*26/11 मुंबई आतंकी हमला: 10 आत्मघाती हमलावर मुंबई में हथियारों से लैस होकर घुसे। सीरियल बम धमाकों के अलावा आतंकियों ने कई जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग की। आतंकियों ने नरीमन हाउस, होटल ताज और होटल ओबेराय को कब्जे में ले लिया था। इसमें कुल 166 लोग मारे गए थे और 293 लोग घायल हुए थे। आतंकी कसाब पकड़ा गया था, जबकि नौ आतंकी मारे गए।
*12 मार्च 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट: पूरे मुंबई में सीरियल धमाके हुए। इन धमाकों के पीछे दाउद इब्राहिम और डी कंपनी का हाथ था। इसमें 257 लोग मारे गए थे, जबकि 713 लोग घायल हुए थे।
*24 सितंबर 2002 अक्षरधाम मंदिर पर हमला: लश्कर और जैश ए मोहम्मद के 2 आतंकी मुर्तजा हाफिज यासिन और अशरफ अली मोहम्मद फारुख दोपहर 3 बजे अक्षरधाम मंदिर में घुस गए। ऑटोमैटिक हथियारों और हैंड ग्रेनेड से उन्होंने वहां मौजूद लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया। इसमें 31 लोग मारे गए जबकि 80 लोग घायल हो गए थे।
*29 अक्टूबर 2005 दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट: दीवाली से 2 दिन पहले आतंकियों ने 3 बम धमाके किए। 2 धमाके सरोजनी नगर और पहाड़गंज जैसे मुख्य बाजारों में हुए। तीसरा धमाका गोविंदपुरी में एक बस में हुआ। इसमें कुल 63 लोग मारे गए जबकि 210 लोग घायल हुए थे।
*11 जुलाई 2006 मुंबई ट्रेन धमाका: मुंबई की लोकल ट्रेनों में अलग-अलग 7 बम धमाके हुए थे। सभी फर्स्ट क्लास कोच में बम रखे गए थे। इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ था। इसमें कुल 210 लोग मारे गए थे और 715 लोग जख्मी हुए थे।
*13 मई 2008 जयपुर ब्लास्ट: 15 मिनट के अंदर 9 बम धमाकों से पिंक सिटी लाल हो गई थी। इन धमाकों में कुल 63 लोग मारे गए थे जबकि 210 लोग घायल हुए थे।
*30 अक्टूबर 2008 असम में धमाके: राजधानी गुवाहाटी के विभिन्न जगहों पर कुल 18 धमाके आतंकियों ने किए। इन धमाकों में कुल 81 लोग मारे गए जबकि 470 लोग घायल हुए।
*13 दिसंबर 2001 भारतीय संसद पर हमला: लश्कर ए तैयबा और जैश मोहम्मद के 5 आतंकी भारत के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले संसद भवन परिसर में घुस गए। हालांकि सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया और आतंकी अपने मंसूबे में नाकाम हो गए। हमले के समय संसद भवन में 100 राजनेता मौजूद थे। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी और 3 संसद भवन कर्मी मारे गए।
*14 फरवरी 1998 कोयम्बटूर धमाका: इस्लामिक ग्रुप अल उम्माह ने कोयम्बटूर में 11 अलग-अलग जगहों पर 12 बम धमाके किए। इसमें 200 लोग घायल हुए जबकि 60 लोग मारे गए।
*1 अक्टूबर 2001 जम्मू कश्मीर विधानसभा भवन पर हमला: जैश ए मोहम्मद ने 3 आत्मघाती हमलावरों और कार बम की सहायता से भवन पर हमला किया। इसमें 38 लोग मारे गए।
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#लखनऊ#उत्तर प्रदेश पंजाब के गुरदासपुर में सोमवार को हुए आतंकी हमले से एक बार फिर देश दहल गया है. इससे हमले ने देश में आतंकी खतरे का बड़ा संकेत दिया है.
पंजाब के दीनानगर कस्बे में सोमवार सुबह आतंकवादियों ने लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 12 लोगों की मौत की खबर आ रही है. इस आतंकी हमले में कई लोगों के घायल होने की सूचना भी मिल रही है. घायलों में पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इस मुठभेड़ में एक आतंकी के मारे जाने की भी खबर आ रही है. मिली जानकारी के मुताबिक आतंकी हमले की जवाबी गोलीबारी में पंजाब पुलिस के एसपी शहीद हो गए हैं.
लेकिन यह कोई पहला मौका नहीं है, जब देश कोई आतंकी हमला झेल रहा है. इससे पहले भी भारत को कई आतंकी हमलों से दहल उठा है. आइए भारत पर हुए अब तक के आतंकी हमलों पर एक नजर डालते हैं :
4 जून 2015 मणिपुर में पुलिसवालों पर हमला
मणिपुर के चंदेल जिले में आतंकियों ने पुलिसवालों के काफिले पर हमला कर दिया, जिसमें 20 जवान शहीद हुए थे.
28 दिसंबर 2014 चर्च स्ट्रीट बम धमाका
बेंगलुरू के चर्च स्ट्रीट इलाके में बम धमाका हुआ था. इस ब्लास्ट में एक शख्स की मौत हुई थी.
21 फरवरी 2013 हैदराबाद सीरियल ब्लास्ट
हैदराबाद में सीरियल ब्लास्ट हुए, जिसमें 16 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
26/11 मुंबई आतंकी हमला
10 आत्मघाती हमलावर मुंबई में हथियारों से लैस होकर घुसे. सीरियल बम धमाकों के अलावा आतंकियों ने कई जगहों पर अंधाधुंध फायरिंग की. आतंकियों ने नरीमन हाउस, होटल ताज और होटल ओबेराय को कब्जे में ले लिया था. इसमें कुल 166 लोग मारे गए थे और 293 लोग घायल हुए थे. आतंकी कसाब पकड़ा गया था, जबकि नौ आतंकी मारे गए थे.
13 जुलाई 2011 मुबंई सीरियल ब्लास्ट
मुंबई के तीन इलाकों में सीरियल ब्लास्ट हुए, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई और 130 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
13 फरवरी 2010 पुणे का जर्मन बेकरी ब्लास्ट
पुणे के जर्मन बेकरी में ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई थी और 60 लोग घायल हुए थे.
26 नवंबर 2008 मुंबई में फायरिंग
10 आतंकियों ने पूरी मुंबई को हिलाकर रख दिया. इन आतंकियों ने कई इलाकों में अंधाधुध फायरिंग की थी, जिसमें 171 लोगों की मौत हुई थी और 250 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
30 अक्टूबर 2008 असम में धमाके
राजधानी गुवाहाटी के विभिन्न जगहों पर कुल 18 धमाके आतंकियों ने किए थे. इन धमाकों में कुल 81 लोग मारे गए, जबकि 470 लोग घायल हुए.
13 सितंबर 2008 में दिल्ली में हुए ब्लास्ट
दिल्ली के कई बड़े बाजारों में सीरियल ब्लास्ट हुए, जिसमें 21 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए.
26 जुलाई 2008 अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट में 45 लोगों की मौत और 150 लोग घायल हुए थे.
13 मई 2008 जयपुर ब्लास्ट
15 मिनट के अंदर 9 बम धमाकों से पिंक सिटी लाल हो गई थी. इन धमाकों में कुल 63 लोग मारे गए थे जबकि 210 लोग घायल हुए थे.
26 मई 2007 गुवाहाटी बम धमाके
गुवाहाटी में हुए धमाकों में 6 लोगों की मौत और 30 लोग घायल हुए थे.
8 सितंबर 2006 मालेगांव बम ब्लास्ट
महाराष्ट्र के मालेगांव की एक मस्जिद के पास बम ब्लास्ट, 37 लोगों की मौत और 125 घायल.
11 जुलाई 2006 मुंबई ट्रेन धमाका
मुंबई की लोकल ट्रेनों में अलग-अलग 7 बम धमाके हुए थे. सभी फर्स्ट क्लास कोच में बम रखे गए थे. इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ था. इसमें कुल 210 लोग मारे गए थे और 715 लोग जख्मी हुए थे.
7 मार्च 2006 वाराणसी में हुए आतंकी हमले
वाराणसी में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हो गए थे.
