तमिलनाडु से पहले राष्ट्रपति कलाम को और अब उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन को चुनवाया भाजपा नें
तमिलनाडु से पहले राष्ट्रपति कलाम और अब उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन चुनवाये भाजपा नें
कोयंबटूर से दिल्ली तक... उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन की जीvकैसे BJP लिख रही नई कहानी
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने शानदार जीत हासिल की है। उन्हें प्रथम वरीयता के 452 वोट प्राप्त हुए, जिसके साथ वे भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए हैं।
Tue, 9 Sept 2025,
कोयंबटूर से दिल्ली तक... उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन की जीत से कैसे BJP लिख रही नई कहानी
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने शानदार जीत हासिल की है। उन्हें प्रथम वरीयता के 452 वोट प्राप्त हुए, जिसके साथ वे भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। वहीं, विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी सुधर्शन रेड्डी को प्रथम वरीयता के 300 वोट मिले।
सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना अप्रत्याशित नहीं था, क्योंकि उनके पक्ष में पहले से ही पर्याप्त संख्याबल मौजूद था। हालांकि, उनकी इस जीत ने बीजेपी की राजनीतिक रणनीति को नया आयाम दे दिया है। संभव है कि आने वाले समय में भारत की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिले।
आजीवन रहे आरएसएस के समर्पित कार्यकर्ता
सीपी राधाकृष्णन की जीत इस बात का संकेत देती है कि बीजेपी ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु के एक प्रभावशाली नेता को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनकर दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। साथ ही, पार्टी ने आरएसएस के वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ता राधाकृष्णन को इस भूमिका के लिए चुना है। सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ था और उन्होंने व्यवसाय प्रशासन में स्नातक की डिग्री हासिल की है। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से की थी। बाद में वे सक्रिय राजनीति में आए और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 1998 और 1999 में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद चुने गए। उस समय तमिलनाडु का राजनीतिक माहौल हिंदुत्व-केंद्रित बीजेपी के लिए अनुकूल नहीं था, क्योंकि इसे द्रविड़ विचारधारा के विपरीत माना जाता था।
2004 में बने तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष
2004 में सीपी राधाकृष्णन को तमिलनाडु बीजेपी की राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2023 तक बीजेपी तमिलनाडु में नया नेतृत्व स्थापित करने की कोशिश में थी, जिसके तहत राधाकृष्णन को पहले झारखंड और बाद में महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया। वे सभी राजनीतिक दलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी इस सौम्य और समावेशी राजनीति के कारण उन्हें 'कोयंबटूर का वाजपेयी' कहा जाता है। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार के साथ उनकी कुछ असहमतियां जरूर रहीं, लेकिन उनका कार्यकाल गैर-बीजेपी राज्यों में अन्य बीजेपी राज्यपालों की तरह विवादों से भरा नहीं था।
तमिलनाडु चुनाव पर बीजेपी की पैनी नजर
बीजेपी कई वर्षों से तमिलनाडु में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। राज्य में पार्टी का बढ़ता वोट शेयर इस बात का प्रमाण है, लेकिन यह वोट शेयर अभी तक सीटों में तब्दील नहीं हो सका है। यही कारण है कि तमिलनाडु बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। अब सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी ने तमिलनाडु की पश्चिमी बेल्ट पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर मात्र 2.6% था, जबकि 2016 में यह 2.9% था। ऐसे में पार्टी अब दोहरे अंकों में वोट शेयर हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है, ताकि इसे सीटों में बदला जा सके।
ओबीसी वोटबैंक पर बीजेपी का ध्यान
तमिलनाडु में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करना बीजेपी का लंबे समय से चला आ रहा लक्ष्य है। पार्टी ने इस दिशा में काफी सुधार किया है और राज्य में संगठन भी स्थापित कर लिया है, लेकिन अभी भी अपेक्षित समर्थन हासिल नहीं हुआ है। अब सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी ने ओबीसी कार्ड खेला है। राधाकृष्णन गाउंडर (कोंगु वेल्लालर) समुदाय से आते हैं, जिसे तमिलनाडु की राजनीति में एक महत्वपूर्ण वोटबैंक माना जाता है। खास तौर पर राज्य की पश्चिमी बेल्ट में यह समुदाय निर्णायक भूमिका निभाता है।
मुसलमानों के खिलाफ नहीं
राधाकृष्णन ने अपने इंटरव्यू में हमेशा समावेशी दृष्टिकोण पर जोर दिया है। संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कोयंबटूर में एक बम विस्फोट हुआ था। मैं आतंकवादियों के खिलाफ था, मुसलमानों के खिलाफ नहीं। जब कुछ मुसलमान मेरे पास आए, तो मैंने पुलिस से कहा कि केवल विस्फोट से जुड़े लोगों को ही गिरफ्तार करना चाहिए। किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी। यही कारण है कि मुझे 'कोयंबटूर का वाजपेयी' कहा जाता है।
आचरण के साथ-साथ जाति का भी महत्व
सियासी पंडितों का मानना है कि राधाकृष्णन के व्यक्तित्व और समावेशी आचरण के साथ-साथ उनकी गौंडर जाति भी महत्वपूर्ण है। पश्चिमी तमिलनाडु में प्रभावशाली यह ओबीसी समुदाय बीजेपी को अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन को और मजबूत करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं, यह बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी समुदायों को एकजुट करने में भी सहायता प्रदान कर सकता है।
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