हिन्दू मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ना देश को घातक - अरविन्द सिसोदिया Hindu Matadan Prtishat
हिन्दू मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ना देश को घातक - अरविन्द सिसोदिया
राजस्थान विधानसभा चुनावों में गत चार चुनावों के परिणाम नीचे हैँ और इनमें बहुत साफ यह है कि अभी भी 24.55 प्रतिशत मत पेटी तक नहीं पहुँचे हैं। जबकि सरकार बनानें का फैसला बहुत कम अंतर से हो जाता है। गत कांग्रेस सरकार मात्र 0.54 प्रतिशत अंतर से बढ़त लेकर सरकार में आई और हिन्दू विरोधी एजेंडे पर बड़ी, सर तन से जुदा हुआ, जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपी कमजोर पेरबी से बरी करवाये गये, मंदिर मशीनों से हटा दिया गया। फिर भी हिन्दू नहीं जागा और न उसे जगाने साधु संत, मठ महंत सड़कों पर दिखे, जबकि हिंदुत्व की रक्षा की चिंता करना उनका भी विषय है। हम हिन्दू इस देश के लाखों वर्षो से स्वामी हैं। इसके हर निर्णय पर हमारी मोहर होनी चाहिए।
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- राजस्थान में गत पांच विधानसभा चुनावों का मतदान प्रतिशत : -
वर्ष 2023 में 75.45 प्रतिशत
वर्ष 2018 में 74.06 प्रतिशत
वर्ष 2013 में 75.04 प्रतिशत
वर्ष 2008 में 66.25 प्रतिशत
वर्ष 2003 में 67.18 प्रतिशत
अर्थात लगभग 25 प्रतिशत मतदाता मतदान नहीं करता और यह अधिकांश हिन्दू है।
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गत चार चुनावों में प्राप्त मत प्रतिशत -
1- 2003 में भाजपा को 39.20 प्रतिशत मत और 120+3 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर + 3.35 था। वहीं कांग्रेस को 35.65 प्रतिशत और 56 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर - 3.35 था। इसलिए कांग्रेस सरकार से बाहर हो गईं और भाजपा महारानी श्रीमती वसुंधरा राजे जी के नेतृत्व में सरकार बनानें में सफल रही।
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2- 2008 में भाजपा को 34.27 प्रतिशत मत और 78 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर - 2.55 था। वहीं कांग्रेस को 36.82 प्रतिशत और 96 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर +2.55 था। इसलिए भाजपा सरकार से बाहर हो गईं और कांग्रेस नें अन्य दलों के विधायकों के समर्थन से अशोक गहलोत जी के नेतृत्व में सरकार बनाई ।
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3- 2013 में भाजपा को 46.95 प्रतिशत मत और 163 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर + 13.24 था। वहीं कांग्रेस को 33.71 प्रतिशत और 21 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर - 13.24 था। इसलिए कांग्रेस सरकार से बाहर हो गईं और भाजपा की महारानी श्रीमती वसुंधरा राजे जी के नेतृत्व में सरकार बनीं ।
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4- 2018 में भाजपा को 39.28 प्रतिशत मत और 73 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर - 0.54 था। वहीं कांग्रेस को 39.82 प्रतिशत और 100 सीटें मिलीं उसका मतप्रतिशत अंतर +0.54 था। इसलिए भाजपा सरकार से बाहर हो गईं और कांग्रेस नें अन्य दलों के विधायकों के समर्थन से अशोक गहलोत जी के नेतृत्व में सरकार बनाई ।
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अर्थात भाजपा के सामने स्पष्ट था की वह मात्र 0.54 प्रतिशत वोटों से सत्ता से बाहर हुई है, इसलिए उन्हें मतदान प्रतिशत बड़ाने पर पूरा जोर देना चाहिए था, राजस्थान में सरकार बदलने का भी ट्रेंड है। चुनाव में एक बहुअयामी व्यापक उत्साह जो उत्पन्न करना चाहिए था, वह चुनाव में कहीं भी दिखा नहीं दिया । न बूथ पर न यूथ पर.....! हलाँकि जनता में गहलोत सरकार के विरुद्ध गुस्सा था।
- मुख्य सवाल भाजपा से अलग हट कर हिन्दू समाज के दृष्टिकोण से हई है कि हिन्दू समाज की संस्थाओं नें भी राष्ट्र, धर्म और मानवता की रक्षार्थ कोई ठोस योगदान मतदान प्रतिशत बड़ाने में दिया नहीं किया , अन्य संस्थाओं की अख़बारों में रोज 5/10 न्यूज़ मतदान संकल्पों की छपती थीं पर सड़क पर कोई नहीं था।
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कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के चलते विधानसभा चुनाव से 6 माह पहले तक भाजपा 150 / 180 सीटें तक जीतने की स्थिति में थी, कांग्रेस लगातार आपस में लड़ रही थी। हिन्दुओं के मामले में कांग्रेस का रिकार्ड खराब था। किन्तु चुनाव से ठीक पहले जो शिथिलता व्याप्त हुई उसे कोई भी उत्साह में नहीं बदल सका। हिन्दू उत्साहित होता तो कांग्रेस 20 से भी कम रह जाती। हलाँकि यह सब कांग्रेस में भी था, मगर उसका वोटर मुखर था, जाग्रत था, सक्रिय मतदान कर्ता बना, सुबह की लाइनों में उनकी ही अधिकता थी।
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सट्टा बाजार भाजपा की और चाणक्य कांग्रेस की सरकार बना रहे हैं। दोनों ही अपनी - अपनी साख रखते हैं। 3 दिसंबर 2023 को परिणाम भी आ जायेंगे। सरकार भी बन जायेगी।.....किन्तु यह प्रश्न हिन्दू समाज की तमाम संस्थाओं से और व्यक्तियों से है कि हिन्दू मतदान में वृद्धि क्यों नहीं हुई और आगे कैसे हो सकेगी... या यह आत्मघात यूँ हई चलता रहेगा ?
जब यह तय है कि हिन्दू विरोधी 95 प्रतिशत मतदान करता है तो फिर हिन्दुओं को कौन जगाएगा ? उन्हें हिंदुत्व की रक्षार्थ 95 प्रतिशत मतदान पर कौन लाएगा ?
देश अजीब राजनीति में फंस गया है, नेता इटली के होकर भी भारत में राजनीति कर लेते हैं। बांग्लादेशी भारत में मतदान करते हैं। चीन - पाकिस्तान से भारत का राजनैतिक दल हाथ मिलाने स्वतंत्र है। देश को अंदर से कैसे तोड़ा जाये पूरी ताकत लगी हुई है। हिन्दुओं को खंड खंड कर समाप्त कैसे किया जाये, इसलिए काम में डेढ़ दर्जन पार्टियां लगीं हुई हैं। और हिन्दू सोया हुआ है।
- याद रहे हिन्दुओं के पास कोई देश नहीं है जान बचानें, सिर्फ हिन्द महासागर है डूब मरने....! हिन्दुओं को अपनी और आगे की पीढ़ियों की रक्षार्थ राजनैतिक रूप से जागना और भाग लेना बहुत जरूरी है। हिन्दू साधु - संत, महंत - महात्मा, मठ - मंदिर सभी को एक जुट होकर हिन्दू रक्षार्थ समाज में उतरना होगा।
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