मेरा शासन My Gov राजनैतिक दल
राजनीतिक दलों के लिए व्यवहारिक नियम बद्धता अनिवार्य होगी।
जैसे प्रत्येक राजनैतिक दल को अपना त्रिस्तरीय निर्वाचक मंडल बनाना होगा, इसके सदस्यों की सूची चुनाव आयोग को देनी होगी।
दल के चुनाव निर्वाचन आयोग के किसी प्रतिनिधि की देखरेख में ही प्रति पांच वर्ष में अनिवार्यरूप से करवानें होंगे।
दल के प्रमुख को एक कार्यकाल पूरा करने के बाद कम से कम 10 साल तक पुनः पद ग्रहण पर रोक रहेगी। यह सभी स्तर पर होगा। एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत भी लागू होगा। प्रत्येक नवीन कार्यकारणी में पचास प्रतिशत नये पदाधिकारी होंगे और 33 प्रतिशत महिलाओं को लिया जाना आवश्यक होगा।
भारत में किसी भी राजनैतिक दल को विदेशी मूल के व्यक्ति को सदस्य बनानें की अनुमति नहीं होगी।
भारत के किसी दल को किसी विदेशी दल से सन्धि अथवा विदेशी सहायता प्राप्ति करने का अधिकार नहीं होगा।
भारतीय राजनीती और संसदीय प्रणाली में वही व्यक्ति योग्य होगा जिसकी कम से कम तीन पीड़ियाँ भारत में ही जन्मी हों।
प्रत्येक दल को सदस्यता शुल्क और चंदे का विवरण सार्वजनिक करना होगा।
राजनैतिक दल की मान्यता उसी दल को होगी जिसे कम से कम 5 प्रतिशत नागरिक समर्थन प्राप्त हो। यह प्रदेश स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर हो तथा उसे चुनाव में यह साबित भी करना होगा।
की आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया भी अनिवार्य की जाएगी — जैसे दलों में अध्यक्ष के चुनाव, कार्यकाल की सीमा आदि।
कुशासन, परिवारवाद और वंशवाद पर रोक हेतु दलों को आंतरिक रूप से पारदर्शी व्यवस्था अपनानी होगी।
यहाँ प्रस्तुत है उपर्युक्त विचारों पर आधारित एक बिंदुवार (Point-wise) ड्राफ्ट जिसका उद्देश्य भारत में राजनीतिक दलों के लिए एक नई, पारदर्शी, लोकतांत्रिक और उत्तरदायी व्यवस्था का निर्माण करना है:
राजनीतिक दलों के लिए नई व्यवहारिक नियमबद्ध व्यवस्था
1. त्रिस्तरीय निर्वाचक मंडल की अनिवार्यता
प्रत्येक राजनीतिक दल को त्रिस्तरीय (स्थानीय, प्रांतीय, राष्ट्रीय) निर्वाचक मंडल गठित करना अनिवार्य होगा। इन निर्वाचक मंडलों के सदस्य सार्वजनिक होंगे और उनकी सूची भारत निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करनी होगी।
2. दल के आंतरिक चुनाव
प्रत्येक राजनीतिक दल को हर 5 वर्ष में अपने आंतरिक संगठनात्मक चुनाव कराना अनिवार्य होगा।
चुनाव भारत निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक की निगरानी में संपन्न होंगे।
अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष जैसे प्रमुख पदों सहित 21 सदस्यों का कार्यकारी मंडल हेतु निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किया जाएगा।
3. पदावधि और पुनर्नियुक्ति पर प्रतिबंध
किसी भी दल प्रमुख का कार्यकाल अधिकतम एक बार (5 वर्ष) होगा।
इसके बाद वह 10 वर्ष तक पुनः उस पद पर नियुक्त नहीं हो सकेगा।
यह नियम सभी संगठनों – स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समान रूप से लागू होगा।
4. "एक व्यक्ति, एक पद" सिद्धांत
कोई भी व्यक्ति एक समय में केवल एक पद धारण कर सकेगा – चाहे वह संगठनात्मक हो या संवैधानिक।
5. कार्यकारिणी में विविधता और नया नेतृत्व
हर नई कार्यकारिणी में कम से कम 50% पदाधिकारी एवं सदस्य नये व्यक्ति होंगे।
कार्यकारिणी में कम से कम 33% महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य होगी।
6. विदेशी मूल के व्यक्ति की सदस्यता पर प्रतिबंध
किसी भी राजनीतिक दल को विदेशी मूल (non-Indian origin) के व्यक्ति को सदस्य बनाने की अनुमति नहीं होगी।
7. विदेशी संपर्क और सहायता पर प्रतिबंध
किसी भी भारतीय राजनीतिक दल को किसी विदेशी राजनीतिक दल से सन्धि अथवा विदेशी सहायता प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा।
8. नागरिकता योग्यता की शर्त
केवल वही व्यक्ति भारतीय राजनीति या संसदीय प्रणाली में भाग लेने हेतु योग्य होगा जिसकी कम से कम तीन पीढ़ियाँ भारत में जन्मी हों।
9. सदस्यता शुल्क और चंदे का पारदर्शी लेखा-जोखा
प्रत्येक दल को सदस्यता शुल्क और चंदा/फंडिंग का सार्वजनिक विवरण (Online Disclosure) प्रस्तुत करना होगा।
इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट या दल की अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
10. दल की मान्यता की न्यूनतम जनसमर्थन सीमा
किसी राजनीतिक दल को मान्यता तभी दी जाएगी जब उसे प्रदेश अथवा राष्ट्रीय स्तर पर कम से कम 5% नागरिक समर्थन प्राप्त हो और चुनाव में वोट के माध्यम से यह प्रमाणित होता हो।
जैसे - भारत के कुल लोकसभा क्षेत्रो में से 50 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों में कोई दल 5 प्रतिशत मत प्राप्ति की उपस्थिति दर्ज करता है तो उसे राष्ट्रीय स्तर प्रदान किया जायेगा।
प्रदेश स्तर पर यही उसे उस प्रदेश की 50 प्रतिशत से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में वोट से प्रगट करना होगा।
इसे प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात चुनाव आयोग के सामने प्रमाणित करना होगा।
11. आंतरिक लोकतंत्र की अनिवार्यता
राजनीतिक दलों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं जैसे अध्यक्ष का चुनाव, कार्यकारिणी की समय-सीमा, नीति-निर्धारण में भागीदारी अनिवार्य की जाएगी।
12. कुशासन, परिवारवाद और वंशवाद पर रोक
दलों को पारदर्शी आंतरिक व्यवस्था अपनानी होगी जिसमें परिवार विशेष को अनुचित लाभ न मिले।
एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्य किसी एक समय में प्रमुख पदों पर नहीं रह सकेंगे। अन्य नागरिकों को भी अवसर मिले।
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