भगवा आतंकवाद गढ़ने वालों पर प्रभावी कार्यवाही होनी चाहिए - अरविन्द सिसोदिया
कांग्रेस का " भगवा आतंकवाद " गढ़ने का षड्यंत्र उजागर, कांग्रेस को भारत में राजनीती करने का कोई अधिकार नहीं - अरविन्द सिसोदिया
कोटा 2 अगस्त। भाजपा राजस्थान के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक एवं राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी अरविन्द सिसोदिया ने एक व्यक्तिगत बयान में कहा है कि " कांग्रेस के द्वारा हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए और तुष्टिकरण की राजनीती को संतुष्ट करने के लिए, वोट बैंक ख़ुश करने के लिए,भगवा आतंकवाद गढ़ने का जो षड्यंत्र किया गया था वह अब पूरी तरह उजागर हो गया है, उसमें कांग्रेस सरकारों की गंभीर संलिप्तता परोक्ष अपरोक्ष उजागर हो गईं है। एटीएस के एक पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर नें यह सनसनीखेज खुलाशा अदालत में भी किया है और उसे अदालत नें सही माना है। इस तरह की आपराधिक स्थिति के प्रमाणित होनें के बाद कांग्रेस को भारत में राजनीती करने का कोई अधिकार नहीं बचता है।"
सिसोदिया नें कहा है कि " आश्चर्य है कि परम पवित्र और हिन्दुओं के लिए परमपूज्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डॉ मोहन भगवत को बिना किसी अपराध के गिरफ्तार करने के आदेश थे? यह स्वीकारोक्ती साबित करती है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार हिंदुत्व के विरुद्ध कितने गंभीर षड्यंत्र कर रही थी। इसलिए असली अपराधी चेहरों तक पहुंचने के लिए इसकी सक्षम एजेंसी से प्रभावी जाँच होनी ही चाहिए।"
सिसोदिया नें कहा कि " विश्व की सबसे प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कृति और उसकी महान पवित्र सभ्यता पर यह अक्षम्य झूठा थोपने का आक्रमण माफ किये जाने योग्य नहीं है।दुर्भाग्य से यह आक्रमण बहुआयामी तरीके से लगातार जारी है, देश को इसके विरुद्ध प्रतिरोध हेतु जाग्रत होना होगा और इन षड्यंन्त्रों के पीछे मौजूद संस्थाओं और व्यक्तियों को पहचानना और बेनक़ाब करना होगा, उन्हें विफल करना होगा। "
सिसोदिया ने कहा, "हिंदू आतंकवाद शब्द को देश के ऊपर जबरन थोपने का जो कांग्रेस पार्टी का षड्यंत्र था वह अब ध्वस्त हो गया है, विशुद्ध वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस की साजिश को न्यायालय के फैसले ने विफल कर दिया है। न्यायालय के फैसले से दूध का दूध और पानी का पानी कर दिखाया है । "
सिसोदिया नें कहा कि " मालेगांव बम विस्फोट 2008 मामले में एनआईए की विशेष अदालत द्वारा सभी आरोपियों को निर्दोष करार देने के बाद, पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर द्वारा हाल ही में किया गया सनसनीखेज खुलासा अत्यंत गंभीर और राष्ट्र की राजनैतिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर सीधा प्रश्नचिन्ह है। इसलिये षड्यंत्रकर्ताओं की विशेष जाँच की जरूरत है। "
सिसोदिया नें कहा है कि " पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर के अनुसार, उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख परमपूज्य मोहन भागवत जी तक को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था, जिसका एकमात्र उद्देश्य तथाकथित 'भगवा आतंकवाद' की झूठी थ्योरी को स्थापित करना था। मुजावर नें स्पष्ट किया है कि उन्होंने इन अवैध आदेशों का पालन नहीं किया और इसके बदले उनके विरुद्ध झूठे मामले दर्ज किए गए, जिससे उनका 40 वर्षों का ईमानदार सेवाकाल नष्ट हो गया। "
सिसोदिया नें कहा कि " यह दावा तत्कालीन कांग्रेस सरकार के, न केवल व्यक्तिगत अन्याय को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि कांग्रेस सरकारों द्वारा प्रायोजित साजिश के तहत हिंदुत्व की विचारधारा को क्षति पहुंचाने की गिरी हुई हरकतें की जा रहीं हैँ।"
सिसोदिया नें कहा है कि " यह झूठ थोपने का सुनियोजित आक्रमण सेना, संत, सनातन और संविधान पर था, इस लिये इस षड्यंत्र की उच्चस्तरीय विशेष जाँच होनी चाहिए और इस तरह के षड्यंत्रकर्ता संस्था एवं राजनैतिक दल की मान्यता भी समाप्त की जाना चाहिए। ताकी भविष्य में इस तरह का दुस्साहस दुबारा न हो।"
सिसोदिया नें कहा कि " कांग्रेस नें देश में फूट डालो राज करो की नीति पर ही तुष्टिकरण की राजनीती की है। वे देश तुड़वा चुके हैँ और समाज बाँटने में लगे हुये हैँ। अब वह समाज को तोड़ने, धार्मिक विद्वेष फैलाने और राष्ट्रवाद को बदनाम करने में लगी हुई है। देश नें इसी कारण से कांग्रेस को नकार दिया है।"
सिसोदिया नें कहा है कि " भारत की हिंदू अस्मिता और उसकी पवित्रता को सुरक्षित रखने के लिए यह जरूरी है कि इस घोर आपराधिक षड्यंत्र के असली कर्ताधर्ताओं की जाँच हो और उन्हें दंडित किया जाये।"
भवदीय
अरविन्द सिसोदिया
9414180151
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भगवा आतंकवाद गढ़ने वालों पर प्रभावी कार्यवाही होनी चाहिए - अरविन्द सिसोदिया
मालेगांव विस्फोट कांड के फैसले के बाद कांग्रेस और उनके सहयोगी पूरी तरह बेनक़ाब हो गये हैँ। उनका षड्यंत्रकारी चेहरा उजागर हो गया है। जरूरत इस बात की है कि भगवा आतंकवाद गढ़ने वालों पर कड़ी कार्यवाही हो, इस हेतु केंद्र और महाराष्ट्र सरकार विशेष जाँच दल गठित कर पूरे प्रकारण की जाँच करवाये। दोषियों को सजा हो, राजनैतिक षड्यंत्रकारी दल की मान्यता समाप्त होनी चाहिए, इस तरह के लोगों पर भारत में आजीवन राजनैतिक प्रतिबंध लगना चाहिए।
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मालेगांव विस्फोट मामले को लेकर आज के न्यायालय के निर्णय से सत्य स्पष्ट हुआ है।
कुछ लोगों ने निजी हितों एवं राजनीतिक स्वार्थ के चलते सत्ता का दुरुपयोग करते हुए हिन्दू धर्म तथा समस्त हिन्दू समाज को आतंक से जोड़ने का कुत्सित प्रयास किया था। लंबी न्यायिक प्रक्रिया एवं तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने आज अपने निर्णय से उन निराधार आरोपों को असफल किया है।
- सुनील आंबेकर, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख,
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
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Malegaon Blast Former Ats Officer Claims Was Ordered To Arrest Rss Chief Mohan Bhagwat Aim Was To Create Saffron Terror Theory
मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश थे...मालेगांव ब्लास्ट की जांच करने वाले एटीएस के पूर्व अधिकारी का दावा
मालेगांव बम धमाका मामले में नया मोड़ आया है। एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश मिला था। मुजावर के अनुसार, इसका मकसद 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी को स्थापित करना था। उन्होंने आदेश का पालन नहीं किया, जिसके बाद उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज हुआ।
नई दिल्ली: मालेगांव बम धमाका मामले में एक बड़ा दावा सामने आया है। आतंकवाद निरोधी दस्ते यानी ATS के एक पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने यह सनसनीखेज दावा किया है। महबूब मुजावर ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। गुरवार को ही महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला आया। NIA की स्पेशल कोर्ट ने इस केस में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। करीब 17 साल बाद आए इस फैसले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में रार मची है।
Mohan Bhagwat
भगवा आतंकवाद की थ्योरी को कायम करना था
मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसला आने के बाद इस पर रिएक्शन देते पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने बताया है कि उन्हें संघ के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। मुजावर के मुताबिक, भागवत को गिरफ्तार करने के ऑर्डर का मकसद 'भगवा आतंकवाद' की थ्योरी का स्थापित करना था।
कोर्ट ने फर्जी जांच को उजागर करके रख दिया
मुजावर ने बताया है कि मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट के फैसले ने एटीएस के ‘फर्जीवाड़े को नकार दिया है। आपको बता दें कि शुरू में इस मामले की जांच एटीएस ने की थी। हालांकि, बाद में NIA ने केस को अपने हाथ में ले लिया था। मुजावर ने आगे कहा, ‘‘इस फैसले ने एक फर्जी अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है।
किस तरह का मिला था आदेश, मुजावर का दावा
महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हुई थी और 10 लोग घायल हुए थे। महबूब मुजावर ने बताया है कि वह इस ब्लास्ट की जांच करने वाली ATS टीम का हिस्सा थे। मुजावर ने बताया कि उन्हें मोहन भागवत को ‘पकड़ने के लिए कहा गया था। मुजावर ने कहा- मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की और क्यों लेकिन मुझे राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और भागवत जैसी हस्तियों के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे नहीं थे कि उनका पालन किया जा सके।
मेरा 40 साल का कैरियर बर्बाद कर दिया
पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने बताया कि मेरा 40 साल का कैरियर बर्बाद कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि मैंने आदेश का पालन नहीं किया और मोहन भागवत को गिरफ्तार नहीं किया क्योंकि उन्हें हकीकत पता थी। मुजावर ने बताया, मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती को पकड़ना मेरी क्षमता से परे था। चूंकि मैंने आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिए मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया और इसने मेरे 40 साल के करियर को बर्बाद कर दिया। कोई भगवा आतंकवाद नहीं था। सब कुछ फर्जी था।
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शरद पवार ने रखी थी 'भगवा आतंकवाद' की बुनियाद, फिर ATS ने गढ़ी कहानी; मालेगांव में उस दिन क्या हुआ था?
