मेरा शासन My Gov सूचना विधि
त्वरित एवं बहुअयामी सूचना व्यवस्था अधीनयम
भारत में सूचना की त्वरित एवं बहुअयामी व्यवस्था के लिए एक जैसी व्यवस्था की जाती है।
किसी भी व्यक्ति को न्यायालय अथवा किसी भी सरकारी, अर्द्ध सरकारी कार्यालय में उपस्थित होनें हेतु सूचना की बहु आयामी विधि
1- सूचना देनें की लिखित तथा मौखिक व्यवस्थाएं मान्य होंगी। किन्तु सभी सूचनाएं बहुआयामी होंगी। सूचनायें छुपना नहीं चाहिए और वास्तविक होना चाहिए। इसलिए सूचना को संबंधित व्यक्ति के साथ साथ, क्षेत्र के पार्षद, पुलिस स्टेशन, पंचायत और नगर निकाय को भी देनी होगी और इनकी भी जिम्मेदारी होगी कि वे सूचना करवाएँ। सूचना एक बार में ही होनी चाहिए। यदि सूचना में कोई बाधा आये तो, सूचना किस तरह होगी I' इसकी जानकारी सहित जबाब देना होगा।
2- संपत्ति संबंधी मामलों में सूचना व्यक्ति से जुड़े परिवार के समस्त बालिग लोगों को देना होगी। जैसे पिता के भाई बहन, व्यक्ति के भाई बहन, व्यक्ति के सभी पुत्र पुत्री को... कुल मिला कर व्यापक सूचना होनी चाहिए।
3- सूचनाओं की आधुनिक तकनीकी तरीके भी मान्य होगीं। उसका उपयोग करना भी कानूनी जायज होगा।
त्वरित एवं बहुअयामी सूचना व्यवस्था अधीनियम
(Information Delivery and Dissemination Regulation Act - IDDRA)
धारा 1: संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारंभ
1. इस अधिनियम को "त्वरित एवं बहुअयामी सूचना व्यवस्था अधीनियम, " कहा जाएगा।
2. यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत में लागू होगा।
3. यह अधिनियम अधिसूचना की तिथि से प्रभावी होगा।
धारा 2: परिभाषाएं
1. सूचना: कोई भी लिखित, मौखिक, इलेक्ट्रॉनिक या अन्य रूप में दिया गया ऐसा संदेश, जो व्यक्ति को सरकारी/न्यायिक प्रक्रिया के लिए सूचित करने हेतु प्रयुक्त हो।
2. वास्तविक सूचना: सत्य, स्पष्ट एवं परिवर्तित न की गई सूचना।
3. त्वरित सूचना: यथासंभव अल्पतम समय में प्रदान की गई सूचना।
4. व्यापक सूचना: वह सूचना जो केवल संबंधित व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उसके पारिवारिक सदस्यों, स्थानीय निकायों तथा अन्य प्रासंगिक संस्थाओं को भी दी जाए।
5. संबंधित संस्थान: पुलिस थाना, नगर निकाय, पंचायत, क्षेत्रीय पार्षद कार्यालय।
धारा 3: वास्तविक सूचना की विधि
1. सूचना पूर्णतः सत्य, प्रमाणित तथा प्रमाणिक दस्तावेजों सहित दी जाएगी।
2. सूचना में निम्नलिखित जानकारी अनिवार्य होगी:
सूचना देने की तिथि और समय
सूचना देने वाला प्राधिकारी
सूचना का उद्देश्य एवं विषयवस्तु
हस्ताक्षरित अथवा डिजिटल रूप से प्रमाणित प्रति
3. सूचना छिपाने, बदलने अथवा गलत सूचना देने पर अधिनियम की धारा 7 अंतर्गत दंड निर्धारित होगा।
---
धारा 4: त्वरित सूचना की विधि
1. सूचना निम्नलिखित माध्यमों से दी जा सकती है:
व्यक्तिगत सेवा (हस्तप्रेषक द्वारा)
पंजीकृत स्पीडपोस्ट से डाक से, यह डाक 7 दिन तक डाक घर में रुकेगी और प्रतिदिन डाकिया व्यक्ति को तलाश कर डाक संभलाएगा।
मोबाईल काल,एसएमएस, ई-मेल, व्हाट्सऐप, पोर्टल संदेश (यदि प्रामाणिकता सुनिश्चित हो)
2. सूचना देने की तिथि एवं माध्यम का डिजिटल लॉग रखना अनिवार्य होगा।
3. सूचना देने में यदि कोई बाधा आए, तो उसका स्पष्ट विवरण 48 घंटे के भीतर उच्च प्राधिकारी को देना होगा।
---
धारा 5: व्यापक सूचना की विधि
1. संपत्ति या अन्य महत्वपूर्ण मामलों में सूचना निम्नलिखित को दी जाएगी:
संबंधित व्यक्ति
व्यक्ति के सभी बालिग भाई-बहन
व्यक्ति के सभी बालिग पुत्र-पुत्रियाँ
व्यक्ति के पिता/माता अथवा अभिभावक
व्यक्ति के अड़ोस पड़ोस के दो निवासियों को भी सूचना से विषय अवगत करवाना होगा
2. सूचना की प्रति संबंधित क्षेत्रीय पार्षद, पंचायत, पुलिस थाना और नगर निकाय कार्यालय को भी भेजी जाएगी।
3. संबंधित संस्थाओं की यह जिम्मेदारी होगी कि वे पुष्टि करें कि सूचना प्राप्तकर्ता तक पहुँची है।
4. इस प्रकार की सूचना का रसीद रजिस्टर (डिजिटल अथवा भौतिक) तैयार रखा जाएगा।
धारा 6: तकनीकी माध्यमों की मान्यता
1. निम्नलिखित तकनीकी माध्यमों को विधिक रूप से मान्यता दी जाती है:
डिजिटल सिग्नेचर युक्त ई-मेल
सरकारी ई-सेवा पोर्टल्स द्वारा सूचना
व्हाट्सऐप संदेश (Read Receipt सहित)
एसएमएस अलर्ट
ई-नोटिस बोर्ड
2. तकनीकी माध्यम से सूचना देने के पश्चात सत्यापन रिपोर्ट (delivery receipt, screenshot, server log) संलग्न की जाएगी।
धारा 7: दंडात्मक प्रावधान
1. यदि कोई प्राधिकारी वास्तविक, त्वरित या व्यापक सूचना देने में लापरवाही करता है, तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
2. सूचना देनें में गलती करने या गलत सूचना देने पर ₹10,000 से ₹1,00,000 तक जुर्माना तथा/अथवा 3 माह से 2 वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें