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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंग्रेज गए, गुलाम व्यवस्था छोड़ गए - अरविन्द सिसोदिया

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भारत में प्रशानिक अधिकारीयों एवं जबावदेह संस्थाओं  पर जबावदेही बिल लागू करनें की क्यों जरूरत है । उसके कारण और निवारण को समझनें के लिए, एक प्रसंग मुझे फेसबुक पर मिला हर ।  यह हमें इतना समझनें में सहयोग देता है कि अंग्रेज गए और जो क्लर्क छोड़ गए , उनकी मानसिकता क्या है । वह आज भी जनता को अंग्रेजों की गुलाम जनता की तरह समझता है । अफसरशाही और राजनीति नें प्रसासनिक तन्त्र को इतना भ्रष्ट और गैरजिम्मेवार बना दिया है कि हालात अंग्रजों के जमानें से भी ज्यादा बदतर हो गए हैं। --//-- *कृपया जिम्मेदारी से पढ़ें : आवश्यकता और आनंद हेतु....* भारत में सेवा करने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को इंग्लैंड लौटने पर सार्वजनिक पद/जिम्मेदारी नहीं दी जाती थी। तर्क यह था कि उन्होंने एक गुलाम राष्ट्र पर शासन किया है जिसकी वजह से उनके दृष्टिकोण और व्यवहार में फर्क आ गया होगा। अगर उनको यहां ऐसी जिम्मेदारी दी जाए, तो वह आजाद ब्रिटिश नागरिकों के साथ भी उसी तरह से ही व्यवहार करेंगे। इस बात को समझने के लिए नीचे दिया गया वाकया जरूर पढ़ें - एक ब्रिटिश महिला जिसका पति ब्रिटिश शासन के दौरान पाकिस्तान और भारत में एक सिविल सेवा अ

सपा का भारतीय भगवा संस्कृति पर आक्रमण - अरविन्द सिसोदिया

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  योगीजी के भगवा वस्त्र के बहानें, सपा का भारतीय भगवा संस्कृति पर आक्रमण - अरविन्द सिसोदिया याद रहे करोडों वर्षों से भारत में भगवा रंग, भगवा ध्वज एवं भगवा व़स्त्र धर्म एवं आस्था का पवित्र मान सम्मान रहा है। उसे जंग बताना नितांत ही अपमान जनक व्यवहार में आता है। सपा की डिम्पल यादव नें मुख्यमंत्री योगी के वस्त्रों के बहानें जो टिप्पिणी की है। वह भारतीय संस्कृति पर कुंठित एवं साम्प्रदायिक आक्रमण है। यह अक्षम्य है। ये वस्त्र योगी जी के नहीं भारतीय संस्कृति के है। समाजवादी पार्टी वही पार्टी है जिसनें अयोध्या के परम सत्य “ श्रीराम जन्म भूमि“ की स्वतंत्रता का, अतिक्रमण  मुक्ति को विरोध तो किया ही, साथ ही उसे मुक्त करवानें वाले भक्तों अर्थात कारसेवकों पर गोलियां चलाईं और सरयू का पवित्र जल खून से लाल कर दिया था। हिन्दूओं के रक्त से लाल अयोध्या को कर दिया था और उसी रंग की टोपी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पहनाई। जिससे हिन्दू विरोध तत्व और कट्टपंथी सन्तुष्ट हों,उन्हे अपना नेता चुनें। सत्ता की प्राप्ती के लिये जयचंन्द और मीरजाफर बनने जैसा कृत्य इतिहास में कभी माफ नहीं होगा। भगवा रंग का वैदिक नाम अरूण