29 अक्टूबर 2005 दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट
दीवाली से दो दिन पहले आतंकियों ने 3 बम धमाके किए. 2 धमाके सरोजनी नगर और पहाड़गंज जैसे मुख्य बाजारों में हुए. तीसरा धमाका गोविंदपुरी में एक बस में हुआ. इसमें कुल 63 लोग मारे गए जबकि 210 लोग घायल हुए थे.
15 अगस्त 2004 असम में ब्लास्ट
असम में ब्लास्ट हुआ जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई. इनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे शामिल थे.
25 अगस्त 2003 मुंबई में दोहरे कार धमाके
मुबंई में हुए दोहरे कार धमाके में 52 लोगों की मौत हो गई थी और 150 लोग घायल हो गए थे.
14 मई 2002 जम्मू के आर्मी कैंट पर आतंकी हमला
जम्मू के पास आर्मी कैंट पर आतंकी हमले में 30 लोगों की मौत हो गई थी.
24 सितंबर 2002 अक्षरधाम मंदिर पर हमला
लश्कर और जैश ए मोहम्मद के 2 आतंकी मुर्तजा हाफिज यासिन और अशरफ अली मोहम्मद फारुख दोपहर 3 बजे अक्षरधाम मंदिर में घुस गए. ऑटोमैटिक हथियारों और हैंड ग्रेनेड से उन्होंने वहां मौजूद लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया. इसमें 31 लोग मारे गए जबकि 80 लोग घायल हो गए थे.
13 दिसंबर 2001 भारतीय संसद पर हमला
लश्कर ए तैयबा और जैश मोहम्मद के 5 आतंकी भारत के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले संसद भवन परिसर में घुस गए. हालांकि सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया और आतंकी अपने मंसूबे में नाकाम हो गए. हमले के समय संसद भवन में 100 राजनेता मौजूद थे. इस हमले में 6 पुलिसकर्मी और 3 संसद भवन कर्मी मारे गए.
1 अक्टूबर 2001 जम्मू कश्मीर विधानसभा भवन पर हमला
जैश ए मोहम्मद ने 3 आत्मघाती हमलावरों और कार बम की सहायता से भवन पर हमला किया. इसमें 38 लोग मारे गए.
14 फरवरी 1998 कोयम्बटूर धमाका
इस्लामिक ग्रुप अल उम्माह ने कोयम्बटूर में 11 अलग-अलग जगहों पर 12 बम धमाके किए. इसमें 200 लोग घायल हुए जबकि 60 लोग मारे गए थे.
12 मार्च 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट
पूरे मुंबई में सीरियल धमाके हुए. इन धमाकों के पीछे दाउद इब्राहिम और डी कंपनी का हाथ था. इसमें 257 लोग मारे गए थे, जबकि 713 लोग घायल हुए थे.
23 जून 1985 में एयर इंडिया के बोइंग 747-237B को बम से उड़ा दिया था
पंजाब के आतंकी गुट ने एयर इंडिया के बोइंग 747-237B कनिष्क विमान को 31,000 फीट की ऊंचाई पर बम से उड़ा दिया गया था. इस विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे.
मेरे टिवीटर एकाउन्ट को अधिक से अधिक फोलो करके विचार अभियान को विस्तार प्रदान करें - अरविन्द सिसौदिया इसे फोलो करें - Arvind S Sisodia @ArvindSSisodia https://x.com/ArvindSSisodia ध्येय साधना अमर रहे। ध्येय साधना अमर रहे। अखिल जगत को पावन करती त्रस्त उरों में आशा भरती भारतीय सभ्यता सिखाती गंगा की चिर धार बहे। इससे प्रेरित होकर जन-जन करे निछावर निज तन-मन-धन पाले देशभक्ति का प्रिय प्रण अडिग लाख आघात सहे। भीती न हमको छू पाये स्वार्थ लालसा नहीं सताये शुद्ध ह्नदय ले बढते जायें धन्य-धन्य जग आप कहे। जीवन पुष्प चढा चरणों पर माँगे मातृभूमि से यह वर तेरा वैभव अमर रहे माँ। हम दिन चार रहें न रहे। ------------- English :- dhyeya sādhanā amara rahe | dhyeya sādhanā amara rahe | akhila jagata ko pāvana karatī trasta uroṁ meṁ āśā bharatī bhāratīya sabhyatā sikhātī gaṁgā kī cira dhāra bahe | isase prerita hokara jana-jana kare nichāvara nija tana-mana-dhana pāle deśabhakti kā priya praṇa aḍiga lākha āghāta sahe | bhītī na hamako chū pāye svārtha lāla...