मालेगांव विस्फोट कांड के फैसले के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने कांग्रेस से माफी मांगने को कहा। शरद पवार ने भगवा आतंकवाद नैरेटिव की बुनियाद रखी। 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोटों के बाद पवार ने पुलिस पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया जिसमें मुस्लिम संगठनों की जांच पर जोर दिया जाता था लेकिन हिंदू संगठनों पर नहीं।
शरद पवार ने अपने पार्टी अधिवेशन में यह बात कही थी
आरआर पाटिल थे महाराष्ट्र के गृह मंत्री
केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह यूपीए की सरकार थी
अलीबाग में हुआ था राकांपा का अधिवेशन
मालेगांव विस्फोट कांड (द्वितीय) का फैसला आने के बाद अब तत्कालीन सरकारों पर राजनीतिक हमला भी तेज हो गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि इस प्रकार का नैरेटिव फैलाने के लिए अब कांग्रेस देश से माफी मांगे।
लेकिन इन विस्फोटों के बाद चंद दिनों के घटनाक्रम स्पष्ट इशारा करते हैं कि 'भगवा आतंकवाद नैरेटिव' की बुनियाद तो राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने रखी थी। जब मालेगांव में विस्फोट हुआ था, उस समय केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह संप्रग की सरकारें थीं। केंद्र में गृह मंत्री कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल थे, तो महाराष्ट्र के गृह मंत्री शरद पवार की पार्टी राकांपा के नेता आरआर पाटिल थे।
29 सितंबर 2008 को हुए थे हमले
विस्फोट का समय महत्वपूर्ण था। उन दिनों मुस्लिमों का पवित्र रमजान चल रहा था, और अगले दिन से हिंदुओं का नवरात्र शुरू होने जा रहा था। ये विस्फोट 29 सितंबर, 2008 की रात हुए। 'संयोग से' इस विस्फोट के कुछ दिन बाद 5-6 अक्टूबर को मुंबई के निकट अलीबाग में अविभाजित राकांपा का तीन दिवसीय अधिवेशन शुरू होने वाला था।
मालेगांव के भीखू चौक जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में विस्फोट से क्षतिग्रस्त कई मोटरसाइकिलों की नंबर प्लेट से हुई पहचान में एक मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की निकली। विस्फोट के तीन-चार दिनों में सामने आई इस सूचना के बाद राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मनमोहन सरकार में कृषि मंत्री शरद पवार ने पार्टी के समापन समारोह में अपनी ही पुलिस पर आतंकवाद के मामलों में दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था।
मालेगांव ब्लास्ट केस: बयानों से पलटे 39 गवाह, तो NIA कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला; कई चौंकाने वाले खुलासे भी हुए
'मोहन भागवत को भी फंसाने की साजिश थी', मालेगांव विस्फोट मामले में ATS का हिस्सा रहे अधिकारी ने कोर्ट में किया दावा
भगवा का प्रतीक बन लोकसभा तक पहुंची थीं साध्वी प्रज्ञा, लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह को दे चुकी हैं मात
शरद पवार ने लिया था बजरंग दल का नाम
उनका कहना था कि पुलिस आतंकी घटनाओं में सिर्फ सिमी जैसे मुस्लिम संगठनों की जांच करती है, बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों की नहीं। तब पवार ने साफ कहा था कि यदि आतंक के लिए मुस्लिमों को निशाने पर लिया जा सकता है, तो सनातन प्रभात और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?
उन्होंने गृह विभाग के अधिकारियों को नजरिये में बदलाव लाने के निर्देश देते हुए कहा था कि अंतत: देश की एकता सर्वोपरि है। अन्यथा इसकी कीमत समाज को चुकानी पड़ सकती है। पवार ने इसी संबोधन में कहा था, जो भी लोग गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं, चाहें वे बजरंगदल के हों या सिमी के, उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। समाज के किसी एक हिस्से पर ही आतंकी का ठप्पा लगा देना, अच्छे संकेत नहीं हैं।
पवार ने जिस दौरान ये बातें कही थीं, उस दौरान आरआर पाटिल मंच पर उनके साथ मौजूद थे। शरद पवार के इस प्रकार दिखाए गए सख्त तेवरों से राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल एवं पुलिस विभाग के अन्य अधिकारियों ने मालेगांव (द्वितीय) की जांच कुछ नए एंगल से करने की सोची और सबसे पहले मोटरसाइकिल के आधार पर साध्वी प्रज्ञा तक जा पहुंची। उसके बाद एटीएस द्वारा बुनी गई पूरी कहानी गुरुवार को एनआईए कोर्ट में ध्वस्त हो चुकी है।