Mahabhart ki siikh महाभारत की सीखें

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महाभारत से सबक    ( सार वाक्य ) युधिष्ठिर- की तरह जुआ मत खेलो! कर्ण- की तरह दुष्ट का अहसान मत लो! थृतराष्ट्र- की तरह पुत्र के मोह में मत पड़ो! कुन्ती- की तरह लोकाचारों के विरुद्ध अनुचित प्रयोग मत करो! कुन्ती- की तरह बिना देखे जानें अनुचित मत बोलो ! द्रोपदी- की तरह किसी की हंसी मत उडाओ ! पाण्डु- की तरह काम के वशीभूत मत बनो! दुर्योधन- की तरह अनधिकार हठ मत पालो! भीष्म-  की तरह अनुचित प्रतिज्ञाओं में मत बँधो! दुःशासन- की तरह नारी का अपमान मत करो! अश्वत्थामा- की तरह अनियन्त्रित मत हो जाओ! शान्तनु- की तरह काम में आसक्त मत हो जाओ! गान्धारी- की तरह नेत्रहीन का अनुसरण मत करो! परीक्षित- की तरह क्रोध में अनुचित कार्य मत कर बैठो! द्रोणाचार्य- की तरह अर्धसत्य पर विश्वास मत करो! शल्य- की तरह हतोत्साहित करने वाले की संगति में मत रहो! अवश्य करो :- अभिमन्यु- की तरह वीर बनो! कृष्ण- की तरह धर्म का साथ दो! विदुर- की तरह स्पष्टवादी और शुभचिंतक बनो! घटोत्कच- की तरह धर्मकार्य में सहर्ष बलिदान दो! अर्जुन- की तरह अपनी बागडोर भगवान के हाथों में सोंप लो! ---- महाभारत के पांडवों से सीखें जिंदगी जीने और जीत के सूत्

महाशिवरात्रि : सृष्टि के सृजनकर्ता शिव और शक्ति स्परूपा पार्वती के मिलन का महान पर्व

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सन 2022 में यह पर्व 01मार्च 2022 को है ---------- सृष्टि के सृजनकर्ता शिव और शक्ति स्परूपा पार्वती के मिलन के इस महान योग महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें। आज का दिन आपको मंगलमय हो...     महाशिवरात्रि पर कल्याण के देवता की पूजा शिव शब्द का अर्थ ही कल्याण है। भगवान शिव को कल्याणकर्ता इसलिए भी कहा गया है, क्योंकि उन्होंने सृष्टि का सृजन किया है। वे संपूर्ण ब्रह्मांड के रचयिता हैं। वे निराकार और अनादि हैं। वे सदा हैं और सर्वदा रहें। इसीलिए उन्हें सदाशिव भी कहा गया है। इसका यह भी अर्थ है कि वे सदा ही सबका कल्याण करते हैं। उनकी विशेषता यह है कि वे आशुतोष अर्थात बहुत थोड़े से संतुष्ट होने वाले हैं। इसीलिए उनकी पहुंच तो सब तक है ही, वे भी सभी की पहुंच में हैं। उनकी प्रसन्नता के लिए केवल उनका ध्यान और थोड़ा-सा जल ही पर्याप्त है। उनकी कोई जन्मतिथि नहीं है, क्योंकि जब से यह संसार है, वे तभी से हैं। बल्कि उसके पहले से हैं और जब प्रलय में सारी सृष्टि विलीन हो जाएगी, तब भी केवल वे ही रहें । इसीलिए वे शाश्वत हैं। यही कारण है अन्य देवताओं की जहां जयंती या प्राकट्य दिवस मनाया जाता है, शिव

यूपी में फिर से योगी सरकार ही बनेगी - अरविन्द सिसौदिया

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  यूपी में फिर से योगी सरकार ही बनेगी - अरविन्द सिसौदिया Yogi government will be formed again in UP - Arvind Sisodia UP mein phir se yogee sarakaar hee banegee - aravind sisaudia   यूं तो पिछले तीन साल से तमाम चालें योगी सरकार को,सत्ता से बाहर करनें की चल रहीं थीं । मगर अब तय हो चुका है कि अगली सरकार यानी कि 2022 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार फिर से बनने जा रही है। और इतना ही नहीं आने वाले समय में भारत के अधिकांश मुख्यमंत्री योगी माडल की सरकारें ही चलायेंगे। क्यों कि लोक कल्याण एवं कानून तथा व्यवस्था के राज के रूप में योगी सरकार सर्वोच्च रही है। यूं भी देखें तो हवा हवाई तो बहुत कुछ है मगर छोराछाप्टा छाप नौटंकी करने से वोट नहीं मिलते, यही बात अखिलेश और जयंत को जन विश्वास कर तराजू पर पूरी तरह से बाहर किये हुये है। मायावती कुल मिला कर अखिलेश के साथ हैं नहीं ! और उनके पास तीसरे क्रम में सीटें रहने वाली है। कांग्रेस कहीं भी किसी भी स्थिती में नहीं है। योगी जी की स्थिती बंगाल की ममता जैसी है। गत भाजपा सीटों में कुछ बढोत्री भी हो सकती है।   जिस तरह यूक्रेन - रूस युद्ध के मध्य दोनों देशों के

प्रशासन तंत्र पर जवाबदेही कानून पूरे देश में लागू हो- अरविन्द सिसोदिया

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प्रशासन तंत्र पर जवाबदेही कानून पूरे देश में लागू हो- अरविन्द सिसोदिया  सवाल प्रसाशनिक जबावदेही का है ।यही लोकहित का एक महत्वपूर्ण विषय है। क्योंकि एक उदाहरण प्रत्येक आमजन को झकझोर देगा । 1 - एक कार दूल्हा सहित 9 लोगों को लेकर आ रही है , चंबल की पुलिया कोटा शहर पर सुरक्षा संकेतक नहीं होने से, दिशा सूचक नहीं होने से, सुरक्षा उपाय का कोई साधन नहीं होने से, चंबल में गिर जाती है और सभी नौ लोगों से मर जाते हैं । राजनैतिक क्षेत्र में , राजनीतिक दल संवेदनाएं व्यक्त करते हैं । सामाजिक संवेदनाएं हो जाती हैं । राज्यसरकार  दुर्घटना मुआबजा राशि के कुछ पैसा   देती हैं और बात खत्म हो जाती है। कुछ दिन बाद उसी जगह कुछ लोग पहुंचते हैं और देखते हैं  कि अभी भी हालत ठीक वैसे के वैसे ही हैं। उस स्थान पर पुनः दुर्घटना न हो ,इसके लिए कोई भी उपाय नहीं किया गया। जबकि अखबारों में यह बात आती रही कि उस जगह पर भविष्य में दुर्घटना ना हो उसके लिए उपाय किए जा रहे हैं । सवाल यही होता है कि एक प्रशासनिक तंत्र जिसका वेतन सर्वाधिक है । सामान्यतया  ₹50000 से अधिक तनख्वा वाले लोग काम कर रहे हैं । सरकार को और समाज को दोनों

सभी वोट डल जाए तो हिंदू अपराजेय हो जाए -अरविन्द सिसोदिया

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भारत हिंदू राष्ट्रस्वतः है, उसे बचानें के एक जुट हों  -अरविन्द सिसोदिया यूं तो भारत जन्मजात हिंदू राष्ट्र है। हिंदुकुश पर्वत से हिन्द महासागर के मध्य जो लोग सदियों से रहते आये हैं वे सभी हिंदू हैं । भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान ,बांग्लादेश , तिब्बत, नेपाल , ब्रह्मा, श्रीलंका जैसे देश भी हिंदू राष्ट्र के ही अंग रहे हैं।  अब इसे मुस्लिम देश बनानें की कोशिश हो रही है, जिसे रोकना राष्ट्रीय कर्तव्य प्रत्येक हिन्दू का बनता है। *भारत को मुस्लिम मुल्क बनाने के लिए ...* 👉🏻 कई संगठन लगे हुए हैं जैसे पीएफआई, भारत के कई संगठन सिमी, दारुल उलूम , फतवा फैक्ट्री, अनेकों मौलवी सहित इनके सपोर्ट में भारत की राजनीति पार्टी कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और भी बहुत सारे विपक्षी दल यह इनके साथ में ही है या यूं कह लें की भाजपा के विपक्ष में जितनी भी पार्टियां खड़ी है वह सारे के सारे दल और संगठन ...! *भारत तो हिंदू राष्ट्र स्वतः ही है, जन्मजात है ,उसे बचानें के लिए जुटे हैं *  👉🏻 RSS., बजरंग दल, और भाजपा  और इसके साथ जुड़ी कुछ पार्टियां ।  *भारत को हिंदू राष्ट्र पुनः बनाने के लिए कितने हिंदू

कौन थे,महान क्रान्तिकारी वीर विनायक सावरकर ?

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Who was the great revolutionary Veer Vinayak Savarkar? कौन थे,महान क्रान्तिकारी वीर विनायक सावरकर ? kaun the,mahaan kraantikaaree veer vinaayak saavarakar ? कौन थे वीर सावरकर? सिर्फ 25 बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा। इसको पढ़े बिना आज़ादी का ज्ञान अधूरा है! आइए जानते हैं एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारे में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेलीं कि वीर सावरकर के बारे में कल्पना करके ही कायरों में सिहरन पैदा हो जायेगी...... जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंने माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी। वो थे हमारे परमवीर सावरकर.... 1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोकसभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई? 2. वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को

यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए एक्शन में नरेंद्र मोदी

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एक युद्धरत देश में जाना और अपनें नागरिकों को निकालने का काम पहले भी मोदी सरकार ने तालिबान आक्रमण के दौरान अफ़ग़ानिस्तान में किया है। एक बार फिर अग्नि परीक्षा है। यूक्रेन में फंसे भारतीयों को देश वापस लानें की। ईश्वर मोदी जी को सफलता प्रदान करे   ---- *यूक्रेन पर एक्शन में मोदी : पोलैंड के रास्ते भारतीय नागरिकों को निकालेगी सरकार*,  *हाई लेवल मीटिंग में PM बोले*- *सबकी सेफ्टी टॉप प्रायोरिटी*,  *प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से की बात*,  *हिंसा बंद करने की अपील की―* *● यूक्रेन ने जंग के बीच भारत को दिया चाणक्य और महाभारत का हवाला*  दुनिया में भारत ही कम कर सकता है तनाव। *● अमेरिका 'जो बिडेन'―* हम यूक्रेनियन की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। *● ब्रिटैन 'बोरिस जॉनसन'―* हम रूस पर प्रतिबंध लगाएंगे। *● संयुक्त राष्ट्र―* हम शांति के लिए रूस से अनुरोध करते हैं। *● इस बीच यूक्रेन―* पीएम मोदी जी कृपा करके *रूस से बात कर* बंद करवाएं जंग। ● युद्ध के बीच यूक्रेन ने भारत से मदद की गुहार लगाई है और यूक्रेन ने कहा है कि दुनिया में अभी सिर्फ भारत ही एकम

जमाखोरी और महंगाई पर राज्य सरकारें कडी नजर रखें - अरविन्द सिसौदिया

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जमाखोरी और महंगाई पर राज्य सरकारें कडी नजर रखें- अरविन्द सिसौदिया State governments should keep a close watch on hoarding and inflation jamaakhoree aur mahangaee par raajy sarakaaren kadee najar rakhen   जमाखोरी और महंगाई पर राज्य सरकारें कडी नजर रखें - अरविन्द सिसौदिया युद्ध काल में हमेशा मुख्य मुद्दा वस्तुओं की उपलब्धता एवं मूल्य नियंत्रण रहता है। इस पर सबसे ज्यादा काम जिला कलक्टर्स को, जिला रसद अधिकारी गणों को करना होता है। मगर देखनें में यह आ रहा है कि ज्यादातर अधिकारी वर्ग राज्य सरकार की ओर मुंह ताकते रहते है। राज्य सरकार के इशारे पर काम करते है। जन हित सामान्य तौर पर गौड रहता है। देश अभी कोविड की तीन श्रृंखलाओं से जूझ कर बाहर निकल रहा है। अब यूक्रेन - रूस युद्ध प्रारम्भ हो चुका है। जमाखोर मोटी रकम कूटनें की फिराक में है। अनेकों वस्तुओं के भाव बडा दिये गये है। युद्ध लम्बा चला तो विश्व को मंहगाई की मार झेलनी पडेगी। कोविड में और बाद में भी देखनें में यह आया है कि कुछ राज्यों की राज्य सरकारें , केन्द्र सरकार को बदनाम करने के लिये जरूरी उपाय करनें एवं आवश्यक स्थानीयस्तर पर कमद उठानें

