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जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

धर्म पथ Dhram Path

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  "महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन और कर्ण का युद्ध हो रहा था, तो एक समय ऐसा आया जब कर्ण के रथ का पहिया कीचड़ में धँस गया..!" . "वह शस्त्र रथ में ही रखकर नीचे उतरा और उसे निकालने लगा। यह देखकर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को संकेत किया और उसने कर्ण पर बाणों की बौछार कर दी..!" . "इससे कर्ण बौखला गया। वह अर्जुन की निन्दा करने लगा- इस समय मैं नि:शस्त्र हूँ। ऐसे में मेरे ऊपर बाण चलाना अधर्म है..!" . "पर श्रीकृष्ण ने उसे मुँहतोड़ उत्तर देते हुए कहा- महाबली कर्ण, आज तुम्हें धर्म याद आ रहा है। पर उस दिन तुम्हारा धर्म कहाँ गया था, जब द्रौपदी की साड़ी को भरी सभा में खींचा जा रहा था। जब अनेक महारथियों ने निहत्थे अभिमन्यु को घेरकर मारा था, तब तुम्हें धर्म की याद क्यों नहीं आयी..?" . "श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपनी बाण-वर्षा और तेज करने को कहा। परिणाम यह हुआ कि कर्ण ने थोड़ी देर में ही प्राण छोड़ दिये..!" . "यह इतिहास कथा यह बताती है कि धर्म का व्यवहार केवल धर्म पर चलने वालों के लिए ही होना चाहिए । गलत व्यक्तियों का साथ देने वालों, असत्य का पक्ष लेने वालों तथ

क्या शरद पंवार शिवसेना को विभाजित ही करवाएंगे ?

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क्या शरद पंवार शिवसेना को विभाजित ही करवाएंगे ? शिवसेना सरकार के सभी वर्तमान फैसले राष्ट्रवादी कांग्रेस एनसीपी के संस्थापक  शरद पवार लेते हुए देख रहे हैं । यह इस बात को प्रमाणित कर रहा है कि महाराष्ट्र की राज्य सरकार का असल मुख्यमंत्री शरद पवार ही है और उद्धव ठाकरे प्रतीकात्मक  मुख्यमंत्री जैसे लग रहे हैं । अर्थात बागी शिवसैनिक सही कह रहे हैं कि महाराष्ट्र में असली सरकार NCP की ही है और शिवसेना के जनप्रतिनिधियों को उन्हें ढोना पढ़ रहा है । शरद पंवार एक मंजे हुये नेता हैं और सत्ता के सभी लाभों के जानकार भी हैं। विद्रोह करनें और करानें में महारत भी रखते हैं। उन्होनें स्वयं कांग्रेस से अलग होकर NCP बनाई और उन्होनें ही शिव सेना को तोड़ कर सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया था ।  शिवसेना के विभाजन का सबसे बड़ा लाभ शरद पंवार को ही होना है। क्यों कि कांग्रेस का अब जनविस्तार थम गया है, शिवसेना टूट से शरद पंवार को अपनी पार्टी के जन विस्तार का अवसर मिलेगा एवं उनके सामनें से चुनौती समाप्त होगी ।  इसलिये वे पूरी ताकत लगाए हुए हैं कि शिवसेना में फिर से एकता नहीं हो। विभाजन हो और उनके सामनें से चुनोती समाप्

गोधरा के कारण हुए थे, गुजरात दंगे , तीस्ता सीतलवाड़ नें असत्य रचनें की पद्मश्री प्राप्त की

