जगाया तुमको कितनी बार jgaya tumko kitni bar
तुमको कितनी बार.. जगाया तुमको कितनी बार
तुमको कितनी बार...... जगाया तुमको कितनी बार
वेदों का आदेश है ये.....
गीता का उपदेश यही.....
अर्जुन का संदेश यही है...
चलते क्यों नहीं आज कृष्ण के..शिक्षा के अनुसार
जगाया तुमको कितनी बार..........
राज बुद्ध ने छोड़ दिया था....
धन से नाता तोड़ दिया था.....
स्नेहा योग से जोड़ दिया था.....
धर्म चक्र के प्रवर्तको के भूल गए उपकार....
जगाया तुमको कितनी बार ...........
शंकर ने जीवन दे डाला....
आत्म पतन से तुम्हें संभाला....
अंधकार में किया उजाला.....
कुंभकर्ण की निद्रा से है अब करो ना फिर तुम्ह प्यार,
जगाया तुमको कितनी बार ...........
80 घाव लगे थे तन में.....
फिर भी व्यथा नहीं थी मन में...
पानीपत के समरागण में.....
तुम्हें बचाने को चमकी थी सांगा की तलवार...
जगाया तुमको कितनी बार ...........
शत्रु ह्रदय दहलाने वाला.....
अकबर से पढ़ते ही पाला.....
चमक उठाया था जिसका भाला..
उसे प्रताप के रण विक्रम को ... तुमने दिया बिसार...
जगाया तुमको कितनी बार ...........
विश्वविदीत शिव राजबली थे....
रण में कृष्ण सामान छली थे....
जीने के सब उद्योग फ्री थे....
सुनी नहीं क्या रण में तुमने उनकी जय जय कार...
जगाया तुमको कितनी बार ...........
जेसकी तेज खड़क के आगे..
अपने प्राण यवन ले भागे...
फिर भी मारे गए अभागे...
उस बंदा ने मचा दिया था रण में हाहाकार....
जगाया तुमको कितनी बार ...........
धन्यवाद
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