सिमी ने कराए थे धमाके
माना जाता है कि शरद पवार ने अपने पार्टी अधिवेशन में यह बात इसलिए कही होगी, क्योंकि ठीक दो वर्ष पहले आठ सितंबर, 2006 को मालेगांव में ही हुए तीन विस्फोटों में 37 लोग मारे गए थे और 312 घायल हुए थे। तब भी गृह मंत्री आरआर पाटिल ही थे और इस मामले में आरोपी बनाए गए सभी नौ लोग मुस्लिम थे।
एटीएस के अनुसार, ये विस्फोट लश्कर-ए-तैयबा के सहयोग से सिमी ने करवाए थे। इन गिरफ्तारियों का गुस्सा पूरे महाराष्ट्र के मुस्लिम समाज में फैल रहा था। जिसका नुकसान अगले वर्ष होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हो सकता था। इसलिए एटीएस ने विस्फोट से जुड़े तथ्य जुटाने के बजाय एक कहानी बनाने पर ध्यान दिया, जो कोर्ट में न चलनी थी, न चली।
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मालेगांव विस्फोट मामले (2008) से जुड़े "भगवा आतंकवाद" और "हिंदू आतंकवाद" की राजनीतिक थ्योरी तथा हालिया फैसले के बाद नेताओं की प्रतिक्रियाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है:
📌 1. मालेगांव विस्फोट (29 सितंबर 2008)
स्थान और घटना: महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मालेगांव में तीन बम विस्फोट हुए, जिसमें लगभग 6 लोग मरे और 80 से अधिक घायल हुए ।
प्रारंभिक जांच: महाराष्ट्र ATS के प्रमुख हेमंत करकरे ने हिन्दुत्व से जुड़े संगठन Abhinav Bharat एवं Pragya Singh Thakur और Col. Purohit को संदिग्ध बताया, जिस कारण "हिंदू आतंकवाद" का राजनीतिक वाक्यांश प्रचलित हुआ ।
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🧠 2. राजनीतिक नरेटिव: "हिंदू/भगवा आतंकवाद"
Digvijay Singh (2007–11): पहले राष्ट्रवादी विचारधारा के चरमपंथ को RSS से जोड़ने वाले थे। उन्होंने “Hindu terror” और “saffron terror” शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कई हमलों (Malegaon, Ajmer Sharif, Samjhauta Express) में RSS की भूमिका बताते हुए इसे बड़ा खतरा बताया ।
P. Chidambaram (2010): गृह मंत्री के रूप में DGP सम्मेलन में “saffron terror” को कई विष्फोटों में शामिल किया गया एक बहस बताया था ।
Sushilkumar Shinde (2013): AICC की बैठक में बोले कि RSS/BJP आतंक प्रशिक्षण शिविर चला रहे हैं, जिससे हिंदू आतंकवाद बन रहा था — इस बयान पर भारी विवाद हुआ ।
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⚖️ 3. कोर्ट की सुनवाई और बरी (31 जुलाई 2025)
निर्णय: विशेष NIA कोर्ट ने सभी सात आरोपियों (Pragya Thakur, Lt Col Purohit सहित) को बरी कर दिया क्योंकि:
UAPA के तहत संपोषण आदेश (sanction orders) में खामी थी।
साक्ष्य कमजोर, जांच में गंभीर त्रुटि और फोरेंसिक में अस्पष्टता थी
खास तौर पर Pragya Thakur के संबंध में यह पाया गया कि उस मोटरसायकल की मालिकाना पहचान का कोई ठोस प्रमाण नहीं था जिसे विस्फोट स्थल पर पाया गया ।
🎙️ 4. राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ (31 जुलाई 2025)
🟢 भाजपा और अन्य
Ravi Shankar Prasad: "भगवा आतंकवाद थ्योरी पूरी तरह से फेल" हुई; कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए इसे रचा। दोषियों को मुआवज़ा दिया जाए और कांग्रेस नेताओं से माफी चाहिए ।
Devendra Fadnavis (CM महाराष्ट्र): "terrorism was never saffron, is not and will never be", कहा कि हिंदू समुदाय पर लगे कलंक हटे ।
Eknath Shinde (उप CM): “सत्य कभी हारता नहीं”; कांग्रेस ने “absurd term of Hindu terrorism” गढ़ा — इस राजनैतिक झूठ का पर्दाफाश हुआ ।
Brij Lal, Keshav Prasad Maurya, अन्य नेता: सबने कहा कि कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद का फेक नैरेटिव रचा; अब उसे देश से माफी मांगनी चाहिए ।
🔵 कांग्रेस एवं विपक्ष
Digvijay Singh: “टेररिज्म किसी धर्म से नहीं जुड़ा हो सकता। न कोई हिंदू, न मुस्लिम, सिख, ईसाई — कोई भी नहीं”। BJP की आलोचना कि उन्होंने “Hindu terror” की थ्योरी बनाई; गांधी परिवार का नाम लिए बिना यह कहा कि यह दुष्प्रचार था ।
