कविता - राष्ट्र प्रथम
कविता - राष्ट्र प्रथम
राष्ट्र प्रथम का भाव लिए जब आई भाजपा सरकार ,
भारत ने नयी दिशा पकड़ी; मातृभूमि का ऊँचा हुआ भाल।
अटल-मोदी लाये दृढ़ नेतृत्व, राष्ट्र-गौरव का हुआ प्रबल उत्थान ।
पोखरण की धरती गूँजी, परमाणु शक्ति बनी कवच;
विश्व मंच पर भारत बोला, स्वाभिमान का उठा सुरज।
कारगिल की बर्फ़ीली चोटियाँ, वीरों के साहस से चमकीं;
अटल के अडिग निर्णयों ने, देशभक्ति की राहें थामीं।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, गाँवों में नई रोशनी लाई;
हर पथ पर विकास की धारा, भारत की गति और बढ़ाई।
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फिर आया समय दृढ़ इरादों का, जब नये नेतृत्व ने कमान संभाली;
मोदी के संकल्पों ने फिर, राष्ट्र-सेवा की राह निकाली।
सर्जिकल–एयर स्ट्राइक के दम पर, भारत ने दिखलाई ताकत;
घर में घुसकर दुश्मन को दी, न्यायपूर्ण, निर्णायक सीख-सूरत।
स्वच्छ भारत की हवा बहायी, जन-जन में जागा दायित्व जाग;
आयुष्मान ने जीवन छुआ,उज्ज्वला ने मिट्टी की महक बढ़ाई आग।
डिजिटल भारत की उड़ान से, नई पीढ़ी ने पाया आकाश;
आत्मनिर्भरता के स्वप्न सजाकर, राष्ट्र ने पाई नई पहचान।
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अटल से मोदी तक, दो ध्रुव, पर लक्ष्य रहा सदैव समान—
राष्ट्र हित सर्वोपरि रखकर, भारत को बनाना महान।
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