कविता - जौहर की ज्वालायें कहतीं,शत्रु को शत्रु मानों भारत - अरविन्द सिसौदिया
जौहर की ज्वालायें कहतीं,शत्रु को शत्रु मानों भारत - अरविन्द सिसौदिया
जौहर की ज्वालायें कहतीं,उठो भारत,
जागों भारत,राष्ट्रधर्म संभालों भारत।
अटल सत्य को पहचानों,शत्रु को शत्रु मानों भारत।
-1-
करूणा,दया और अहिंसा की बातें हैं बेमानी,
शौर्य,शक्ति और बलिदानों से लिखी जाती विजयी कहानी,
जीवन क्षण भंगुर है,मौत तो है आनी जानी,
राष्ट्र और धर्म की अक्क्षुण्यता पर बलिदान हो जवानी ।
शत्रु को शत्रु मानों, मत धोका खाओ प्राणी ।
वीर बनों, वीरों की तरह अडो - लडो, यह देश हमारी शानी ।
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जौहर की ज्वालायें कहतीं,उठो भारत,
जागों भारत,राष्ट्रधर्म संभालों भारत।
अटल सत्य को पहचानों,शत्रु को शत्रु मानों भारत।
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फूट,लालच और भय में गुलामी को ढोया,
अपनों के सिर काटे और अपनों को ही खोया,
अब भी समय है सच को पहचानों,
देश बचाओ, धर्म बचाओं,शत्रु को है भगाना,
झूठी बातों के चक्रब्यूह से बाहर निकलों ,
मत बनों चारा,सगे भाई से होता है, भाई चारा,
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जौहर की ज्वालायें कहतीं,उठो भारत,
जागों भारत,राष्ट्रधर्म संभालों भारत।
अटल सत्य को पहचानों,शत्रु को शत्रु मानों भारत।
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सिखों के गुरूओं से पूछो क्या क्या जुल्म हुये हैं,
क्रांतीपथ पर चल कर देखों क्या क्या जख्म हुये है।
केसरियावाना बता रहा कैसे कैसे निर्दोषों के रक्त कुण्ड भरे हैं
जौहर की ज्वालायें कहतीं कैसे निर्दोर्षों के भस्मी बनें है।
वीभत्स हिंसा जिनके रग रग में उनके लिये क्या है बुद्ध की वाणी,
सत्य को जानों सत्य को मानों सत्य ही ईश्वर की वाणी।
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जौहर की ज्वालायें कहतीं,उठो भारत,
जागों भारत,राष्ट्रधर्म संभालों भारत।
अटल सत्य को पहचानों,शत्रु को शत्रु मानों भारत।
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हे भरतवंशीयों सौगंध तुम्हे स्वाभिमान की ,
श्रीराम की श्रीकृष्ण की गुरू गोविन्द सिंह प्यारे की,
राणा प्रताप,शिवाजी की वीर बंदा बैरागी की
शक्ति को धारण करो, शौर्य का सिंहासन वरो,
रक्षा और सुरक्षा पर अब कोई चूक नहीं।
विजय पथ पर चलना है सदियों सदियों,
यही संकल्प, यही साधना अविरल रखनी है।
मां भारत की सनातन किलकारियां विश्व में गुंजायमान करनी है।
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उपरोक्त कविता में कोई सारगर्भित संसोधन या सुझाव होतों अवश्य ही बतायें ।
- अरविन्द सिसैदिया, 9414180151
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