Rahul Gandhi (LoP): मामले की बजाय मौजूदा सरकार की नीतियों पर ध्यान देने का आग्रह किया; “Malegaon verdict is not the real issue”— कथित मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने का आरोप लगाया गया ।
Asaduddin Owaisi (AIMIM): निर्णय को न्यायिक विफलता बताया, कहा कि investigation में भ्रष्टाचार था और न्याय समझौता हो गया ।
🧾 निष्कर्ष सारांश
पहलू विवरण
घटना 29 सितंबर 2008, मालेगांव विस्फोट जिनमें छह की मौत और दर्जनों घायलों
मामला NIA के पास गया
राजनीतिक नरेटिव कांग्रेस नेतृत्व द्वारा "हिंदू/भगवा आतंकवाद" शब्द को प्रचारित किया जाना
कोर्ट निर्णय 31 जुलाई 2025 को सभी आरोपियों को बरी, साक्ष्य अपर्याप्त और जांच दोषपूर्ण
भाजपा की प्रतिक्रिया थ्योरी फेल हुई; कांग्रेस से माफी मांगने की अपील; हिंदू सामुदाय को क्षतिपूर्ति देने की मांग
कांग्रेस की प्रतिक्रिया “धर्म से हिंसा नहीं जुड़ी”; BJP की आलोचना; Rahul Gandhi ने मौजूदा मुद्दों पर ध्यान देने को कहा।
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मालेगांव प्रकरण ने पहली बार भारत में धार्मिक पहचान और आतंकी घटनाओं को जोड़ने का नाटकीय राजनीतिक चित्र प्रस्तुत किया। इस पर बाद के वर्षों में वर्षों तक सुनवाई, सियासत, जनमत और न्याय प्रक्रिया का लंबा संघर्ष चला। हालांकि कोर्ट ने इसे निष्पक्ष पाया और सभी आरोपियों को मुक्त किया, लेकिन राजनीतिक बहस अभी भी जारी है।
नीचे Digvijay Singh, P. Chidambaram, और Sushilkumar Shinde द्वारा दिए गए पुराने प्रमुख उद्धरण दिए गए हैं—यहां विशेष रूप से "भगवा आतंकवाद" (saffron terror) और "हिंदू आतंकवाद" (Hindu terror) को लेकर उनके वक्तव्यों को दिखाया गया है।
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🟦 Digvijay Singh के बयान
1 सितंबर 2010: Digvijay सिंह ने कहा:
> “I have objection to the use of caste, colour and religion to describe terror… Terrorism in the country arises from fundamentalists among the Hindus and the Muslims.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद का कोई रंग, जाति या धर्म नहीं होता, और ‘saffron terror’ जैसी रंग आधारित अवधारणा गलत है।
17 अप्रैल 2018: उन्होंने फिर दोहराया कि:
> “मैंने भगवा आतंकवाद शब्द का कभी इस्तेमाल नहीं किया है… भगवा हमारे लिए धार्मिक रूप से आदर्श रंग है।”
उन्होंने कहा कि उन्होंने “संघी आतंकवाद” शब्द का प्रयोग किया है, न कि “भगवा आतंकवाद” का।
31 जुलाई 2025 (मालेगांव फैसले के बाद):
> “Terrorism should not be associated with any religion… neither Hindu terrorism nor Muslim terrorism.”
उन्होंने अदालत के फैसले के बाद कहा कि आतंकवाद किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता।
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🟦 P. Chidambaram के बयान
25 अगस्त 2010: एक DGP सम्मेलन में उन्होंने बताया:
> “There is the recently uncovered phenomenon of saffron terrorism that has been implicated in many bomb blasts of the past… we must remain ever vigilant.”
उन्होंने “सफ्रॉन टेररिज्म” को एक नई और खतरनाक दस्तक बताते हुए चेतावनी दी।
2 सितंबर 2010: उन्होंने कहा:
> “I do not claim patent on the phrase ‘saffron’… It has been used by a number of other persons.”
उन्हें यह स्पष्ट करना पड़ा कि यह शब्द उनका पेटेंट नहीं था, और UPA के कई नेता पहले से इसका इस्तेमाल कर चुके थे।
28 नवंबर 2021 प्रेस कॉन्फ्रेंस में:
> उन्होंने फिर निर्णय किया कि समुदाय या रंग की अवधारणा का आतंकवाद से संबंध गलत है, और इस शब्दावली ने उद्देश्य पूरा किया।
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🟦 Sushilkumar Shinde के बयान
20 जनवरी 2013 (AICC मीटिंग, जयपुर):
> “Reports have come … that BJP and RSS conduct terror training camps… We have reports that RSS, BJP camps are promoting Hindu terror … This is saffron terrorism.”
उन्होंने आरोप लगाया कि RSS/BJP शिविरों के तहत हिंदू आतंकवाद फैल रहा है।
7 फरवरी 2013:
> “There is no colour to any terrorism.”
