सिरेंडर पार्टी और शत्रु परस्त पार्टी तो कांग्रेस है
सिरेंडर पार्टी तो कांग्रेस है - अरविन्द सिसोदिया
सिरेंडर पार्टी और शत्रु परस्त पार्टी तो कांग्रेस है - अरविन्द सिसोदिया
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भारत के इतिहास में शत्रुओं के सामने निरंतर सिरेंडर करने वाली पार्टी कांग्रेस ही है, जिसने हमेशा ही राष्ट्रीयहितों के साथ समझौता किया और शत्रुओं को फायदा पहुंचाया। और लगातार पाकिस्तान, चीन और भारत विरोधी ताकतों को आवाज राहुल गाँधी बने हुये हैँ। यहाँ कुछ तथ्यों पर प्रकाश डाला जा रहा है, जो सभी भारतियों के ध्यान में होना चाहिए।
- स्वामी श्रद्धानंद जी की हत्या के मामले में कांग्रेस ने सिरेंडर किया।
- अखंड भारत की स्वतंत्रता की शपथ की पूर्ति किये बिना अंग्रेजों और मुस्लिम लीग के सामने बंटबारा स्वीकार कर सिरेंडर किया।
- बंटबारे के बाद हुये कबाईली हमले को युद्ध जीते बिना सिरेंडर किया और नतीजतन pok पाक के कब्जे में है।
- जो अधिकार भारत को तिब्बत पर थे उन अधिकारों को चीन के सामने सिरेंडर किया। यह सिरेंडर भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है।
- 1960 में सिंधु नदी का 80 प्रतिशत पानी शत्रु राष्ट्र को देकर समृद्ध किया।
- 1962 में चीन से युद्ध हार कर सब कुछ सिरेंडर किया। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण कि इसी चीन से राहुल गाँधी नें सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिल कर गुप्त समझौता किया। एक शत्रु राष्ट्र से कैसा समझौता? यह सिरेंडर करने की पराकाष्ठा है।
- 1965 में भारत नें पहलीबार युद्ध जीता... पाकिस्तान को घर में घुस कर मारा...बिना अपना pok लिए जीता हुआ सब कुछ वापस कर दिया।
- 1971 में ही भारत परमाणु सम्पन्न देश बन सकता था, तब पाकिस्तान को कोई परमाणु हथियार देनें को तैयार भी नहीं था। मगर हमने अमरीका के दबाव में परमाणु बम बनाने का कार्यक्रम रोका।
- 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान के विरुद्ध विद्रोह भड़का हुआ था, बंगाल में पाकिस्तानी सेना फंस गईं थी, उन्होंने जीवन बचानें आत्मसमर्पण किया। 93 हजार सैनिक हमारे बंदी थे, तब भी pok नहीं लिया और न ही 53 भारतीय सैनिक वापस मांगे। और पाकिस्तान के सारे सैनिक छोड़ दिये।
भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी (सांसद) की प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य अंश
डॉ. सुधांशु त्रिवेदी द्वारा -
04-06-2025
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य बिंदु-
राहुल गांधी द्वारा सफल ऑपरेशन सिंदूर की तुलना “आत्मसमर्पण” से करना गहरी विकृत मानसिकता को उजागर करता है
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राहुल गांधी की टिप्पणी पाकिस्तान के सैन्य प्रमुखों या मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी समूहों द्वारा कही गई किसी भी बात से कहीं आगे है। अगर राहुल गांधी “आत्मसमर्पण” की बात करते हैं, तो किसी को आश्चर्य हो सकता है कि क्या वह देश को कमजोर करने में भारत के दुश्मनों से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं?
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जबकि कांग्रेस सांसदों सहित एक एकजुट भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष गरिमा के साथ रख रहा है, वहीं राहुल गांधी विपक्ष के नेता के महत्वपूर्ण पद पर होने के बावजूद लापरवाह और बचकानी बयानबाजी जारी रखे हुए हैं
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कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की पारिवारिक विरासत में आत्मसमर्पण के ऐतिहासिक उदाहरण भरे पड़े हैं। हो सकता है कि उन्होंने अतीत में आत्मसमर्पण किया हो, लेकिन आज भारत मज़बूती और गर्व के साथ खड़ा है और कभी किसी के सामने झुकेगा नहीं
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शेर को अपनी ताकत साबित करने के लिए राजतिलक या अनुष्ठान की जरूरत नहीं होती, उसकी ताकत ही उसे राजा बनाती है। इसी तरह माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भारत माता के शेर हैं, एक सच्चे नेता हैं जो अपनी अटूट ताकत और दृढ़ संकल्प से पहचाने जाते हैं
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यदि राहुल गांधी 'आत्मसमर्पण' का अर्थ जानना चाहते हैं, तो उन्हें अपने अतीत पर नजर डालनी चाहिए: विदेशी हस्तक्षेप की मांग करना 'संप्रभुता का आत्मसमर्पण' था, आतंकवाद को रोकने में विफल होना 'वैचारिक आत्मसमर्पण' था, 26/11 के बाद बातचीत जारी रखना 'राजनयिक आत्मसमर्पण' था, और 1995 में परमाणु परीक्षणों को रोकना 'वैज्ञानिक आत्मसमर्पण' था।
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पंडित नेहरू ने 1962 में सेना का समर्पण कर दिया था , उन्होंने अमेरिका से न केवल भारतीय वायुसेना को विमान उपलब्ध कराने को कहा था, बल्कि उसे संचालित और प्रबंधित करने को भी कहा था। 1960 में सिंधु नदी का 80% पानी पाकिस्तान को दे देना संसाधनों का समर्पण था। कश्मीर और क्षेत्रों को मुस्लिम लीग को सौंपना राजनीतिक समर्पण था।
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जो सच्चे नेता नहीं हैं, वे प्रतिस्पर्धा के लिए देश के गौरव, सेना के साहस और राष्ट्रीय पहचान का अपमान कर रहे हैं। ऐसे में देश राहुल गांधी की समझदारी और निर्णय पर कैसे भरोसा कर सकता है?
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राहुल गांधी, उनकी पार्टी और उनके परिवार का इतिहास आत्मसमर्पण से भरा रहा है। फिर भी, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, भारत कभी किसी के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा
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राहुल गांधी आदतन और शरारती तरीके से माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार और भाजपा की आलोचना कर सकते हैं और इसे बर्दाश्त किया जा सकता है। लेकिन अगर वह भारत, उसके गौरव और उसकी सेना के बारे में झूठ फैलाते हैं, तो इसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. त्रिवेदी ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर भारतीय सेना का अपमान करने और पाकिस्तान के बयान को दोहराने का आरोप लगाया। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' की तुलना "आत्मसमर्पण" से करने की निंदा की और इसे राष्ट्र विरोधी बताया। उन्होंने राहुल गांधी की खतरनाक और गैरजिम्मेदार मानसिकता को उजागर करने के लिए कांग्रेस पार्टी के पिछले आत्मसमर्पणों के इतिहास का हवाला दिया। डॉ. त्रिवेदी ने जोर देकर कहा कि राजनीतिक आलोचना स्वीकार्य है, लेकिन भारत, उसके गौरव या उसके सशस्त्र बलों के बारे में झूठ फैलाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डॉ. त्रिवेदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस सांसदों सहित संयुक्त संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य जहां विदेशों में भारत का सम्मान और एकता के साथ प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहीं राहुल गांधी अपने बयानों से विपक्ष के नेता के कद को कमतर आंक रहे हैं। राहुल गांधी की टिप्पणी न केवल अपरिपक्वता को दर्शाती है, बल्कि गंभीरता, जिम्मेदारी और राष्ट्रीय हित के प्रति सम्मान की कमी को भी दर्शाती है, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और राष्ट्र विरोधी रवैया है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने राहुल गांधी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सेना, वायु और नौसेना के महानिदेशकों सहित शीर्ष सैन्य अधिकारियों द्वारा बताए गए ऑपरेशन 'सिंदूर' की उल्लेखनीय सफलता की तुलना "आत्मसमर्पण" से करना न केवल सशस्त्र बलों की बहादुरी का अपमान है, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का भी गहरा अपमान है। यह मानसिकता दर्शाती है कि राहुल गांधी की सोच कितनी विकृत, खतरनाक और तर्कहीन हो गई है। हालांकि यह अब आश्चर्यजनक नहीं है, लेकिन यह चौंकाने वाला है कि कांग्रेस के नेता न केवल पाकिस्तानी मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं, बल्कि उनके बयान अब पाकिस्तान की संसद में भी उद्धृत किए जा रहे हैं। हालांकि पाकिस्तान पहले भी भारत के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय डोजियर में राहुल गांधी की टिप्पणियों का इस्तेमाल कर चुका है, लेकिन यह पहली बार है जब उन्होंने इतनी अतिवादी बात कही है, जिसे पाकिस्तान के सेना प्रमुख, आतंकी संगठन या मसूद अजहर या हाफिज सईद जैसे खूंखार आतंकवादी भी कभी कहने की हिम्मत नहीं कर पाए। इन हस्तियों ने भारत के सैन्य अभियानों पर गुस्सा जताया है, लेकिन किसी ने कभी यह दावा नहीं किया कि "भारत ने आत्मसमर्पण कर दिया।" यह झूठा, शर्मनाक और मूर्खतापूर्ण बयान है।
डॉ. त्रिवेदी ने राहुल गांधी पर भारत की ताकत का मजाक उड़ाने और उसे कमतर आंकने का आरोप लगाया। उन्होंने पूछा कि क्या राहुल गांधी अब आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना से एक कदम आगे जाकर उन्हीं की भाषा बोलना चाहते हैं? अभी तक राहुल गांधी ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों और उसकी सेना को 'कवर फायर' दिया है- क्या अब आप उनके 'सरताज' बनने की कोशिश कर रहे हैं ? हिंदी में एक कहावत है: 'नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है।' लेकिन यहां विडंबना यह है कि वह व्यक्ति मुल्ला भी नहीं है , फिर भी कुछ साबित करने की अपनी हताशा में, वह यह समझने में विफल रहता है कि वह भारत के गौरव, उसके सशस्त्र बलों की बहादुरी और राष्ट्र की पहचान का कितना बड़ा अपमान कर रहा है। फिर, देश ऐसे व्यक्ति की बुद्धि, तर्क या विवेक पर कैसे भरोसा कर सकता है?
राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि ठीक एक वर्ष पूर्व आज ही के दिन 4 जून को आम चुनाव के परिणाम घोषित हुए थे। इस अवसर पर जब पूरा देश अपने लोकतंत्र की सफलता का जश्न मना रहा है, यह देखना विडम्बनापूर्ण है कि जो पार्टी तीन बार प्रयास करने के बावजूद तीन अंकों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी, वह खुद को विजयी घोषित कर रही है और पटाखे फोड़ रही है। वहीं दूसरी ओर, जो नेतृत्व लगातार तीसरी बार स्पष्ट जनादेश के साथ प्रधानमंत्री बना है, उसे पराजय का झूठा आख्यान देकर प्रचारित किया जा रहा है। यह राजनीतिक विश्लेषण का विषय नहीं है, बल्कि उस पार्टी की राजनीतिक समझ और विवेक की परीक्षा है, जो दुर्भाग्य से आज कांग्रेस के रूप में सामने आ रही है। राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना के पराक्रम को आत्मसमर्पण कहना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि भारतीय सेना और देश दोनों का घोर अपमान है। मैं कांग्रेस पार्टी से स्पष्ट रूप से पूछना चाहता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की घोषणा न तो भारत सरकार ने की थी और न ही भारतीय जनता पार्टी के किसी प्रवक्ता ने। इसकी घोषणा स्वयं भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने की।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि अगर राहुल गांधी सचमुच "आत्मसमर्पण" का मतलब समझना चाहते हैं तो उन्हें अपने अतीत में झांकना चाहिए।
· अभी दो साल पहले, विदेश में रहते हुए, राहुल गांधी ने कहा था, “अमेरिका और यूरोप जैसे लोकतंत्र के रक्षक चुप क्यों हैं, और वे भारत में हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रहे हैं?” यह बयान भारत की संप्रभुता के समर्पण के अलावा और कुछ नहीं था ।
· 15 जुलाई 2011 को राहुल गांधी ने कहा, “आतंकवाद पर पूरी तरह से नियंत्रण पाना असंभव है।” - यह आतंक के सामने वैचारिक आत्मसमर्पण था।
· 26/11 के मुंबई हमलों के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने शर्म अल-शेख में कहा कि समग्र वार्ता प्रभावित नहीं होगी - यह आतंकवादी मानसिकता के सामने कूटनीतिक आत्मसमर्पण था।
· 1995 में, नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल के दौरान, भारत ने सिर्फ एक फोन कॉल मिलने पर अपना परमाणु परीक्षण स्थगित कर दिया था - यह वैज्ञानिक क्षमता का आत्मसमर्पण था।
· 1971 में 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को पकड़ने के बावजूद, पीओके क्षेत्र को क्यों आत्मसमर्पण कर दिया गया?
· 160 किलोमीटर का छंब सेक्टर, जीतने के बावजूद, क्यों वापस कर दिया गया? पाकिस्तान के पंजाब और सिंध में 13,000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र क्यों वापस किया गया?
· 54 भारतीय सैनिकों को वापस क्यों नहीं भेजा गया, क्या उन्होंने भी आत्मसमर्पण कर दिया था?
· 1965 में हाजी पीर दर्रे पर कब्जा करने के बाद, जब भारतीय सेना लाहौर से सिर्फ 20 किमी दूर थी, तो उसे वापस क्यों कर दिया गया?
· 1962 में भारत ने क्या-क्या समर्पण किया था? 19 नवंबर 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी को लिखे गए नेहरू के पत्र, जिसे 2010 में सार्वजनिक किया गया, से पता चलता है कि उन्होंने भारतीय वायुसेना को चलाने के लिए अमेरिकी पायलटों की मांग की थी।
· 1960 में सिंधु नदी का 80% पानी पाकिस्तान को सौंप दिया गया, जो जल संसाधनों का समर्पण था।
1948 में कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा सौंप दिया गया और 1947 में भारत का एक तिहाई हिस्सा मुस्लिम लीग को सौंप दिया गया।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. त्रिवेदी ने कांग्रेस पार्टी के लंबे इतिहास को याद करते हुए राहुल गांधी पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल, उनकी पार्टी और उनके परिवार ने स्वतंत्र भारत के कालक्रम को राजनीतिक आत्मसमर्पण की श्रृंखला में बदल दिया है। वे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के बारे में जो चाहें कह लें, लेकिन यह देश कभी किसी के सामने झुकने वाला नहीं है । हो सकता है कि कांग्रेस ने ऐसा किया हो, हो सकता है कि उसके नेताओं ने ऐसा किया हो, लेकिन यह भारत है, एक ऐसा देश जिसने अपनी संस्कृति, आत्मा और गौरव को बचाए रखते हुए सदियों के आक्रमणों को झेला है। भारत एक ऐसा देश है जिस पर हजारों बार निशाना साधा गया है, फिर भी यह मजबूत, अपराजित और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। यही सत्य है। यही भारत का चरित्र है। और यही वह चीज है जिसे कांग्रेस स्वीकार करने से इनकार करती है।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत माता के शेर की तरह हैं, जिनके लिए संस्कृत की यह कहावत सटीक बैठती है:
" न आबशुतो न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगः।"
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता॥"
इसका अर्थ है, 'शेर को किसी राज्याभिषेक या प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती, उसकी ताकत ही उसे जंगल का राजा बनाती है।' उसी प्रकार माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत माता के शेर हैं, इसलिए हमारे नरेन्द्र भारत माता के मृगेन्द्र हैं । वहीं दूसरी ओर कांग्रेस परिवार का इतिहास आत्मसमर्पण के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जो स्वतंत्र भारत के पूरे कैलेंडर में अंकित हैं। राहुल गांधी के लिए एक पंक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है, 'आदत से, स्वभाव से, शरारत से, बेचैनी से या चालाकी से, प्रधानमंत्री, सरकार या भाजपा के खिलाफ बोलो, यह बर्दाश्त करने योग्य है। लेकिन अगर वे भारत, उसके गौरव या उसकी सेनाओं के बारे में झूठ बोलते हैं, तो यह बिल्कुल बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।
डॉ. त्रिवेदी ने यह कहकर अपनी बात समाप्त की कि ' वह जोड़ी तो झूठ की करता चला गया, बस उसका चेहरा उतरता चला गया । '
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