राहुल गांधी देश के अधिकारों को विदेशियों के हाथों में सौंपना चाहते हैं - धर्मेंद्र प्रधान
Salient points of the press conference of Hon'ble Union Minister and Senior BJP Leader Shri Dharmendra Pradhan
द्वारा श्री धर्मेंद्र प्रधान -
11-08-2025
केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री धर्मेंद्र प्रधान की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
देश में एसआईआर पहली बार नहीं हो रहा है, हर राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव आयोग की यह एक नियमित प्रक्रिया है। आजादी के बाद से ही मतदाता सूची को परिष्कृत करने व व्यवस्थित करने के लिए यह प्रक्रिया निरंतर चलती रही है।
*******************
कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी आज वैचारिक दिशाहीनता और गहरी दुविधा का पर्याय बन चुके हैं। उनका सिद्धांत सिर्फ यही है कि अगर चुनाव जीतें तो सब कुछ सही, लेकिन हार गए तो व्यवस्था में खामियां ही खामियां हैं।
*******************
कांग्रेस और उनके सहयोगी दल केवल वोट बैंक की राजनीति में लिप्त हैं। ये घुसपैठियों को वोटर बनाकर, अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं। जब चुनाव आयोग उन्हें सही तथ्य बताता है, तब वे उसी चुनाव आयोग को ध्वस्त करने की बात करते हैं।
*******************
एटम बम गिरा देंगे, चुनाव आयोग बिखर जाएगा’ जैसी भाषा का प्रयोग केवल भारत के प्रतिद्वंद्वी देश और भारतीय लोकतंत्र को अस्थिर करना चाहने वाली ताकतें करती हैं लेकिन दुर्भाग्यवश लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी इसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
*******************
राहुल गांधी को अगर संविधान पर रत्ती भर भी विश्वास होता, तो वह हलफनामा देकर अपनी बात चुनाव आयोग के सामने रखते। लेकिन उन्होंने ऐसा करने के बजाय गाली-गलौज कर और अराजकता फैलाकर, देश में अशांति का माहौल बनाने की कोशिश की है।
*******************
असलियत यह है कि कांग्रेस पास कोई मुद्दा है ही नहीं। उनकी राजनीति का सिद्धांत है कि ‘थूको और भाग जाओ’। यह अराजकता लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक और घातक है।
*******************
सच्चाई यह है कि उनके (राहुल गांधी) मन में पीड़ा है कि उनके खानदान के बाहर सत्ता कैसे चली गई। पंडित नेहरू जी के समय से लेकर श्रीमती इंदिरा गांधी, फिर राजीव गांधी, और उसके बाद रिमोट से चलने वाली मां-बेटे की जोड़ी और अब बहन, इन सबका सत्ता से रिश्ता रहा है।
*******************
राहुल गांधी जिस प्रकार की असभ्य और अशालीन भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, उसका मूल्यांकन देश की जनता स्वयं करेगी। कांग्रेस पार्टी के मन में पीड़ा है कि उनके खानदान के बाहर सत्ता कैसे चली गई।
*******************
जब ये लोग जनता को बरगलाने की कोशिश करते हैं, तो असभ्य, अपशब्द और अभद्र आचरण पर उतर आते हैं। ये लोग निर्बुद्धि हैं, जो व्यक्ति चोरी करे और फिर सीनाजोरी करे, उसकी मानसिकता समझी जा सकती है।
*******************
अगर चुनाव आयोग में सुधार की बात करनी है, तो चर्चा हो सकती है। लेकिन चुनाव की पूरी प्रक्रिया को सिर्फ हार के कारण कटघरे में खड़ा करना लोकतंत्र और संविधान दोनों के साथ खिलवाड़ है।
*******************
आज भी चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जहां-जहां एसआईआर चल रहा है, वहां यदि किसी सही व्यक्ति का नाम कट गया है तो उसे वापस जोड़ने की पूरी प्रक्रिया और अपील की व्यवस्था मौजूद है।
*******************
राहुल गांधी जी और विपक्ष को चुनौती है यदि उनकी पार्टी के पास बिहार में अपना संगठन और बीएलए हैं, तो वे जिन लोगों के नाम कटने का आरोप वे लगा रहे हैं, उनमें से एक भी नाम जुड़वाकर दिखाएं।
*******************
एसआईआर मुद्दा सिर्फ दिखावा है, असली मंशा बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची में जोड़कर कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति को मजबूत करना है।
*******************
राहुल गांधी देश के अधिकारों को विदेशियों के हाथों में सौंपना चाहते हैं, यही उनकी वोट बैंक तुष्टिकरण की राजनीति है। यही कांग्रेस का असली चेहरा है।
*******************
केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज के केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में राहुल गांधी, कांग्रेस और इंडी गठबंधन पर करारा हमला किया। श्री प्रधान ने कहा कि जो लोग संविधान की दुहाई देते हैं, वही आज उसकी मूल संस्थानों को कमजोर करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी चुनाव आयोग जैसी निष्पक्ष संस्थान पर निराधार आरोप लगाकर देश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। विशेष संशोधित मतदाता सूची (एसआईआर) जैसी नियमित प्रक्रिया को राजनीतिक हथियार बनाकर, यह लोग घुसपैठियों के पक्ष में वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि उनके मन में पीड़ा है कि उनके खानदान के बाहर सत्ता कैसे चली गई।
श्री प्रधान ने कहा कि इंडी गठबंधन के लोग और विशेषकर कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी आए दिन संविधान की दुहाई देते हैं, इन दिनों देश देख रहा है कि सबसे अधिक संविधान-विरोधी कार्य अगर कोई कर रहा है, तो राहुल गांधी उसके सरगना हैं। कांग्रेस पार्टी की दिशाहीनता, उनकी दुविधा बन चुकी है। एसआईआर पहली बार नहीं हो रहा है, हर एक राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव आयोग की यह एक नियमित प्रक्रिया है। आजादी के बाद मतदाता सूची को परिष्कृत करने और व्यवस्थित करने के लिए चुनाव आयोग की एक स्वतंत्रत और निरंतर प्रक्रिया है। कांग्रेस पार्टी पहले ईवीएम के ऊपर झूठ बोलती है, कभी महाराष्ट्र की बात उठाती है, कभी हरियाणा की बात उठाती है और झूठ का एक नया पहाड़ खड़ा करती है। विशेषकर 2014, 2019 और 2024 में कांग्रेस पार्टी अनेक राज्यों में निरंतर पराजय के कारण एक निराशा की स्थिति में पहुंच चुकी है। उनका कोई स्पष्ट मुद्दा नहीं है, कोई नीति नहीं है, एक रिएक्शनरी फोर्स के नाते ये लोग अपने राजनीतिक कार्यक्रम बना रहे हैं। पहले कांग्रेस ने ईवीएम को मुद्दा बनाया, फिर राफेल पर झूठ बोला, फिर सीमा पर चीन के साथ हमारे विवाद में चीन का साथ दिया। भारत की सेना और भारत की सम्प्रभुता पर इन्होंने प्रश्न उठाया, जिसके बारे में न्यायपालिका ने शायद ही आजाद भारत में किसी राजनीतिक व्यक्तित्व पर इतनी कटु टिप्पणी दी होगी कि आखिर बताइए, आप हैं किसके साथ?
केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी आज वैचारिक दिशाहीनता और गहरी दुविधा का पर्याय बन चुके हैं। अराजकता और अहंकार का मेल देश में अस्थिरता फैलाने की उनकी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। उनका स्पष्ट सिद्धांत है कि अगर चुनाव जीतें तो सब कुछ सही, लेकिन हारने पर व्यवस्था में खामियां दिखती हैं। पिछले दो-तीन दिनों में जो बहस और विवाद हुए, विशेष रूप से उस पर भारत की मीडिया को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने तथ्य और प्रमाण के आधार पर लगभग सभी टीवी चैनलों पर राहुल गांधी के एक-एक झूठ का पर्दाफाश किया है। टेक्नोलॉजी, चुनाव आयोग की प्रक्रिया और देश के सामान्य ज्ञान, इन सभी विषयों पर राहुल गांधी की अज्ञानता उजागर हुई है। कांग्रेस पार्टी और उनके सहयोगी केवल वोट बैंक की राजनीति में लिप्त हैं। घुसपैठियों को वोटर बनाकर, वे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं। जब चुनाव आयोग, एक संवैधानिक और निष्पक्ष संस्था के रूप में, उन्हें सही तथ्य बताता है, तब वे उसी चुनाव आयोग को ध्वस्त करने की बात करते हैं। यहां तक कि ‘हम एटम बम गिरा देंगे, चुनाव आयोग बिखर जाएगा’ जैसी भाषा का प्रयोग करते हैं। ये वही शब्दावली है जो हमारे प्रतिद्वंदी देश और भारत के लोकतंत्र को अस्थिर करने वाली ताकतें इस्तेमाल करती हैं और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी इसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
श्री प्रधान ने कहा कि राजनीति मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए, केवल घुसपैठियों या किसी विशेष वर्ग के मन में भय पैदा करके राजनीति करना लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है। राहुल गांधी न सिर्फ आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व को, न देश की जनता के फैसले के विखालाफ़ बोलते हैं , बल्कि देश की संवैधानिक व्यवस्था को भी बिखेर या तोड़ सकते हैं। कांग्रेस पार्टी और पूरा विपक्ष संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में चर्चा से पहले बहुत हंगामा खड़ा किया, लेकिन जब संसद में बहस हुई, तो उनके पास मुद्दा ही नहीं था। देश ने विपक्ष को अप्रजातांत्रिक और लोकविरोधी रुख अपनाए हुए देखा है। विपक्ष के नाते उनकी भूमिका देशहित में होनी चाहिए, यही जनता की अपेक्षा है। लेकिन कांग्रेस पार्टी की यह अराजकतापूर्ण दिशाहीनता गंभीर चिंता का विषय है। आखिर वो देश के लोकतंत्र को कहां ले जाना चाहते हैं? जो लोग आए दिन संविधान की किताब लेकर घूमते हैं, क्या उन्होंने भारत की संवैधानिक संस्थानों को तोड़ने का मन बना लिया है? भाजपा इसकी कठोर शब्दों में निंदा करती है।
केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि यह लोग प्रदर्शन नहीं करना चाहते, बल्कि अराजकता फैलाना चाहते हैं। कुछ दिन पहले कांग्रेस ने कर्नाटक में रैली करके चुनाव आयोग के अधिकारियों पर सवाल उठा रहे थे। आयोग ने स्पष्ट कहा कि अगर आपके पास कोई आरोप है तो उसे हलफनामा देकर प्रस्तुत करें। इससे पहले राहुल गांधी के सहयोगियों ने बिहार में भी ऐसे ही बेबुनियाद आरोप लगाए थे, वहां चुनाव आयोग ने तुरंत रिकॉर्ड दिखाकर सच सामने रख दिया। महाराष्ट्र में भी यही हुआ, राहुल गांधी ने आरोप लगाए, तो चुनाव आयोग ने कहा कि उसे भी आप शपथपत्र के माध्यम से दें। चुनाव आयोग कांग्रेस की निजी व्यवस्था नहीं है, न ही उनके आपके दफ्तर या एआईसीसी का कार्यालय है। यह भारत की संवैधानिक व्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है, जिसकी मजबूती और निष्पक्षता को देश ने पिछले सात-आठ दशकों में देखा और स्वीकारा है। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी जो आरोप लगाती हैं, अगर उन्हें संविधान पर रत्ती भर भी विश्वास होता, तो वह हलफनामा देकर अपनी बात चुनाव आयोग के सामने रखते। लेकिन उन्होंने ऐसा करने के बजाय वो गाली-गलौज कर, अराजकता फैलाकर और देश में अशांति का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
श्री प्रधान ने कहा कि लोकतंत्र में एक प्रतिनिधि होता है, हमारे देश की 140 करोड़ जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। विधानसभा उस राज्य की जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों से बनती है और संसद भी चुनाव के माध्यम से ही बनती है। लोकसभा और राज्यसभा में बहस करना, तर्क-वितर्क करना और विषय उठाना यह सब लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। चुनाव आयोग, जो भारत की संवैधानिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, साधारण मतदाता से लेकर जनप्रतिनिधि तक किसी से भी मिल सकता है। आज के टेक्नोलॉजी के युग में चुनाव आयोग के पोर्टल पर कोई भी विषय रखने पर तुरंत उसका उत्तर मिलता है, चाहे वह मतदाताओं से संबंधित हो या अन्य किसी जानकारी से। अगर विपक्ष को चुनाव आयोग से मिलना था, तो वे मिल सकते थे। मीडिया के माध्यम से मुझे जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार चुनाव आयोग ने 30 प्रतिनिधियों को मिलने की अनुमति दी थी। लेकिन आप उन 30 प्रतिनिधियों को भेजने के बजाय भीड़ इकट्ठी कर फोटो खिंचवाने का नाटक करते हैं। क्या यह देश में अराजकता को बढ़ावा देने जैसा नहीं है? क्या उनकी इंडी गठबंधन की बैठक में हर सांसद बैठते हैं? वहां तो आप खुद इस पर विवाद करते हैं कि कौन आगे बैठेगा और कौन पीछे। हर जगह एक नियम होता है। 30 प्रतिनिधि कोई कम संख्या नहीं है, हर पार्टी से एक-एक प्रतिनिधि भेजना संभव था, जैसा चुनाव आयोग ने तय किया। असलियत यह है कि कांग्रेस पास कोई मुद्दा है ही नहीं। अगर होता, तो वो बेंगलुरु में सभा करने के बाद चुनाव आयोग जाकर हलफनामा जमा करते, जैसे महाराष्ट्र में भी किया जा सकता था। लेकिन उनकी राजनीति का सिद्धांत है कि ‘थूको और भाग जाओ’। यह अराजकता लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक और घातक है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री प्रधान ने कहा कि माननीय सदस्य जिस प्रकार की असभ्य और अशालीन भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, उसका मूल्यांकन देश की जनता स्वयं करेगी। कांग्रेस पार्टी के मन में पीड़ा है कि उनके खानदान के बाहर सत्ता कैसे चली गई। पंडित नेहरू जी के समय से लेकर श्रीमती इंदिरा गांधी, फिर राजीव गांधी, और उसके बाद रिमोट से चलने वाली मां-बेटे की जोड़ी और अब बहन, इन सबका सत्ता से रिश्ता रहा है। यही परिवार आज आरोपों से घिरा है, जिन पर भारत के संसाधनों को लूटने के मामले में एजेंसियों ने कड़ा शिकंजा कस दिया है। जब ये लोग जनता को बरगलाने की कोशिश करते हैं, तो असभ्यता, अपशब्द और अभद्र आचरण पर उतर आते हैं। ये लोग निर्बुद्धि हैं जो व्यक्ति चोरी करे और फिर सीनाजोरी करे, उसकी मानसिकता समझी जा सकती है। उनके परिवार के आत्मीय लोग भारत के संसाधनों की लूट के मामलों में जेल की सलाखों तक पहुंचेंगे। कोई बेल पर है, तो कोई जेल जाने के इंतजार में है। इसी कारण इनकी बौखलाहट और बेतुकी अपेक्षाएं संसद में दिखती हैं। हमारी असहमति आलोचना से नहीं है, संसद में किसी भी विषय पर स्वस्थ बहस होना चाहिए। लेकिन जो मुद्दा चर्चा के योग्य हो, वही उठना चाहिए। क्या हम सुप्रीम कोर्ट की कार्यपद्धति पर चर्चा करते हैं? अगर चुनाव आयोग में सुधार की बात करनी है, तो चर्चा हो सकती है। लेकिन चुनाव की पूरी प्रक्रिया को ही कटघरे में खड़ा करना, सिर्फ इसलिए की हार मिली है, यह लोकतंत्र और संविधान दोनों के साथ खिलवाड़ है।
केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि मैं पिछले 40 वर्षों से सामाजिक विषयों और राजनीति शास्त्र का विद्यार्थी होने के साथ-साथ भारत के चुनावों में एक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहा हूं। मतदाता सूची में नाम जुड़वाना या कटवाना, आज़ादी के बाद से ही यह प्रक्रिया चल रही है। चुनाव आयोग के गठन के बाद से यह व्यवस्था और भी संगठित हुई है। मैंने बूथ स्तर कार्यकर्ता के नाते कई बार नाम जुड़वाए हैं, और जब कहीं गलत नाम जुड़ गया तो उसे कटवाने के लिए भी आवेदन दिया है। आज भी चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जहां-जहां एसआईआर चल रहा है, वहां यदि किसी सही व्यक्ति का नाम कट गया है तो उसे वापस जोड़ने की पूरी प्रक्रिया और अपील की व्यवस्था मौजूद है। राहुल गांधी जी और विपक्ष को चुनौती है कि अभी बिहार में एसआईआर चल रहा है। यदि वे सचमुच राजनीतिक रूप से सक्रिय कार्यकर्ता हैं और उनकी पार्टी के पास बिहार में अपना संगठन और बीएलए हैं, तो वे खुद बिहार जाएं। समय अभी भी है। जिन लोगों के नाम कटने का आरोप वे लगा रहे हैं, उनमें से एक भी नाम जुड़वाकर दिखाएं। मुझे विश्वास है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और हमारे संविधान की ताकत इतनी है कि सही नाम अवश्य जुड़ जाएगा। लेकिन असलियत यह है कि नाम हैं ही नहीं। उनकी मंशा यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची में डाले जाएं और यही कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति का असली चेहरा है। देश के अधिकारों को राहुल गांधी विदेशियों के हाथों में सौंपना चाहते हैं, यही उनकी निहित वोट बैंक की राजनीति है, यही उनकी तुष्टिकरण की राजनीति है। वो जोर-जोर से एक गलत विषय को उठाकर, थिएटरिक्स करके, जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। 2014, 2019 और अनेक राज्यों में जनता ने उन्हें इसका स्पष्ट और करारा उत्तर दिया है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें