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जून, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अमित शाह की गर्जना से गहलोत का सिंहासन डोला - अरविन्द सिसोदिया Amit Shah At Rajasthan

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अमित शाह उदयपुर में  अमित शाह की सिँह गर्जना से गहलोत का सिंहासन डोला - अरविन्द सिसोदिया राजस्थान के उदयपुर में देश के गृहमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के ओजस्वी, तेजस्वी और गर्जना पूर्ण संबोधन के बाद, गहलोत सरकार का सिंहासन डोल रहा है। वह एक बार फिर से सर तन से जुदा की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम पर घिर गये है। एक बार फिर उदयपुर में हिंदुत्व पर शहीद कन्हैयालाल की सर तन से जुडा कर की गईं सांम्प्रदायिक हत्या फिर उभर कर खडी हो गई है और गहलोत कितनी भी सफाई और किन्तु परन्तु करते रहें मगर इस सच का क्या जबाव है कि उदयपुर पुलिस को कन्हैयालाल नें हत्या की आशंका की पूर्व सूचना दे दी थी और इसके बाद भी कन्हैयालाल की हत्या हुई, इस हत्या को होनें देने का अवसर देनें के पाप से गहलोत कैसे बच सकते है। गहलोत यूं भी जयपुर के बातंकवादियों को फांसी की सजा से अपरोक्ष बरी करवानें के घटनाक्रम में घिरे हुये है। उनका तुष्टिकरण पूर्ण शासन फिर से चर्चा में आगया है।   पिछले तीन दिन में यह तीसरी भारतीय जनता पार्टी की बड़ी सभा है , इससे पूर्व में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और

ईश्वरीय वैभव जगाने का पर्व : गुरुपूर्णिमा Guru Purnima

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   अपना ईश्वरीय वैभव जगाने का पर्व : गुरुपूर्णिमा (पूज्यश्री की दिव्य अमृतवाणी) गुरुपूर्णिमा का दूसरा नाम है व्यासपूर्णिमा । वेद के गूढ रहस्यों का विभाग करनेवाले कृष्णद्वैपायन की याद में यह गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया जाता है । भगवान वेदव्यास ने बहुत कुछ दिया मानव-जाति को । विश्व में जो भी ग्रंथ हैं, जो भी मत, मजहब, पंथ हैं उनमें अगर कोई ऊँची बात है, बडी बात है तो व्यासजी का ही प्रसाद है । व्यासोच्छिष्टं जगत्सर्वम् । एक लाख श्लोकों का ग्रंथ ‘महाभारत' रचा उन महापुरुष ने और यह दावा किया कि जो महाभारत में है वही और जगह है व जो महाभारत में नहीं है वह दूसरे ग्रंथों में नहीं है : यन्न भारते तन्न भारते । चुनौती दे दी और आज तक उनकी चुनौती को कोई स्वीकार नहीं कर सका । ऐसे व्यासजी, इतने दिव्य दृष्टिसम्पन्न थे कि पद-पद पर पांडवों को बताते कि अब ऐसा होगा और कौरवों को भी बताते कि तुम ऐसा न करो । व्यासजी का दिव्य ज्ञान और आभा देखकर उनके द्वारा ध्यानावस्था में बोले गये ‘महाभारत' के श्लोकों का लेखनकार्य करने के लिए गणपतिजी राजी हो गये । कैसे दिव्य आर्षद्रष्टा पुरुष थे ! ऐसे वेदव्य

गुरुपूर्णिमा और संघ : भगवा ध्वज है हमारा गुरु

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संघ में अत्यंत महत्वपूर्ण है "गुरू दक्षिणा उत्सव" संघ शाखा प्रारम्भ होने के बाद प्रारंभिक दो वर्षों तक तो धन की कोई आवश्यकता महसूस नहीं हुई। कार्यक्रम भी सामान्य और छोटे स्वरूप के होते थे, इसलिए खर्चा भी विशेष नहीं होता था। जो कुछ थोड़ा बहुत खर्च होता उसकी पूर्ति डॉक्टरजी ( संघ संस्थापक एवं प्रथम सरसंघचालक परमपूज्य डॉ0 केशव बलीराम हेडगेवार )  का मित्र-परिवार करता। उनके मित्रों को यह पूरा विश्वास था कि डॉक्टरजी निरपेक्ष देश सेवा का कार्य कर रहे हैं। इसलिए वर्ष भर में एक या दो बार वे बड़ी खुशी से संघ कार्य के लिए आर्थिक मदद देते थे। 1927 तक संघ के जिम्मेदार स्वयंसेवक डॉक्टरजी के इन विश्वासपात्र मित्रों के यहां जाकर धन ले आते थे। द्रुत गति से बढ़ने वाले संघ कार्य के लिए, कार्यक्रमों तथा प्रवास हेतु जब अधिक खर्च करना अपरिहार्य हो गया तब डॉक्टरजी ने इस संबंध में स्वयंसेवकों के साथ विचार-विमर्श प्रारंभ किया। आज तक तो धनराशि एकत्रित होती उसका पाई - पाई का हिसाब डॉक्टरजी स्वयं रखते थे और यही आदत उन्होंने स्वयंसेवकों में भी डाली। परिणाम  स्वरूप स्वयंसेवकों को अपने सारे कार

गुरू-पूर्णिमा guru - purnima

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गुरू पूर्णिमा guru - purnima    आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। यह दिन महाभारत के रचयिता व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे। शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका

गुरू पूर्णिमा - गुरु से बड़ा संसार में कोई तत्व नहीं है Guru Purima

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  - अरविन्द सीसोदिया           आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं। यह  पूर्णिमा गुरु पूजन का पर्व है। वर्ष की अन्य सभी पूर्णिमाओं में इस पूर्णिमा का महत्व सबसे अधिक है। भारतीय संस्कृति में ‘आचार्य देवो भव’ कहकर गुरु को शिष्य द्वारा असीम आदर एवं श्रद्धा का पात्र माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य के तीन प्रत्यक्ष देव हैं - 1. माता 2. पिता 3. गुरु । इन्हें ब्रह्मण, विष्णु, महेश की उपाधि दी गई है। मां जन्म देती है, जीवन की रचयिता है इसीलिए ब्रह्म हैं। पिता जीवन के पालनकर्ता हैं, इसीलिए विष्णु का रूप माने जाते हैं। गुरु माया, मोह और अंधकार का  नाश करता है.इसलिए वे महेश के रूप में माने जाते हैं .       गुरु पूर्णिमा का दिवस केवल गुरु पूजा का दिवस नहीं है, बल्कि यह दिवस प्रत्येक शिष्य के अपने-अपने गुरुजनों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति का दिवस है। प्राचीन ऋषियों ने हमारे जीवन को चार भागों में बांटा था - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुलों में जाकर विद्याध्ययन किया करते थे। उन्हें तपोमय जीवन व्यतीत करने और संयम तथा च

मीसाबंदी जिनकी प्रेरणा,हमारा मार्गदर्शन करती हैं missa bandi 1975

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हमारे मीसाबंदी जिनकी प्रेरणा हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी। अल्प जानकारी आपसे साझा करते हें.. कोटा जेल में - 26 और 27 जून 1975 को जो मीसा बंदी बना कर लाये गये उनमें कोटा-बूदी-बांरा के -  पुरूषोतम दास जी, कृष्णकुमार जी गोयल, दाउदयाल जी जोशी, रघुवीरसिंह कौशल, देवीदत्त गाडिया जी, हरीकुमार जी औदिच्य, हीरालाल जी जैन, नंदलाल शर्मा जी, ठाकुरदास जी, मदनमदिर जी, हरीश कुमार जी, अमरसिंह जी, सुरेशचन्द जी मित्तल, बिहारीलाल जी गुप्ता, फूलचन्द जी, रंगबल्लभ जी , सुधीर कुमार जी, भगवान सहाय जी, कृतंजय कुमार प्रगात रंजन जी, ईश्वरचन्द्र जी, आचार्य दिशा मिसु, डॉ चन्द्रशेखर जी, ओमप्रकाश जी,मानकलाल जी नागर, परमानंद जी , शान्तिलाल जी, सुदर्शन जी, भगवान जी, स्वर्ण भाटियाजी,दर्शनसिंह जी, घनश्याम जी महेश्वरी । झालावाड़ के नवनीत लाल जी, निर्मल कुमार जी सखलेचा, गुरूलदास जी, नेमीचन्द जी , सत्यनारायण जी पुत्र श्री भैरूलाल जी और सत्यनारायण जी पुत्र श्री किशनलाल जी,रनत जी, सरदारीलाल जी आदि प्रमुख नाम सामने आये हैं और भी हैं।  यह सिलसिला लगातार चलता रहा बाद में श्री ललितकिशोर जी चतुर्वेदी, डॉ0 दयाकृष्ण जी विजय

मोदीजी और भाजपा को विदेशी षड्यंत्र के प्रति हजार गुणा ज्यादा जागरूक रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया pm modi ji & India savdhan

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मोदीजी और भाजपा को विदेशी षड्यंत्र के प्रति हजार गुणा ज्यादा जागरूक रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया   अमेरिका में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के भव्य और दिव्य दौरे से ठीक पहले, भारत से एक राजकुमार अमरीका में जाकर के भारत की छवि खराब करते हैं और फिर जब नरेंद्र मोदी जी वहां पहुंचते हैं अमेरिका का एक टीवी चैनल द्वारा उसी तरह का रंग में भंग डालने के लिए पूर्व राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के मुंह से भारत के अल्पसंख्यकों के लिए कथित चिंता व्यक्त करवाई जाती हैं। जबकि 75 सालों से लगातार अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और नेस्टनावुद करने पर तुले पाकिस्तान के विरुद्ध वे एक भी शब्द नहीं बोलते हैं। वहीं अमरीका में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, किन्तु वहाँ हिंदू डिस्मेंटल अभियान चल रहा है , जिसका उद्देश्य हिंदू धर्म को समाप्त करना है, इसके विरुद्ध भी  पूर्व राष्ट्रपति ओवामा चुप रहते हैं। इस तरह का अभियान भारत में कभी संभव नहीं हो सकता। भारत नें तो सदियों पहले से बाहरी धर्म, पंथ और संम्प्रदायों को जीने का अवसर दिया। स्वामी विवेकानंद नें शिकागो में धर्म संसद में यही तो कहा था कि में उस भूमि से आया

कांग्रेस मज़बूत भारत क्यों नहीं चाहती - अरविन्द सिसोदिया majboot bharat

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कांग्रेस मज़बूत भारत क्यों नहीं चाहती - अरविन्द सिसोदिया  कांग्रेस नेता जयरान रमेश नें भारत - अमरीका रक्षा सौदे पर प्रश्न खड़े कर भारत को रक्षा क्षेत्र में मज़बूत भारत बनने में फिर से अड़ंगा डालने का काम प्रारंभ कर दिया है। जबकि भारत को न केवल चीन से खतरा है बल्कि भारत एक बहुत बड़ी सीमा क़ी सुरक्षा क़ी जबावदेही भी रखता है।  युक्रेन - रूस युद्ध नें ड्रोनों का महत्व सारी दुनिया को दिखा दिया है और अच्छे ड्रोन देश क़ी सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हो गये हैं। हमारे पंजाब प्रान्त में पाकिस्तान के ड्रोन ड्रग्स और तस्करी क़ी मुसीबत ख़डी किये हुए हैं। जब भारत आधुनिकतम लड़ाकू विमान राफेल खरीद रहा था तब भी कांग्रेस नें इसी तरह क़ी नौटंकी ख़डी क़ी थी। तमाम अड़ंगे बाजी के भी वह राफेल को भारत आनें से नहीं रोक सका और अब 31 MQ-9B प्रीडेटर यूएवी ड्रोन को भी भारत आनें से नहीं रोक सकती। सवाल यही है क़ी कांग्रेस मज़बूत भारत क्यों नहीं चाहती वह मजबूर भारत क़ी इच्छा क्यों रखती है, क्या यही चीन से MOU है।

भाजपा की सबसे बड़ी ताकत पार्टी कार्यकर्ता हैं - पीएम मोदी Party workers are the biggest strength of BJP - PM Modi

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भोपाल में पीएम मोदी की सार्वजनिक बैठक 'मेरा बूथ सबसे मजबूत'  भाजपा की सबसे बड़ी ताकत पार्टी कार्यकर्ता हैं - पीएम मोदी Party workers are the biggest strength of BJP - PM Modi June 27, 2023  माननीय प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन का मूल पाठ यथावत  -बीजेपी की प्राथमिकता दल से पहले देश: पीएम मोदी -जो भी तीन तलाक के पक्ष में है, वह मुस्लिम महिलाओं के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहा है: पीएम मोदी -दूसरी पार्टियां चाहती हैं कि उनके बेटे-बेटियां फलें-फूलें, बीजेपी चाहती है कि आपके बेटे-बेटियां फलें-फूलें: पीएम मोदी -विपक्षी दल घोटालों की गारंटी हैं। मैं इस बात की भी गारंटी देता हूं कि गरीबों और देश को लूटने वाले हर व्यक्ति पर कार्रवाई होगी: पीएम मोदी नमस्कार ! मध्य प्रदेश की धरती भाजपा को दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बनाने में इस धऱती की बहुत बड़ी भूमिका है। और इसलिए, ऐसी ऊर्जावान मध्य प्रदेश की धरती पर मेरा बूथ सबसे मजबूत इस कार्यक्रम का हिस्सा बनते हुए मुझे हृदय से आनंद आ रहा है अच्छा लग रहा है गौरव हो रहा है। अभी कुछ ही देर पहले ही मुझे देश के 6 राज्यों को जोड़ने वाली 5 वंदे भारत

देवशयनी एकादशी : हरिशयनी एकादशी

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   जिस तरह हम 24 घंटे के पूरे दिवस में लगभग एक तिहाई 8 घंटे निद्रा लेते है। उसी तरह भगवान भी वर्ष में एक तिहाई अर्थात 4 माह की निद्रा लेते हैं। तर्क विर्तक और कुतर्क कितने भी हों। मगर सच यही है कि शरीर को अपनी ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने हेतु निद्रा लेनी ही पढ़ती है। यही वैज्ञानिक नियम ईश्वरीय व्यवस्था पर भी लागू होता है।    देवशयनी एकादशी 'हरिशयनी एकादशी' भगवान विष्णु - अन्य नाम     'पद्मनाभा' एकादशी, 'हरिशयनी' एकादशी अनुयायी - हिंदू, भारतीय उद्देश्य - ब्रह्म वैवर्त पुराण में इस एकादशी का विशेष माहात्म्य लिखा है। इस व्रत को करने से प्राणी की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, सभी पाप नष्ट होते हैं। प्रारम्भ - पौराणिक काल तिथि - आषाढ़ शुक्ल एकादशी अनुष्ठान - इस दिन उपवास करके भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर आसीन कर उनका षोडशोपचार सहित पूजन करके, उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा, पद्म सुशोभित कर उन्हें पीताम्बर, पीत वस्त्रों व पीले दुपट्टे से सजाया जाता है। पंचामृत से स्नान करवाकर, तत्पश्चात् भगवान की धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा कर आरती उतारी जाती है। धार्मिक मान्यता