विवाद बढ़ने पर, उन्होंने कहा आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता और उन्होंने किसी धर्म को दोषी ठहराने का इरादा नहीं किया था।
20 फरवरी 2013:
> “I express regret… I had no intention of linking terrorism with any religion…”
उन्होंने अपने हिंदू आतंकवाद संबंधी बयान पर सार्वजनिक खेद व्यक्त किया और स्पष्ट किया कि उनका मकसद धर्म से आतंकवाद जोड़ना नहीं था।
🧾 सारांश तालिका
नेता उद्धरण / बिंदु
Digvijay Singh रंग व धर्म से आतंकवाद जोड़ने का विरोध; "भगवा आतंकवाद" शब्द का उपयोग न किए जाने
P. Chidambaram “Saffron terrorism” नई फेनोमेनन; चेतावनी दी; बाद में कहा शब्द उनका पेटेंट नहीं
Sushilkumar Shinde RSS/BJP पर हिंदू आतंकवाद फैलाने के आरोप; विवाद के बाद खेद व्यक्त किया
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मालेगांव बम विस्फोट (Malegaon bomb blast) की प्रमुख घटना 29 सितंबर 2008 को हुई थी। इस विस्फोट में महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मालेगांव शहर में बम धमाका हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए और कई घायल हुए। यह धमाका मुख्य रूप से एक मोटरसाइकिल में लगे बम से किया गया था।उस समय भारत के केंद्रीय गृह मंत्री:
श्री शिवराज पाटिल उस समय (2008) भारत के केंद्रीय गृह मंत्री थे। हालाँकि, 30 नवंबर 2008 को मुंबई हमलों के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया और पी. चिदंबरम को नया गृह मंत्री नियुक्त किया गया।
भगवा आतंकवाद से जोड़ने की बात:
मालेगांव बम धमाके की जाँच जब महाराष्ट्र एटीएस (Anti-Terrorism Squad) ने शुरू की, तो शुरुआती जांच में हिंदू चरमपंथी संगठनों के कुछ सदस्यों के नाम सामने आए।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित, और स्वामी असीमानंद जैसे लोगों को आरोपी बनाया गया।
इन गिरफ्तारियों और आरोपों के बाद "भगवा आतंकवाद" या "सैफ्रन टेररिज्म" (Saffron Terrorism) शब्द का प्रयोग कुछ राजनेताओं और मीडिया में होने लगा।
इस शब्द का इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा किया गया, विशेषकर दिग्विजय सिंह ने इसे लेकर सार्वजनिक बयान दिए।
बीजेपी और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों ने इस शब्द के इस्तेमाल की निंदा की और इसे "हिंदू धर्म को बदनाम करने की साज़िश" बताया।
आगे साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बाद में राजनीति में आईं और 2019 में बीजेपी से लोकसभा सांसद बनीं।
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दिग्विजय सिंह ने "भगवा आतंकवाद" या "हिंदू आतंकवाद" से जुड़ी कई बार सार्वजनिक रूप से टिप्पणियाँ की थीं, जो खासा विवादास्पद रहीं। यहाँ कुछ प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं:-
🔹 1. भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग (2010):
तारीख: अगस्त 2010
बयान:
> "हम भगवा आतंकवाद को नजरअंदाज नहीं कर सकते।"
— दिग्विजय सिंह, कांग्रेस महासचिव
यह बयान उस समय आया जब जांच एजेंसियाँ मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस और अजमेर शरीफ धमाकों में हिंदू चरमपंथी संगठनों की संलिप्तता की जांच कर रही थीं।
🔹 2. हेमंत करकरे से बातचीत का दावा (2008 के बाद):
दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि मुंबई हमलों से ठीक पहले ATS प्रमुख हेमंत करकरे ने उनसे कहा था कि उन्हें हिंदू संगठनों द्वारा धमकियाँ मिल रही हैं, क्योंकि उन्होंने प्रज्ञा ठाकुर और अन्य को मालेगांव धमाके में गिरफ्तार किया था।
बयान:
> "हेमंत करकरे ने मुझसे कहा था कि उन्हें प्रज्ञा ठाकुर केस में दबाव और धमकियाँ मिल रही हैं।"
हालांकि करकरे की मौत हो जाने के कारण इस बयान की पुष्टि नहीं हो सकी, और इस पर काफ़ी विवाद हुआ।
🔹 3. RSS पर टिप्पणी:
दिग्विजय सिंह ने कई बार RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को "आतंकवाद की पाठशाला" कहा है।
बयान (लगभग 2011):
> "RSS के लोग भी आतंकवाद में लिप्त पाए गए हैं। जैसे सिमी है, वैसे ही RSS भी है।"
इस तुलना को लेकर बीजेपी और संघ परिवार ने तीव्र प्रतिक्रिया दी थी।
🔹 4. समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट (2007) पर टिप्पणी:
जब यह बात सामने आई कि समझौता एक्सप्रेस धमाके में असीमानंद और अन्य हिंदू चरमपंथियों का हाथ हो सकता है, तो दिग्विजय सिंह ने इसे "हिंदू आतंकवाद का एक और उदाहरण" बताया।
🛑 आलोचना:
बीजेपी और अन्य संगठनों ने इन बयानों की यह कहते हुए आलोचना की कि इससे "हिंदू धर्म को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है", और यह "तुष्टिकरण की राजनीति" है।
समय के साथ कई केसों में अदालतों से आरोप सिद्ध नहीं हुए या आरोपी ज़मानत पर छूट गए, जिससे कांग्रेस पर यह आरोप लगे कि उसने राजनीतिक फायदे के लिए "भगवा आतंकवाद" की कहानी गढ़ी।
