छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश






मित्रों आज शिवाजी जयंती है। 1303 इ. में मेवाड़ से महाराणा हम्मीर के चचेरे भाई सज्जन सिह कोल्हापुर चले गए थे। इन्ही की 18 व़ी पीढ़ी में छत्रपति शिवाजी महाराज पैदा हुए थे। ये सिसोदिया थे।


सिसोदिया राजपूत वंश के कुलनायक महाराणा प्रताप के वंशज छत्रपति शिवाजी महाराज की आज जयंती है ... शूरवीरता के साक्षात अवतार लोकराज के पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज के इस जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें
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राज्याभिषेक

सन् १६७४ तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे।

पश्चिमी महारष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। शिवाजी के निजी सचीव बालाजी आव जी ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और उन्होंने ने काशी में गंगाभ नमक ब्राहमण के पास तीन दूतो को भेजा, किन्तु गंगा ने प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे ,  उसने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेगा | बालाजी आव जी ने शिवाजी का सम्बन्ध मेवाड़  के सिसोदिया वंश से समबंद्ध के प्रमाण भेजे जिससे संतुष्ट होकर वह रायगढ़ आया |
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भारतीय इतिहास की गौरवशाली गाथा है शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक



रायगढ़ में ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तदनुसार 6 जून 1674 को हुआ छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हिंदू इतिहास की सबसे गौरवशाली गाथाओं में से एक है। सैकड़ों वर्ष विदेशियों के गुलाम रहने के पश्चात हिंदुओं को संभवतः महान विजयनगर साम्राज्य के बाद पहली बार अपना राज्य मिला था।

उस दिन, शिवाजी का राज्याभिषेक कशी के विद्वान महापंडित तथा वेद-पुराण-उपनिशदों के ज्ञाता पंडित गंगा भट्ट द्वारा किया गया। शिवाजी के क्षत्रिय वंश से सम्बंधित न होने के कारण उस समय के अधिकतर ब्राह्मण उनका राजतिलक करने में हिचकिचा रहे थे। पंडित गंगा भट्ट ने शिवाजी की वंशावली के विस्तृत अध्ययन के बाद यह सिद्ध किया के उनका भोंसले वंश मूलतः मेवाड़ के वीरश्रेष्ठ सिसोदिया राजवंश की ही एक शाखा है। यह मन जाता था कि मेवाड़ के सिसोदिया क्षत्रिय कुल परंपरा के शुद्धतम कुलों में से थे।

क्यूंकि उन दिनों राज्याभिषेक से सम्बंधित कोई भी अबाध परंपरा देश के किसी हिस्से में विद्यमान नहीं थी, इसलिए विद्वानों के एक समूह ने उस समय के संस्कृत ग्रंथों तथा स्मृतियों का गहन अध्ययन किया ताकि राज्याभिषेक का सर्वोचित तरीका प्रयोग में लाया जा सके। इसी के साथ-साथ भारत के दो सबसे प्राचीन राजपूत घरानों मेवाड़ और आम्बेर से भी जानकारियां जुटाई गई ताकि उत्तम रीति से राजतिलक किया जा सके।

प्रातःकाल शिवाजी ने सर्वप्रथम शिवाजी महाराज ने प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। उन्होंने तिलक से पूर्व लगातार कई दिनों तक माँ तुलजा भवानी और महादेव की पूजा-अर्चना की।

6 जून 1674 को रायगढ़ के किले में मुख्य समारोह का आयोजन किया गया। उनके सिंहासन के दोनों ओर रत्न जडित तख्तों पर राजसी वैभव तथा हिंदू शौर्य के प्रतीक स्वरुप स्वर्णमंडित हाथी तथा घोड़े रखे हुए थे। बायीं ओर न्यायादेवी कि सुन्दर मूर्ति विराजमान थी।

जैसे ही शिवाजी महाराज ने आसन ग्रहण किया, उपस्थित संतों-महंतों ने ऊंचे स्वर में वेदमंत्रों का उच्चारण प्रारंभ कर दिया तथा शिवाजी ने भी उन सब विभूतियों को प्रणाम किया। सभामंडप शिवाजी महाराज की जय के नारों से गुंजायमान हो रहा था। वातावरण में मधुर संगीत की लहरियां गूँज उठी तथा सेना ने उनके सम्मान में तोपों से सलामी दी। वाहन उपस्थित पंडित गंगा भट्ट सिंहासन की ओर बढे तथा तथा उन्होंने शिवाजी के सिंहासन के ऊपर रत्न-माणिक्य जडित छत्र लगा कर उन्हें ‘राजा शिव छत्रपति’ की उपाधि से सुशोभित किया।

इस महान घटना का भारत के इतिहास में एक अभूतपूर्व स्थान है। उन दिनों, इस प्रकार के और सभी आयोजनों से पूर्व मुग़ल बादशाहों से अनुमति ली जाती थी परन्तु शिवाजी महाराज ने इस समारोह का आयोजन मुग़ल साम्राज्य को चुनौती देते हुए किया। उनके द्वारा धारण की गयी ‘छत्रपति’ की उपाधि इस चुनौती का जीवमान प्रतीक थी। वे अब अपनी प्रजा के हितरक्षक के रूप में अधिक सक्षम थे तथा उनके द्वारा किया गए सभी समझोते तथा संधियां भी अब पूर्व की तुलना मैं अधिक विश्वसनीय और संप्रभुता संपन्न थे।

शिवाजी महाराज द्वारा स्वतंत्र राज्य की स्थापना तथा संप्रभु शासक के रूप में उनके राज्याभिषेक ने मुगलों तथा अन्य बर्बर विधर्मी शासको द्वारा शताब्दियों से पीड़ित, शोषित, अपमानित प्रत्येक हिंदू का ह्रदय गर्व से भर दिया।  यह दिन भारत के इतिहास में अमर है क्योंकि यह स्मरण करता है हमारे चिरस्थायी गौरव, संप्रभुता और अतुलनीय शौर्य की संस्कृति का। आइये, मिलकर उद्घोष करें:

गौ-ब्राह्मण प्रतिपालक, यवन-परपीडक, क्षत्रिय कुलावातंश, राजाधिराज, महाराज, योगीराज, श्री श्री श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की जय !

जय भवानी । जय शिवराय !!
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सिसौदिया वंश की उपशाखाएं

चन्द्रावत सिसौदिया
यह 1275 ई. में अस्तित्व में आई। चन्द्रा के नाम पर इस वंश का नाम चन्द्रावत पडा।

भोंसला सिसौदिया - 
इस वंश की स्थापना सज्जन सिंह ने सतारा में की थी।

चूडावत सिसौदिया
चूडा के नाम पर यह वंश चला। इसकी कुल 30 शाखाएं हैं।
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- छत्रसिंह सोलँकी बनकोडा, आदरणीय मित्रवर शिवाजी महाराज मरठा थे वे कैसे महाराणा प्रताप के वँशज हो सकते है?
- Sudhir Kashyap solanki jee maratha word is belong to all those live and follow the shiva jee . shiva also a Maratha Rajpoot,bhi mitron ki jankari ke liye -yah link hai -http://en.wikipedia.org/wiki/Bhosle,es link main " Subclans" dekhen aur Janey tha relation between sisodias and Bhonsle,
- Narendra Singh Tomar
Nst Chhatar singh solanki aur Sudhir Kashyap chhatrapati Shivaji Maharaj was sisodiya Rajput ... Whose ancestor was Maharana Pratap of Mewad Rajasthan. Shivaji Maharaj ki poori vanshavali uplabdh hai. Maratha na to koyi jaati hai aur na dharm. Shivaji Maharaj ki vanshavali main kahin bhi Maratha jaati ya Dharm hone ka ullekh nahi hai. Jo log Shivaji Maharaj ko Maratha kahte aur samajhte hain.... Ve krapaya Shivaji Maharaj ki pichhali 10 peedhiyon tak ki vanshavali yahan avashya likhen
- Rana Vishwajeetsingh Sisodiya Sisodiya Kulwantasya Rajadhiraj Chattrapati Shivaji Raje Bhonsale...--->Bhosaji jo ki Rana Ajay Singhji ki 11 pidhi thi unke naam se vansh chala.
gahlot-ahra vansh ki ek shakha he bhonsale!
 लिक - भोसले

Some of the historical accounts stating that Shahaji and Shivaji were of Rajput descent include:
  • In 1726 when Mahratta armies began to make incursions into the Rajputana terrotiries , Raja Chatrapati Shahu in a letter dated 1726 ordered his generals not to touch the Sisodia territory of pippila state in mewar as well as the other states in Rajputana which belonged to Sisodia rajputs telling them that only did the Rawat of Piplia and the Sisodia Rajputs belong to the same family as that of the Rulers of Satara(Bhosle) but it was mainly due to the courage and sacrifices made by Sisodia rajputs such as Rana Hammir, Maharana Kumbha, Maharana Sanga and Maharana Pratap that Hindu Raj was preserved in India till a certain extent.
  • Radha Madhava Vilasa Champu of poet Jayarama (written in the court of Shahaji at Banglur, 1654) describes the Bhonsles as the descendants from the Sisodias of Chittor. Jayaramas poetry was composed much before Shivajis coronation. In a poem on Shahaji, Jayarama mentions that Shahaji was descended from Dalip (or Dilip Singh) born in the family of the Rana who was the foremost among all kings of the earth. This Dalip was a grandson of Lakshmanasen, Rana of Chittor, who came to the throne in 1303 CE.
  • Shivabharata of Paramananda mentions that Shivaji and Shahji are of the Ikshvaku lineage like the Sisodiyas.
  • Parnalaparvata Grahanakhyana states that Shivaji is a Sisodia
  • Bhushan the Hindi poet speaks of the Bhosales being Rajput
  • Shahji in his letter to the Sultan Adilshah states he is a Rajput
  • The Mughal historian Khafi Khan describes Shivaji as a descendent of the Ranas of Chittor. Khafi Khan was a very harsh critic of Shivaji, and wrote accounts condemming Shivaji to hell. He claimed that though Shivaji's ancestors did come from the family of Ranas of Chittor, they descended through an illegitimate offspring Dilip Singh.
  • Sabhasad Bakhar composed by Shivaji Minister Krishna Bhaskhar in 1694 refers to Bhosle as a Solar Dynasty clan of Sisodia Origin.
  • Persian Farmans(Grants) given to the ancestors of Ghorpade and Bhosles by the Bahmani Sultans and Adil Shahi Sultans relate the Shivaji family of Bhosle and that of Ghorpades directly with the Sisodia family of Udaipur.
Scholars such as Sir Jadunath Sarkar have contested Shivaji Rajput origin and remarks that his Rajput origin was fabrication required during his coronation, however eminent Marathi Historian CV Vaidya dont believe this as works composed years before Shivaji rise to glory Radhav Vilas Champu by Poet Jayaram mentions Shahji Bhosle(Shivaji's Father) as Sisodia Rajputs. Shahji letter to Sultan Adil Shah in 1641 also mentions that Bhosle are Rajputs , these evidences are cited by supporters of Shivaji Rajput origin to reject notions like Shivaji rajput origin was fabricated only at the time of his coronation.. The discovery of Persian Farmans in 1920s also dented the claim of those scholars who assumed that Shivaji sisodia origin was a fabrication to get his coronation done. The Mudhol Farmans which bear seals and tughra of Bahmani and Adil Shahi Sultans establish a direct descent of Shivaji(Bhosle Clan) and that of Ghorpade with that of Sisodia Rajputs of Chittod.
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Nilesh Upsarpanch
सिसोदा - जहां से जुड़े हैं सिसोदिया
गांवों ने कई कुलों को पहचान दी है। जातिगत अटकें भी उनके मूल निवास के गांवों के साहचर्य को पहचानने में सहायक रही है। मेवाड़ का 'सिसोदा' अथवा 'शिशोदा' ऐसा गांव है जहां से जो परिवार निकले, वे 'सिसोदिया' कहलाए। सिसोदिया परिवार देश भर में फैले हुए हैं। न केवल राजपूतों में बल्कि अन्‍य कुल भी सिसोदिया अथवा शिशोदिया के रूप में पहचाने जाते हैं।
वर्तमान में राजसमंद जिले में नाथद्वारा से केलवाड़ा के पुराने मार्ग पर यह गांव अरावली की पहाडि़यों में आबाद है और बहुत पुराना गांव है। मेवाड़ का सिसोदिया गुहिलोत राजवंश यहीं से उठा है। यहीं के हम्‍मीरसिंह ने अलाउद्दीन ख़लजी के काल में मेवाड़ के गौरव को पुन: लौटाने का सार्थक प्रयास किया। हम्‍मीर बहुत पराक्रमी सिद्ध हुआ, उसके पराक्रम के चर्चे उसके अपने जीवनकाल में ही लोकप्रिय हो गए थे क्‍योंकि उसने मूंजा बलेचा जैसे इच्‍छाजीवी को शिकस्‍त दी। मारवाड़ से गुजरात जाने वाले विषम पहाड़ी मार्ग पर हम्‍मीर ने अपनी सिंह जैसी पहचान बनाई, उसने साबरकांठा और झीलवाड़ा पर अपना दबदबा बनाया। इसी कारण उसे कुंभलगढ़ की 1460 ई. की प्रशस्ति, एकलिंगजी मंदिर के दक्षिणीद्वार की 1495 ई. की प्रशस्ति सहित अनेक ग्रंथों में उसे 'विषमघाटी प्रौढ़ पंचानन' कहा गया है।
सिसोदा में इस वंश के प्राचीनकाल में बसे होने के प्रमाण के रूप में वर्तमान में बाणमाता (बायणमाता) मंदिर है। यह सिसोदिया वंश की कुलदेवी मानी गई है जो बाण आयुध का दैविक स्‍वरूप है। चारभुजा मंदिर भी उसी काल का माना जाता है किंतु प्राचीन दुर्ग का कोई प्रमाण नहीं मिलता। हां, पहाडि़यों को खोजने की जरूरत है। यहां के निवासियों को इस बात का गौरव है कि मेवाड़ को सिसोदिया जैसा सम्‍मानित राजवंश इसी धरती ने दिया मगर, सिसोदियाें ने बाद में इस गांव की ओर रुख नहीं किया।
वजह थी, महाराणा भीमसिंह के काल में यह गांव 1818 ई. में चैत्र कृष्‍ण पंचमी के दिन चारण कवि किसना आढ़ा को बतौर जागीर भेंट कर दिया गया था। किसना आढ़ा ने यहां से गुजरते हुए भाणा पटेल से कहा कि वह उनका हुक्‍का भर दे। भाणा ने कहा कि वे कौनसी जागीर जीतकर आ रहे हैं। इस पर आढ़ा ने कहा कि वह जल्‍द ही बताएंगे कि जागीर जीती कि नहीं। बाद में जब उनकी सेवा से प्रसन्‍न होकर महाराणा भीमसिंह ने कुछ मांगने को कहा तो आढ़ा ने सिसोदा मांग लिया। महाराणा इसके अपने पूर्वजों का प्रतिष्ठित निवास मानकर खालसे ही रखना चाहते थे। आढ़ा के रुठकर पांचेटिया गांव चले जाने पर महाराणा ने पत्र भेजकर उनको मनाया और सिसोदा गांव भेंट किया। आढ़ा ने इस पर गीत रचा :
कीजै कुण मीढ न पूजै कोई, धरपत झूठी ठसक धरै।
तो जिम भीम दिये तांबापतर कवां अजाची भलां करै।।
पटके अदत खजांना पेटां देतां बेटां पटा दियै।
सीसोदाै सांसण सीसोदा थारा हाथां मौज थियै।।
किसना आढ़ा कर्नल जेम्‍स टॉड का भी निकट सहयोगी रहा। टॉड के हस्‍तक्षेप से ही उसको इस गांव का पक्‍का पट्टा मिला था। किसना आढ़ा को भीम‍विलास काव्‍य ही नहीं, 'रघुवर जस प्रकाश' जैसा ग्रंथ रचने का श्रेय भी है जिसमें डिंगल के सैकड़ों गीतों के उदाहरण के रूप में रामायण की कथा को लिखा गया है।
बाद में, किसना के पुत्र महेस आढ़ा की शादी में महाराणा जवानसिंह ने गज से सिसोदा की यात्रा की... और रावले के पास हाथी बांधने के लिए कुंभाला गाड़ा। महेस की आशियाणी पत्‍नी ने सिसोदा में बावड़ी बनवाई। सिसोदा का मंदिर भी बनवाया। महेस की स्‍मारक छतरी वहां खारी नदी के किनारे रावला रहट के पास बनी है।
हां, महाराणा हम्‍मीर से जुड़ा स्‍थान तलाशना बाकी है। कभी सिसोदिया शासक अपने दान, अनुदान अग्रहार को 'सिसोद्या रो दत्‍त' ही कहते थे जो इस गांव की स्‍मृति से जुड़ा हुआ माना जाता था। और भी कई बातें सिसोदा के साथ जुड़ी हुई है। यहां आकर बाणमाता सहित चारभुजा और भैरूजी के दर्शन तो होते ही हैं, एक गौरवशीली अतीत को आत्‍मसात करने का अवसर भी मिलता है। लौटते हैं तो नजर उन पहाडि़यों पर जरूर पड़ती है जो इन दिनों हरियाली की चादर आेढ़े हैं, कभी इन्‍हीं घाटियों में लक्ष्‍मणसिंह, अरिसिंह और हम्‍मीरसिंह तथा उनके सैनिकों के अश्‍वों की टापें गूंजती थीं... श्रीनीलेश पालीवाल का उपहार है। जय-

टिप्पणियाँ

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    1. Gopalji hum kuch galat nahi keh rahe hai hum to bas jo itihas me hai wah sachhai bata rahe hai ,aap khud maratha ho isiliye shayad yah baat aapko buri lag rahi hai kyu ki mai janata hu marathi log kitna mante hai apane pyare raja Shivaji ko ,waise bhi Maharastra me hamesha Balasaheb jaise netao ne Shivaji ke naam se hi raaj kiya hai aur unhone janbuz kar yah sachhai kabhi marathi logo ke samne nahi aane di Marathi asmita ke naam se marathi logon ki bhawanao ke sath khelne ke liye unhone Shivaji maharaj ko hamesha istemal kiya
      prantwaad ko badhawa dekar hamesha se raaj karte aaye hai Thakare pariwar isiliye unhone yah baat kabhi samne nahi aane di ,taki kal ko duniya yah nahi kahe ki shivaji khud hi Rajput sisodia clan se hai aur Balasaheb aur Raj jaise neta prantwaad ki baat kar rahe hai,waise mere padhane me to yahi aaya hai ki khud Balasaheb M.P se hai....lekin jo ho hum sab ak hai aur Bharat mata ke suputra hai ,hame koi fark nahi padhna chahiye ki Shivaji Maharaj Maratha hai ya Rajput ,unke jaise Veer to karodo me ak baar hi bante hai ,hame bas unaki shurveerta ko yaad karna chahiye ..Jay Maratha ,Jay Shivaji

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    2. मुझे असली इतिहास आपने बताया इसके लिए आपको धन्यवाद देता हु

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    3. इतिहास कया है जरा विस्तार से बताएंगे.......?

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    1. aapke na manane se sacchai to chip nahi sakti ,but it is true Shivaji mahraj is sisodia clan of Rajput vansh,khud shivaji maharaj ne hi apani vanshawali mangai thi varanasi se Gaga bhatta ke hatho se aur fir sabit kiya ki woh kshatriy vansh ke hai tab jakar unaka rajya abhishek hua tha

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    2. Shivaji maharaj pahalese maratha hi the
      Shivaji maharaj ke rajyabhishek ke samay sabhi brahmano ka virodh tha tha kyonki rajyabhishek sirf unka hota tha jinke purvaj raja ho to shivaji maharaj ke to purvaj raja nhi the aur rajtilak brahmano ke hato kiya to hi use raja ghoshit kiya jata tha
      Tabhi us samay ke sabse bade brahman gagabhatt ko shivaji maharaj ne unko bulane ke liye unka ek sardar bheja us sardar ne unko kaha ki mere sath chalo shivaji maharaj ka rajyabhishek karna hai to unhone kaha ki unke purvaj to koi raja nhi the unka rajyabhishek nhi ho sakta to us sardar ne kaha ki ghus diya to ye kam ho sakta hai kya
      To unhone kaha ki ghus se to koi bhi kam ho sakta hai
      Tab gagabhatt maharashtra me aye aur unka rajyabhishek kiya
      Aur vaha ke brahmano ko shant karne ke liye ye kaha ki o rajput ke sisodiya ghar sambhanh rakhate hai aur unhone aisa itihas me bhi likha apne hi man se likha us samay brahman hi itihas likhate the unhine ne itihas ko badal diya

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    3. Shivaji’s mother belonged to Mewar

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    4. shivaji was brave rajput

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  3. सिसोदिया वंश ही मराठा है जय हो मराठा

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    1. Jay ma bhwani. Sabhi sardaro ko. Rajput aur maratha शब्द ke bare me kuch logo me matbhed hi per me keh deta hu ki rajput maratha ek hi baat hi. Aap history padho samj aayega apko rajput ka arth hota hi raja ka put ya putra aur marata bhi raja ke hi putra hi to rajput hi hue na maratha to maharastra me rehne se maratha kehlaye etna samjo ham sahtriya hi

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    2. ...शिसोदिया वंश राजपुत वंश से
      छत्रपती शिवाजी महाराज भोसले मराठा वंश है...
      ...शिसोदिया वंश राजपुत से घोरपडे मराठा वंश है..
      ...परमार राजपुत वंश सें निंबाळकर मराठा वंश है...
      ...मौर्य राजपुत वंश सें मोरे मराठा वंश है...
      ...यादव राजपुत वंश सें यादव जाधव जाधवराव मराठा वंश है...

      🚩..ऐसे राजपुतों सें 36 कुल सें 96 कुल मराठों की उत्पती हुए है.उसी समय 9,वी शताब्दी सें आगे से उत्तर भारत के कही राजपुतो के क्षत्रिय सुर्यवंशी चंद्रवंशी क्षत्रिय वंश आकर रहे उनको 96 कुल क्षत्रिय मराठा बोलते है...🚩

      ❤️अब पुरे महाराष्ट्र में ही नहीं दक्षिण भारत में मराठा क्षत्रिय है.❤️

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  4. इस देश में अगर मराठा नहीं होते तो ये भारत देश नहीं होता मराठा विरो तुम्हे मेरा प्रणाम

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  5. सिसोदिया वंश ही मराठा है जय हो मराठा

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    1. Sisodiya to bhilo ka kabila tha bhai .... chatrapati shivaji kshtriya maratha the

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  6. rana and siva were fought for our motherland they r our icon should not be politicization the issue.We all should salute and regard the both hero's.

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  7. mjhe koi fark ni padta. tht they were sisodiya, or maratha..................bs wo hindu thy.!!!!!!!!

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  8. There are many clans in Marathas which are also found in Rajputs, the
    famous are: Chavan (Chauhan), Rathod, Pawar, Rane (Rana), Salunkhe
    (Solanki), Sisode (Sisodia) etc. All these people belonging to these
    clans claim that their ancestors were Rajputs. My only apprehension is why they stopped calling themselves Rajput.
    May be they were trying to hide their identity.

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  9. सिसोदिया राजपूत वंश के कुलनायक महाराणा प्रताप के वंशज छत्रपति शिवाजी महाराज की आज जयंती है ... शूरवीरता के साक्षात अवतार लोकराज के पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज के इस जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें
    - छत्रसिंह सोलँकी बनकोडा, आदरणीय मित्रवर शिवाजी महाराज मरठा थे वे कैसे महाराणा प्रताप के वँशज हो सकते है?

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    1. नीलेश!वंशज का अर्थ ये नहीं है कि शिवाजी महाराणा प्रताप के पुत्र या पौत्र, या पड़ पपौत्र आदि थे। बल्कि वंशज का अर्थ यहाँ एक ही वंश से है। दोनों ही सूर्यवंशी क्षत्रिय थे। महाराणा प्रताप के चचेरे भाई सज्जन सिंह कोल्हापुर जा बसे थे, उन्हीं के वंशज शिवाजी थे।

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    2. नीलेश! यहाँ वंशज का अर्थ पुत्र, पौत्र, पड़ पौत्र आदि नहीं है, बल्कि वंशज का अर्थ यहाँ एक ही वंश से है। महाराणा प्रताप के चचेरे भाई सज्जन सिंह कोल्हापुर जा बसे थे, उन्हीं के वंशज(पुत्र, पौत्र, पड़-पौत्र आदि) शिवाजी महाराज थे।
      जय हिन्दु राष्ट्र...

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  10. dono vansho ke jai ho, hum rajput tum maratha kay hum bhartaya nahi hi gorve se bolo hum bhartya hi

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  11. महाराणा प्रताप or शिवाजी महाराज dono hi Mahan है, छत्रपति शिवाजी महाराज के इस जन्मोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें Afsos hi ki hum aaj bhe ek dusrey ki gaategat Pahchan karte hi ke tum hinu, tum musalman, tum राजपूत tum maratha. ab too huq sey bolo hum sub Bhartaya hi

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  12. shivaji maharaj hindu the unhone koi maratha rajya ya rajput rajya nahi, balki HINDAVI SWARAJYA ki punah sthapana ki

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  13. shivaji maharaj dekha jaye toh Rana-Rajput hi the par unhone kabi apna sisodiya-rajput hone ka dhindhora nhi peeta .....unhe hindvi swarajya sthapit karna tha ......aur we maratha issliye kahe jate the kyuki we marathi k the maratha koi particular caste nhi thi pehle ......badme logon ne isseh e caste bana diya
    agar dekha jae toh maharashtra me rajputon ki kami nhi hah ......many of the 96kula marathas are decendends of 36kula rajputs during the reign of allaudin khalji many rajputs frm rajputana state including m.p u.p gujrat came down to deccan i.e maharashtra to protect their clan may be aapni pehchan chupane ke liye unhone surnames change karliye nd maratha kehlane lage ......mera e example lelo we are maratha-deshmukh samaj deshmukh is actually a title like thakurs our actual surname is gaur jo rajputon me surname aata hain......nd our ancestors too were rajputs from M.P who settled many years ago ....in khandesh region of maharashtra....nd hamre purvaj rajput hote hue bhi hum kabhi rajput hain esa nhi kehte ....because we r all kshartiyas ye 1k baat yaad rahko.....aur khaskar marathi ksahtriyas(maratha) hume marathi manus ...ka nara lagana aur raj thakre jaise foolish logon k peeche bhagne se aacha akhil bhartiya kshatriya ekta ki baat karni chaiye .....behtar rahega
    jai rajputana
    jai maratha
    jai mataji
    jai bhavani

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    1. 1300 ke pehle maratha koi caste nahi thi kyonki maratha orignal rajput ke vashaj hai rane(rana) solanke(solanki)pawar(parmar)sisode(sisodia) chavan(chauhan) our maratha caste ka uday yaha bhasha hone ke karanse hai our unko yename unke kam se mila hai "jo marake bhi nahi hatate unhe marhatte kehte hai " bhosle ka vansh bosaji ke name chalata hai jo ki rajput tha that is true maratha is rajput.. jagdamb....