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गोधरा मे जब साबरमती एक्सप्रेस की उन जली हुई बोगियों मे से जले हुये शवों को निकाला जा रहा था तब उनमे एक जला हुआ शव ऐसा भी था जो देखने मे तो एक  प्रतीत होता था मगर जब उसे करीब जाकर गौर से देखा तो मालूम हुआ ये जली हुई एक लाश नही बल्कि दो हैं......! एक मां अपनी दुध पीते बच्चे को अपने सीने मे चिपकाये ही जल गई थी.....! प्रशासन ने मां बच्चे की लाशो को अलग करने की कोशिश की मगर वो दोनो लाशें अलग नही की जा सकीं... बच्चे की पसलियां गलकर मां के सीने से चिपक गई थी.....! शिनाख्त ना होने पर तब प्रशासन ने दोनो की अंत्येष्टि एक साथ ही करवा दी....! कांग्रेस को गुजरात दंगे याद हैं.....!  असामाजिक देश विरोधी वामपंथी चरित्र वालों को गुजरात दंगे याद है...! मगर गोधरा मे हमारे हिंदूओ भाईयो के साथ जो निर्ममता हुई ये याद नही है....! कल जब तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात ATS ने गिरफ्तार कर लिया है तो ये बताना जरूरी हो गया है कि  आखिर कौन से है "तीस्ता सीतलवाड़"? आखिर 20 साल बाद इसे क्यो गिरफ्तार किया गया....  गुजरात दंगे क्यो और किसकी योजनाओं की हिस्सा था?  कैसे मोदीजी को इस दंगे का जिम्मेदार ठहराने की  नाका

शिवसेना, समाजवादी पार्टी : अहंकारी व्यवहार सफलता को आधा कर देता है - अरविन्द सिसौदिया

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शिवसेना, समाजवादी पार्टी : अहंकारी व्यवहार सफलता का जीवन आधा कर देता है - अरविन्द सिसौदिया              इतिहास बताता है कि अहंकार के चलते रावण का विनाश हुआ, कंस मारा गया, कौरवों का समूल नाश हो गया । मगर फिर भी कुछ वंशवादी राजकुमार अहंकारी स्वभाव का उपयोग करनें से बाज नहीं आते। भारत की राजनीति में जो भाषा अखिलेश यादव की है, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत की है, उसका लोकतंत्र में कतई स्थान नहीं है। न ही उस भाषा का कहीं भी स्वागत हो सकता है। जिस बदतमीजी को वे कर रहे हो, वही उनके साथ हो तो क्या अच्छा लगता, नहीं ना ! जो हमें अपने साथ होनें पर बुरा लगे उसे दूसरों के साथ कैसे किया जा सकता है। भारत का जनमत मानवतावादी है, शिष्टतावादी है। वह कभी भी बदतमीजों का सम्मान नहीं करता है। बल्कि वोट के समय वह इस तरह के नेताओं को सबक सिखाता है। यही हो रहा है। आगे भी होगा । सच यह है कि पायजामें का नाडा उलझ जाये तो सुलझा नहीं सकते। मगर अहंकार में भाषा येशी बोलेंगे जैसे सौ भेंसों का मस्तक एक बार में उडा देंगे । यह भाषा गलत है ! जमीन पर रहो, जमीन पर चलो। इन राजकुमारों से लाख गुणा अधिक सफल राजनेता नवीन

अल्पमत उद्धव सरकार का फ्लोर टेस्ट हो - अरविन्द सिसोदिया

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Floor test of minority Uddhav government should be done - Arvind Sisodia अल्पमत उद्धव सरकार का फ्लोर टेस्ट हो - अरविन्द सिसोदिया महाराष्ट्र में सरकार अपना बहुमत खो चुकी है , उनके पास अब सरकार को बनाए रखने और चलाए रखने के नंबर नहीं है । इस तरह की स्थिति में अल्पमत सरकार का चलाना और उस पर उद्धव का मुख्यमंत्री बनाये रखना असंवैधानिक है। महामहिम राज्यपाल महोदय संविधान के रक्षार्थ ही हैं । उन्हें बिना किसी विलम्ब के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना बहुमत साबित करनें को कहना चाहिये। यदि विधानसभा में अध्यक्ष नहीं हैं तो महामहिम किसी भी सीनियर और निष्पक्ष को अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं । विधानसभा का उपाध्यक्ष , विधायकों से निर्वाचित नहीं है, इसलिये वह अध्यक्ष की सभी शक्तियां नहीं रखता है । सीमित और अल्प शक्तियां ही उसके पास होती हैं। विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा के बाहर हुए किसी भी कार्य के लिये नोटिश जारी करने एवं निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।  महामहिम राज्यपाल महोदय को अविलंब सरकार की बहुमत स्थिति को फ्लोर पर टेस्ट करना चाहिए ।

मुख्यमंत्री योगी की सुरक्षा की अधिकतम मजबूती से की जानीं चाहिए cm yogi aaditynaath

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मुख्यमंत्री योगी की सुरक्षा की अधिकतम मजबूती से की जानीं चाहिए  योगी के हेलीकॉप्टर से पक्षी टकरा गया और इस कारण उनके हेलीकॉप्टर की आपातकाल लैंडिंग हुई और दूसरे हेलीकॉप्टर से योगी को वाराणसी से लखनऊ के लिए रवाना किया जा रहा है। समाचार गंभीर दुर्घटना का था, राहत की बात यह है कि सब कुशल मंगल है । हालांकि समाचार बहुत सामान्य सा भी है और  खतरनाक भी है । कुछ हो जाता तो, लेकिन ईश्वर की कृपा से सब कुशल है । यह घटना एक बार फिर से  हमारा ध्यान योगी जी की सुरक्षा की ओर आकर्षित करती है । कहीं ना कहीं  सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता दर्ज भी करती है। बुलडोजर न्याय के अविष्कारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निश्चित रूप से कुछ आपराधिक शक्तियों के निशाने पर हैं और उनके जीवन को लगातार बड़े खतरे बनें रहते हैं । आगे भी उनके जीवन को खतरे बने हुए हैं । केंद्र और स्टेट , दोनों की ही सुरक्षा एजेंसियों को, योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा को लेकर के बहुत अधिक संवेदनशील रहना होगा । उनके जीवन की रक्षा की बहुत अधिक चिंता करनी पड़ेगी । ये एजेंसियां यूं तो अभी भी हाई अलर्ट मोड़ पर ही होंगी ,

लोकतंत्र की रक्षार्थ सुप्रीम संज्ञान लें और संजय रावत को गिरफ्तारी के निर्देश दें - अरविन्द सिसोदिया sanjay raut ki dhamki

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लोकतंत्र की रक्षार्थ सुप्रीम  संज्ञान लें और संजय रावत को गिरफ्तारी के निर्देश दें - अरविन्द सिसोदिया शिवसेना की मान्यता समाप्त हो और अगले 6 साल तक चुनाव लड़नें पर पाबन्दी लगे -अरविन्द सिसोदिया शिवसेना प्रवक्ता संजय रावत ने आज अपने संबोधन में महाराष्ट्र की जनता के द्वारा चुने हुए 40 जन प्रतिनिधियों को एक अक्षम्य धमकी दी है और जिस तरह से पोस्टमार्टम की बात कही है । वह निश्चित रूप से उन्हें जान से मारने की धमकी है।     लोकतंत्र में इस तरह की धमकी शुद्ध अपराध और असंवैधानिक कृत्य है।  इसलिए ऐसी धमकी देने वाले व्यक्ति को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिये।  किंतु महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार स्वयं तो कोई कार्यवाही नहीं करेगी , किंतु सुप्रीम कोर्ट को लोकतंत्र की रक्षा के लिए स्वयं संज्ञान लेना चाहिए और संजय रावत को तुरंत गिरफ्तार कर जेल में डालने एवं जिन जनप्रतिनिधियों को जान से मारने की अपरोक्ष धमकी दी गई है , उनकी सुरक्षा के जिम्मेवारी तय करनी चाहिए ।  लोकतंत्र यदि धमकियों के आधार पर चलने लगेगा, तो फिर यह लोकतंत्र और  तानाशाही में फर्क ही क्या रह जायेगा । तानाशाही को रोकना, तानाशाही को समाप्त