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दिग्विजय सिंह ने "भगवा आतंकवाद" या "हिंदू आतंकवाद" से जुड़ी कई बार सार्वजनिक रूप से टिप्पणियाँ की थीं, जो खासा विवादास्पद रहीं। यहाँ कुछ प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं:
🔹 1. भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग (2010):
तारीख: अगस्त 2010
बयान:
> "हम भगवा आतंकवाद को नजरअंदाज नहीं कर सकते।"
— दिग्विजय सिंह, कांग्रेस महासचिव
यह बयान उस समय आया जब जांच एजेंसियाँ मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस और अजमेर शरीफ धमाकों में हिंदू चरमपंथी संगठनों की संलिप्तता की जांच कर रही थीं।
🔹 2. हेमंत करकरे से बातचीत का दावा (2008 के बाद):
दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि मुंबई हमलों से ठीक पहले ATS प्रमुख हेमंत करकरे ने उनसे कहा था कि उन्हें हिंदू संगठनों द्वारा धमकियाँ मिल रही हैं, क्योंकि उन्होंने प्रज्ञा ठाकुर और अन्य को मालेगांव धमाके में गिरफ्तार किया था।
बयान:
> "हेमंत करकरे ने मुझसे कहा था कि उन्हें प्रज्ञा ठाकुर केस में दबाव और धमकियाँ मिल रही हैं।"
हालांकि करकरे की मौत हो जाने के कारण इस बयान की पुष्टि नहीं हो सकी, और इस पर काफ़ी विवाद हुआ।
🔹 3. RSS पर टिप्पणी:
दिग्विजय सिंह ने कई बार RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को "आतंकवाद की पाठशाला" कहा है।
बयान (लगभग 2011):
> "RSS के लोग भी आतंकवाद में लिप्त पाए गए हैं। जैसे सिमी है, वैसे ही RSS भी है।"
इस तुलना को लेकर बीजेपी और संघ परिवार ने तीव्र प्रतिक्रिया दी थी।
🔹 4. समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट (2007) पर टिप्पणी:
जब यह बात सामने आई कि समझौता एक्सप्रेस धमाके में असीमानंद और अन्य हिंदू चरमपंथियों का हाथ हो सकता है, तो दिग्विजय सिंह ने इसे "हिंदू आतंकवाद का एक और उदाहरण" बताया।
🛑 आलोचना:
बीजेपी और अन्य संगठनों ने इन बयानों की यह कहते हुए आलोचना की कि इससे "हिंदू धर्म को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है", और यह "तुष्टिकरण की राजनीति" है।
समय के साथ कई केसों में अदालतों से आरोप सिद्ध नहीं हुए या आरोपी ज़मानत पर छूट गए, जिससे कांग्रेस पर यह आरोप लगे कि उसने राजनीतिक फायदे के लिए "भगवा आतंकवाद" की कहानी गढ़ी।
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आपके सवाल का सीधा उत्तर इस प्रकार है
🧵 "भगवा आतंकवाद" और "हिंदू आतंकवाद" शब्दों को हिंदुओं पर थोपने की कोशिश के संदर्भ में कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों से जुड़ी प्रमुख टिप्पणियों का विवरण:
1. Digvijaya Singh का भूमिका
Digvijaya Singh, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, ने 2007–08 की घटनाओं के बाद "रूढ़िवादी हिंदू समूहों को हिंदुस्तान के लिए पाकिस्तान स्थित इस्लामिक चरमपंथियों से भी बड़ा खतरा बताया**। इस चर्चा की जानकारी 2009 में WikiLeaks के माध्यम से सामने आई थी, जिसमें उन्होंने यह कथित रूप से अमेरिकी राजदूत से साझा किया था ।
2008 Malegaon विस्फोट के बाद उन्होंने कई बार "Hindu terror" और "saffron terror" शब्दों का उपयोग करते हुए RSS‑को बम‑निर्माण फैक्ट्री चलाने का आरोप लगाया था ।
2. P. Chidambaram (गृह मंत्री, कांग्रेस)
अगस्त 2010 में P. Chidambaram ने बताया कि "saffron terror" नामक विचार को भारत में फैलाया जाने लगा, यह जमीनी स्तर पर कई बम विष्फोटों में हिंदुत्व से जुड़े संगठनों की भूमिका में संदिग्धता जताने के लिए था ।
3. सशिल कुमार शिंदे और कांग्रेस नेतृत्व
कांग्रेस के राज्यसभा नेता सुषिल कुमार शिंदे ने भी "Hindu terrorism" शब्द की चर्चा करते हुए कहा कि UPA सरकार ने इसे राजनीतिक लाभ (vote‑bank politics) के लिए फैलाया था और इससे आतंकवाद से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर दिया था ।
4. कांग्रेस का पलटवार—इन शब्दों का आधिकारिक उपयोग नहीं किया
कांग्रेस की आधिकारिक प्रतिक्रिया में यह साफ़ किया गया कि न तो राहुल गांधी, न ही कोई अन्य पार्टी नेता ने कभी “saffron terror” शब्द का प्रयोग किया है; इसे “बेमानी और बेबुनियाद” करार दिया गया। कांग्रेस ने कहा कि आतंकवाद किसी धर्म या जाति से जुड़ा नहीं हो सकता। यह बयान अप्रैल 2018 में Mecca Masjid विस्फोट मामले के फैसले के ठीक बाद आया था ।
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🔍 हालिया राजनीतिक प्रतिक्रिया और Malegaon केस:
31 जुलाई 2025 को एक विशेष NIA कोर्ट ने Malegaon विस्फोट के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि “terrorism was never saffron” और स्पष्ट किया कि “saffron terror” सिर्फ कांग्रेस द्वारा राजनीतिक आरोप लगाने के लिए रचा गया था ।
उसी दिन Digvijaya Singh ने दोहराया कि “terrorism should not be associated with any religion” और हिंसा की घटनाओं को धार्मिक पहचान से जोड़ने का विरोध किया ।
Union Home Minister अमित शाह ने Rajya Sabha में 31 जुलाई 2025 को कहा:
> “No Hindu can ever be a terrorist.”
