संसद की गरिमा गिराने वालों की सदस्यता समाप्ति हो और आजीवन प्रवेश पर रोक हो - अरविन्द सिसोदिया

संसद की गरिमा गिराने वालों की सदस्यता समाप्ति और आजीवन प्रवेश पर रोक हो - अरविन्द सिसोदिया 

कांग्रेस गठबंधन का संसद के प्रति आपराधिक षड़यंत्र था " हुल्लड - नौटंकी " - अरविन्द सिसोदिया

संसद में कलर स्प्रे और उसके साथ ही सदनों में आपराधिक स्तर की गरिमा गिराने वाली विपक्ष के सांसदों द्वारा हुल्लडबाजी और इसके बाद सदनों के आसन को निलंबन हेतु मजबूर करना, यह सब कुछ सोचा समझा टूलकिट था।... सबूत भले ही न हो मगर यह स्पष्ट है कि लोकसभा के सदन में कलर स्प्रे लेकर कूद फांद करने वालों का भी इस टूलकिट से पूर्व नियोजित संबंध है। यह दूसरी बात है कि जाँच सच तक पहँचे न पहुँचे..!

संसद में संसद सदस्यों की सहमती और असहमति के निर्णय का एक ही रास्ता है, वह है मत के द्वारा बहूमत - अल्पमत प्राप्त करना। सदनों में हुल्लड या किसी भी अन्य प्रकार की सीधी कार्यवाहीयों का कोई स्थान प्राप्त नहीं है।

लेकिन कांग्रेस जिस तरह की हुल्लड़बाजी और अप्राकृतिक हरकतों को अपना कर चल रही है, वह इस बात का सबूत है की वह भारत और भारत की संसद की गरिमा को, मर्यादा को, अनुशासन को निरंतर कुचल रही है। वह दिखाना चाहती है कि देश की सर्वेसर्वा कांग्रेस और उसके राजकुमार हैँ, जनता द्वारा चुनी सरकार उसके सामनें अस्तित्वहीन है। कांग्रेस व उसके साथीदल इस मानसिकता की बीमारी से ग्रस्त होकर पागलपन जैसी हरकतें कर देश की गरिमा को निरंतर गिरा रहे हैँ।

इस तरह के अनियंत्रित,आपराधिक और जोर जबरदस्ती पूर्ण घटनाक्रम में देश व सदन की गरिमा और अनुशासन को बनाये रखनें के लिए आसन के पास एक ही रास्ता था वह लिप्त सांसदों के निलंबन का जो उन्होने अपनाया।

मेरा मानना है कि जो तरीका कॉंग्रेस व उसके साथियों नें इजाद किया है उसके सामनें अभी जो नियम हैँ वे काफ़ी कमजोर हैँ। इस संदर्भ में और भी कठोर कानून होनें चाहिए, बनाये जानें चाहिए! क्यों संसद के सदन और संपूर्ण संसद, देश का सबसे बड़ा और गरिमामय संस्थान है, मस्तिष्क है, देश की अभिव्यक्ति है। पूरा विश्व इसे देखता है देश की जनता इसे देखती है, इसकी कार्यवाहीयों का सीधा प्रसारण भी होता। इसके किसी भी सम्मान को ठेस पहुँचाना, देश के प्रति बहुत बड़ा और गंभीर अपराध है। जिसका मात्र निलंबन पर्याप्त दंड / सजा / उपाय नहीं है। इस तरह के आचरण की कठोर व प्रभावी निदान होना चाहिए, जो कम से कम इस तरह के आचरणकर्ता को पूरी उम्र सदन में प्रवेश को निषेध करे। वह स्पष्ट रूपसे इस तरह के सदस्य की आचरण के साथ ही सदस्यता समाप्ति व आजीवन चुनाव प्रत्याशी बनने व संसद प्रवेश को रोक दे और देश में किसी भी जनप्रतिनिधित्व व प्रशासनिक पद पर नियुक्त होनें के अयोग्य घोषित करे । इस तरह की कठोर नियमावली से सदन के साथ अपराध व अमर्यादित व्यवहार करने वाले सदस्यों से देश व सदन को मुक्ती मिलेगी।

जैसे किसान आंदोलन और लालकिले पर खालिस्तानी झंडा फहराने के पीछे मकसद था कि केंद्र सरकार तथाकथित किसानों पर गोली चलाये और उसे किसान हत्यारी सरकार करार दिया जा सके किन्तु प्रधानमंत्री मोदीजी नें सूझ - बूझ से सरकार को बचा लिया था।

इसी तरह का मकसद शाहीनबाग लगानें में रहा कि देश के संविधान और व्यवस्था के विरुद्ध एक संम्प्रदाय विशेष को उन्मादित किया जावे और सांम्प्रदायिक वर्ग संघर्ष उत्पन्न करवाया जाये।

इसी तरह राहुल गाँधी नें गुजरात में न्यायालय को मजबूर कर दिया कि वह उन्हें सजा दे, वे जेल जानें वाले विचारे बनें। यह दूसरी बात है कि उनको सजा के चलते सदस्यता गंबानी पड़ी। जिसे बमुश्किल सर्वोच्च न्यायालय से बचा पाये।

इसी तरह उन्होंने संसद में व्यवधान खड़ा करने और निलंबन की स्थितियाँ उत्पन्न करने की योजना स्वयं बनाई और उसके लिए आसनों को मजबूर किया।

यह ध्यान देनें वाली बात है कि कांग्रेस नें संसद के प्रत्येक सदन को बिना कारण इसलिए बाधित किया कि केंद्र सरकार काम नहीं कर पाये। यह एक प्रकार की लोकतंत्र के रास्ते में रूकावट डालने वाली गुंडागर्दी है और इसके लिए सरकार नें निलंबन का सही तरीका अपनाया है।

कांग्रेस वही पार्टी है जिसनें जनता से चुनी हुईं 50 से ज्यादा गैर कोंग्रेसी राज्य सरकारें बर्खास्त कीं और आपातकाल लगा कर आधीरात को तत्कालीन पूरे विपक्ष को जेलों में डाल दिया था और प्रेस की आजादी छीन ली थी।

अर्थात कांग्रेस की हिटलरशाही की ब्रेक इसलिए देना होगा की लोकतंत्र बचे। इसलिए सदनों के अनुशासन हेतु कठोर कानून बनाने ही होंगे।

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