भगत के वश में हैं भगवान bhagat ke vsh men haen bhgvan

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     *भक्ति की सरलता*           एक साधु थे उनका न कोई आश्रम न धर्मशाला न कोई ठिकाना जहाँ रात होती वही ठहर जाते और भिक्षा से जो मिलता भगवान का भोग लगाते।           वृन्दावन की दो गोपियाँ जिन्होंने कभी भगवान के दर्शन नही किये न कभी मन्दिर गयी। प्रातः दधि मक्खन गागर में भरकर ले जाती बेचती और अपनी गृहस्थी में मगन रहती।           दोनो गोपियों ने यह सुन रखा था कि साधु सन्तों के पास झोली में भगवान रहते है। एक दिन दोनों अपना दधि बेचकर यमुना के निकट आयी। वहाँ देखा कि एक साधु अपनी झोली रखकर संध्या वन्दन हेतु स्नान करने गये है  झोली एक वृक्ष के नीचे रखी है। कौतूहल वश झोली में भगवान हैं, भगवान कैसे हैं ? इस दृष्टि से दोनों ने चुपके से झोली उठाई और सारा सामान विखेर दिया, पर भगवान नही मिले। तभी उनकी नजर एक डिब्बे पर पडी। डिब्बा खोला तो देखा कि लड्डू गोपाल डिब्बे मे बन्द हैं।           एक सखी बोलो–यही भगवान हैं।            दूसरी बोली–कितने निर्दयी हैं ये सन्यासी भगवान को बन्द करके रखा है।           पहली सखी–देखो बेचारे भगवान के हाथ पैर सब टेढे हो गये हैं।           दूसरी–बेचारे बन्द जो रहते है। हाथ प

शिवसेना : बाल ठाकरे के कटृटर हिन्दुत्व से आदित्य ठाकरे के चादर चढानें तक

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शिवसेना : बाल ठाकरे के कटृटर हिन्दुत्व से आदित्य ठाकरे के चादर चढानें तक Shiv Sena: From Bal Thackeray's fanatical Hindutva to Aditya Thackeray's chadar मूल रूप से बाला साहेब ठाकरे चुनाव में विश्वास कम रखते थे और हिन्दुत्व की रक्षा के लिये तानाशाही रूख रखनें के समर्थक थे। वे हिन्दुओं को मिलीटियन्स बनने की बात भी कहा करते थे। सामान्यतौर पर वे समझौतावादी भी नहीं रहे। उनके बाद शिवसेना में बहुत कुछ बदला भी है। कभी भाजपा से ज्यादा सीटें लेनें वाली शिवसेना स्वयं सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड कर भाजपा से छोटी पार्टी बनी है। शिवसेना में यह तीसरी बगावत है, इससे पहले शरद पंवार ने ही शिवसेना में पहली बगावत करवाई थी और छगन भुजबल को उपमुख्यमंत्री बनाया था। दूसरी बगावत नारायण राणें ने की थी । यह अब तक की तीसरी और सबसे बडी बगावत है।    अब मुख्य मुद्दा कट्टर हिन्दुत्ववादी बाल ठाकरे की शिव सेना से हनुमान चालीसा पाठ पर जेल भेजनें वाली उद्धव ठाकरे की शिवसेना तक का है। निश्चित रूप से विशेलषण भी होगा स्वतंत्र चिन्तन मंथन अध्ययन भी होगा । शिवसेना अपनी मूल पहचान खोती है तो वर्तमान समय में उसे भारी कीमत

Teesta Javed Setalvad arrested तीस्ता जावेद सीतलवाड़ हुई गिरफ्तार

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 - अरविन्द सिसौदिया हमारे देश का सबसे बडा दुर्भाग्य यह है कि कुछ कानून के जानकार बडी आसानी से सच को धोका दे लेते है। झूठ का स्थापित कर देते है। जिस कोर्ट तक गरीब भारतीय को पहुंचनें में दो जन्म लेनें पडते हैं, वहां ये लोग जब चाहें तब पहुंच जाते है। सजायाफता आतंकवादी के लिये आधीरात को सर्वोच्च न्यायालय खुलवा लेते हैं। उसी तरह के लोगों में तीस्ता जावेद सीतलवाड भी है। नरेन्द्र मोदी प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी आरोपों का निरस्त करते हुये । तीस्ता सीतलवाड की जांच होना चाहिये, इस तरह की मंशा व्यक्त की है। इसी क्रम में उन्हे गिरफतार किया गया है। इस तरह के लोगों की कई गेंगस् है। वकील भी तय सुदा रहते है। इस हेतु भारी रकम की व्यवस्था भी होती है। कागज भी तैयार रहते है। इनके षडयंत्रों के विरूद्ध ठोस निर्णय सर्वोच्च न्यायालय को ही लेना होगा कि न्याय प्रक्रिया को बाईपास न कर, कानून के रास्ते का ही इस्तेमाल हो और जो छल का उपयोग करता है। उस अधिवक्ता को भी मुजरिम माना जाना चाहिये । ताकि सर्वाच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों का समय कोई बर्वाव न कर सके, कोई भी मानसिक यंत्रणा न दे सके। लगभग दो दसक न

