मोदीजी के नेतृत्व में भारत सबसे तेजगति की आर्थिकशक्ति - अरविन्द सिसोदिया
कांग्रेस के राज में थी भारत की " डेड इकोनॉमी " - अरविन्द सिसोदिया
मोदीजी के नेतृत्व में भारत सबसे तेजगति की आर्थिकशक्ति - अरविन्द सिसोदिया
कोटा 4 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी राजस्थान प्रदेश के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक एवं राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी अरविंद सिसोदिया ने कहा है कि " कांग्रेस राजकुमार राहुल गाँधी को यह नहीं भूलना चाहिए की, भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे खराब समय कांग्रेस शासन में ही आया था, जब सिर्फ बड़े बड़े घोटालों की गूंज हुआ करती थी और सारा सिस्टम मौन हुआ करता था। सच यही है राहुल जी कि कांग्रेस सरकार में ही भारत डेड इकोनॉमी था।"
सिसोदिया नें कहा है कि " भाजपा की मोदी सरकार आने के ठीक पहले, भारत की अर्थव्यवस्था अस्थिरताग्रस्त थी , नीतिगत पंगुता लगातार बनी हुई थी और वैश्विक अविश्वास की स्थिति बनी हुई थी। उस समय भारत उन पाँच देशों में शामिल था, जिन्हें वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम भरा माना जाता था, जिन्हें 'फ्रैजाइल फाइव' कहा जाता था। लगातार घोटाले, नीति निर्धारण में विलंब और विकास की धीमी गति ने निवेशकों को भारत से विमुख कर दिया था। सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर गिरकर 5 प्रतिशत के आसपास पहुँच चुकी थी और महँगाई, बेरोज़गारी, तथा राजकोषीय घाटा सभी चिंताजनक स्थिति में थे। "
सिसोदिया ने कहा कि " जैसे ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार बनी, भारत ने एक नई दिशा पकड़ी। यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था, यह दृष्टिकोण और कार्य संस्कृति का परिवर्तन भी था। देश सर्वोपरी का भाव था। सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि आर्थिक सुधार उसकी प्राथमिकता है। तभी तो ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे कार्यक्रम शुरू होते ही केवल सरकारी योजनाएँ नहीं रहे, बल्कि उन्होंने ढाँचागत रूप से भारत के आर्थिक आधार को पुनर्गठित किया।"
उन्होंने कहा है कि " जहाँ पहले भारत की छवि एक अव्यवस्थित और भ्रष्ट प्रशासन वाले देश की थी, वहीं आज भारत को पारदर्शिता, जवाबदेही और नीति-निरंतरता के उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। देश के करोड़ों लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने के लिए जनधन योजना चलाई गई और देखते ही देखते 50 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुले। ये केवल संख्या नहीं, बल्कि यह उस भारत का संकेत है जो अब आर्थिक मुख्यधारा में आ रहा है। जहाँ एक समय नकद लेनदेन ही प्राथमिक माध्यम था, वहीं आज डिजिटल लेन-देन के क्षेत्र में भारत विश्व का नेतृत्व कर रहा है। यूपीआई जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने मोबाइल फोन को बैंकिंग हब बना दिया है। भारत आज हर महीने अरबों डिजिटल ट्रांज़ैक्शन करता है, जो अमेरिका, चीन जैसे विकसित देशों से भी अधिक है।"
सिसोदिया नें कहा कि " जब कोविड महामारी नें एक वैश्विक आपदा बन कर सबसे शक्तिशाली देशों को भी झुका दिया था, अमेरिका और यूरोप जैसे देश जहाँ व्यवस्था के अभाव में लड़खड़ा गए, वहीं भारत ने न केवल वैक्सीन विकसित की, बल्कि विश्व के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उस दौर में प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज की घोषणा की, वह केवल राहत पैकेज नहीं था बल्कि पुनर्निर्माण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम था। एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने से लेकर गरीबों को मुफ्त राशन, किसानों को सीधी आर्थिक सहायता और उद्योगों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसे कदमों ने भारत को फिर से गति दी।"
सिसोदिया नें कहा कि " आज भारत सेमीकंडक्टर निर्माण, डिफेंस प्रोडक्शन, ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में न केवल आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहा है, बल्कि वैश्विक कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित कर रहा है। विदेशी निवेश के आँकड़े लगातार नए रिकॉर्ड बना रहे हैं और भारत अब निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद गंतव्य बन चुका है। ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में भारत की रैंकिंग में भारी सुधार हुआ है—एक समय जहाँ निवेशक नीति जटिलताओं से डरते थे, अब वही भारत पारदर्शी, स्थिर और तेज निर्णय लेने वाले देश के रूप में उभरा है।"
सिसोदिया ने कहा है कि " प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति ने भी अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है। अब भारत सिर्फ द्विपक्षीय समझौतों तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक मंचों पर अपनी निर्णायक भूमिका निभा रहा है। जी-20 की अध्यक्षता हो, इंटरनेशनल सोलर अलायंस की अगुवाई या वैश्विक आवाज़ बनने की दिशा में भारत का निरंतर सक्रिय होना। ये सब दिखाते हैं कि आज भारत केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि एक नीति-निर्माता शक्ति बन चुका है।"
उन्होंने कहा है कि " यह आर्थिक नव युग जैसा परिवर्तन आकस्मिक नहीं है। यह निरंतर प्रयास, दीर्घकालिक दृष्टिकोण, और निर्णयों की स्पष्टता का परिणाम है। विपक्ष को मोदी जी की कार्यशैली पर मतभिन्नता हो सकती हैं, लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि मोदीजी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था ने एक ठोस दिशा, तेज़ गति और अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त की है। जो भारत 2013-14 में वैश्विक अर्थव्यवस्था का चिंता का कारण था, वही भारत आज विकास, नवाचार और समावेशन का उदाहरण बन उच्चतम विश्वास हो गया है।"
सिसोदिया ने दावा किया है कि " यह बदलाव सिर्फ आँकड़ों का नहीं है, यह बदलाव सोच का है। एक ऐसा सोच जो ‘विकास सभी के लिए’ की भावना को लेकर चलती है, जो नीति और नीयत दोनों में स्पष्टता रखती है, और जो भारत को आत्मनिर्भर, समर्थ और वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रही है। इसके लिये प्रधानमंत्री मोदीजी को धन्यवाद ज्ञापित होना चाहिए।
भवदीय
अरविन्द सिसोदिया
9414180151
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