रिस्ते तो हैं, मगर उनके रस को कोई ले गया !

!-अरविन्द सीसौदिया , कोटा , राजस्थान
अब तो रिस्तों की रात आ गई,
ढल चुका दिन,ढल चुकी शाम..,
प्रतिबद्धताओं की गिरती साख आ गई!
क्योंकि अब पश्चिम से पूरब की तरफ..,
तूफानों की , आंधियों की,बयार आगई..!
...1...
कहां गये शब्दों के भरोषे...?
कहां हैं वे जो इन पर मरते मिटते थे..??
ढूंढती है धरती कसमों को आसमान में..,
वायदों के वे सुनहरों स्वपनों की कंदराओं में..!!
रिस्ते तो हैं मगर उनके रस को कोई ले गया !!
...2...
नहीं मिलता विश्वास, क्यों कि अब विष का वास है।
नहीं मिलती आस्था, क्योंकि आघात ही आघात है ।।
नहीं मिलता समर्पण,अब स्वंय के सुख की चाह है।
काश इन शब्दों को सुना न होता ये ”रिश्ते“....
न नींद खराब होती न ख्आव खराब होते..!!
...3...
वह जमाना गया जब कहते थे हम..,
तेरी हसरत मेरी तमन्ना है,
तेरे इरादे मेरी मंजिल है,
तू है तो जहां है,वर्ना बेजार मुका है !
ये रिस्ते तेरी भी तम्मनायें अब बेकार हैं!! 
...4...
प्यार की तो बात ही नहीं ,
अपनेपन का साथ नहीं,
तरसते , चिंताओं के धुधलके..
रिस्ते तेरी यही तो सौगात है ।


000000000

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सनातन हिंदू ही ईश्वर और उसकी लीलाओं को पढ़ सका - अरविन्द सिसोदिया

भजन - मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी shiv bhajan Adiyogi

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आमजन को जल संरक्षण से जोड़ा - राकेश जैन bjp kota rajasthan

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाखा में जाने के लाभ

पाकिस्तानी मुनीर को बुलाने पर ट्रंप की अमरीका में ही आलोचना trnp Amerika

महान स्वतंत्रता सेनानी रानी झाँसी लक्ष्मी बाई lakshmi bai