शिवसेना,संविधान छोड,सड़क पर ! यही तो लोकतंत्र का अपमान है - अरविन्द सिसौदिया shivsena

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  शिवसेना,संविधान छोड,सड़क पर ! यही तो लोकतंत्र का अपमान है - अरविन्द सिसौदिया  शिवसेना पर बहूमत है तो फलोर टेस्ट की बात क्यों नहीं करते ? शरद पंवार तो चाहते ही यही है कि शिवसेना समाप्त हो, उनका विकास हो। ---- अन्ततः वही हुआ जिसका इंतजार था। शिवसेना के विधायक एवं सांसद तो पार्टी से नाराज होकर कोप भवन में बैठें है। उन्हे मनाने और पार्टी को संभालनें के बजाये। अपने ही विधायकों एवं सांसदों के खिलाफ शिवसेना नेतृत्व सडकों पर निबंट लेने की धमकी पर आ गया है। तोड फोड प्रारम्भ होनें वाली है। घरों पर आक्रमण होंगे । शिवसेना का यह स्वरूप पत्थरबाजों से ही मिलता माना जायेगा। लोकतंत्र में नम्बर गेम चलता है। आज तक की स्थिती में शिवसेना के हाथ से विधानसभा निकल चुकी है। उनके अधिकांश विधायक उन्हे छोड गये हैं। जिस तरह एन टी रामाराव को छोड चन्द्रबाबू नायडू को नेता चुना गया था, लगभग वही महाराष्ट्र में होनें जा रहा है। वहीं असली शिवसैनिक भी हिन्दुत्व छोड कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की गुलामी कर ही नहीं सकता। आधी शताब्दी की संर्घष यात्रा , विचारधारा के विपरीत कैसे परिवर्तित हो सकती है। हनुमान चालीसा का

हिन्दू शौर्य की महान वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस 24 जून

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रानी दुर्गावती बलिदान दिवस 24 जून रानी दुर्गावती   भारत  की  एक  प्रसिद्ध  वीरांगना  थीं, जिसने  मध्य प्रदेश  के  गोंडवाना  क्षेत्र  में  शासन  किया । उनका जन्म  5  अक्टूबर  1524  को  कालिंजर  के  राजा पृथ्वी  सिंह  चंदेल  के  यहाँ  हुआ  उनका  राज्य गढ़मंडला  था,  जिसका  केंद्र  जबलपुर  था ।  उन्होने अपने  विवाह  के  चार  वर्ष  बाद  अपने  पति  गौड़  राजा  दलपत  शाह  की  असमय  मृत्यु  के  बाद  अपने  पुत्र  वीरनारायण  को  सिंहासन  पर  बैठाकर  उसके  संरक्षक  के  रूप  में  स्वयं  शासन  करना  प्रारंभ  किया ।  इनके  शासन  में  राज्य  की  बहुत  उन्नति  हुई ।  दुर्गावती  को  तीर  तथा  बंदूक  चलाने  का  अच्छा  अभ्यास  था ।  चीते  के  शिकार  में  इनकी  विशेष  रुचि  थी ।  उनके  राज्य  का  नाम  गोंडवाना  था  जिसका  केन्द्र  जबलपुर  था ।  वे  इलाहाबाद  के  मुगल  शासक  आसफ़  खान  से  लोहा  लेने  के  लिये प्रसिद्ध  हैं । रानी  दुर्गावती  कालिंजर  के  राजा  कीर्तिवर्मन / कीर्ति सिंह  चंदेल  की  एकमात्र  संतान  थीं ।  चंदेल  लोधी राजपूत  वंश  की  शाखा  का  ही  एक  भाग  है ।  बांदा  जिले  के  कालिंजर  क