बालपन से 'आप कौन से राजपूत हैं 'का जवाब 'मैं सेंगर राजपूत हूँ 'कहते हैं तब मन में जिज्ञासा होती है कि सेंगर, राजपूत कौन हैं । जिनके हम वंशज हैं। मेरे मामाजी सेंगर हैं सो .... फिर मैंने राजपूतों विशेषकर सेंगर राजपूतों के उद्भव, विस्तार और वर्तमान को उपलब्ध साक्ष्यों, परम्पराओं, कुलधर्मिता, श्रुतियों, पौराणिक कथाओं और राजपूतों के उपलब्ध इतिहास को देखा, सुना,पढ़ा। फलतः मैंने इस राजवंश को त्रेतायुगीन श्रृंगी ऋषि से प्रारम्भ होकर आज सम्पूर्ण अविभाजित भारत व श्रीलंका तक विस्तारित पाया। चूँकि कोई क्रमबद्ध इतिहास सुलभ नहीं है अतः टूटी कड़ियों को जोड़ कर 'निश्चित रूप से ऐसा ही था 'वाला इतिहास नहीं बनाया जा सकता। लेकिन मुझे अपने प्रयास से बहुत ही आत्मसंतुष्टि मिली कि हमारी वंश परम्परा कुछ ऐसे ही यहाँ तक पहुँची है। आइए चलते हैं इस वंश यात्रा पर विहंगम दृष्टि डालने। क्षत्रिय कौन, फिर सेंगर क्षत्रिय कौन -- हमारे सनातन धर्म या जीवन पद्धति में स्वभावज गुणों से प्रेरित कर्मों के आधार पर मानव समाज को चार वर्णों; अर्थात ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र; में विभाजित किया गया है। ...
Om G Bhai Sab मित्रों आज शिवाजी जयंती है। 1303 इ. में मेवाड़ से महाराणा हम्मीर के चचेरे भाई सज्जन सिह कोल्हापुर चले गए थे। इन्ही की 18 व़ी पीढ़ी में छत्रपति शिवाजी महाराज पैदा हुए थे। ये सिसोदिया थे। सिसोदिया राजपूत वंश के कुलनायक महाराणा प्रताप के वंशज छत्रपति शिवाजी महाराज की आज जयंती है ... शूरवीरता के साक्षात अवतार लोकराज के पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज के इस जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें ----------------------- राज्याभिषेक सन् १६७४ तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे। पश्चिमी महारष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। शिवाजी के निजी सचीव बालाजी आव जी ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और उन्होंने ने काशी में गंगाभ नमक ब्राहमण के पास तीन दूतो को भेजा, किन्तु गंगा ने प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे , उसने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभ...
Arvind Sisodia 9414180151 लगभग 5000 वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध और उस समय का महान धर्म ग्रंथ महाभारत इस बात का सबूत है कि हम भारत थे,हम भारत ही हैं और भारत ही रहेंगे। जिनकी विदेशी गुलामी की सोच रही , जिन्होने ब्रिटेन से गुप्त संधि की थी वे ही इण्डिया शब्द के खैर ख्वाह थे , इसका विरोध संबिधान सभा में तब भी हुआ था और आज भी कोई स्विकार्यता नहीं है। महज संबिधान में होनें से मजबूरी मात्र है.... - अरविन्द सिसौदिया आर्या एक देव कन्या थी जिनका एक ऋषि पुत्र से विवाह हुआ था,उसकी संतती आर्य कहलाई है, इनमें देवत्व के गुणों के साथ अनेकों पीढ़ियों तक साम्राज्य किया है। इसलिये हम सभी आर्य कहलाते हैं। इसी कारण वेदमर्मज्ञ एवं वेदों का अनुवाद करनें वाल स्वामी दयानन्द सरस्वती नें आर्य समाज की स्थापना की थी। याद रखिये जब तमाम विश्व की सभ्यतायें जंगली और सामाजिक उत्थान का संर्घष कर रहीं थीं , तब भारत का समृद्ध ज्ञान सप्त़षि मण्डल की यात्रा करता था, नक्षत्रों की रचना पर अघ्ययन करता था। अपने महानपूर्वजों के अनुसंधान पर शक करने के बजाये उसे और आगे बढायें। बहुत कम लोग जानते हैं कि हिमालय का मतलब हिन्दुकुश पर्...
