु पूरे भारतवर्ष में 36 कार्यालय खोले, जिससे लगभग 5 लाख किसानों से लोहा जुटाने का लक्ष्य रखा गया। इस अभियान का नाम “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान“ दिया गया। 3 माह लम्बे इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना हेतु लोहा दान किया। इस दौरान लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहे का संग्रह किया गया।         मूर्ति निर्माण के अभियान से “सुराज“ प्रार्थना-पत्र बना जिसमे जनता बेहतर शासन पर अपनी राय लिख सकती थी। सुराज प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये, जो कि विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना-पत्र...    स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ( Statue of Unity ) के (विश्‍व की सबसे ऊॅची प्रतिमा जो कि गुजरात में बनायी गयी है) कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों के बार

हनुमान चालीसा hanuman chalisaa की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने जेल में की थी

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  हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने जेल में की थी हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी और इसकी रचना किसी आश्रम में या दरबार में नहीं की गई थी. हनुमान चालीसा की रचना मुगल शासक अकबर की जेल में हुई थी. आप शायद ही जानते होंगे कि हनुमान चालीसा जेल में लिखी गई थी... * हनुमान चालीसा कब लिखा गया क्या आप जानते हैं। नहीं तो जानिये, शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा?* *पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, पर यह कब लिखा गया, इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी।* *बात 1600 ईस्वी  की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था।* *एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं।* *तब बीरबल ने बताया, इन्होंने ही रामचरित मानस का अनुवाद किया है, यह रामभक्त तुलसीदास जी है, म

जम्मू और कश्मीर का विलय RSS संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य गुरूजी के प्रयास से संभव हुआ था

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    जम्मू और कश्मीर का विलय संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य गुरूजी के कारण संभव हुआ     जम्मू-कश्मीर का मुद्दा तब खड़ा हुआ, जब देश के विभाजन की घोषणा हुई और कश्मीर के महाराजा हरी सिंह कश्मीर को एक स्वतंत्र राष्ट्र रखना चाहते थे। क्यों कि पंडित जवाहरलाल नेहरू से उनके सम्बंध अच्छे नहीं थे तथा उन्होने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेहरूजी को गिरफतार कर भारत भेजा था, इसलिये एक बडा भय भी उनके मन में था। महाराजा शेख अब्दुल्ला के घोर विरोधी थे एवं उन्होने उसे कैद किया हुआ था। जबकि नेहरूजी शेख को सर्वोच्च सखा मानते थे। इसीलिये कश्मीर विलय का कार्य नेहरू जी ने अपने पास रखा हुआ था।    पाकिस्तान कश्मीर सहित बडे भूभाग को हथियाना चाहता था , उसकी कूटनीति एवं कश्मीर महाराजा की दुविधा से  लौहपुरुष गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल भली भांती परिचित थे। गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल  और उनके सेक्रेटरी वीपी मेनन के अथक प्रयासों से 550 से भी ज्यादा रजवाड़े भारत में विलय कर चुके थे। किन्तु जवाहरलाल नेहरू कश्मीर की समस्या को खुद सुलझाना चाहते थे, लेकिन सुलझाने की जगह उन्होंने इसे और भी जटिल बना दिया।   जिन्ना जम

आर्यन खान ड्रग्‍स केस : समीर वानखेड़े पर 'आधारहीन' और 'शरारत पूर्ण' हवा - हवाई आरोप मात्र डराने के लिए ..

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- अरविन्द सिसोदिया आर्यन ड्रग्‍स केस : समीर वानखेड़े  पर 'आधारहीन' और 'शरारत पूर्ण' हवा - हवाई आरोप मात्र डराने के लिए हैं, ये आरोप अदालत में भी नहीं टिक सकते। यह मात्र  आर्यन नामक खान को बचाने हेतु की जा रही गुलामी का षड्यन्त्र मात्र है। अभिनेता शाहरुख खान के नशेड़ी बेटे को एक ईमानदार अधिकारी ने पकड़ क्या लिया, उसे दवानें, डराने और हताश करने की राजनीति शिरू हो गई ? ईमानदार अफसर को नहीं खरीद सके तो चश्मदीदों को खरीदा जा रहा है । चश्मदीदों का बिकना,बदल जाना आम बात है । भारत में ज्यादातर अपराधी इसी कारण बरी हो जाते हैं। बच जाते हैं । महाराष्ट्र सरकार को मुंबई को पंजाब बनने से रोकना चाहिये था मगर वह पंजाब सरकार की तरह ही अपराधियों को संरक्षण प्रदान कर रही है । एक नसेड़ी से उसके सप्लायर तक पहुचना आम बात है । महाराष्ट्र में सप्लायर को बैकअप देनें जिस तरीके से राज्य सरकार का एक मंत्री उतरा यह भी जांच का विषय है । उसका पर्सनल इनट्रस्ट क्यों ।  शिवसेना को जबाव देना होगा कि नसेड़ी को पकड़ना महाराष्ट्र का अपमान कैसे ?  महाराष्ट्र में केंद्र और राज्य के बीच जो संघर्ष अनिल देशमुख, परमवी

विट्ठल भगवान के भक्त सन्त शिरोमणि नामदेव जी महाराज

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*26 अक्तूबर/जन्म-दिवस* *गोविन्द भक्त सन्त नामदेव* निर्गुण सन्तों में सन्त नामदेव का नाम अग्रणी है। उनका जन्म 26 अक्तूबर, 1270 ई. को महाराष्ट्र के नरसी बामनी नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता श्री दामाशेट और माता श्रीमती गोणाई थीं। कुछ लोग इनका जन्मस्थान पण्डरपुर मानते हैं। इनके पिताजी दर्जी का काम करते थे; जो आगे चलकर पण्डरपुर आ गये और विट्ठल के उपासक हो गये। वे विट्ठल के श्रीविग्रह की भोग, पूजा, आरती आदि बड़े नियम से करते थे। जब नामदेव केवल पाँच वर्ष के थे, तो इनके पिता को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। उन्होंने विट्ठल के विग्रह को दूध का भोग लगाने का काम नामदेव को सौंप दिया। अबोध नामदेव को पता नहीं था कि मूर्त्ति दूध नहीं पीती, उसे तो भावात्मक भोग ही लगाया जाता है।  नामदेव ने मूर्त्ति के सामने दूध रखा, जब बहुत देर तक दूध वैसा ही रखा रहा, तो नामदेव हठ ठानकर बैठ गये। बोले - जब तक तुम दूध नहीं पियोगे, मैं हटूँगा नहीं। जब तुम पिताजी के हाथ से रोज पीते हो, तो आज क्या बात है ? कहते हैं कि बालक की हठ देखकर विट्ठल भगवान प्रगट हुए और दूध पी लिया। बड़े होने पर इनका विवाह राजाबाई से हुआ। उससे उन्हें

माता यशोरेश्वरी Jeshoreshwari शक्तिपीठ ( बांग्लादेश )

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 यशोरेश्वरी शक्तिपीठ      बांग्लादेश के खुलना जिला के यशोर ( जैसोर ) में अवस्थित है माता यशोरेश्वरी शक्तिपीठ। करतोयत शक्तिपीठ एवं चट्टल भवानी शक्तिपीठ के बाद यह बांग्लादेश का तीसरा सबसे प्रमुख शक्तिपीठ है जो की वहाँ रहने वाले हिंदुओं के आस्था का केंद्र है।* * पौराणिक आख्यायिका के अनुसार भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न माता सती के हाथ एवं पैर का यहां निपात हुआ था। हालांकि कुछ विद्वानों का मत है कि यहां पर माता के बाएं हाथ की हथेली गिरी थी। इस शक्तिपीठ की शक्ति को 'यशोरेश्वरी माता' एवं भैरव को 'चन्द्र' कहते हैं।* *' यशोरेश्वरी माता' का यह मंदिर पहले 'अनारी' नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि इस मंदिर में लगभग 100 दरवाजे थे। साथ ही मंदिर के पास में ही एक बड़ा आयताकार रूप का भव्य मंच हुआ करता था। यह मंच ऊपर से ढका हुआ रहता था जिसे नट मंदिर कहा जाता था। यहां आने वाले भक्त, इस नट मन्दिर के पास खड़े होकर माता का दर्शन करते थे।*  * जब भारत का बंटवारा हुआ था तब भारतीय हिन्दुओं ने अपने कई तीर्थ स्थल, शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिरों को खो दिया। यह मन्दिर भी उनमें से ह