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    2. I am Ravi sisodia mere bahi apko sisodia vansh ke bare mai kuch ni pta hai ok so plz no comments ok ham hain to tum ho hum ni to tum ni

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    3. छत्रपती शिवाजी महाराज यांचे वंशज सिसोदिया होते ते बरोबर आहे पण शिवाजी महाराजांनी आपले आडनाव भोसले हे बदलले नाही तर ते आधीपासून भोसले होते आणि ते मराठा होते..चुकीचा इतिहास पसरू नका..
      जय शिवराय

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    4. छत्रपती शिवाजी महाराज यांचे वंशज सिसोदिया होते ते बरोबर आहे पण शिवाजी महाराजांनी आपले आडनाव भोसले हे बदलले नाही तर ते आधीपासून भोसले होते आणि ते मराठा होते..चुकीचा इतिहास पसरू नका..
      जय शिवराय

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    5. छत्रपती शिवाजी महाराज यांचे वंशज सिसोदिया होते ते बरोबर आहे पण शिवाजी महाराजांनी आपले आडनाव भोसले हे बदलले नाही तर ते आधीपासून भोसले होते आणि ते मराठा होते..चुकीचा इतिहास पसरू नका..
      जय शिवराय

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    6. छत्रपती शिवाजी महाराज यांचे वंशज सिसोदिया होते ते बरोबर आहे पण शिवाजी महाराजांनी आपले आडनाव भोसले हे बदलले नाही तर ते आधीपासून भोसले होते आणि ते मराठा होते..चुकीचा इतिहास पसरू नका..
      जय शिवराय

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    7. No doubt Shivaji Maharaj Rajput the but pahle Maharastra mey
      Bimbisar raja tha
      Bhosle,Deshmukh, Pawar ye Shivaji Maharaj ke saath aaye

      Naik,mantri,Raut,date ye sab bimbisar raja ke vakt se the

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    8. Aisi baaten mat Karo Ravi. Ekta ki baaten karo. Abhi ham sabko milkar aur bhi bahut bade bade Yuddh ladne hain. dushman bahut hain, unse ladne k liye hame unite hona hai.

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    9. भाइ आप कह रहे हो कि राजपुत थे और सिसोदिया कुल के थे पर महाराष्ट्र के छत्रपती संभाजी नगरमै पैठण शहर मै अश्मक नामक जनपथ था और उत्तरी भारत मै सोलह जनपद थे और दक्षिण भारत मै अकेला अश्मक जनपद था बाद मै उसी जनपद को सिसोदे कहने लगे.आज भी सिसोदे सरनेम के लोग है महाराष्ट्र मै..बाद छत्रपती शिवाजी महाराज से पहले सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकणी जी महाराष्ट्र राज्य के महारठीय थे जैसे कि आज महाराष्ट्र के मराठा सातवाहन के वंशज है.‌आप लोग कह रहै है कि मराठा जो है महारथी क्षत्रिय। है सातवाहन राष्ट्रकूट, चालुक्य, कदंब,वाकाटक,और यादव है सभी क्षत्रि य मराठा राजवंश है और सिसोदे जो शाखा है वह एक क्षत्रिय मराठा🦁

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  14. shivaji maharaj dekha jaye toh Rana-Rajput hi the par unhone kabi apna sisodiya-rajput hone ka dhindhora nhi peeta .....unhe hindvi swarajya sthapit karna tha ......aur we maratha issliye kahe jate the kyuki we marathi k the maratha koi particular caste nhi thi pehle ......badme logon ne isseh e caste bana diya
    agar dekha jae toh maharashtra me rajputon ki kami nhi hah ......many of the 96kula marathas are decendends of 36kula rajputs during the reign of allaudin khalji many rajputs frm rajputana state including m.p u.p gujrat came down to deccan i.e maharashtra to protect their clan may be aapni pehchan chupane ke liye unhone surnames change karliye nd maratha kehlane lage ......mera e example lelo we are maratha-deshmukh samaj deshmukh is actually a title like thakurs our actual surname is gaur jo rajputon me surname aata hain......nd our ancestors too were rajputs from M.P who settled many years ago ....in khandesh region of maharashtra....nd hamre purvaj rajput hote hue bhi hum kabhi rajput hain esa nhi kehte ....because we r all kshartiyas ye 1k baat yaad rahko.....aur khaskar marathi ksahtriyas(maratha) hume marathi manus ...ka nara lagana aur raj thakre jaise foolish logon k peeche bhagne se aacha akhil bhartiya kshatriya ekta ki baat karni chaiye .....behtar rahega
    jai rajputana
    jai maratha
    jai mataji
    jai bhavani

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    1. छत्रपती शिवाजी महाराज यांचे वंशज सिसोदिया होते ते बरोबर आहे पण शिवाजी महाराजांनी आपले आडनाव भोसले हे बदलले नाही तर ते आधीपासून भोसले होते आणि ते मराठा होते..चुकीचा इतिहास पसरू नका..
      जय शिवराय

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    2. जय हिन्दु राष्ट्र

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  15. it is aalso a truth ganga bhatt received a lot of maony from shivaji maharaj

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    1. कुछ लोगों को हर चीज़ में यही दिखाई देता है

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  16. I PROUD OF YOU SISODIYA VANSH KYOKI MAHARANA PRATAP OR SHIVAJI JAISE SHOORVEERO KA JANM ESI VANSH M HUA THA....................... JAY AMBE MAA, JAY BAN MATA......

