कविता - असली सरकार तो हैँ दलाल जी

कविता - असली सरकार तो हैँ दलाल जी 

दलाल भी कमाल है, कमाल है दलाल जी,
व्यवस्था की ठसक पर सवाल है, दलाल जी!
सरकारी काम काज की चाल ढाल हैँ दलालजी,
लूटतंत्र का असली धमाल है दलाल जी।
==1==
नियम-कानून किताब में सोते रहते हैं,
जब जेब में नोट जाएँ तो बवाल है दलाल जी।
कागज़ की फाइलें बरसों धूप सेंकती रहें,
पर सुपरफ़ास्ट गति कि बुकिंग बिंडो है दलाल जी।
==2==
कुर्सी पर बैठे कर्मचारी भी जानते हैं,
राज़-काज क्या,सबकी देखभाल है दलाल जी।
अटके हुये काम में इशारा दीजिए,
हर समस्या का ‘प्रोविडेन्स हॉल’ है दलाल जी।
===3===
पुलिस की दहलीज़ पर डर बड़ा भारी ,
पर मधुर व्यवहार की गारंटी दलाल जी।
तारीख़ तारीख बढ़ती रहें, पर मनचाहा निर्णय दलालजी,
तमाम काम काजों की उलझनों में, आसान हल है दलालजी,
====4===
घूस को ‘प्रोसेस फ़ीस’ कहकर सुंदर बना दें,
सेवा शुल्क कह कर इज्जत बढ़ा दें,
ईमानदारी लाख रोती रहे कतार में ,
पर भ्रष्ट व्यवस्था के सरताज हैँ दलाल जी।
====5====
रिश्वत देना लेना दोनों गलत है, भाई,
पर यही रामवाण इलाज है भाई,
सबको पता है कि ये गलत हैं, पर सही भी यही है भाई ,
लोकतंत्र का सबसे अनोखा मिसाल है दलाल जी।
====6===
कहने को तो दोषी, पर काम के वक़्त देवता दलालजी,
सच मानिए व्यवस्था की असली मिसाल है दलालजी,
पीएम सीएम जहां फैल हो जाएँ, वहाँ आजमाएँ दलाल जी,
लोकतंत्र, संविधान सुशासन और न्याय मात्र शब्द हैँ,
असली सरकार तो हैँ दलालजी।
=== समाप्त ===

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

दीवान टोडरमल के समर्पण शौर्य पर हिन्दुत्व का सीना गर्व से चौंडा हो जाता है - अरविन्द सिसौदिया Diwan-Todar-Mal

अटल बिहारी वाजपेयी : अनमोल विचार Atal Bihari Vajpayee

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

हिन्दू , एक मरती हुई नस्ल Hindu , Ek Marti Hui Nashal

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

गोवा का कुख्यात 'हाथ काटरो खम्भ' ईसाई मिशनरियों की बर्बरता का प्रतीक है

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे