मेरा शासन 003 जमानत My Gov
जमानत की नई विधि : आरोपी के स्वभाव
1. प्राथमिक जांच के बाद अपराध के करने के तरीके, अपराधी की मानसिकता और अपराध की कौनसी पुनरावृति है, इस आधार पर सशर्त जमानत (Conditional Bail Post-Preliminary Inquiry) दी जा सकती है। यदि हिरासत आवश्यक न हो, तो सशर्त जमानत प्रदान की जा सकती है।
2. विशेष शर्तें (Special Bail Conditions)
अभियुक्त को पीड़ित एवं उनके गवाहों से संपर्क करने, उसके निवास स्थान या कार्यस्थल के पास जाने पर कम से कम 6 माह का प्राथमिक प्रतिबंध स्पष्टता से लगाया जाए। यह प्रतिबंध अपराध की गंभीरता के अनुसार बढ़ाया जाये।
अपराध और जमानत का रिकार्ड आधार के रिकार्ड से जोड़ा जाये और व्यक्ति के आपराधिक रिकार्ड की समय समय पर समीक्षा भी की जाये।
किसी भी व्यक्ति पर हिंसात्मक संज्ञेय अपराध का आरोप है तो, उसे द्वितीय आपराधिक प्रकरण में कम से कम 6 माह जमानत नहीं मिलेगी, इसके बाद भी समीक्षा के बाद, तीसरी बार अपराध करता है तो जमानत नहीं मिलेगी और जेल भी 500 किलोमीटर दूर होगी, पेशी आन लाईन होगी।
GPS आधारित लोकेशन ट्रैकिंग अनिवार्य की जाए (जहां संभव हो)।
आरोपी को न्यायालय द्वारा निर्धारित समयावधि तक आत्म-नियंत्रण एवं पारिवारिक परामर्श सत्रों में भाग लेना अनिवार्य हो।
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3. दोहराव के मामलों में स्वतः बेल निरस्त (Auto-Cancellation of Bail on Repeat Offense)
यदि आरोपी जमानत के बाद फिर से हिंसा करता है, तो उसकी बेल स्वतः निरस्त हो जाए। जो कम से कम आगे एक साल तक पुनः विचारणीय नहीं होगी। साथ ही, पुनः जमानत के लिए अदालत संवेदनशिलता से समीक्षा की विशेष आवश्यक होगी।
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4. सामाजिक निगरानी समिति (Community Supervision Board)
स्थानीय स्तर पर जमानतसुदा व्यक्ति की निगरानी हेतु सामाजिक कार्यकर्ता, महिला अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि गण आदी के साथ निगरानी समिति बनाई जाए। समिति यह सुनिश्चित करे कि आरोपी द्वारा समाज में किसी प्रकार का भय या दबाव न बनाया जाए।
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5. बेल के दौरान डिजिटल मॉनिटरिंग (Digital Monitoring during Bail)
संज्ञेय अपराध के आरोपीयों के मोबाइल व सोशल मीडिया व्यवहार की प्रशिक्षित अधिकारियों द्वारा निगरानी हो (जहां तकनीकी सुविधा हो)। कोई धमकी/दबाव की आशंका पाए जाने पर स्वतः बेल निरस्त की जाए।
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6. नियमित रिपोर्टिंग और समीक्षा (Periodic Reporting and Judicial Review)
अभियुक्त को नियत समय पर थाने या कोर्ट में उपस्थिति अनिवार्य हो। प्रत्येक 3 महीने में जमानत की शर्तों की न्यायिक समीक्षा की जाए।
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