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कविता - जौहर की ज्वालायें कहतीं,शत्रु को शत्रु मानों भारत - अरविन्द सिसौदिया

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   जौहर की ज्वालायें कहतीं,शत्रु को शत्रु मानों भारत - अरविन्द सिसौदिया जौहर की ज्वालायें कहतीं,उठो भारत, जागों भारत,राष्ट्रधर्म संभालों भारत। अटल सत्य को पहचानों,शत्रु को शत्रु मानों भारत। -1- करूणा,दया और अहिंसा की बातें हैं बेमानी, शौर्य,शक्ति और बलिदानों से लिखी जाती विजयी कहानी, जीवन क्षण भंगुर है,मौत तो है आनी जानी, राष्ट्र और धर्म की अक्क्षुण्यता पर बलिदान हो जवानी । शत्रु को शत्रु मानों, मत धोका खाओ प्राणी । वीर बनों, वीरों की तरह अडो - लडो, यह देश हमारी शानी । .. जौहर की ज्वालायें कहतीं,उठो भारत, जागों भारत,राष्ट्रधर्म संभालों भारत। अटल सत्य को पहचानों,शत्रु को शत्रु मानों भारत। ... फूट,लालच और भय में गुलामी को ढोया, अपनों के सिर काटे और अपनों को ही खोया, अब भी समय है सच को पहचानों, देश बचाओ, धर्म बचाओं,शत्रु को है भगाना, झूठी बातों के चक्रब्यूह से बाहर निकलों , मत बनों चारा,सगे भाई से होता है, भाई चारा, .. जौहर की ज्वालायें कहतीं,उठो भारत, जागों भारत,राष्ट्रधर्म संभालों भारत। अटल सत्य को पहचानों,शत्रु को शत्रु मानों भारत। .. सिखों के गुरूओं से पूछो क्या क्या जुल्म हु...

पराक्रमी महाराणा प्रताप Mighty Maharana Pratap

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महाराणा प्रताप Maharana Pratap महाराणा प्रताप वीर विनोद के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला 13 संवत 1596 विक्रम अर्थात 31 मई 1539 है । नैनसी के अनुसार  4 मई 1540 और कर्नल टाड  के अनुसार 9 मई 1549 है ...... (जन्म- 9 मई, 1540, राजस्थान, कुम्भलगढ़; मृत्यु- 19 जनवरी, 1597) उदयपुर, मेवाड़ में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुट मणि प्रताप का जन्म हुआ। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। जीवन परिचय राजस्थान के कुम्भलगढ़ में प्रताप का जन्म महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर (  जैवंता  बाई    ) के घर हुआ था। बप्पा रावल के कुल की अक्षुण्ण कीर्ति की उज्ज्वल पताका, राजपूती आन एवं शौर्य का वह पुण्य प्रतीक, राणा साँगा का वह पावन पौत्र जब (वि. सं. 1628 फाल्गुन शुक्ल 15) तारीख 1 मार्च सन् 1573 को सिंहासनासीन हुआ। शौर्य की मूर्ति प्रताप एकाकी थे। अपनी प्रजा के साथ और एकाकी ही उन्होंने जो धर्म एवं...

उदयपुर के संस्थापक मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह जी सिसोदिया

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"मेवाड़ महाराणा उदयसिंह जी की पुण्यतिथि पर पढ़िए उनकी संक्षिप्त जीवनी" 1522 ई. :- महाराणा सांगा व रानी कर्णावती के पुत्र कुंवर उदयसिंह का जन्म 1528 ई. :- जब कुंवर उदयसिंह 6 वर्ष के थे, तब पिता महाराणा सांगा का देहांत हुआ 1534 ई. :- कुंवर उदयसिंह 12 वर्ष के थे, तब माता कर्णावती जी समेत हज़ारों क्षत्राणियों ने जौहर किया 1535 ई. :- दासीपुत्र बनवीर द्वारा महाराणा विक्रमादित्य की हत्या, बनवीर का चित्तौड़गढ़ पर कब्ज़ा व कुंवर उदयसिंह को मारने का प्रयास, महाबलिदानी माता पन्नाधाय द्वारा पुत्र चंदन का बलिदान करके कुंवर के प्राणों की रक्षा 1537 ई. :- कुंभलगढ़ दुर्ग में सामंतों द्वारा महाराणा उदयसिंह का राज्याभिषेक 1538-39 ई. :- महाराणा उदयसिंह व महारानी जयवंता बाई का विवाह 1540 ई. :- कुंवर प्रताप का जन्म, मावली के युद्ध में 20 वर्षीय महाराणा उदयसिंह द्वारा बनवीर के सेनापति कुंवरसिंह की पराजय, महाराणा की ताणा विजय, कूटनीति से बनवीर को चित्तौड़गढ़ के युद्ध में पराजित कर गढ़ पर अधिकार 1544 ई. :- अफगान बादशाह शेरशाह सूरी की चित्तौड़गढ़ पर चढ़ाई की ख़बर सुनकर महाराणा उदयसिंह ने कूटनीति से दुर्ग की चाबिया...