Arvind Sisodia: विचार - सनातन हिंदू ही ईश्वर और उसकी लीलाओं को पढ़ सका तथ्य - सनातन हिंदू धर्म में ईश्वर और उनकी लीलाओं को समझने और उनकी पूजा करने के लिए गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराएं हैं। हिंदू धर्म में ईश्वर को विभिन्न रूपों और अवतारों में पूजा जाता है, और उनकी लीलाओं को पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है। हिंदू धर्म में ईश्वर की लीलाओं को समझने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि: - *पुराण*: पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जो ईश्वर की लीलाओं और अवतारों की कहानियों को वर्णित करते हैं। - *भक्ति*: भक्ति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जिसमें भक्त ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करते हैं। - *योग और ध्यान*: योग और ध्यान हिंदू धर्म में आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर के साथ एकता प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीके हैं। हिंदू धर्म में ईश्वर की लीलाओं को समझने और उनकी पूजा करने के लिए विभिन्न संप्रदाय और परंपराएं हैं, और यह धर्म अपनी विविधता और समृद्धि के लिए जाना जाता है। -------- सनातन धर्म को सम...
shiv bhajan - maun se sab kah rahe hain aadiyogee भजन - मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी shiv Bhajan - Adiyogi is saying everything with silence भजन - मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी दूर उस आकाश की गहराइयों में, एक नदी से बह रहे हैं आदियोगी, शून्य सन्नाटे टपकते जा रहे हैं, मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी, योग के स्पर्श से अब योगमय करना है तन-मन, साँस सास्वत सनन सनननन, प्राण गुंजन धनन धन-धन, उतरे मुझमे आदियोगी, योग धारा चलत छण छण, साँस सास्वत सनन सनननन, प्राण गुंजन धनन धन-धन, उतरे मुझमे आदियोगी, उतरे मुझमे आदियोगी.. पीस दो अस्तित्व मेरा, और कर दो चूरा चूरा, पूर्ण होने दो मुझे और, होने दो अब पूरा पूरा, भस्म वाली रस्म कर दो आदियोगी, योग उत्सव रंग भर दो आदियोगी, बज उठे यह मन सितरी, झणन झणन झणन झणन झन झन, साँस सास्वत सनन सनननन, प्राण गुंजन धनन धन-धन.. साँस सास्वत सनन सनननन, प्राण गुंजन धनन धन-धन.. साँस सास्वत सनन सनननन, प्राण गुंजन धनन धन-धन.. साँस सास्वत.. प्राण गुंजन.. उतरे मुझमे आदियोगी, योग धारा छलक छन छन, साँस सास्वत सनन सनननन, प्राण गुंजन धनन धन-धन, उतरे मुझमे आदियोगी.. उतरे ...
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आमजन को जल संरक्षण से जोड़ा - राकेश जैन 26 जून को संकल्प से सिद्धि के तहत वृहद् जिला स्तरीय कार्यशाला आगामी कार्यक्रम को लेकर, भाजपा की बैठक सम्पन्न- राकेश जैन कोटा 18 जून। भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान में चल रहे कार्यक्रमों की समीक्षा एवं आगामी कार्यक्रमों की तैयारियों को लेकर जिलाध्यक्ष राकेश जैन की अध्यक्षता में जी.एम.ए.प्लाजा सभागार, जी.एम.ए.प्लाजा में भाजपा कोटा शहर की संगठनात्मक बैठक सम्पन्न हुई। समीक्षा बैठक में मंचस्थ भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश जैन, नेताप्रतिपक्ष एवं संयोजक वन्दे गंगा जल अभियान विवेक राजवंशी, पूर्व जिला अध्यक्ष कृष्णकुमार सोनी रामबाबू, योगगुरु परमानंद वर्मा, प्रदेश सहसंयोजक मीडिया विभाग अरविन्द सिसोदिया, पार्षद एवं कार्यक्रम संयोजक गोपालराम मंडा एवं जिला उपाध्यक्ष रितेश चित्तौडा रहे। जिलाध्यक्ष राकेश जैन ने पार्टी के आगामी कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि " संकल्प से सिद्धि (9-21 जून) कार्यक्रम के तहत पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड, स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा के मुख्य आतिथ्य में, 2...
