राहुल गांधी भारत-विरोधी वैश्विक शक्तियों के प्रवक्ता - सुधांशु त्रिवेदी
राहुल गांधी भारत-विरोधी वैश्विक शक्तियों के प्रवक्ता - सुधांशु त्रिवेदी
Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi (M.P.)
द्वारा डॉ. सुधांशु त्रिवेदी - 27-12-2025
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
सैम पित्रोदा द्वारा कांग्रेस के जॉर्ज सोरोस द्वारा फंडेड संगठनों की श्रृंखला से संबद्ध ग्लोबल प्रोग्रेसिव अलायंस (GPA) के सदस्य होने और राहुल गांधी के इस अलायंस की प्रेसीडियम के सदस्य होने के खुलासे से स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी भारत-विरोधी वैश्विक शक्तियों के भारतीय राजनीति में स्थायी प्रतिनिधि व प्रवक्ता बन गए हैं।
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जब एक पत्रकार ने सैम पित्रोदा से राहुल गाँधी द्वारा विदेशी दौरों में भारत विरोधी लोगों से मिलने और सोरोस से फंड पाने वाली संस्थाओं के कार्यक्रम में शरीक होने को लेकर प्रश्न पूछा तो सैम पित्रोदा ने कहा कहा - We don’t care. तो फिर सैम पित्रोदा और कांग्रेस बताये कि Whom you care? Is he sitting abroad?
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कांग्रेस यह बताए कि राहुल गाँधी के भारत विरोधी लोगों से मिलने पर यदि परवाह नहीं करती तो फिर आखिर कांग्रेस को किसकी परवाह है? ऐसा कौन-सा दबाव और किसका हुक्म था, जो राहुल गांधी को संसद सत्र को बीच छोड़ के विदेश जाना पड़ा?
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राहुल गाँधी विदेश जाते हैं लेकिन हमेशा भारत विरोधी संस्थाओं और भारत विरोधी लोगों से ही क्यों मिलते हैं? वे कभी भारत समर्थक संस्थाओं, थिंक टैंक्स और लोगों से क्यों नहीं मिलते?
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कांग्रेस स्पष्ट करे कि उसकी और उसके नेता राहुल गाँधी की ग्लोबल प्रोग्रेसिव अलायंस में प्रेसीडियम के रूप में क्या भूमिका है?
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कांग्रेस के नेताओं की हालत अब उन खिलाड़ियों जैसी हो गई है जो नेट प्रैक्टिस नहीं करते, आपस में लड़ते हैं और मैच में रन आउट पर अंपायर को दोष देते हैं और फिर स्टेडियम के बाहर जाकर हारे हुए मैच को जीता हुआ दिखाने की कोशिश करते हैं।
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एक तरफ राहुल गांधी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाक़ात न होने पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अपनी जर्मनी यात्रा के दौरान वह रूस द्वारा रजिस्ट्रेशन रद्द होकर गैरकानूनी घोषित फ्रेडरिक एबर्ट स्टिफ्टुंग के मंच साझा करते हैं और भारत-विरोधी बयान देते हैं।
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एक ओर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकास, अंत्योदय और राष्ट्रवाद के संकल्प के साथ मजबूत भारतीय जनता पार्टी और एनडीए का गठबंधन है, वहीं दूसरी ओर पराजय का रिकॉर्ड बनाते हुए कुंठाग्रस्त, घुसपैठिया-परस्त और भारत विरोधी शक्तियों का समर्थन पाने को आश्वस्त कांग्रेस और इंडी गठबंधन है।
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जैसे कहा जाता है कि “जो चुप रहेगी ज़बान-ए-ख़ंजर, लहू पुकारेगा आस्तीं का”, वैसे ही जनता कांग्रेस की हर नापाक हरकत को बहुत गंभीरता से देख रही है और एक-एक राज अब पर्दाफाश होता हुआ नजर आ रहा है।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज शनिवार को नई दिल्ली स्थित भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया और कांग्रेस तथा राहुल गांधी पर भारत-विरोधी वैश्विक शक्तियों के साथ संबंध बनाए रखने का गंभीर आरोप लगाया। डॉ त्रिवेदी ने ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा के एक मीडिया चैनल को दिए गए साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा कि राहुल गांधी की जर्मनी और अन्य विदेश यात्राएं ग्लोबल प्रोग्रेसिव अलायंस जैसी भारत-विरोधी संस्थाओं से जुड़ी हैं, जिनकी फंडिंग जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन से होती है। जहां-जहां कांग्रेस सत्ता में आती है, वहां आपसी लड़ाई में उलझ जाती है भारतीय जनता पार्टी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास, राष्ट्रवाद और अंत्योदय के साथ मजबूत स्थिति में खड़ी है, जबकि कांग्रेस भारत विरोधी वैश्विक गठजोड़ की सहायक बन रही है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि यह सर्वविदित तथ्य है कि राहुल गांधी समय-समय पर विदेश यात्रा करते हैं और वहां वे हमेशा भारत के प्रति व्यथित पाए जाते हैं परन्तु उनके पैतृक सलाहकार और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा, जो उनके स्वर्गीय पिता के भी सलाहकार रहे हैं और राहुल गांधी के वैचारिक मानस के निर्माता माने जाते हैं, उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में कांग्रेस पार्टी के असली चेहरे को एक बार फिर से उजागर किया है। सैम पित्रोदा ने उस इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस पार्टी ग्लोबल प्रोग्रेसिव अलायंस नामक एक गठबंधन का हिस्सा है और उसी में भाग लेने के लिए राहुल गांधी जर्मनी गए थे। यह ग्लोबल प्रोग्रेसिव अलायंस ऐसे संगठन से जुड़ा हुआ है, जो भारत विरोधी शक्तियों और भारत विरोधी नीतियों को स्थापित करने वाले अनेक संगठनों के नेटवर्क का हिस्सा है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इसी यात्रा के दौरान राहुल गांधी सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट कॉर्नेलिया वोल से मिले थे और यह स्पष्ट है कि सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी को जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से फंड मिलता है। जब सैम पित्रोदा से यह पूछा जाता है कि ग्लोबल प्रोग्रेसिव एलायंस का कांग्रेस से क्या संबंध है? तो वह स्वयं रहस्योद्घाटन करते हैं कि राहुल गांधी उसके अध्यक्षीय समकक्ष हैं और सैम पित्रोदा भी उसके सदस्य हैं। वे दावा करते हैं कि यह 110 देशों की लोकतंत्र का अलायंस है। सैम पित्रोदा और कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं से यह प्रश्न है कि दुनिया में 110 ऐसे देश कौन से हैं, जिनमें स्थायी लोकतंत्र है? दुनिया में लगभग 190 देश हैं, जिनमें 57 मुस्लिम देश हैं, जहां किसी भी देश में स्थायी लोकतंत्र नहीं है। इसके अलावा कम से कम 30–40 देश ऐसे हैं जिनमें आज भी राजतंत्र हैं और यदि इन्हें आधिकारिक तौर पर हटा दिया जाए तो लोकतांत्रिक देशों की संख्या 100 के नीचे रह जाती है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि लोकतंत्र के आवरण में यह कौन से देशों का समूह है, जो लोकतंत्र के नाम पर ‘भारत’ पर आघात करता हुआ दिखाई पड़ता है?
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि जब सैम पित्रोदा से पत्रकार ने राहुल गाँधी के विदेशी दौरे पर भारत विरोधी मानसिकता वाले लोगों से मिलने को लेकर सवाल पूछा कि राहुल गांघी हमेशा विदेशी दौरों पर जॉर्ज सोरोस से जुड़े लोगों के साथ उठते-बैठते हैं तो सैम पित्रोदा ने कहा कि हमें परवाह नहीं। सैम पित्रोदा ने कहा कि We Don’t Care तो मैं सैम पित्रोदा जी से पूछना चाहता हूँ कि कि फिर Whom You Care? आज कांग्रेस यह बताए कि आखिर उसे किसकी परवाह है? ऐसा कौन-सा दबाव है और किसके हुक्म का पालन है, जो उन्हें संसद सत्र के दौरान विदेश जाने के लिए बाध्य करता है? किसके कहने पर संसद के सत्र के बीच विदेश जाकर भारत-विरोधी शक्तियों के साथ मंच साझा करते हैं? भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से यह सवाल करती है कि क्या अब कांग्रेस भारत-विरोधी वैश्विक दुरभिसंधि की सदस्य बन गए हैं? सैम पित्रोदा द्वारा राहुल गांधी के संदर्भ में दिए गए कथन के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गांधी भारत-विरोधी वैश्विक शक्तियों के भारतीय राजनीति में स्थायी प्रवक्ता बन गए हैं। जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी प्रतिनिधि होते हैं, वैसे ही राहुल गांधी भारत-विरोधी वैश्विक शक्तियों के गठजोड़ के भारत की राजनीति में स्थायी प्रतिनिधि हो गए हैं। यदि कांग्रेस पार्टी इसका उत्तर नहीं देती है, तो यह माना जाएगा कि राहुल गांधी आज भारत-विरोधी वैश्विक दुरभिसंधि के स्थायी प्रतिनिधि बन चुके हैं, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने और नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा सांसद ने कहा कि इस से पहले सोनिया गांधी भी फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स एशिया पैसिफिक की को-चेयरमैन पाई गई थी और आज भी हैं। यह संगठन भी जॉर्ज सोरोस से फंडेड था। इस गंभीर विषय पर कांग्रेस पार्टी ने आज तक कोई जवाब नहीं दिया है। कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने इस बात पर बहुत आपत्ति जताई थी कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी मुलाकात नहीं हुई। हाल ही में जब राहुल गांधी जर्मनी गए थे, तब उन्होंने फ्रेडरिक एबर्ट स्टिफ्टुंग नामक संस्था के मंच से भारत-विरोधी बयान दिए। यह वही फ्रेडरिक एबर्ट स्टिफ्टुंग है, जिस पर रूस ने गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण जुलाई 2022 में रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था। जब कोई संगठन किसी देश द्वारा गैरकानूनी और देश-विरोधी घोषित किया जा चुका हो, तो उसके मंच पर जाकर भाषण देना क्या दर्शाता है? इसके बाद यह कहना कि वह देश आपसे मिलना नहीं चाहता, अपने आप में बहुत कुछ स्पष्ट कर देता है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि 23 जनवरी 2020 को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, दावोस में अपने भाषण के दौरान जॉर्ज सोरोस ने दुनिया में सिविल सोसाइटी को स्थापित करने के लिए और राष्ट्रवादी शक्तियों को समाप्त करने के लिए एक बिलियन डॉलर लगाने की बात कही थी। इस बात को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का नाम लेकर कहा गया था, क्योंकि भारत में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राष्ट्रवाद जॉर्ज सोरोस के लिए एक धक्के से समान है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी के माध्यम से सत्ता प्राप्ति की सभी संभावनाएं समाप्त होती नजर आ रही हैं और इसी कारण वे भारत-विरोधी विदेशी शक्तियों के सहारे सत्ता पाने का दिवास्वप्न देख रहे हैं।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि यदि राहुल गांधी यह कहते हैं कि उन्हें चुनाव में वांछित सफलता नहीं मिलती, तो यह प्रश्न उठता है कि पिछले 11 वर्षों में कांग्रेस के कितने कार्यकर्ता सम्मेलन देखे गए हैं। राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने वाली यात्राएं तो सबने देखी है, लेकिन भाजपा में बूथ लेवल कार्यकर्ताओं के सम्मेलन जिले-जिले में नियमित रूप से होते हैं, ऐसे कांग्रेस के कितने ऐसे सम्मेलन देखे गए हैं? कांग्रेस में मंडल अध्यक्ष स्तर के कितने सम्मेलन हुए हैं? कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों द्वारा जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं के कितने प्रशिक्षण वर्ग लगाए? भाजपा में सांसदों का प्रशिक्षण वर्ग दो महीने पहले हुआ था, जिसमें सभी ने आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की फोटो देखी होगी, जहां वे पीछे के कमरे में बैठे थे और युवा सांसदों को आगे कर उनके भाषण हुए तथा समूह में संवाद हुआ। क्या कांग्रेस द्वारा ऐसा कोई कार्यक्रम कभी देखा गया है? माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन से महात्मा गांधी जी के जन्मदिन तक सेवा सप्ताह मनाया गया, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं को सेवा करते हुए देखा गया, जबकि कांग्रेस का ऐसा कोई कार्यक्रम सामने नहीं आया। सांसद खेलकूद स्पर्धा भाजपा और एनडीए के सभी सांसदों द्वारा आयोजित की जा रही है, जिसमें अब तक लगभग एक करोड़ युवा सहभागिता कर चुके हैं। क्या धरातल पर कांग्रेस के सांसदों को ऐसा कोई कार्य करते देखा गया है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस की स्थिति उस बल्लेबाज जैसी हो गई है जो नेट प्रैक्टिस नहीं करता और मैच में आउट होने पर अंपायर को दोष देता है। मामला सिर्फ नेट प्रैक्टिस न करने तक सीमित नहीं है, बल्कि कांग्रेस के भीतर आपसी लड़ाई भी खुलकर सामने आती है। जहां-जहां कांग्रेस सत्ता में रही और भाजपा विपक्ष में थी, वहां भाजपा ने एक मॉडल प्रस्तुत किया। गुजरात का मॉडल दिया गया, मध्य प्रदेश की सरकार ने एक मॉडल दिया, उत्तर प्रदेश में जब 90 के दशक में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी तो वहां भी एक मॉडल दिया गया था। कांग्रेस ने कौन सा मॉडल दिया है? कर्नाटक में गवर्नेंस का मॉडल प्रस्तुत किया जाना चाहिए, हिमाचल में गवर्नेंस का मॉडल दिखाइए, तेलंगाना में गवर्नेंस का मॉडल दिखाइए, लेकिन वहां मॉडल क्या है? कांग्रेस जहां सत्ता में आती है, वहां आपस में सिर्फ लड़ती रहती है। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट लड़ते रहे, छत्तीसगढ़ में सत्ता रहने तक टी एस सिंहदेव और भूपेश बघेल लड़ते रहे और अब कर्नाटक में डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच संघर्ष चल रहा है। कांग्रेस ऐसे खिलाड़ियों के जैसी हो गई है जो नेट प्रैक्टिस नहीं करते, दोनों बल्लेबाज आपस में लड़ते हैं, रन आउट होने पर दूसरों को दोष देते हैं और फिर स्टेडियम के बाहर किसी तरह से हारे हुए मैच को मैनेज करने की कोशिश करते हैं। यह स्थिति भारत के लोकतंत्र के लिए एक बहुत गंभीर और खतरनाक सवाल खड़ा करती है।
भाजपा सांसद ने कहा कि इसलिए आज कांग्रेस पार्टी से यह प्रश्न किया जाना चाहिए कि ग्लोबल प्रोग्रेसिव अलायंस में राहुल गांधी के अध्यक्ष समकक्ष और सैम पित्रोदा के सदस्य होने का जो रहस्योद्घाटन हुआ है, उस संगठन की भारत विरोधी शक्तियों के साथ जो संधि है, उसमें कांग्रेस की क्या भूमिका है? राहुल गांधी ने भारत की प्रतिद्वंद्वी देशों की कई बार तारीफ की है। राहुल गांधी कहते हैं कि चीन बेरोजगारी से बाहर निकल आया है, जबकि वर्तमान में चीन में बेरोजगारी का आंकड़ा 17 प्रतिशत है और भारत में यह 5 प्रतिशत है। चीन ने पिछले महीने रियल एस्टेट सेक्टर के सेल्स का डेटा देना भी बंद कर दिया है, इसके बावजूद राहुल गांधी ने आज तक भारत के समर्थन में एक भी बयान नहीं दिया। अमेरिका में यूएस कांग्रेस में इंडिया कॉकस भी है, जो भारत समर्थक सांसदों का समूह है। राहुल गांधी कितनी बार उनसे मिले हैं और उनके कितने चेयरमैन से मुलाकात की है? भारत के समर्थक माने जाने वाले थिंक टैंक में राहुल गांधी ने कितनी बार शिरकत की है? भारत समर्थक सांसदों से, भारत समर्थक उद्योगपतियों से और भारत समर्थक विचारकों से कितनी बार मुलाकात की है? राहुल गांधी हमेशा भारत विरोधी शक्तियों के साथ ही मुलाकात करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनके मन की भावना क्या है। इस समय कांग्रेस पराजय से कुंठाग्रस्त तथा घुसपैठिया-परस्त है। साथ ही भारत विरोधी शक्तियों का समर्थन पाने के लिए आश्वस्त भी है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस इस विषय पर अपने संबंधों को स्पष्ट करे और यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह याद रखा जाना चाहिए कि देश की जनता अत्यंत प्रबुद्ध है और इस पूरे विषय को बहुत गंभीरता से देख रही है। जैसा कहा जाता है कि ‘जो चुप रहेगी ज़बान-ए-ख़ंजर लहू पुकारेगा आस्तीं का’, वैसे ही जनता हर एक विषय को बहुत गंभीरता से देख रही है और एक-एक राज अब पर्दाफाश होता हुआ नजर आ रहा है। अब देश के सामने किसी भी तरह का कोई कन्फ्यूजन नहीं रह गया है और देश में स्पष्ट रूप से दो ताकतों के बीच मुकाबला है। एक तरफ जांची-परखी और खरी ताकत है, जो माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास, अंत्योदय और राष्ट्रवाद के संकल्प के साथ चट्टान की तरह मजबूती से खड़ी भारतीय जनता पार्टी और एनडीए का गठबंधन है जबकि दूसरी तरफ लगातार पराजय का रिकॉर्ड बनाते हुए कुंठाग्रस्त, घुसपैठिया-परस्त पार्टियों का गठबंधन है, जो फ्रस्ट्रेशन में भारत विरोधी शक्तियों के साथ मिलकर भारत को कमजोर करने का दिवास्वप्न देखने वाला इंडी गठबंधन है।
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