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने “saffron terror” narrative को रचा ताकि हिंदू समुदाय को बदनाम किया जाए ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस पर तीखा वार करते हुए कहा कि 26/11 मुंबई हमले और Batla House मामले में कांग्रेस “saffron terror” narrative फैलाने में लगी रही। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा अमेरिकी राजदूत को भेजे गए कथित संदेश का भी जिक्र किया, जिसमें “हिंदू चरमपंथी समूह मुस्लिम चरमपंथियों से ज़्यादा खतरनाक हो सकते हैं” कहा गया था ।
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🧾 सारांश तालिका:
व्यक्ति / संस्था कथन / आरोप संदर्भ समय और घटना
Digvijaya Singh RSS चरमपंथी समूह से संबद्ध; “Hindu terror”, “saffron terror” शब्द प्रयोग 2008–2011: Malegaon, Samjhauta आदि
P. Chidambaram Home Ministry में “saffron terror” की चर्चा 2010
Sushilkumar Shinde UPA द्वारा “Hindu terrorism” शब्द का प्रचार, आतंकवाद विरोधी कदम कमजोर किए गए ~2013
Rahul गांधी / कांग्रेस इन शब्दों का प्रयोग नहीं किया (official denial) 2018 Mecca Masjid verdict
Devendra Fadnavis / Eknath Shinde “terrorism never saffron” कहकर कांग्रेस को आरोपित कहा गया मिथक 31 July 2025, Malegaon verdict
Amit Shah “No Hindu can ever be a terrorist”, कांग्रेस द्वारा narrative रचने का आरोप Rajya Sabha पर बयान, 31 July 2025
प्रधानमंत्री Modi कांग्रेस contrasts BJP को vote‑bank politics के लिए आरोप; Rahul के WikiLeaks कथन का उल्लेख Operation Sindoor debate, July 2025
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🧭 निष्कर्ष:
कुल मिलाकर यह शब्द (“saffron terror”, “Hindu terror”) राजनीति में कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं द्वारा इस्तेमाल किए गए हिंदुत्व से जुड़े चरमपंथ की कथाओं के रूप में दूर तक फैले। बाद में भाजपा नेतृत्व ने इसे संविधान और देश की एकता के खिलाफ मानते हुए कांग्रेस से माफी की मांग की। कांग्रेस ने उनके ख़िलाफ आरोपों को पूरी तरह खारिज किया और कहा कि उन्होंने ऐसा कोई शब्द प्रयोग नहीं किया।
यदि आप किसी विशिष्ट बयान (तारीख/मंच/मीडिया स्रोत) की तलाश में हैं, तो कृपया बताएं, मैं और विवरण डिटेल में खोज सकता हूँ।
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🔎 विशेष टिप्पणियाँ और मंच:
1. दिग्विजय सिंह के बयान (2011, 2013)
2011 में उन्होंने एक किताब “26/11: RSS ki Saazish?” के विमोचन पर दावा किया कि मुंबई हमला एक "RSS साजिश" हो सकता है। उन्होंने बार-बार “हिंदू आतंक” शब्द का प्रयोग किया, जिसे भाजपा ने “हिंदू समुदाय के अपमान” के तौर पर देखा।
🗞 स्रोत: India Today
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2. सुषिल कुमार शिंदे (जनवरी 2013)
AICC की मीटिंग में उन्होंने कहा:
> “आरएसएस और भाजपा आतंकवाद के ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं, जिससे हिंदू आतंकवाद पैदा हो रहा है।”
इस बयान ने देशभर में जबरदस्त विवाद पैदा किया। बाद में भारी दबाव पर शिंदे को सफाई देनी पड़ी, पर बयान वापस नहीं लिया गया।
🗞 स्रोत: Hindustan Times
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3. विकीलीक्स के खुलासे: राहुल गांधी और अमेरिकी राजदूत (2009)
राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत Timothy Roemer से कहा था: > “हिंदू चरमपंथी समूह भारत के लिए मुस्लिम आतंकवादी समूहों से बड़ा खतरा हैं।” यह खुलासा 2010 में WikiLeaks के जरिए हुआ। कांग्रेस ने इसका खंडन किया, पर विवाद बना रहा।
🗞 स्रोत: The Hindu
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4. राजनाथ सिंह (तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष, 2013)
उन्होंने कहा: > “भगवा आतंकवाद कहना देश के करोड़ों हिंदुओं का अपमान है।” उन्होंने कांग्रेस से सार्वजनिक माफी की मांग की।
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वक्ता/नेता टिप्पणी / बयान प्रतिक्रिया
दिग्विजय सिंह RSS को आतंकवाद से जोड़ा; किताब प्रकाशित की भाजपा ने “हिंदू विरोधी” कहा, हिंदू साध्वी से चुनाव हारे, अब मुकरते हैँ।
सुषिल कुमार शिंदे RSS/भाजपा पर आतंकवाद फैलाने का आरोप भारी आलोचना; सफाई दी गई।
राहुल गांधी विकीलीक्स में: “हिंदू चरमपंथी मुस्लिम चरमपंथियों से अधिक खतरनाक” कांग्रेस ने इनकार किया था।
भाजपा “भगवा आतंक शब्द करोड़ों हिंदुओं का अपमान” माफी की मांग की है
अदालत (2025) Malegaon केस: “सबूत नहीं”, सभी आरोपी बरी राजनीतिक नैरेटिव की विफलता
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