क्या डी के शिवकुमार को दूसरा सचिन पायलट बनाया जायेगा sachin pilot to dk shivakumar

क्या डी के शिवकुमार को दूसरा सचिन पायलट बनाया जायेगा

यूं तो कांग्रेस का एकछत्र राज भारत के राज्यों पर भी लगातार रहा है, कर्नाटक भी इसी तरह के प्रदेशों में से एक रहा है। 1947 से लेकर 1982 तक कांग्रेस ही राज्य में सत्तारूढ रही इस बीच दो बार राष्ट्रपति शासन भी लगा । रामकृष्ण हेगडे कर्नाटक में पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनें थे। 1983 से रामकृष्ण हेगडे युग प्रारम्भ हुआ जिसके चलते 1983 से 1989 तक कर्नाटक में गैर कांग्रेस सरकारें रहीं। फिर जनता दल , जनता दल एस छुट पुट आती रही । नवम्बर 2007 में पहली बार यदुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई थी। इसके बाद कई बार भाजपा के मुख्यमंत्री बनते बदलते रहे । 
           यदुरप्पा का विकल्प खोजनें में भाजपा ने कर्नाटक में प्रदेशस्तरीय नेतृत्व उभरनें नहीं दिया और इसी कारण वह चुनाव में टिक नहीं पाई कि उसके पास कर्नाटक स्तर का दमदार नेता नहीं था। मगर मतदाता के स्तर पर भाजपा कर्नाटक स्तर पर मजबूत है। 2013 में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी लोकसभा 2014 में भाजपा नें 28 में से 17 सीटें जीती थीं। कांग्रेस महज 9 और जनता दल सेक्यूलर 2 सीटों पर सिमट गई थीं। लोकसभा 2019 में भी भाजपा  नें 28 में से 25 सीटें जीती , कांग्रेस महज 1 पर सिमट गई तो जनता दल भी 1 पर ही रह गई, अन्य को 1 सीट मिली । अभी भी 2023 में भाजपा का वोट बैंक लगभग यथावत बना हुआ है। पहले उसे 36 प्रतिशत मत मिले थे अब उसे 35 प्रतिशत मत मिले हैं। मूल नुकसान जनता दल सेक्यूलर का 5 प्रतिशत वोट कांग्रेस में सिफ्ट हो गया ।

वर्तमान में कांग्रेस में असली मेहनत करने वाले को रोकने की परंपरा हमेशा से ही रही है। जैसे राजस्थान में सचिन पायलट, मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब यही कर्नाटक में होता दिख रहा है। अन्यथा चुनाव के नतीजे आते ही कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया जाना चाहिए था, यूं भी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारम्मैया ने कांग्रेस को राजनैतिक बेनिफिट भी नहीं दिया । जबकि वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष  डी के शिवकुमार के नेतृत्व कांग्रेस ने यह सफलता प्राप्त की है।
 
पंजाब में भी नवज्योतसिंह सिद्धू बनाम कैप्टन अमिरन्दर सिंह को मुर्गों की तरह लडा कर जनाधार वाले केप्टन को अन्ततः राजनैतिक रूप से हलाल कर दिया गया ।

राजनीति में मुख्यमंत्री बनाना मंत्री बनाना किसी न किसी उद्देश्य के साथ होता है। वह कार्य अच्छा करेगा यह जरूरी नहीं है। वह संगठन या नेतृत्व को सन्तुष्ट रखेगा यही जरूरी है। यह सन्तुष्टता लोककल्याण से होती है या सूटकेस यह दल की , नेतृत्व की प्रकृति पर निर्भर करता है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के कारण राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनीं थी। गूजर वोट बैंक उनके कारण भाजपा से छिटक कर कांग्रेस को मिला , मगर वे हाई कमान को सन्तुष्ट करनें की स्थिती में नहीं थे जो उन्हे मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया । जो आज तक संघर्ष कर रहा है। बारे पाढ रहा है कि मुझे बनाओ मुझे बनाओ । यही स्थिती कर्नाटक में डी के शिवकुमार की न हो जाये।

मेरी तो ईश्वर से प्रार्थना है कि डी के शिवकुमार को उनके परिश्रम का पुरूष्कार मिलना चाहिये।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सनातन हिंदू ही ईश्वर और उसकी लीलाओं को पढ़ सका - अरविन्द सिसोदिया

भजन - मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी shiv bhajan Adiyogi

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आमजन को जल संरक्षण से जोड़ा - राकेश जैन bjp kota rajasthan

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाखा में जाने के लाभ

पाकिस्तानी मुनीर को बुलाने पर ट्रंप की अमरीका में ही आलोचना trnp Amerika