कांग्रेस मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा न्यायपालिका को भ्रष्ट बताना बचकानापन - अरविन्द सिसोदिया gahlot & Judiciary

कांग्रेस मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा न्यायपालिका को भ्रष्ट बताना बचकानापन - अरविन्द सिसोदिया 
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नें अपने बयान से सारी न्यायपालिका को भ्रष्ट करार दे दिया, यहां तक कह दिया कि वकील न्यायालय का निर्णय लिखकर ले जाते हैं और न्यायालय के द्वारा वह सुना दिया जाता है। इस प्रकार वकील वर्ग को भी दलाल करार दे दिया गया। 
एक मुख्यमंत्री के नाते अशोक गहलोत का यह बयान न्यायपालिका की पूरी व्यवस्था को अविश्वसनीय एवं भ्रष्ट करार देता है और यह न्यायपालिका के विरुद्ध मुख्यमंत्री द्वारा किया गया अक्षम्य अपराध है।

इसकी निंदा किए जाने के लिए शब्द नहीं है, इतना बड़ा अपराध है क्योंकि किसी भी व्यवस्था में कुछ कमी बेसी हो सकती है, लेकिन उसके आधार पर संपूर्ण व्यवस्था को आरोपित नहीं किया जा सकता। हलाँकि बाद में मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा अपने बयान से मुकर जाना या उसे वापस ले लेना या उसे छोटा करने का भी एक तमाशा हुआ।

यह कांग्रेस का कल्चर बन गया है,  आरोप लगाओ और सिद्ध करने से पीछे भाग जाओ, इस तरह के अनेकों बयान कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के द्वारा अक्सर दिए जाते रहते हैं। कभी ई डी के खिलाफ, कभी सी भी आई के खिलाफ, कभी केंद्र सरकार के खिलाफ और अक्सर प्रधानमंत्री मोदीजी के खिलाफ।

जिस तरह कश्मीर में सुनियोजित तरीके से नाबालिक बच्चों से पत्थर फिंकवाए जाते हैं। उसी तरह की यह षड्यंत्रपूर्ण नाबालिग राजनीति कांग्रेस के नेताओं के मुंह से लगातार हो रही है।  यह देश के विरुद्ध एक बड़ा षड्यंत्र भी है।

देश की व्यवस्थाओं के विरुद्ध अविश्वास उत्पन्न करने तथा उसके विफल होनें का झूठा दुष्प्रचार  करना। यह कुल मिलाकर के देश की व्यवस्था से विश्वास उठाने और उसमें विद्रोह पैदा करने की एक षड्यंत्रकारी कोशिश भी है। जो की अक्षम है।

मेरा मानना है की संपूर्ण निरापद ईश्वरीय व्यवस्था में भी कई बार त्रुटि सामने आजाती है, इसलिए केंद्र, राज्य अथवा तीसरे पायदान की सभी व्यवस्थायें पूरी तरह निरापद हैँ या दोष मुक्त हैं यह तो नहीं कहा जा सकता। सही तरीका यही है कि दोष को चिन्हित कर,साबित कर उसका उदाहरण दिया जाये।

बताया जाये कि इड़ी ने इस प्रकरण में, सीबीआई नें या अन्य किसी संस्थान नें इस तरह से गलत किया। मेरी यह भी स्पष्ट मान्यता है कि जितना भ्रष्टाचार निचले संस्थानों में है उतना उच्च स्तरीय में नहीं है।

भारत की न्याय व्यवस्था पूरी तरह फैल है, मगर वह काम के अधिक बोझ के कारण विफल है, गहलोत की इस राय से तो सहमत नहीं हो सकता कि वकील ही फैसला लिख कर ले जाते हैं। कोई बिरला ही उदाहरण इस तरह का होगा। हलाँकि राज्य सरकार द्वारा वकीलों की नियुक्ति अपने दल के कार्यकर्ताओं को ओब्लज करने की जाती है। जो कि न्याय की गुणवता से खिलवाड़ है।  उपभोक्ता न्यायालयों में सदस्यों की नियुक्ति सत्ता रूढ़ राजनैतिक दल परामर्श के आधार पर होती है।

गहलोत सरकार पर तो राजस्थान उच्च न्यायालय से जयपुर बम विस्फोट के सजायाफ्ता आतंकियों को कमजोर पैरवी कर बरी करवाये जानें का आरोप है। इस तरह तो इस. मामले से गहलोत जी को भी संबद्ध किया जा सकता है।

-------- गहलोत उवाच -----=

आखिर अशोक गहलोत न्याय व्यवस्था पर इस तरह क्यों बरसे

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने बुधवार को व्यवस्था पर करारी चोट की। इतना खुलकर कभी कोई मुख्यमंत्री व्यवस्था पर नहीं बरसा। गहलोत ने इन्कम टैक्स, ईडी, सीबीआई ही नहीं न्याय व्यवस्था पर भी करारा प्रहार किया। वे कहते हैं आज ईडी, सीबीआई और इन्कम टैक्स वाले बिना कुछ पता किए, बिना कोई हिसाब- किताब किए, किसी के भी घर में घुस जाते हैं। हम भी केंद्र में मंत्री रहे हैं। हमने केंद्रीय एजेंसियों का इस तरह दुरुपयोग कभी नहीं किया।

फिर आई न्याय व्यवस्था की बारी। गहलोत ने कहा ज्यूडिशियरी में सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार है। गहलोत ने कहा- मैंने सुना है कि कभी - कभी तो वकील लोग जो लिखकर ले जाते हैं, फ़ैसला वैसा का वैसा आ जाता है। ये कैसी व्यवस्था है? ये किस देश का न्याय है?

अशोक गहलोत जयपुर में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा- मैंने भी कई जजों की सिफारिश की, लेकिन फिर उनसे संपर्क नहीं किया।

कुल मिलाकर, गहलोत ऐसा कहकर केंद्र सरकार पर चोट करना चाह रहे हैं। जबकि सच ये है कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हर राजनीतिक दल ने किया है। ये बात और है कि किसी सरकार में कम दुरुपयोग हुआ, किसी में ज़्यादा।

जहां तक न्यायिक व्यवस्था का सवाल है, खुलकर बहुत कुछ तो नहीं कहा जा सकता लेकिन एक मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत कुछ कह रहे हैं तो कहीं न कहीं ऐसा कुछ उन्होंने देखा या सुना तो होगा ही।

विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और शाहपुरा (भीलवाड़ा) से भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने अपनी ही पार्टी के केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को भ्रष्ट बता दिया।

अब सवाल यह उठता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को व्यवस्था की ये सब कमज़ोरियाँ अपनी सरकार के कार्यकाल के आख़िरी वक्त ही क्यों दिखाई दे रही हैं ? क्या इसके पहले साढ़े चार साल तक सब कुछ ठीक था और सारे विभागों में तमाम गड़बड़ियाँ अभी, अचानक ही आ गई हैं ?

दरअसल पिछले दिनों एक भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस बारे में जब गहलोत से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अर्जुन राम पर लगाए गए आरोप सही हैं। उनके वक्त में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। मामला कोर्ट में है और इन्होंने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। संभवतया इसी संदर्भ में गहलोत ने ज्यूडिशियरी पर भी आरोप लगाए होंगे। कुल मिलाकर गहलोत यह कहना चाहते हैं कि मौजूदा केंद्र सरकार ने ज्यूडिशियरी पर भी अपना दबाव बनाया हुआ है।

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