बाबा निरंजननाथ : मां की मन्नत पूरी करने के लिए बने संन्यासी




मां की मन्नत पूरी करने के लिए बने संन्यासी,
हाईटेक हैं ये पोस्ट ग्रेजुएट बाबा

पंकज वैष्णव |    May 11, 2014,

जब जन्मे और शब्द तक नहीं थे, तब मां ही तो थी जो हमारी हर जरूरत समझती। प्यार ही उसकी बोली और भाषा थी, जिससे वह सब कुछ समझती-समझाती। वही पहली गुरु बनी और वही थी, जिसने हमें स्कूल-कॉलेजों के दूसरे गुरुजन से जोड़ा। कभी प्यार भरी थपकी तो कभी चिंता भरी फटकार। परीक्षा हमारी और रातों को जागने का इम्तिहान उसका। ऐसी ही तो है मां। बच्चों के साथ हरपल। आज (रविवार को) वल्र्ड मदर्स डे है। इस मौके पर दैनिक भास्कर लाया है उन लोगों की कहानी, जिनकी जिंदगी मां ने बदली है...

कोटा के धाकडख़ेड़ी में आश्रम चलाने वाले बाबा निरंजननाथ की कहानी
वह 6 साल का था कि मां चल बसी। उम्र 50 की हुई, तब पिता ने मां की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा था कि तेरी मां ने पहले चार बेटे खोए थे। तुम्हारे बड़े भाई ईश्वर सिंह, तुम, वीरेंद्र और सुरेंद्र भी बीमार रहते थे। बेटों को जिंदा रखने की चाह में कई तीर्थ भटकी थी वह और कई देवरे धोगे। एक जगह मन्नत मांग ली। कहा- बड़े बेटे को जिंदा रखना, छोटे बेटों में से एक को संत बनाऊंगी। मां की इस मन्नत को दिलो-दिमाग में रखते हुए वह संन्यासी हो गया। यह कहानी है बाबा निरंजन नाथ की, जो कभी नरेंद्र कुमार मेघ के नाम से जाने जाते थे।

पिछले दिनों उदयपुर प्रवास के दौरान उन्होंने भास्कर से अपने जीवन की कहानी साझा की। कोटा में आश्रम चलाने वाले निरंजन नाथ 20 बच्चों को निशुल्क वेद शिक्षा दे रहे हैं। बाबा निरंजननाथ बताते हैं कि पिता ने 1999 में निधन से पहले कहा था कि दीक्षा ले लो, मां की मन्नत पूरी हो जाएगी। इस पर वे कोटा डैम वाले बाबा बालकनाथ के सानिध्य में 5 साल रहे। फिर 1 जून 2008 को नाथ संप्रदाय की कुंडल दीक्षा ली। यह इस मत की सबसे बड़ी दीक्षा है।

प्रचारक रहते गांव-गांव घूमे
नरेंद्र मेघ उदयपुर में संघ विभाग प्रचारक लक्ष्मण सिंह शेखावत, तत्कालीन जिला प्रचारक हस्तीमल के संपर्क में आए। इनके प्रभाव से 1973 को वल्लभनगर व मावली, 1974 को नाथद्वारा व कांकरोली नगर प्रचारक रहे। आपात काल में 18 दिसंबर 1973 को गिरफ्तार हुए। उदयपुर जेल में 15 महीने रहने के बाद 1975 में जिला प्रचारक रहे। मार्च 1977 तक मीसा में नजरबंद रहे और 1977 में जोधपुर व 1978 में श्रीगंगानगर के नगर प्रचारक बने। उन्हें 15 अगस्त 1983 को कोटा विभाग प्रचारक बनाया गया। 1991 में भारतीय किसान संघ का प्रदेश संघटन मंत्री, 1994 में अखिल भारतीय मंत्री बने। तब से लगातार 20 साल से आवरगढ़ पर महाराणा प्रताप के होली उत्सव में शामिल होते हैं।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सनातन हिंदू ही ईश्वर और उसकी लीलाओं को पढ़ सका - अरविन्द सिसोदिया

भजन - मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी shiv bhajan Adiyogi

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आमजन को जल संरक्षण से जोड़ा - राकेश जैन bjp kota rajasthan

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाखा में जाने के लाभ

पाकिस्तानी मुनीर को बुलाने पर ट्रंप की अमरीका में ही आलोचना trnp Amerika

महान स्वतंत्रता सेनानी रानी झाँसी लक्ष्मी बाई lakshmi bai