नागरिकता (संशोधन) :पाकिस्तान के प्रथम कानून मंत्री योगेन्द्रनाथ मंडल का खत




नागरिकता (संशोधन) कानून का विरोध करने से पहले योगेन्द्रनाथ मंडल का खत पढ़ लें
पाकिस्तान से वहां के इस्लामी शासन के विभेदकारी कारनामों के कारण प्रताड़ित होकर भारत आ रहे हिन्दुओं को भारतीय नागरिकता प्रदान करने सम्बन्धी नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2019 पारित हो जाने पर अपनी छाती पीटने वालों को पाकिस्तान के प्रथम कानून मंत्री योगेन्द्रनाथ मंडल का लिखा खत पढ़ लेना चाहिए। तब उन्हें समझ में आ जाएगा कि यह विधेयक क्यों जरूरी था।
पाकिस्तान बन जाने के कुछ ही दिनों बाद वहां मुस्लिम लीग के कारिन्दों द्वारा गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया जाने लगा था। हिन्दुओं के साथ लूट-मार और बलात्कार की घटनाएं सामने आने लगीं। मंडल ने इस विषय पर सरकार को कई खत लिखे। लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने उनकी एक न सुनी। उल्टे योगेन्द्रनाथ मंडल को ही मंत्रिमण्डल से बाहर करने के लिए उनकी देशभक्ति पर संदेह किया जाने लगा। मंडल को इस बात का एहसास हुआ कि जिस पाकिस्तान को उन्होंने अपना घर समझा था, वह उनके रहने लायक नहीं है। मंडल बहुत आहत हुए। उन्हें विश्वास था कि पाकिस्तान में दलित-हिन्दुओं के साथ अन्याय नहीं होगा। किन्तु, करीबन दो सालों में ही दलित-मुस्लिम एकता का उनका ख्वाब टूट गया। फलतः जिन्ना की मौत के बाद मंडल 8 अक्टूबर, 1950 को लियाकत अली खां के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर भारत आ गए। योगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने खत में मुस्लिम लीग से जुड़ने और अपने इस्तीफे की वजह को स्पष्ट किया है। उसके कुछ अंश आप भी देखिये।
मंडल ने लियाकत अली खां को प्रेषित अपने खत में लिखा था, 'बंगाल में मुस्लिम और दलितों की एक जैसी हालात थी। दोनों ही पिछड़े और अशिक्षित थे। मुझे आश्वस्त किया गया था कि लीग के साथ मेरे सहयोग से ऐसे कदम उठाये जाएंगे जिससे बंगाल की बड़ी आबादी का भला होगा। हम मिलकर ऐसी आधारशिला रखेंगे जिससे साम्प्रदायिक शांति और सौहार्द्र बढ़ेगा। इन्हीं कारणों से मैंने मुस्लिम लीग का साथ दिया। 1946 में पाकिस्तान के निर्माण के लिए मुस्लिम लीग ने 'डायरेक्ट एक्शन डे' मनाया। उसके बाद बंगाल में भीषण दंगे हुए। कलकत्ता के नोआखली नरसंहार में पिछड़ी जाति समेत कई हिन्दुओं की हत्याएं हुई। सैकड़ों ने इस्लाम कबूल लिया। हिन्दू महिलाओं का बलात्कार, अपहरण किया गया। इसके बाद मैंने दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। मैंने हिन्दुओं के भयानक दुःख देखे। जिनसे आहत हूं। फिर भी मैंने मुस्लिम लीग के साथ सहयोग की नीति को जारी रखा। 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बनने के बाद मुझे मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। मैंने ख्वाजा नजीमुद्दीन से बात कर ईस्ट बंगाल की कैबिनेट में दो पिछड़ी जाति के लोगों को शामिल करने का अनुरोध किया। उन्होंने मुझसे ऐसा करने का वादा किया। लेकिन इसे टाल दिया गया, जिससे मैं बहुत हताश हुआ।'
अपने खत में मंडल ने पाकिस्तान में दलितों पर हुए अत्याचार की कई घटनाओं जिक्र करते हुए लिखा है, 'गोपालगंज के पास दीघरकुल में मुस्लिमों की झूठी शिकायत पर स्थानीय नमोशूद्राय लोगों के साथ अत्याचार किया गया। पुलिस के साथ मिलकर मुसलमानों ने नमोशूद्राय समाज के लोगों को पीटा, घरों में छापे मारे। एक गर्भवती महिला की इतनी बेरहमी से पिटाई की गयी कि उसका गर्भपात हो गया। निर्दोष हिन्दुओं विशेष रूप से पिछड़े समुदाय के लोगों पर सेना और पुलिस ने भी हिंसा को बढ़ावा दिया। हबीबगढ़ में निर्दोष पुरुषों और महिलाओं को पीटा गया। सेना ने न केवल लोगों को पीटा बल्कि हिन्दू पुरुषों को उनकी महिलाओं को सैन्य शिविरों में भेजने को मजबूर किया, ताकि वो सैनिकों की कामुक इच्छाओं को पूरा कर सकें। मैं इस मामले को आपके संज्ञान में लाया था। मुझे इस मामले में रिपोर्ट के लिए आश्वस्त किया गया, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई। कलशैरा में सशस्त्र पुलिस, सेना और स्थानीय लोगों ने पूरे गांव पर हमला किया। कई महिलाओं का पुलिस, सेना और स्थानीय लोगों द्वारा बलात्कार किया गया। मैंने 28 फरवरी 1950 को कलशैरा और आसपास के गांवों का दौरा किया। जब मैं कलशैरा में आया तो देखा कि वह जगह उजाड़ और खंडहर में बदल गई है। करीब 350 घरों को ध्वस्त कर दिया गया। मैंने तथ्यों के साथ आपको सूचना दी। ढाका में नौ दिनों के प्रवास के दौरान में दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। ढाका नारायणगंज और ढाका चंटगांव के बीच ट्रेनों और पटरियों पर निर्दोष हिन्दुओं की हत्याओं ने मुझे गहरा झटका दिया। मैंने ईस्ट बंगाल के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर दंगा रोकने के लिए जरूरी कदमों को उठाने का आग्रह किया। 20 फरवरी 1950 को मैं बरिसाल पहुंचा। वहां की घटनाओं के बारे में जानकार चकित था। वहां बड़ी संख्या में हिन्दुओं को जला दिया गया था। उनकी बड़ी आबादी को खत्म कर दिया गया। मैंने जिले में लगभग सभी दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया।
मधापाशा में जमींदार के घर में 200 लोगों की मौत हुई और 40 घायल थे। एक जगह है मुलादी। प्रत्यक्षदर्शी ने वहां भयानक नरक देखा। वहां 300 लोगों का कत्लेआम हुआ था। वहां गांव में शवों के कंकाल भी देखे। नदी किनारे गिद्ध और कुत्ते लाशों को खा रहे थे। वहां पुरुषों की हत्या के बाद लड़कियों को आपस में बांट लिया गया। राजापुर में 60 लोग मारे गए। बाबूगंज में हिन्दुओं की दुकानों को लूटकर आग लगा दी गई। ईस्ट बंगाल के दंगे में अनुमान के मुताबिक 10,000 लोगों की हत्या हुई। अपने आसपास महिलाओं और बच्चों को विलाप करते हुए मेरा दिल पिघल गया। मैंने अपने आप से पूछा, क्या मैं इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान आया था?'
