पत्नी को रोते और बच्चों को बिलखते हुए छोड़ कर निकले थे अयोध्या कारसेवा को - अरविन्द सिसोदिया bjp rajasthan kota

- कोटा से 1992 में बड़ी संख्या में कार सेवक गये थे.... कोई भी जानकारी मुझे देना चाहें तो मेरा मो. 9414180151

- 6 दिसंबर 1992, शौर्य दिवस 
- अयोध्या में बाबरी ढांचा ढहने का दिन,

1992 कि कारसेवा में उत्तर प्रदेश में अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद 1990 में मुलायम सिंह सरकार द्वारा किया गया कारसेवकों का नरसंहार और केंद्र में कांग्रेस सरकार का होना, कारसेवक परिवारों में भय का बड़ा कारण था।

कुछ लोग राजनैतिक स्वार्थ के लिए अब 6 दिसंबर को याद नहीं करना चाहते... जबकि भारत में 6 दिसंबर का वह ऐतिहासिक दिन ही युग परिवर्तनकर्ता रहा है। जिसके शौर्य पर आज हिंदुत्व सत्ता में बैठा है। प्रत्येक हिन्दू को 6 दिसंबर को शौर्य दिवस न केवल सम्मान से याद करना चाहिए बल्कि उसके हीरोज को देवताओं की तरह पूजना चाहिए.... क्योंकि यही वह पल था... जिसने हिंदुत्व को जीतने की आदत के लिए उत्साहित किया और तब से हिन्दू अपने अधिकारों को हांसिल करने में जुट गया। हिंदुस्तान को परोक्ष पाकिस्तान बनाने में लगीं ताकतें, 6 दिसंबर की हिन्दू विजय के बाद से ही परास्त होना प्रारंभ हुईं हैँ। इस सिलसिले को सदियों तक जारी रखने से ही हिंदुत्व और भारतीयता सुरक्षित रहेगी।
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इतिहास श्री रामजन्म भूमि मुक्ती आंदोलन को कभी नहीं भूलेगा.....और न ही इसके सूत्रधार माननीय लालकृष्ण आडवाणी जी को, न माननीय मुरलीमनोहर जोशी जी को, न माननीया राजमाताजी विजयाराजे सिंधिया को, न माननीया उमाजी भारती को, न माननीया साध्वी रितंभरा जी, न माननीय अशोक सिंघल को और न मुख्यमंत्री रहे माननीय कल्याण सिंह जी को भूलेगा। ये वे हिंदुत्व के हीरोज हैँ, जिन्होंने विजयी होना सिखाया...!
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कोटा,
कोटा से विधायक और राजस्थान की ठा. भैरोसिंह शेखावत सरकार के केबिनेट मंत्री श्री ललित किशोर चतुर्वेदी नें पद से त्यागपत्र देकर श्रीरामजन्म भूमी पर कारसेवा करने का निर्णय ले लिया था। वे त्यागपत्र देकर कोटा आगये थे।

कोटा - बारां से दिग्गज नेता रघुवीर सिंह कौशल अयोध्या पहुंच कर व्यस्थाएं संभाल रहे थे।

कोटा के ही युवा नेता रविन्द्र सिंह निर्भय केसरिया वाहनी के संयोजक होकर कारसेवकों का नेतृत्व कर रहे थे।

में भाजपा के युवा मोर्चा में था, भाजपा के केबिनेट मंत्री से त्यागपत्र देकर आये विद्यायक ललित किशोर चतुर्वेदी एवं कोटा के दबँग जिला अध्यक्ष मणिभाई पटेल के नेतृत्व में कोटा के जत्थे को अयोध्या रवाना होना था। मुझे याद है कि हम रेल मार्ग से अयोध्या के लिए काफ़ी पहले रवाना ही गये थे।
में जब अपने घर से रवाना हो रहा था, तब मेरी पत्नी साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछ रही थी। छोटी छोटी बेटियां मेरा कुरता पकड़ कर जानें से रोक रहीं थीं. अजीब ह्रदय विदारक दृष्य था। में उन्हें विश्वास दिला रहा था कि कुछ नहीं होगा, मगर उन्हें लगता था कि कुछ भी हो सकता है, पहले की कारसेवा में भी गोलियां चली थीं लोग मारे गये थे।