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  17. छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप ही हमारे असली भगवान है

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  18. मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी और राजपूत सम्राट महाराणा प्रताप ही हमारे असली भगवान है
    और इनके बारे में अगर कोई गलत कहे तो हम क्या करेंगे मेरे मित्रो हम लोग सिर्फ राणाजी और शिवाजी का नाम लेते है इनकी जयंती मनाते है लेकिन शिवाजी महाराज और उनकी माँ जिजामाता की बदनामी पुणे के ब्राह्मण लोग हर रोज कर रहे है और हम कुछ भी नहीं करते सिर्फ नाम लेने से क्या होगा मेरे मित्रो जागो और शिवाजी महाराज की बदनामी रोको

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    1. एकता की बात करो गोपाल । पुणे के ब्राह्मण अगर मूर्ख हैं तो क्या हम भी मूर्ख हो जायें? सभी हिंदुओं को एक जुट होकर दुश्मनों से लड़ना है, और उन्हें पराजित करना है।
      जय हिन्द

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    2. एकता की बात करो गोपाल । पुणे के ब्राह्मण अगर मूर्ख हैं तो क्या हम भी मूर्ख हो जायें? सभी हिंदुओं को एक जुट होकर दुश्मनों से लड़ना है, और उन्हें पराजित करना है।
      जय हिन्द

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  19. guys mujhe apni yani sisodiya vansh ki puri history chahiye kha milegi...?

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    1. Apke parivar ke bhat rav charan se pucho ya fir haridwar chale jao va pandit bethe chopra leke bata denge rajput vansawli ek book hi vo padho

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  20. मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी और राजपूत सम्राट महाराणा प्रताप ही हमारे असली भगवान है
    और इनके बारे में अगर कोई गलत कहे तो हम क्या करेंगे मेरे मित्रो हम लोग सिर्फ राणाजी और शिवाजी का नाम लेते है इनकी जयंती मनाते है लेकिन शिवाजी महाराज और उनकी माँ जिजामाता की बदनामी पुणे के ब्राह्मण लोग हर रोज कर रहे है और हम कुछ भी नहीं करते सिर्फ नाम लेने से क्या होगा मेरे मित्रो जागो और शिवाजी महाराज की बदनामी रोको

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    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    2. नासमझ तुम ये ब्राम्हण बदनामी का झुटा नाटक कहॉ से ले आये| राजा शीवाजी महाराज के राज्य को वीर बाजीराव पेशवा ने साम्राज्य में बदला था | वो एक ब्राम्हण थे|

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    3. Kaisey badnami kar rahey hai bhai jara vistaar se bataao kya bol rahey hai unko WO pune me

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  21. Rajput ya maratha cast nahi hai balki upadhi hai...maratha word maharathi nam se hai aur uska origin 300 bc ka hai...rajput word rajputra se aya hai...rajput aur maratha kshatriya hai...rahi bat shivaji maharaj ki,unke purvaj rajput the par wo maratha the...unhone rajyabhishek ke liye kshatriya hone ka proof diya na ki rajput hone ka...ha yeh bat sahi hai ki 12th century me bahot se rajput maharashtra me aye aur wo apne aap ko maratha kehne lage...meri maa ke mayke ka nam dalvi hai aur wo parmar rajput the..par aur bat bhi hai ki kafi maharattha rajputane me ruke aur wo rajput keh jane lage,jaise ki rathore were rashtrakutas,solanki were chalukyas,silar were shilahara,moris were mauryas,bains were satvahanas and much more...humko ye bat manani hogi ki rajput aur maratha alag nahi the,nahi hai..us samay bhi in dono states ke rajaon me shadi ke sambandh the...mai aapke samne kuch aise nam rakhta hun jo rajput aur maratha me same hai..sisodiya-sisode,nikumbh-nikam,parmar-pawar,solanki-solunke,rana-rana,deora-devre,dhumal-dhumal,chauhan-chavan,kalchuri-kalchure,silar-shilahar,mori-more,rathore-rahod,jadon-jadhav,gohil-gohile,kachawaha-kachawe,kadve and the list goes onn...hamara kulpurush bhi Kaloji rana the,unke nam se hum kale surname rakhte hai...aur sisodiya ke kuch bhat logon ne aisa likha bhi hai ki unke vanshaj mungi paithan ke hai jo maharashtra me hai..aur sabse bada proof bhavani mata jo ishta hai bahot sare kshatriyon ki,mul maharashtra ki hai,sisodiya rajaon ne phir unki pranpratishtha rajputane me ki aur unke kuch vanshaj jo nepal ke rana hai,unhone waha ki..kehne ki bat ye ki agar hum ek hai..ek kshatriya lakh barabar..

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    1. निष्कर्ष जौहरी20 अगस्त 2019 को 10:42 am बजे

      Very good.
      जय हिन्दु राष्ट्र

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    2. सुर्यवंशी चंद्रवंशी क्षत्रिय राजपुत मराठा एक है आप 96 कुल मराठा है कया या कोई भी नहीं

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  22. In 13th century many rajputs migrated to south and settled in maharashtra..later they become seperate from original rajput culture and speaks marathi language they are called marathas . Chatrapati shivaji was descendent of these marathas so although ancestory of shivaji was rajput , but he was maratha..so dont confuse on word maratha and rajput ,they are the same . Only difference is that rajput is very old term and maratha is new term used for the migrated rajputs. Chatrapati shivaji very proud maratha , promoted sanskritised marathi language , officially used marathi , promoted saints for marathi literature...
    chatrapat Shivaji named his army as ' maratha ' not rajput , his all ministers were maratha not rajputs ..
    Altough we marathas are descendents of rajput , we differ from them in many aspects , now we have our specific marathi language and culture...and we would like to call ourselves maratha rather than rajputs...
    Request for rajput brothers is that dont claim shivaji as a rajput forcefully , his ancestors were rajput but not shivaji..
    Shivaji dilse , jubaan se aur apne kam se MARATHA tha...

