ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां - भजन


भजन - ठुमक चलत रामचंद्र
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..

किलकि किलकि उठत धाय
गिरत भूमि लटपटाय .
धाय मात गोद लेत
दशरथ की रनियां ..

अंचल रज अंग झारि
विविध भांति सो दुलारि .
तन मन धन वारि वारि
कहत मृदु बचनियां ..

विद्रुम से अरुण अधर
बोलत मुख मधुर मधुर .
सुभग नासिका में चारु
लटकत लटकनियां ..

तुलसीदास अति आनंद
देख के मुखारविंद .
रघुवर छबि के समान
रघुवर छबि बनियां ..

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले आरोप झूठे, बेबुनियाद और जनता को गुमराह करने वाले हैं। - अरविन्द सिसोदिया

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

मोदीजी के नेतृत्व में भारत सबसे तेजगति की आर्थिकशक्ति - अरविन्द सिसोदिया

"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग