चुगल खोर... को..भगवान नें हराया...

चुगल खोर... को..भगवान नें हराया...

में एक राजनैतिक कार्यकर्ता हूँ, मीडिया भी देखता हूँ, जो चुनावों में कोई न कोई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी रहती है।

में यूँ तो साइंस पढा हूँ और ईश्वर को बहुत मानता हूँ। धर्मिक कर्मकांड से इतर आध्यात्मिक स्वरूप को मान्यता देता हूँ। ईमानदार होना मेरी बीमारी है और विचारधारा को ही अपने नेता मानता हूँ।

में एक विधानसभा क्षेत्र का संगठन की ओर से विधानसभा चुनाव प्रभारी बनाया गया था। प्रभारी की चुनाव संचालन की महत्वपूर्ण सहभागिता थी। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगीजी भी आमसभा संबोधित करने आने वाले थे।

एक दिन रात्रि 9 बजे के लगभग में और अपने प्रत्याशी महोदय के महत्वपूर्ण प्रतिनिधि के साथ योगीजी की सभा को अंतिमरूप देनें, कम्प्यूटर पर टाइपिस्ट के साथ बैठा था। प्रत्याशी जी के कार्यालय पर ही था।

तभी नीचे से आवाज आई....बहुत तेज आवाज छत को हिला देनें वाली... मेरे साथ बैठे  प्रतिनिधिजी नें तुरंत दौड़ लगाई, उन्ही के नाम से आवाज लगाई जा रही थी। वह नीचे गया, पूछा क्या बात है ?

प्रत्याशी जी नें मेरा नाम लेकर कहा "  अरविन्द जी को फोन लगाओ, वे............जी ( सामने खड़े प्रत्याशी का नाम लेकर ) के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं, जबकि वे मेरे चुनाव के संयोजक हैं। इसलिए यह ठीक नहीं...."

सभी लोग सन्न रह गये..... यह कैसे हो सकता...., अचानक पूरी तरह से शान्ति छा गईं..,निब्धता किसी को कुछ समझ नहीं आया।

नीरवता को तोड़ते हुये प्रत्याशी जी से उनके प्रतिनिधि नें कहा... अरविन्द जी तो यहीं हैं, अपने कार्यालय में...और ऊपर कम्प्यूटर पर बैठे हैं, काम कर रहे हैं।.... आपको गलत सूचना दी गई है...।

प्रत्याशी जी को क्या अहसास हुआ पता नहीं....... मगर........ इतने में.....में भी उनके पास पहुँच गया.....। उन्होंने मुझे देख लिया...... विश्वास क़ायम हो गया... चुगलखोर फैल हो गया...

यदि भगवान नें मुझे उस समय वहाँ उपस्थित नहीं रखा होता तो..... शायद पूरी उम्र सफाई देनें में ही निकल जाती......और बिना वजह गद्दार ठहराया जाता..। खैर यहाँ तो भगवान नें उस चुगलखोर को विफल कर दिया.....। किन्तु..... अन्य जगह......? वह चुगलखोर तो न जानें कहां कहां चुगली खाता होगा....।

समान्यतः 99 हजार जगह भगवान इस तरह की व्यवस्था नहीं कर पाता..... और नेताओं के कान बहुत कच्चे होते हैं, वे अपने आपको ही भगवान का बाप समझ बैठते हैं।  तब वे कितने  निर्दोषों का बुरा करते होंगे.....!

यह घटाना 1 लाख प्रतिशत सही है, इस घटना के बाद मेरी ईश्वर में निष्ठा और बढ़ गईं है।

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