उन्होंने लिखा है, 'मुझे एक ऐसी सूची मिली है, जिसके अनुसार 363 मंदिरों व गुरूद्वारों को मुसलमानों ने कब्जे में ले लिया है। इनमें से कुछ को कसाईखाना व होटलों में तब्दील कर दिया है। मुझे जानकारी मिली है कि सिंध में रहने वाले दलित हिन्दुओं की बड़ी संख्या को जबरन मुसलमान बनाया गया है।'
पाकिस्तान के प्रथम कानून मंत्री ने वहां के प्रधानमंत्री को प्रेषित अपने खत के अंत में लिखा था, 'पाकिस्तान की पूरी तस्वीर तथा उसकी शासन-व्यवस्था के निर्दयी एवं कठोर अन्याय को एक तरफ रखते हुए मेरा अपना तजुर्बा भी कुछ कम दुखदायी व पीड़ादायक नहीं है। आपने अपने प्रधानमंत्री और संसदीय पार्टी के पद का उपयोग करते हुए मुझसे एक वक्तव्य जारी करवाया था, जो मैंने 8 सितम्बर को दिया था। आप जानते हैं कि मेरी ऐसी मंशा नहीं थी कि मैं ऐसे असत्य और असत्य से भी बुरे अर्धसत्य-भरा वक्तव्य जारी करूं। जब तक मै मंत्री के रूप में आपके साथ और आपके नेतृत्व में काम कर रहा था, मेरे लिए आपके आग्रह को ठुकरा देना मुमकिन नहीं था। पर, अब मैं इससे ज्यादा झूठे दिखावे तथा असत्य के बोझ को अपनी अंतरात्मा पर नहीं लाद सकता। मैंने यह निश्चय किया कि मैं आपके मंत्री के तौर पर अपने इस्तीफे का प्रस्ताव आपको दूं, जो कि मैं आपके हाथों में थमा रहा हूं। मुझे उम्मीद है आप बिना किसी देरी के इसे स्वीकार करेंगे। आप बेशक इस्लामिक स्टेट के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस पद को किसी को देने के लिये स्वतंत्र हैं।'
मालूम हो कि पाकिस्तानी सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद योगेन्द्रनाथ मंडल भारत आ गये थे। कुछ वर्ष गुमनामी की जिन्दगी जीने के बाद 5 अक्टूबर, 1968 को पश्चिम बंगाल में उन्होंने अंतिम सांस ली। ऐसे में विभाजन के समय कांग्रेसी नेताओं के इस आश्वासन पर कि पाकिस्तान में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा, वहीं रह गए हिन्दुओं की भला क्या गलती है जिन्हें आज वहां न्यूनतम मानवाधिकार भी प्राप्त नहीं है। उनकी भारतीय नागरिकता को पाकिस्तानी नागरिकता में तब्दील कर देने का पाप तो तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने ही की थी। अतएव कांग्रेसियों को इस विधेयक का विरोध कर एक और पाप नहीं करना चाहिए। किन्तु उन्हें कौन समझाये? योगेन्द्र मंडल के पत्र को पढ़कर वे स्वयं समझें।


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कांग्रेस ने पाकिस्तान से कभी नहीं पूछा कि 24 प्रतिशत हिन्दू कहां गये 
-अरविन्द सिसौदिया, जिला महामंत्री भाजपा कोटा !!! 9414180151

जानें क्या है नागरिकता संशोधन बिल : पढ़ें 10 खास बातें
नागरिकता संशोधन विधेयक ( Citizen Amendment Bill ) को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अब नागरिकता संशोधन विधेयक कानून बन जाएगा। संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। बता दें कि लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
आइये जानते हैं इस बिल के बारे में दस अहम बातें-
1- नागरिक संशोधन बिल के कानून का रूप लेने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
2 -  ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे। 
3. अभी भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। नए बिल में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दी जा सकती है
4. यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी। 
5. ओसीआई कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को मिलेगा। पर उन्हें सुना भी जाएगा।  
6- नागरिकता संशोधन बिल के चलते जो विरोध की आवाज उठी उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।
7- देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
8. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि उन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में खासी कमी आयी है। शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। शाह ने इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए देश को आश्वस्त किया कि यह प्रस्तावित कानून बंगाल सहित पूरे देश में लागू होगा। उन्होंने इस विधेयक के संविधान विरूद्ध होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संसद को इस प्रकार का कानून बनाने का अधिकार स्वयं संविधान में दिया गया है। उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय में न्यायिक समीक्षा में सही ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे भारत के नागरिक हैं और बने रहेंगे।
9. समर्थन में - भाजपा, अन्नाद्रमुक , बीजद , जदयू , अकाली , मनोनीत , अन्य 
10. विरोध में- कांग्रेस , टीएमसी , सपा , राजद , एनसीपी , माकपा , टीआरएस , डीएमके , बसपा , आप के अलावा मुस्लिम लीग, भाकपा और जेडीएस।




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