धन्यवाद मोदी जी मेरी कविता को आत्मा मिल गई - 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस'
आदरणीय प्रधानमंत्री श्रीयुत नरेन्द्र मोदी जी,
करूण कहानी विभाजन के नाम से मेरे ब्लाग पर “ बनाओ अखण्ड भारती” नामक कविता का प्रकाशन 18 अगस्त 2010 को किया था । इस कविता में विभाजन के मंजर को कविता स्वरूप में लीपिबद्ध करने का प्रयास किया का। 14 अगस्त 2021 को मेरी आंखों में आंसू आ गये जब मेनें टी वी पर सुना कि भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने 14 अगस्त को “ विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है। मेरे रोंगटे खडे हो गये, मेरी आंखों में आंसू थे। मेरी इस कविता को कोई लोकप्रियता नहीं मिली,सिर्फ एक टिप्पणी मिली थी। किन्तु जब मोदी जी ने इस दिन को “विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस ” के रूप में मनाने का निर्णय लिया तो मुझे लगा कि मेरी उस अभिव्यक्ति को, उस श्रृद्धांजली को आत्मा मिल गई है। कोटि कोटि धन्यवाद प्रधानमंत्री जी आपने " अपना सर्वस्व स्वाहा करने वालों उन निर्दोषों की शहादत को सम्मान दिया जिसे बहुत ही चालांकी से झुपा दिया गया था। " आदर सहित ।
आपका
- अरविन्द सिसौदिया 9414180151
टिप्पणी :-
Rajmal malav15 फ़रवरी 2012 को 3:26 pm
What a poem it is!I am glad.The scenerio of division of a nation is very cruel and unkind.
Thanks/
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करूण कहानी विभाजन
- अरविन्द सीसोदिया
करुण कहानी विभाजन की, हे वीरों तुम्हे पुकारती ,
जाग उठो अब - जाग उठो अब, बनाओ अखंड भारती ,
चीख रही थी तब मानवता, पर चिंघाड़ रही थी दानवी ,
खून से लथपथ वे मंजर,कंप-कप़ी आज भी छुडाते हैं ,
स्वतन्त्रता की वेदी पर, तब नरमूंडों से हुई थी आरती!!
-----१-----
भारत माँ को काट दिया, बेदर्दी से हत्यारों ने,
रावी की शपथ मौन थी, अखंडता का वचन गोण था,
सोच समझ का समय नहीं , भागो-भागो मची देश में,
-----२-----
गैर रहे न बचें , इस शैतानीं में , पाक में नपाक हेवानीं थी ,
घरों पर हमले हुए, जिन्दा जलाये , क़त्ल हुए ,
भूखे - प्यासे राहों में भटके, खूब थके और खूब मरे ,
व्यवस्थित कोई बात न थी, अदला - बदली की सोगात न थी,
न राह दिखानेवाला, न कोई बचानेवाला,
गुंडों की गुंडागर्दी ही तब राज बनीं थी, ताज बनीं थी ,
-----३-----
माता बहिनों की मत पूछो, क्या - क्या उन पर जुल्म हुए,
लाज गई, वेलाज हुईं, तार तार शर्मसार हुईं ,
कितनीं थीं वे जो आ पाईं , कितनीं थी वे जो नहीं आ पाईं ,
किसीने भी नहीं उनकी सूधली , एक तरफ़ा व्यभिचार के मद में ,
हर साँस और सिसकी को ,उस समय चक्र ने घेरा था ,
बेबस चीखें, आज भी गूंजती हैं, नीरव श्मसानों में ,
-----४-----
दर्द था पर राहत नहीं थी, घाव था पर पट्टी नही थी ,
राह थी पर अंत नही था, पथ पर चलते जाना था... ,
कब भारतमाँ का आँचल मिले, हर सांस इसी में विकल थी ,
कुछ आये,कुछ राह में रह गए,कुछ को चलने दिया नहीं,
वे दृश्य वे मंजर , वे चीत्कारें , फिरसे दुनिया में न आयें ,
बार बार मानवता यह पुकारती ,
-----५-----
यह भीषण कथानक है , जो सुनाने में नहीं आता है ,
गाँव - गावं ख़तम हुए थे, शहर - शहर वीरान हुए थे ,
सोना चांदी रुपया पैसा, जमीन और जायदादें....,
लूट सकता था वह सब लूट लिया शैतानों नें ,
खून से लिखी इबारतें वे , छलकी आखें पढ़ नही पाती हैं ,
-----६-----
कहीं दया का दरिया नही था, ममता कहीं मिलती नहीं थी ,
सब को अपना माने ..., वह आंचल वह गिरेवान नहीं थे ,
एक भारत भूमि जिसने,सब को सदियों से अपना माना ,
अपना दामन दिया सभी को , अपनीं गोदी दी सबको ,
सबको अपनापन दिया , सबको सुख शांती दी ,
पर उसके बेटों को दुत्कार क्यूँ फटकार क्यूँ ...?
हर मुल्क बने भारत जैसा , यही विश्व भारती पुकारती |
-----७-----
न फूल चढ़े और न दीप जले, न उनकी कोई कहानीं है,
हे अनाम शहीदों, तुमने खूब लड़ी लडाई और दी कुर्बानी है ,
नत मस्तक है माँ भारती , गर्व करती माँ भारती ,
नाज तुम पर सदा रहेगा, तुम हो नव युग कि आरती ,
माफ़ करो हे वीरों , खण्डित हे माँ भारती ..!!
देश आजाद हुआ है लेकिन, अखंडता लानी है बाक़ी .... |
-----८-----
फिर कोई राणा प्रताप बनों , या बनों वीर शिवाजी ,
सुभाष , भगत सिंह , चंदशेखर , माता तुमें बुलाती ,
षड्यंत्रों नें हमको मारा , कमजोरी से देश है हारा ,
आपसी फूट मिटाना होगा, दिल में जनून जगाना होगा ,
बंद मुट्ठी करके लें द्रढ़ संकल्प, राह बनायेंगे , चाह बनायेंगे ,
विभाजन को ख़त्म करेंगे, अखंड भारत फिर बनायेंगे ..!
-----९-----
What a poem it is!I am glad.The scenerio of division of a nation is very cruel and unkind.
Thanks/
Narendra Modi
@narendramodi
देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।
#PartitionHorrorsRemembranceDay का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।
Amit Shah
@AmitShah
·
10घं॰
देश के विभाजन का घाव व अपनों को खोने के दुःख को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता।
मुझे विश्वास है कि #PartitionHorrorsRemembranceDay समाज से भेदभाव व द्वेष की दुर्भावना को खत्म कर शांति, प्रेम व एकता को बल देगा।
14 अगस्त को #PartitionHorrorsRemembranceDay घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री
@narendramodi
जी का कोटि कोटि धन्यवाद। आज ही के दिन माँ भारती के हृदय में कैसे आघात किया गया था यह हम कभी नहीं भूल सकते।
Mayank Singh
@MayankS04459759
·
4घं॰
@sambitswaraj
और
@narendramodi
को जवाब दे रहे हैं
आज के ही दिन कुछ देश के गद्दारो ने मिलकर हिंदुस्तान का बंटवारा किया था और उस बंटबारे में लाखों की तादात में हत्यायें हुई हिन्दू महिलाओ का बलात्कार हुआ 2 लाख से ज्यादा लोगो का धर्म परिबर्तन कराया गया उस समय गद्दारो ने अंग्रेजो की स्कीम के तहत यह खूनी खेल खेला 14 अगस्त को खूनी खेल
Rajeev
@Rajeev77777
@sambitswaraj
और
@narendramodi
को जवाब दे रहे हैं
इस दिवस को याद करने से पीड़ा व दर्द को जाया जा सकता है कैसे भाई भाई बंटवारे के लिए लड़ते हैं याद करो वह दिन जब मुल्क ही बट गया था, प्रधानमंत्री जी के द्वारा इस दिन के नाम की उद्घोषणा करना ,सच में भारत के इतिहास को याद व यादों से सीखने की आवश्यकता है।
काश, अब यह दिन कभी ना आए।
pankajkaushik925
@pankajkaushik66
@sambitswaraj
और
@narendramodi
को जवाब दे रहे हैं
कैसे भुल जाए उस दिन को जब भारत मां के टुकड़े कर दिए गए जो कभी भारत माता के थे ही नही और कुछ भारत में रह गए और अपने आप को हिस्सेदार बताने लगे और आए थे हजार साल पहले भारत को लूटने आएगा समय लाहौर भी दोबारा हिंदुस्तान का हिस्सा होगा और कांधार मे भी तिरंगा फहराया जाएगा