में अपनी पत्नी को रोते हुए, बच्चों को बिलखते हुए छोड़ कर निकला और जत्थे में सम्मिलित होकर अयोध्या पहुँच गया। मेरे साथ मेरा मित्र अजय जैन था।

अयोध्या में तब श्री ओम जी बिरला, श्री भवानी सिंह जी राजवत थे, वरिष्ठ नेता श्री हरिकृष्ण जोशी तब कोटा शहर के कारसेवकों के ग्रुप लीडर थे, सत्यभान सिंह दद्दू, राजकुमार माहेश्वरी, आलोक शर्मा सहित बहुत से साथी साथ थे। हम अयोध्या के पुराने मंदिरों में ठहरे हुए थे। दाल बाटी बनाते थे।

कोटा से बहुत बड़ी तादाद में कारसेवक पहुंचे थे, इसका कारण रघुवीर सिंह कौशल एवं ललितकिशोर चतुर्वेदी का कोटा होना था, जो राजस्थान की कमान संभाल रहे थे।
मुझे याद है कि - 
मणिभाई पटेल, महेश विजयवर्गीय,
स्टेशन - चंद्रभान जी गुप्ता, रविंद्र सिंह निर्भय, हनुमान शर्मा, वासुदेव पाल, रमेश चौबे , छोटेलाल जी शर्मा, अरविन्द सिसोदिया, नानकचंद डागर, सत्यभान सिंह,शिव शर्मा, विजय डागर, कामराज, बालकृष्ण अरोड़ा, गजेंन्द्र दाधीच, मदन दिलावर, आशुतोष माथुर, 
संजीव माथुर, महेश तिवारी, मनोज शर्मा, राजेंद्र सैनी, राजेश सोनी, मुरलीधर शर्मा,हरीजी चौरसिया खेड़ली,मुकेश शर्मा जयपुर,मुकेश गोयल जयपुर,

युवा मोर्चा से 
ओम बिरला, भवानी सिंह राजावत,प्रहलाद गुंजल, राजकुमार महेश्वरी, क्रांति जैन, आलोक शर्मा, ललित सिंह मुक्तावत, पूरन बजाज, जमुना बजाज, यश खंडेलवाल, शोभा जैन,
महिला मोर्चा से 
सुमन श्रीगी, कृष्णा खंडेलवाल, अरुणा अग्रवाल, उर्मिला जडीया,प्रभा तंवर,
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कारसेवा की इजाजत देनें हेतु 4 दिसंबर को न्यायालय में सुनवाई थी और पूरी उम्मीद थी कि अनुमति मिल जायेगी। किन्तु पता चला की व्यायाधीश नें छुट्टी ले ली और तारीख बड़ गईं अर्थात 6 दिसंबर को कारसेवा नहीं हो सकेगी।

कारसेवको सहित पूरी अयोध्या और देश भर में आक्रोश था, न्यायालय के प्रति गुस्सा था और यह माना जा रहा है कि इसके लिए कांग्रेस प्रधानमंत्री नरसिंह राव जिम्मेवार हैँ।

6 दिसंबर को तय हुआ कि सरयू से एक मुट्ठी रेत लेकर, रामलला के जन्म स्थल के निकट डालनी है। किन्तु कारसेवकों के गुस्से के आगे बाबरी ढांचा टिक नहीं सका... देखते देखते, रोकते रोकते ढांचा ढह गया।

में भी दो इंटे लाया, हम सोने कि तैयारी कर रहे थे, तभी सूचना आई कि कोटा की टोली तुरंत ढहे हुए ढांचे पर पहुँचे, हम सभी लोग हरिकृष्ण जोशी के नेतृत्व में वहाँ पहँचे, हमें आदेश मिला कि रामलला का अस्थायी मंदिर अभी तुरंत बनना है। तुरंत एक चबूतरा बनाया गया, उस पर रामलला की प्रतिमा स्थापित की गई और उस पर चादरों से कक्ष का स्वरूप स्थापित किया गया। पूजा प्रारंभ की गईं, सुबह होते होते मंदिर तैयार था।
जैसे ही हम वापस पहुँचे तो पता चला की तुरंत अयोध्या छोड़ दें कभी भी केंद्रीय बल अयोध्या पर कब्जा कर सकते हैं। यह भी बताया गया कि अयोध्या रेल्वे स्टेशन पर बहुत सी ट्रेंनें खड़ी हैँ जो दिल्ली की और जा रही है उससे हमें निकलना है।

हम जैसे तैसे एक ट्रेन में सबार ही गये, हमारी ट्रेनों पर पथराव ही रहे थे, नेहरू कॉलोनी का हरिजन नेता कमराज और में साथ थे, मथुरा स्टेशन से हम एक मालगाड़ी पर चढ़ गये और कोटा आगये। उन दो ईंटो को काफ़ी समय तक संभाल कर रखा।

मेरी पत्नी और बच्चे मुझे देखते ही लिपट गये, वे बहुत चिंतित थे। टी बी माध्यमों के कारण पूरे देश में भय व्याप्त था, दंगों की संभावना थी। मोबाईल थे नहीं।

भाजपा के इस तरह के चार अभियान थे जिनमें मे और मेरे जैसे ही हजारों हजारों कार्यकर्ता कभी जम्मू गये तो कभी प्रतिबंधित रैली में दिल्ली गये। कभी अयोध्या गये....! अब न तब जैसे आंदोलन हैँ न तब जैसे संघर्ष......।

दुःख की बात यह है कि हिंदुत्व को आत्मसम्मान की इस स्थिति में लानें कार्यकर्ताओं को वर्तमान संगठन छूना भी नहीं चाहता।
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शौर्य दिवस क्यों .....?

भारत भूमि तीन हजार साल से विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण से जूझते हुये विजय 
को प्राप्त हुई है। उसके हजारों मंदिर महल ओर शिल्प कौशल को हिंसा और बर्बरता से जमीन में मिलाया गया , खंड खंड किया गया , नष्ट किया गया, उन्हे अपने नामों से बदल लिया गया !!
आजादी के बाद सबसे पहले इन सभी स्थानों को आजाद किया जाना चाहिये था, 
सोमनाथ मंदिर की तरह, नव निर्माण होना चाहिये था, दुनिया के तमाम गुलाम देशें में आजाद होते ही यह हुआ है। मगर कांग्रेस के नेहरू और उनके वंशजों ने इसे अपना गुलाम देश मान लिया और साम्प्रदायिकता के द्वेष को पुनः जाग्रत करने वाले अवशेषों को यथावत रखा ताकि आपस में वैमन्स्य बना रहे ।
6 दिस्मबर 1992 वह दिन है जिसमें जनशक्ति ने अपना न्याय स्वंय हांसिल कर लिया, बाद में न्यायालय ने भी यह मानलिया कि वह स्थान श्रीराम जन्मभूमि ही है।
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*अयोध्या 1990 की कारसेवा में कोटा से अंतिम जत्था प्रस्थान:- * *हनुमान शर्मा*

*1990 की पहली कार सेवा में स्टेशन क्षेत्र के कार्यकर्ता जत्थो को कोटा रेलवे स्टेशन पर छोड़ने जाते थे। गगन भेदी जयकार लगते *राम लला हम आएंगे मंदिर वही बनायेगे, सौगन्ध राम की खाते है हम मंदिर वही बनायेगे* इस कारण से अंतिम जत्थे में जाने का आदेश मिला। 

*माननीय दाऊदयाल जी जोशी सांसद   भी दिल्ली जा रहे थे।* पकड़ा धकडी तेज हो गयी थी। ऐसे में अयोध्या पहुचना था। गोल्डन टेम्पल मेल में प्रातः 11:15 बजे कोटा जंक्शन से दिल्ली के लिये सैकड़ो कार सेवको ने प्रस्थान किया उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। *भरतपुर जंक्शन* *पर जबरदस्त पुलिस की फोर्स
इंतजार करती रहती थी। ट्रेन आते ही *एक एक डिब्बे की तलाशी लेकर कार सेवको को उतार लेती थी*
जैसे ही भरतपुर आने लगा *माननीय दाऊजी ने कहा हनुमानजी कुछ सोचा क्या करोगे, मेने कहा सारा प्रबंध कर लिया है।*

*माननीय दाऊजी, हनुमान शर्मा, रविन्द्र सिंह निर्भय, वासुदेवपाल ओर संजीव माथुर हम सभी रसोईयान में गये उसके मैनेजर से मैने पहले ही बात कर ली थी, मैनेजर रूम में हम बेठ गये बाहर से ताला लगवा दिया* इतने में भरतपुर आ गया *बहुत सारे कार सेवको को पकड़ लिया।जय श्रीराम के जयकारे लगने लगे।*

*हम चुपचाप बैठे रहे रसोईयान में तेज पदचाप की आवाज आते ही सांस रोक लेते गाड़ी चलने पर राहत की सांस ली* फिर तो उसी रूम यानी केबिन में दिल्ली तक गये। दूसरे दिन अयोध्या की ओर प्रस्थान किया।

*दिल्ली से अयोध्या* हम चार जनो ने प्रस्थान किया परन्तु *कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर गिरिफ्तार कर फतहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया।* उत्तर प्रदेश की सारी जेल भर गई, स्कूलों इत्यादि को जेल बना दिया वह भी कम पड़ गए।

 *जहाँ देखो वहा कार सेवक ही कार सेवक* मुलायम सिंह सरकार को धता बता दिया था।

सदभावना सहित
*हनुमान शर्मा*
कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष
लोकतंत्र रक्षा मंच, राजस्थान
राष्ट्रीय सलाहकार, अखिल भारतीय हरियाणा गोड ब्राह्मण महासभा जयपुर
पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, भाजपा राजस्थान
मो- 9214631111
    - 9413222288
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*_अयोध्या में डेढ़ टन वजन वाली श्याम रंग की 51 इंच ऊंची होगी भगवान राम की प्रतिमा_*
अयोध्या: -
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र में कार्यक्रम के दौरान खुले मंच से इशारों ही इशारों में यह बता दिया है कि भगवान राम के भव्य मंदिर में विराजमान होने वाली कौन सी प्रतिमा की स्थापना होगी। राजस्थान और कर्नाटक के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई कुल तीन प्रतिमाओं में 51 इंच की ऊंचाई वाली श्यामल वर्ण की प्रतिमा को नवनिर्मित मंदिर के गर्भ गृह में स्थान दिया जाएगा। यह बातें खुद चंपत राय ने खुले मंच से कहीं हैं, उनका यह बयान सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि कर्नाटक के मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज की प्रतिमा ही गर्भ गृह में स्थापित करने के लिए चयनित की गई है। वहीं खास बात यह है कि भगवान राम की दो अन्य प्रतिमाएं भी इसी परिसर में अलग-अलग स्थान पर स्थापित करने की योजना है।

5 वर्ष के बालक जैसे स्वरूप में है, भगवान राम की प्रतिमा श्यामल रंग के पत्थर की है, 5 वर्ष के बालक की आकृति है, मूर्ति खड़ी अवस्था में है। 5 वर्ष के बालक की कोमलता, चेहरा कितना कोमल, मुस्कान कैसी, आंखों की दृष्टि कैसी, शरीर कैसा हो, इसका ध्यान रखकर प्रतिमा बनाई गयी है। प्रतिमा में देवत्व है, वह भगवान विष्णु का अवतार हैं और वह राजा के बेटे भी हैं, राजा पुत्र हैं, देवत्व हैं, लेकिन 5 वर्ष के बालक हैं, इसका ध्यान रखा गया है।

चम्पत राय ने बताया कि तीन मूर्तिकारों ने तीन अलग-अलग मूर्ति बनाई हैं। उसमें से एक मूर्ति को प्रभु की प्रेरणा से स्वीकार कर लिया गया है। सभी मूर्तियां हमारे पास रहेंगी, सबने बड़ी तन्मयता से काम किया है, सबका सम्मान होगा, यह मूर्ति लगभग पैर की उंगली से कंपेयर करें, तो आंख की भौं, ललाट....51 इंच ऊंची है। इसके ऊपर मस्तक मुकुट थोड़ा आभामंडल है। यह मूर्ति लगभग डेढ़ टन की है। पूरी प्रतिमा पत्थर की है, श्यामल रंग में है।

मूर्ति की प्रतिष्ठा पूजा विधि 16 जनवरी से प्रारंभ हो जाएगी, मूर्ति को गर्भ गृह में अपने आसन पर 18 जनवरी की दोपहर में स्थापित किया जाएगा। प्रतिमा की विशेषता यह है कि अगर जल से स्नान हो, दूध से स्नान हो, तो पत्थर का कोई प्रभाव दूध और पानी पर नहीं पड़ना चाहिए। अगर उसे जल का आचमन कर लें तो उसका शरीर पर कोई दुष्परिणाम न हो। इसका विचार किया गया है, प्रतिमा की ऊंचाई इस विचार से दी गयी है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी के दिन दोपहर को 12:00 बजे जब सूर्य भगवान चमक रहे हों, तो उनकी किरणें राम लला के ललाट पर आकर पड़े। इस वैज्ञानिक कार्य को भारतवर्ष के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने संपन्न किया है। इस आधार पर ऊंचाई का निर्णय लिया गया।

भगवान श्री राम की जन्मस्थली परिसर के बाहर परकोटे के अंदर सात मंदिर और परकोटे के बाहर भी सात मंदिर बनाने की योजना है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपतराय ने बताया कि राम मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी, अहिल्या का मंदिर बनाया जाएगा. जटायु की प्रतिमा पहले से ही स्थापित कर दी गई है।

 22 जनवरी 2023 भारत की सांस्कृतिक रूप से स्वतंत्रता जैसा है। हिंदुस्तान के जीवन में 15 अगस्त 1947 है वैसे ही है।
प्रेस विज्ञप्ति

परिजनों के आँखों में आंसू छोड़ कर गए और रामलला का अस्थाई मंदिर बना कर लोटे थे, कोटा के कार सेवक 

20 जनवरी, कोटा। कारसेवा 1992 जो की निर्णयक विजय का हरावल दस्ता था में हाड़ौती की भी बड़ी भूमिका थी।

कारसेवक रहे अरविन्द सिसोदिया नें बताया कि 1990 की कारसेवा में जो नर्सन्स व्यवहार हुआ था गोलियों से कारसेवकों को भून दिया गया था, हिंसकव्यवहार किया गया था, उसका आक्रोश हिन्दू युवा वर्ग में था और इसी कारण 1992 में केसरिया बाना सिर पर बांध कर कारसेवक अयोध्या को अपनी अपनी टोलियाँ बना कर योजना से और स्वतंत्ररूप से पहुंच रहे थे।

उन्होंने कहा यह भी सच है कि कारसेवकों के परिजनों में भयंकर भय था,क्योंकि 1990 के कष्टों और ख़ूनी कांड की बात सभी को पता थी और इसी से वे शंकित थे। जब कोई कारसेवक घर से निकलता था तो वह अपने परिजनों की आँखों में आंसू ही छोड़ कर आगे बढ़ता था। 

कारसेवक रहे अरविन्द सिसोदिया नें बताया कि हाड़ौती से अयोध्या जानें वालों का केंद्र कोटा जंक्शन रहा, कारसेवक राममंदिर आते थे, रेल की जानकारी और भोजन इत्यादि यहां से होती थी, बजरंगलाल विजय, विजय सेन अपनी टोली के साथ राममंदिर की सभी व्यवस्थाओं को देखते थे और हनुमान शर्मा, उदय भान शर्मा, संजय शर्मा रेल्वे की व्यवस्थाओं को देखते थे।

कारसेवा की दृष्टि से रघुवीर सिंह कौशल पूरा राजस्थान देख रहे थे वे कई बार व्यवस्था की दृष्टि से अयोध्या आये गये, तो केसरिया वाहनी के प्रमुख के नाते रविंद्र सिंह निर्भय बड़ी भूमिका निभा रहे थे। 

रोम रोम में राम,कौन रोक सकता है जनउत्साह को - अरविन्द सिसोदिया

रघुवीर सिंह कौशल, ललितकिशोर चतुर्वेदी, के के गोयल, दाऊदयाल जोशी,हरिकुमार ओदीच्य, हरिकृष्ण जोशी, महेश शर्मा गम्मूजी,मणिभाई पटेल,अर्जुनदास मदान,महेश विजयवर्गीय, रविंद्र सिंह निर्भय,नन्दलाल शर्मा नंजी , बुधराज लोहिया, योगेंद्र खींची, मदन दिलावर आदि कोटा भाजपा के बड़े नाम थे।

स्टेशन - बाबा गोपीनाथ जी भार्गव गोदावरीधाम, चंद्रभान गुप्ता विश्व हिन्दू परिषद, हनुमान शर्मा, छोटेलाल शर्मा, अरविन्द सिसोदिया, नानकचंद डागर, सत्यभान सिंह,शिव शर्मा, विजय डागर, कामराज पँवार,बालकृष्ण अरोड़ा, गजेंन्द्र दाधीच, आशुतोष माथुर, संजीव माथुर, महेश तिवारी, मनोज शर्मा, राजेंद्र सैनी, राजेश सोनी, मुरलीधर शर्मा,हरीजी चौरसिया खेड़ली,मुकेश शर्मा जयपुर,मुकेश गोयल जयपुर,

तब युवा मोर्चा में बड़े नाम 
ओम बिरला, भवानी सिंह राजावत, प्रहालाद गुंजल,संदीप शर्मा,क्रांति जैन, क्रांति जैन, हिरेन्द्र शर्मा,आलोक शर्मा, ललित सिंह मुक्तावत, पूरन बजाज, जमुना बजाज, यश खंडेलवाल, शोभा जैन,

महिला मोर्चा में - 
सुमन श्रृंगी, कृष्णा खंडेलवाल, अरुणा अग्रवाल, चित्रा निगम, शीला शर्मा पत्नी डा मनमोहन शर्मा कुन्हाड़ी, उर्मिला जडीया,प्रभा तंवर, सुगना बाईं, जमना बजाज, शोभा जैन हुआ करते थे।

स्टेशन कार सेवकों की खान थी -  मुरली जी पकोडेवाले,
भुवनेश रावत, भरत शर्मा, अशोक सिंघवाल, महेश तिवारी, धर्मेंद्र पंजाबी, उदयभान शर्मा, अजय शर्मा अज्जू , गजेंन्द्र कुमार मिश्रा, संजीव गुप्ता, पुष्पेंद्र सिंह चौहान, जमन रावत, संजीव माथुर,

खेड़ली फाटक से
हरी चौरसिया, मुरलीधर लोधा, परुशराम शर्मा, नन्दलाल प्रजापति, महेश शर्मा 

मौजीबाबा की गुफा के महंत रामानंद सरस्वती, शिवा सरस्वती, रिछपाल पारीक, मोहन सिंह सोलंकी, जानकीलाल वत्स, शिवकरण राठौड़, नरेन्द्र जी मेघ विभाग प्रचारक कोटा, जगपती जी, अनिल जलवानिया, अनिल जैन, नेता खंडेलवाल, मुकुट नागर, राकेश चावला, संजय शर्मा,

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