आरएसएस ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) की शाखा स्वंय सेवकों को अनुशासन में रहना सिखाती है। शाखा के माध्यम से स्वयंसेवकों का मानसिक, शारीरिक व बौद्धिक विकास कराया जाता है। स्वयंसेवकों को बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत के भू-भाग को भारत माता मानता है एवं संपूर्ण विश्व को वसुधैव कटुंबकम् के रुप में देखता है। संघ का मुख्य उद्देश्य सेवा कार्य है एवं संघ राष्ट्रभक्ति की कार्यशाला है। स्वयंसेवकों को राष्ट्र के प्रति समर्पित एवं सर्वस्पर्शी बनाने में तत्पर रुप से लगा हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने के 10 लाभ: 1. सुबह 5 बजे उठने की आदत पड़ती है और सूर्योदय देखने का अवसर प्राप्त होता है। 2. शारीरिक मानसिक व्यायाम करने का अवसर मिलता है जिससे तनाव और अवसाद दूर होता है 3. नए लोगों से संपर्क होता है फलस्वरूप बौद्विक स्तर बढ़ता है और बातचीत की शैली अच्छी होती है। 4. हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और मानवीय मूल्यों का विकास होता है। 5. जातिवाद भाषावाद क्षेत्रवाद की भावना समाप्त होती है और राष्ट्रवाद की भावना बढ़ती हैं। 6. सनातन धर्म और सनातन संस्कृति का ज्ञान तथा सनातन ...
US: 'आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश पाकिस्तान', मुनीर को अमेरिका बुलाए जाने पर पेंटागन के पूर्व अधिकारी रुबिन सार पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किए जाने पर पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने अपनी राय रखी। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश बताया। उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना भी की, और कहा कि उन्हें इतिहास की गहरी समझ नहीं है। रुबिन ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा चालाकी और धोखे से अपने फायदे के लिए काम करता है। वह अक्सर अमेरिका से दोस्ती का दिखावा करता है, ताकि खुद को बचा सके। विस्तार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की। मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किए जाने पर पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा चालाकी और धोखे से अपने फायदे के लिए काम करता है। यह एक ऐसा देश है जो आतंकवाद को बढ़ावा देता है और...
17 जून/बलिदान-दिवस खूब लड़ी मर्दानी वह तो.... भारत में अंग्रेजी सत्ता के आने के साथ ही गाँव-गाँव में उनके विरुद्ध विद्रोह होने लगा; पर व्यक्तिगत या बहुत छोटे स्तर पर होने के कारण इन संघर्षों को सफलता नहीं मिली। अंग्रेजों के विरुद्ध पहला संगठित संग्राम 1857 में हुआ। इसमें जिन वीरों ने अपने साहस से अंग्रेजी सेनानायकों के दाँत खट्टे किये, उनमें झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम प्रमुख है। 19 नवम्बर, 1835 को वाराणसी में जन्मी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मनु था। प्यार से लोग उसे मणिकर्णिका तथा छबीली भी कहते थे। इनके पिता श्री मोरोपन्त ताँबे तथा माँ श्रीमती भागीरथी बाई थीं। गुड़ियों से खेलने की अवस्था से ही उसे घुड़सवारी, तीरन्दाजी, तलवार चलाना, युद्ध करना जैसे पुरुषोचित कामों में बहुत आनन्द आता था। नाना साहब पेशवा उसके बचपन के साथियों में थे। उन दिनों बाल विवाह का प्रचलन था। अतः सात वर्ष की अवस्था में ही मनु का विवाह झाँसी के महाराजा गंगाधरराव से हो गया। विवाह के बाद वह लक्ष्मीबाई कहलायीं। उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा। जब वह 18 वर्ष की ही थीं, तब राजा का देहान्त हो गया। दुःख की ...
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