शिवसेना की महाभारत : सब कुछ तहस नहस कर दिया

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शिवसेना की महाभारत :  सब कुछ तहस नहस कर दिया दुर्योधन , धृतराष्ट्र और शकुनि ने मिलकर के सब कुछ तहस नहस कर दिया। जो कृत्य शिवसेना सरकार नें किये और जो भाषा संजय राऊत नें बोली उसकी तो कल्पना भी कभी नहीं की जा सकती थी । अब सवाल यह नहीं है कि शिवसेना सरकार रहेगी या जायेगी। सवाल यह है कि जो प्रतिष्ठा बाला साहेब ठाकरे के कारण शिव सेना की थी। वह मिट्टी में मिल गई।  महाराष्ट्र के जनमत ने तो कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस को ठुकराया था, जिन्हें विपक्ष में बैठना था , उनकी  बल्ले बल्ले हो गई, सत्ता की मलाई लूट रहे थे। जो जीता के लाये वे सामान्य से सम्मान को भी तरस गए। कट्टर हिंदू , सो टक्का हिन्दू, अपने आपको कहने वाले बाला साहब ठाकरे ने जब शिवसेना को बनाया था । तब वह हिंदुओं की रक्षक संगठन था । उन दिनों बम्बई पर मुस्लिम तस्करों की गुंडागर्दी थी, जिसका रुतबा फ़िल्म और विज्ञापन इंड्रस्ट्रीज पर भी भारी था। तब उनसे टक्कर लेने और उनसे से हिंदुओं की रक्षा शिव सेना करती थी।     किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि शिवसेना हिंदुत्व से किनारा कर के हिंदू विरोधी मानसिकता को संरक्षण दे देगी । हिंदुत्व से जु

समय ही सबसे बलवान

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये। . वहां पहुँचते  ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी। उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी। उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था। मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ?  क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ? वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ? हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पा

जहां हुआ था "जलजौहर " छबड़ा गुगोर

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गुगोर किला ,  छबड़ा जिला बारां राजस्थान । पार्वती नदी के किनारे पहाड़ी पर बना विशाल सुदृढ़ किला जो जल जौहर का साक्षी है। किले के नीचे रानी दह है जहां रानियों नें जलजौहर किया था। नदी किनारे क्षारबाग की छतरियां एवम खूबसूरत भड़का जलप्रपात है। गुगोर माताजी की प्रतिमा पूर्व में किले के अंदर ही स्थापित थी। मुस्लिम शासन में आने पर ये वर्तमान मन्दिर में स्थापित की गई। हाड़ोती के वीर हाड़ा राजवंश को भी चुनोती देने की सामर्थ्य रखने वाले खींची राजवंश के हाड़ोती में प्रवेश 12वी सदी में गागरोन से होता है। छः सदी तक हाड़ोती , मालवा के विस्तृत क्षेत्र में राज्य करते हुए महू मैदाना , शेरगढ़ होते हुए गुगोर का किला स्थापित कर 18वी सदी में हाड़ाओ से लगातार आक्रमण की वजह से खिलचीपुर , राघोगढ़ को पलायन कर जाते है। पार्वती नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित गुगोर दुर्ग देख रेख एवं सार-संभाल के अभाव में खंडहर होता जा रहा है। तीन हिस्सों में बंटा दुर्ग कई वीर गाथाओं को समेटे हुए है। वहीं किले के आसपास स्थित प्राचीन छतरियां, शतरंज का चबूतरा, रानी महल देखरेख के अभाव में खंडहर हाेते जा रहे हैं। वहीं दुर्ग के नीचे पार्वती नदी के

ये हिन्दुत्व ही है , जहाँ वनवासी की पुत्री राष्ट्रपति बनेंगी

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    चित्र :– महामहिम राष्ट्रपति प्रत्याशी "द्रौपदी मुर्मू" जी  ने सुबह सुबह शिव मन्दिर में सेवा दी फिर पूजा करकें दिन का प्रारम्भ किया। ( आज दिनांक 22 जून 2022 प्रातः काल ) ये हिन्दुत्व ही है  जहाँ डाकू ऋषि बने, जहाँ सम्राट संन्यासी बने, जहाँ वनवासी सम्राट बने, जहाँ नारियाँ योद्धा बनीं, जहाँ बालक तपस्वी बने, जहाँ गर्भ में ब्रह्मज्ञान मिला, जहाँ पृथ्वी दान में दे दी गयी, महासागरों पर सड़कें बनी, वृद्धों ने मृत्यु स्वयं चुनी, पितृतर्पण को आकाश से नदियाँ उतरीं, ऋषियों से सम्पूर्ण मानव वंश चले, समुद्र को पी लिया गया गया, अपने हाथ काटके पक्षी को खिला दिए गए, जहाँ पक्षियों का श्राद्ध किया गया, परोपकार के लिए स्वयं का बलिदान दिया गया, परोपकार के लिए संसार का संहार किया गया, पर्वत, नदी, पशु, वृक्ष पूजे गए, जहाँ भगवान् मनुष्य रूप में जन्मे, जहाँ के पत्थर विग्रह कहलाए, वीरों के धड़ बिना मस्तक लड़े, जहाँ की खड्ग ने पृथ्वी पर एकराट् शासन किया, सूर्य की केसर आभा जिसका ध्वज बनी, यही सनातनी परम्परा है जहाँ वनवासी की पुत्री राष्ट्रपति बनेंगी जय श्री राम ! 🙏🙏   ---- आदर्श       द्रौपदी मुर्

सुनिश्चित विजय की ओर अग्रसर हैं भाजपा प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मु Dropadi Murmu

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                        सुनिश्चित विजय की ओर अग्रसर हैं भाजपा प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मु         देश के सर्वाेच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई 2022 को वोटिंग है। विपक्ष की तरफ से कई बडे नामों ने बली का बकरा बनने से इंकार के बाद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं भाजपा की अगुआई वाली एनडीए ने देश की प्रथम आदिवासी राज्यपाल रहीं श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है।        भाजपा ने एक बहुत ही साधारण परिवार से महामहिम राष्ट्रपति के पद द्रोपदी मुर्मू का चयन कर भारत के आम जनमानस के दिल को जीत लिया है। वहीं पहलीबार आदिवासी समूह को यह प्रतिष्ठा मिलने जा रही है, जो कि सम्पूर्ण आदिवासी समाज में भाजपा का जनाआधार को बढायेगा एवं उनके प्रति सदभावना को संप्रेषित करेगा। इसी के साथ देश की आधी आबादी महिला वर्ग जो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति कृतज्ञ है में एक बार पुनः मोदीजी की लोकप्रियता को बढानें वाला है। इसी के साथ इस निर्णय के साथ उडीसा प्रांत की सरकार चला रहे बीजू जनता दल के साथ आजानें से श्रीमती द्रोपदी मुर्मू की विजय भी सुनिश

भाजपा गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू

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*कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?* द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं. मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं. उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं. 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थीं. मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं. द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी. ओडिशा विधान सभा ने द

कट्टर हिन्दुत्ववादी विचारधारा छोडनें से शिवसेना दो फाड हो गई - अरविन्द सिसौदिया

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कट्टर हिन्दुत्ववादी विचारधारा के चलते शिवसेना दो फाड - अरविन्द सिसौदिया Shivsena splits due to radical Hindutva ideology - Arvind Sisodia परिणाम कुछ भी हो मगर दूध फट चुका है। शिवसेना को मुम्बई महानगरपालिका में नुकसान उठाना पड सकता है। जब से शिवसेना ने कांग्रेस के साथ मिल कर महाराष्ट्र में राज्य सरकार बनाई है तब से ही शिवसेना के कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों में आक्रोश भी है और विरोध भी है। किन्तु राज्य सरकार के मुख्यमंत्री के नाते यह अभी तक दवाया हुआ था। कितु हनुमान चालीसा विवाद उवं सांसद नवनीत राणा की जेल यात्रा के बाद यह विस्फोट प्रगट हो गया । पहले राज्यसभा चुनाव और अब एमएलसी चुनावों में नतीजों के रूप में सामनें भी आ गया। दावा किया जा रहा है कि शिंदे का साथ 35 से ज्यादा विधायक है। अगर ऐसा हुआ तो शिवसेना दो-फाड़ हो सकती है। शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे सिर्फ हिन्दूवादी ही नहीं थे बल्कि वे इससे भी दो कदम आगे बड कर यह कहने का सहास रखते थे कि हां हमने बाबरी ढांचा ढहाया है। कट्टर हिन्दू वादी शिवसेना ने जब कांग्रेस के साथ मिल कर राज्य सरकार बनाई थी तब भी यह आशंका उभरी थी। माना जा