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  23. jai shivaji jai maharana pratap dono rajput the aur bhi rajput the actualy 96 clans maratha jo hai wo rajput hai inke ladhanesi aj hindutva jinda hai

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  24. छत्रपती शिवाजी महाराज यांचे वंशज सिसोदिया होते ते बरोबर आहे पण शिवाजी महाराजांनी आपले आडनाव भोसले हे बदलले नाही तर ते आधीपासून भोसले होते आणि ते मराठा होते..चुकीचा इतिहास पसरू नका..
    जय शिवराय

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  25. Then lets match both mewar and bhosale dna of current maharaj....it will not match for sure

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  26. निष्कर्ष जौहरी20 अगस्त 2019 को 11:17 am बजे

    भाइयों! आपस में बहस करने की बजाय हम अपने मूल को पहचानें, एक-जुट हों और अपने दुश्मनों के इरादों को समझते हुए उन्हें पराजित करें।
    जय हिन्द
    जय हिन्दू राष्ट्र

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  27. अति दुर्लभ ओर लोगों का भ्रम दूर करने वाली जानकारी दी गयी है आपका धन्यवाद क्षत्रिय एकता के लिए बिखरे इतिहास की कड़ियाँ खोजना आवश्यक है और भावी पीढ़ी तक क्षत्रिय इतिहास की पहुंच आवश्यक है

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  28. Also Read पूरे भारत में राजा शिवाजी का इतना सम्मान क्यों किया जाता है? here https://hi.letsdiskuss.com/why-is-king-shivaji-respected-so-much-throughout-india

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  29. सिसोदिया वंश :-
    जो राजस्थान मे रह गये वो राजपूत
    और जो मरहट्टा प्रदेश ( महाराष्ट्र) मे रह गये वो मराठे ...

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  30. दो महान वीरों की तुलना करना बेईमानी है दोनों अपने समय, काल और परिस्थितियों के हिसाब से श्रेष्ठ थे मराठा क्षत्रिय है या नहीं यह प्रश्न ही अनुचित है वीर की कोई जाति नहीं होती वीर केवल वीर होता है ll

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  31. Really loved this post. It was nice to read this post with interesting and useful information. Many thanks for sharing it.
    Regards,
    Taxi in India

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  32. ...भाई साहब जो राजपुत और मराठों को अलग अलग बोलता पहले तो अन्य किसी जाति का होगां सालो को कोई पता नहीं होता खुद्द कौन है कौन से खानदान से है कुछ भी पता नहीं होता उनको...

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  33. Bhai, maratha originally Maharashtra ke hai, shivaji maharaj ki 2 vanshavali uplabdh hai, ek maratha aur ek rajput, shatriy batane ke liye unhone rajput vanshavali banayi, aap jara bataiye ek bhosaji se lakho bhosle kaise bane, aur koi rajput purane jamane me maratha hona pasand karenga kya?

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  34. मुझे इस बात का गर्व है कि छत्रपति शिवाजी महाराज राजस्थान के मेवाड़ के सिसोदिया परिवार के वंशज है कि मैं भी मेवाड़ से ही आता हूं इसी प्रकार से आप इतिहास की अनसुलझी बातों को उसके रहस्य बताएं और हमें भी इतिहास से वंचित कराई जय भवानी जय शिवाजी 🚩🚩🚩🚩🙏🙏🙏

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  35. १) आज भी कई पीढ़ियों से महाराष्ट्र में रह रहे राजपूत लोगो की कुलदेवी मध्य प्रदेश और राजस्थान में है, जब की ज्यादातर मराठों की कुलदेवी जिसमे छत्रपति शिवाजी महाराज का भोसले कुल भी आता है उनकी कुलदेवी महाराष्ट्र की तुलजा भवानी है, अगर भोसले कुल राजपूत होता तो उनकी कुलदेवी राजस्थान में होती।

    २) छत्रपति संभाजी महाराज के लिए राजस्थान के एक राजपूत घराने से विवाह के लिए प्रस्ताव आया था लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने मना कर दिया था, उनका मानना था की शंभू राजे का विवाह मराठा घराने से ही होगा।

    ३) जिस प्रकार से महाराष्ट्र के क्षत्रिय मराठा शिंदे कुल का अपभ्रंश उत्तर भारत में जाकर सिंधिया हुआ उसी प्रकार से महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर से निकला हुआ मराठा शिसोदे कुल उत्तर भारत में जाकर सिसोदिया हुआ, इसका मतलब सिसोदिया ये राजपूत नही बल्कि मराठा कुल है। इसका बड़ा सबूत सुप्रसिद्ध राजस्थानी लेखक मुहता नैनसी की किताब है, और मुख्य बात मुहता नैनसी का जन्म छत्रपति शिवाजी महाराज से भी पहले यानी १६१० में हुआ था। मतलब उन्होंने बहोत पहले ही ये बात अपने किताब से बता दी थी की शिसोदे कुल मराठा है।

    ४) जब छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ तब सभासद बखर में उसी समय एक वाक्य लिखा गया जो इस प्रकार है 'आज मरहट्टा छत्रपति जाहला ही गोष्ट काही सामान्य झाली नाही’ मतलब आज एक क्षत्रिय मरहट्टा(मराठा) राजा चक्रवर्ती सम्राट बन गया ये बहुत बड़ी बात है...ऐसे अनगिनत सबूत है जो साबित करते हैं की छत्रपति शिवाजी महाराज एक क्षत्रिय मराठा थे और उनका राजपूत घराने से कोई भी संबंध नहीं था।

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    1. सही कहा आपने भाई यह लोग किसी का भी इतिहास चुरा रहे है और गलत बता रहै है

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