मुफ्तखोरी नहीं , सुरक्षा प्रथम है राष्ट्ररक्षा के लिए - अरविन्द सिसोदिया

यूरोपियन देश यूक्रेन में बड़ी बड़ी शानदार बिल्डिंगें है.. चमचमाती हुई सड़कें और लंबी लक्जरी कार गाडियां हैं सड़कों पर साइकिल तो क्या दोपहिया वाहन भी दिखाई नहीं देते क्योंकि सबके पास महंगी लक्जरी गाडियां जो है अच्छे मेडिकल कॉलेज भी है... युनिवर्सिटी है तभी तो मेडिकल शिक्षा के लिए भारत के हजारों छात्र यूक्रेन में पढ़ाई कर रहें हैं यानि यूक्रेन में चारों तरफ संपन्नता है अगर नहीं है तो सामरिक शक्ति ,मजबूत सेना , अत्याधुनिक हथियार और वहां की जनता में राष्ट्रवादी भावना यही कारण है कि मात्र दो घंटे में रुस ने यूक्रेन को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया यूक्रेन के सेनिक भाग खड़े हुए हैं।  यूक्रेन के राष्ट्रपति आम लोगों से युद्ध लड़ने की अपील कर रहें हैं.. इसके लिए सारी पाबंदियां भी हटा दी गई है... यूक्रेन आम नागरिकों को युद्ध लड़ने के लिए हथियार देने की बात भी कह रहा है पर मजाल यूक्रेन का एक भी नागरिक युद्ध लड़ने को तैयार हुआ हो , क्योंकि यूक्रेन के नागरिकों में इजराइल के नागरिकों की तरह राष्ट्रवाद की भावना ही नहीं है। वह तो एशो आराम की जिन्दगी जीने के आदी हो चुके हैं। यूक्रेन के स्कूल कालेज, युनिव

यूक्रेन का भारत विरोधी रवैय्या रहा है

1) यूक्रेन ने कश्मीर मुद्दे पर UNO में भारत के ख़िलाफ़ वोट दिया था। 2) यूक्रेन ने परमाणु परीक्षण मुद्दे पर UNO में भारत के ख़िलाफ़ वोट दिया था।  3) यूक्रेन ने UNO की सिक्योरिटी कौंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता के ख़िलाफ़ वोट किया था। 4) यूक्रेन पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करता है।  5) यूक्रेन अल क़ायदा को समर्थन देता है।  भारतीय होने के नाते मुझे यूक्रेन से कोई भी सहानुभूति नहीं है और उसका कारण भी है।  यूक्रेन ने भारत का कभी भी साथ नहीं दिया। जब हमारे उपर प्रतिबन्ध लगा तो UNO मे उसने प्रतिबन्ध के पक्ष में वोट किया।  इसके पास यूरेनियम का बाद भंडार था फिर भी बार बार मांगे जाने पर भी इसने कभी भी देना तो दूर हमारे तत्कालीन PM को दुरदुरा दिया। सीधे मुँह बात तक नहीं किया, जबकि भारत अपनी ऊर्जा के लिए यूरेनियम खोज रहा था।  अब उसका क्या होता है इसपर मेरा कोई भी मत नहीं है। हां उसके नागरिकों के साथ सहानुभूति अवश्य है। कमज़ोर यूक्रेन(जो कि अपने आप बना) के साथ वही हो रहा है तो नेहरू जी के समय 1947 से पहले और उसके बाद हुआ। अर्थात विभाजन और देश के सीमा पर अतिक्रमण। इसलिए जो लोग यूक्रेन के समर्थन में

धर्म-पत्नी के साथ आजीवन सम्मानपूर्ण व्यवहार करें

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अपनी धर्म-पत्नी के साथ आजीवन सम्मानपूर्ण व्यवहार करें  _जीवन संगिनी - धर्म पत्नी की अंतिम विदाई_  अगर पत्नी  है तो दुनिया में सब कुछ है।  राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया।  आपका फुला-फला परिवार सब पत्नी की मेहरबानी हैं |आपकी सुविधा असुविधा आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है।  तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है।  आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है।  चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ।   मेरा चश्मा व मोबाईल लाओ |ये ऐसा है और वो ऐसा है।  कब अक्कल आएगी तुम्हे? ऐसे ताने मारते हो।  उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है।समाज मे सिर ऊँचा ,सीना तानकर चलते हों | वरना दुनिया में आपको कोई भी  नहीं पूछेगा।  अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें:- एक दिन *पत्नी* अचानक  रात को गुजर जाती है !सब तरफ सन्नाटा है| घर में रोने की आवाज आ रही है।  पत्नी का *अंतिम दर्शन* चल रहा था। उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन: *मैं अभी जा रही हूँ अब फिर कभी नहीं मिल

नाटो के चक्कर में यूक्रेन की दुर्गति, भारत को सावधान रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया

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नाटो के चक्कर में यूक्रेन की दुर्गति, भारत को सावधान रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया अफगानिस्तान में तालिबानी शासन और अमेरिका और उसके मित्र सैनिकों की वहां से वापसी और इसके बाद तालिबानी हिंसा में मानवता को हलाल होते हमने देखा है ।  सच माना जाए तो यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बार्डन के नेतृत्व में अमेरिकी वर्चस्व की समाप्ति कहें या समाप्ति का शुभारंभ कहें, हो चुका है ।  इसके बाद अब नाटो के ही चक्कर में यूक्रेन की दुर्गति हम देख रहे हैं, उसके दो प्रांतों को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया गया है, रूस ने उसे मान्यता दे दी है और अब रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी पर शासन करने पहुंचने वाली है । कुल मिलाकर देखा जाए तो अमेरिकी ग्रुप की , अमेरिकी शक्ति केंद्र की , यह दूसरी बड़ी हार मान सकते हैं । इसलिए भारत को किसी भावावेश में नहीं आना चाहिए और वेट एंड वॉच की नीति अपनानी चाहिए । क्योंकि कि  भले ही अमेरिकी ग्रुप के पास आक्रामक सैन्य शक्ति और शक्तिशाली हथियार है । मगर  उनमें एकजुटता और तेजस्वी नेतृत्व का बड़ा अभाव प्रतीत हो रहा है।  इसलिए आने वाले समय में खतरा यह है कि साम्यवादी शक्तियां और इस्लामिक विस्तार

कमजोर अमेरिकी नेतृत्व के चलते अभी नहीं रूकेगे पुतिन - अरविन्द सिसौदिया

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कमजोर अमेरिकी नेतृत्व के चलते अभी नहीं रूकेगे पुतिन - अरविन्द सिसौदिया यह मेरा व्यक्तिगत मत है कि साम्यवादी विचारधारा के लोग समय का फायदा उठानें में बहुत तेज होते है। यही हमें वर्तमान में चीन व रूस के द्वारा देखनें में मिल रहा है। अफगानिस्तान में जैसे ही अमेरिका कमजोर पडा, सबसे पहले तालिवान की हिमाकत को चीन और रूस वहां पहुंचें । यहीं से गठजोड प्रारम्भ हुआ जिसमें रूस ने ताईवान को चीन का हिस्सा माननें की घोषणा की और इधर यूक्रेन के दो प्रांतों को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया। यूक्रेन पर हमला भी कर दिया। शी जिंगपोंग और पुतिन जानते हैं कि इस समय अमेरिका में कमजोर इच्छाशक्ति का राष्ट्रपति है, भोगोलिक फायदे उठानें का यही सही समय है। इसलिये पुतिन अभी नहीं रूकेगे। वे अपने मंसूबे पूरे कर के ही रहेंगे।  ------------------- यूक्रेन की पूरी कहानी... पुतिन कब्जा क्यों करना चाहते हैं, क्या तीसरे विश्व युद्ध का कारण बनेगा रूस? रूस यूक्रेन संकट की वास्तिव शुरुआत 2014 में हुई थी। तभी से दोनों देशों के बीच संबंध सही नहीं है। 2019 में यूक्रेन ने अपने संविधान में संशोधन कर रूस के गुस्से को और ज्यादा बढ़ा दिय

देश के दुश्मन के साथ सौदा करने का मतलब क्या है? - पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस

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  Nawab Malik in ED Custody ,Nawab Malik,Money laundering,  महाराष्ट्र की शरद पंवार की पार्टी एन सी पी के विधायक एवं महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री नवाब मलिक को 3 मार्च 2022 तक सेशंस कोर्ट ने ईडी की हिरासत में भेजा दिया है, यह गिरफतारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है। नवाब मलिक को 14 दिनों की कस्टडी की मांग की गई थी. लेकिन कोर्ट ने उन्हें आठ दिनों की कस्टडी दी गई। नवाब मलिक को गिरफ्तार करने के बाद ईडी की टीम ने उन्हें विशेष कोर्ट में पेश किया था।  सेशंस कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है कि “ ईडी कस्टडी में उन्हें घर का खाना मंगवाने की इजाजत दी रहेगी। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंधित लोगों के साथ आर्थिक लेनदेन के मामले में  उन्हे हिरासत में भेजा गया है। ईडी के पक्ष में दलील देते हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने 14 दिन की कस्टडी की मांग की थी, उन्होंने नवाब मलिक के खिलाफ दो तरह की दलील दी, कि मलिक के दाऊद इब्राहिम कनेक्शन और टेरर फंडिंग  से कनेक्शन के आरेप है। उन्होंने इस आधार पर पीएमएलए के ऐक्ट 19 के तहत कार्रवाई की मांग की । इसके जवाब में नवाब मलिक के वकील अमित देस

Kasturba Gandhi माता सीता स्वरूपा कस्तूरबा गांधी

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यह एक बहुत बड़ा सच है कि भारत में यदि राम ढूंढें तो करोड़ों में एक दो मिलते हैं। मगर माता सीता ढूंढे तो लगभग हर हिंदू के घर में माता सीता जी के दर्शन हो जाते हैं।  यही इस संस्कृति का महान संस्कार है जो इसको जीवंत बनाए हुए हैं । इसको अमरता प्रदान किए हुए हैं और इसी संस्कार रूपी अमृत  से भारतीय संस्कृति अजर और अमर है । जब महात्मा गांधी की धर्मपत्नी श्रीमती कस्तूरबा गांधी जिन्हें बा  के नाम से जानते हैं, उनकी बात चलती है , तो सामने साक्षात सीता जी के दर्शन ही होते हैं । हिंदू संस्कृति के शौर्य,सहनशीलता, पराक्रम और त्याग का ऐसा अद्भुत नाम है , जिसनें सब कुछ अपनें में संजोया वह कस्तूरबा गांधी है। ---/---- उनकी जीवनी जीवनी डॉट कॉम से साभार ली गईं है .... ----------- कस्तूरबा गांधी जीवनी  Biography of Kasturba Gandhi          पोरबंदर के गोकुलदास और व्रजकुवर कपाडिया की पुत्री के रूप में का कस्तूरबा का जन्म हुआ। 1883 में 14 साल की कस्तूरबा का विवाह, सामाजिक परम्पराओ के अनुसार 13 साल के मोहनदास करमचंद गांधी के करवा दिया गया। उनके शादी के दिन को याद करते हुए, उनके पति कहते है की, "हम उस समय

धर्मसम्राट करपात्री जी महाराज का प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को श्राप या संयोग

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*🚩 _धर्मसम्राट करपात्री जी महाराज की पुण्यतिथि (माघ शुक्ल पक्ष १४) पर शत शत नमन।_* *👉धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो - आज इस उदघोष बिना सनातन मतावलंबियों का कोई अनुष्ठान पूरा नहीं होता। नई पीढ़ी में ज्यादातर लोग इस तथ्य से अनभिज्ञ हैं कि इस उद्घोष की रचना प्रतापगढ़ की माटी से निकले महान संत स्वामी करपात्री जी महाराज ने की थी।* *🚩स्वामी करपात्री का जन्म वर्ष 1907 में श्रावण मास, शुक्ल पक्ष, द्वितीया को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के भटनी ग्राम में सनातनधर्मी सरयूपारीण ब्राह्मण रामनिधि ओझा व शिवरानी के आंगन में हुआ था। बचपन में उनका नाम हरि नारायण रखा गया था।* *🚩करपात्री महाराज ने  1926 में ब्रह्मचर्य व्रत की दीक्षा लेकर हरिद्वार चले गए। एक साल बाद हिमालय पर तपस्या की। इसके बाद संन्यास ग्रहण कर लिया। शहर के लोगों की मानें तो वर्ष 1931 में दंड ग्रहण कर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती कहलाए। 1940 में धर्मसंघ की स्थापना की और इसका मुख्यालय वृंदावन बनाया।* *🚩हरिहरानंद सरस्वती ने संस्कृत महाविद्यालय में साधना के दौरान पात्र (बर्तन) का त्याग किया।