कोटि-कोटि श्रद्धांजली , आलोक तोमर



- अरविन्द सिसोदिया
    मेरा मन बहुत ख़राब है , मुझे जब से पता चला की आलोक तोमर नहीं रहे ..., नीरा रडिय के टेपों को सार्वजनिक कर उन्होंने एक भ्रष्ट तम मंत्री ए राजा को न केवल त्याग पत्र  को मजबूर कर दिया बल्की वह भ्रष्टाचारी मंत्री आज जेल में है ....! लोकतंत्र की लूटतंत्र पर एक विजय उनके हाथ से लिखी हुई ..! भगवान भी गजब का बेईमान है ..अच्छे लोगों को पहले ऊपर ले लेते है और बुरे लोगों का साम्राज्य चलने देता है ..? ख़ैर इसमें भी कोई अच्छाई ही होगी ..! हमारी कोटि-कोटि श्रद्धांजली इस निष्पक्ष पत्रकार को , उनकी पत्रकारिता को .....!!  
------
धारदार पत्रकारिता की पहचान थे आलोक तोमर
http://www.livehindustan.com-
उनकी कलम जब पन्नों पर चलती तो शब्द एक दुर्लभ लेखन शैली में ढलकर पूरे सच को बयां करते थे। बेबाक और धारधार पत्रकारिता की पहचान रहे आलोक तोमर भलेही सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए, पर उन्होंने अपने पीछे लेखन का एक अंदाज छोड़ा है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
आलोक तोमर का असमय चले जाना हिंदी पत्रकारिता के लिए दुखद घटना है। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के रछेड़ गांव में 27 दिसम्बर, 1960 को जन्मे आलोक तोमर ने राष्ट्रवादी विचारधारा के अखबार ‘स्वदेश’ से अपने करियर की शुरुआत की, पर उन्हें खास पहचान जनसत्ता अखबार ने दिलाई। ‘स्वदेश’ के माध्यम से जहां उन्होंने मध्य प्रदेश प्रशासन की नाकामियों को पूरी बेबाकी से उजागर किया, वहीं जनसत्ता की पत्रकारिता ने उन्हें अपराध, मानवीय और सामाजिक सरोकार वाली संवेदनशील खबरों के जरिए पाठकों के बीच खास पहचान बनाने का मौका दिया।
‘जनसत्ता’ में 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़ी उनकी खबरों में पाठक वर्ग की खास रुचि हुआ करती थी। उन्होंने इन दंगों के स्याह सच को बेपर्द किया। दिल्ली की गलियों और सड़कों पर मौत के मंजर को उन्होंने कलमबद्ध कर प्रशासन की नाकामी का पर्दाफाश किया। इसके अलावा उन्होंने अपराध और सामाजिक सरोकार की कई यादगार खबरें लिखीं जो आज भी यथार्थवादी पत्रकारिता के प्रतिमान हैं।
पाठकों की रुचि और अपनी शर्तो पर पत्रकारिता करने वाले आलोक तोमर एक दुर्लभ लेखन शैली के लिए जाने जाते थे। इसके लिए वे सम्पादक से भी वैचारिक संघर्ष करने से नहीं चूकते। ऐसा ही एक वाकया ‘पायनियर’ साप्ताहिक पत्रिका से जुड़ा है। इस पत्रिका में बतौर ब्यूरो प्रमुख काम करते हुए जब भाषा शैली को लेकर सम्पादक से उनका मतभेद हुआ तो उन्होंने सम्पादक से वैचारिक बहस से परहेज नहीं किया। सम्पादक का तर्क था कि आलोक तोमर वाक्यों में कोमा और अर्धकोमा का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इस पर तोमर का कहना था, ‘स्तरीय भाषा के लिए कोमा और अर्धकोमा का कोटा तय नहीं किया जा सकता। ऐसी पत्रकारिता मुझे पसंद नहीं।’ इस घटना के कुछ दिनों बाद हालांकि तोमर को संस्थान को अलविदा कहना पड़ा था।
‘जनसत्ता’ से पहले उन्होंने यूएनआई समाचार एजेंसी के लिए भी काम किया। उन्होंने टीवी, प्रिंट, वेब, सिनेमा, इंटरटेनमेंट समेत कई क्षेत्रों में रचनात्मक हस्तक्षेप किया। वर्ष 2000 में उन्होंने डेटलाइन इंडिया नामक इंटरनेट न्यूज एजेंसी की स्थापना की और इसके माध्यम से कई क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय अखबारों एवं पत्रिका के लिए पुख्ता समाचार स्रोत की भूमिका निभाई। उन्होंने पायनियर साप्ताहिक और सीनियर इंडिया पत्रिका के लिए भी काम किया।
चर्चित टीवी धारावाहिक ‘जी मंत्री जी’ की पटकथा भी उन्होंने ही लिखी थी, वहीं बेहद लोकप्रिय टीवी गेम शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का स्वरूप तय करने में उन्होंने केंद्रीय भूमिका निभाई। केबीसी-1 के सारे सवाल उनकी टीम तय करती थी। लोगों की जुबां पर चढ़ जाने वाले जुमले ‘कंप्यूटरजी लॉक कर दिया’ को उन्होंने ही गढ़ा था। पिंट्र के अलावा, जी न्यूज, एस 1, आज तक और सीएनईबी जैसे चैनलों में भी काम करते हुए उन्होंने टीवी की भाषा का परिष्कार करने में योगदान दिया।
आज जब सुबह सैकड़ों पत्रकारों की गमगीन उपस्थिति के बीच उनकी बेटी मिष्ठी ने उन्हें मुखाग्नि दी तो सब की प्रतिक्रिया यही थी दूसरा आलोक तोमर शायद इस समाज को मयस्सर नहीं होगा।
-----
अधिक जाननें और पढ़नें के लिए ......
http://www.datelineindia.com

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सनातन हिंदू ही ईश्वर और उसकी लीलाओं को पढ़ सका - अरविन्द सिसोदिया

भजन - मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी shiv bhajan Adiyogi

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आमजन को जल संरक्षण से जोड़ा - राकेश जैन bjp kota rajasthan

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाखा में जाने के लाभ

पाकिस्तानी मुनीर को बुलाने पर ट्रंप की अमरीका में ही आलोचना trnp Amerika

महान स्वतंत्रता सेनानी रानी झाँसी लक्ष्मी बाई lakshmi bai