श्रृद्धांजली:मुकेश: दुनिया से जाने वाले जाने चले जाते हैं कहां...



श्रृद्धांजली
दुनिया से जाने वाले जाने चले जाते हैं कहां................
प्रसिद्ध गायक मुकेश ( मुकेशचन्द्र माथुर, दिल्ली ) हमारे बीच से वर्षों पहले ( 27 अगस्त 1976) से जा चुके हैं। मगर ऐसा लगता है जैसे कल की तो बात है। उनकी पुण्यतिथि 27 अगस्
त होती है। यह दिन उनको चाहने वालों के लिये खास होता है। उने गाये गीत होंगें और उनकी मीठी मीठी यादें होंगीं...उनका एक गीत “ओ जाने वाले हो सके तो लौटके आना...“ एवं दुनिया से जाने वाले जाने चले जाते हैं कहां, तथा सब कुछ सीखा हमनें न सीखी होशयारी, सच है दुनिया वालों कि हम हैं अनाडी, सारे दिन बजेगें। उनके गम भरे नगमों ने तो झाूम मचा दी थी। राजकपूर और मुकेश की आवाज एक दूसरे की पर्याय थी। पुण्यतिथि पर उन्हे शत शत नमन..!!!

इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
दूजे के होंठों को, देकर अपने गीत
कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जायेगा ...


अनहोनी पग में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए 
ये बिरहा ये दूरी, दो पल की मजबूरी
फिर कोई दिलवाला काहे को घबराये, तरम्पम,
धारा, तो बहती है, बहके रहती है
बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल
एक दिन


परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी
थाम के तेरे मेरे मन की डोरी
ये डोरी ना छूटे, ये बन्धन ना टूटे
भोर होने वाली है अब रैना है थोड़ी, तरम्पम,
सर को झुकाए तू, बैठा क्या है यार
गोरी से नैना जोड़, फिर दुनिया से 
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